सफलताप्राप्ति के लिए क्या करें
अक्सर लोग इस बात पर मार्गदर्शन के लिए आते हैं कि उन्हें अपने कार्यों में
सफलता प्राप्त नहीं होती, क्या करें इसके लिए ? कई बार लोग कहते हैं कि
हमारी जन्मपत्री देखकर कोई उपाय बताइये | हम उन सबसे यही कहते हैं कि भाई
जन्मपत्री अपनी जगह है, प्रयास तो आपको स्वयं ही करना होगा |
अन्धविश्वास पालने से अच्छा होगा कि कर्म करो | ग्रहों का प्रभाव पड़ता है इस बात
को सभी जानते हैं, लेकिन यदि मनुष्य चाहे तो प्रयास पूर्वक
कर्म करके ग्रहों के अशुभ फल को भी शुभ बना सकता है | ज्योतिषीय फल कथन का लाभ यही
है कि यदि आपको पता चल जाए कि अच्छा समय चल रहा है तो आप उस फलकथन को यथार्थ में
बदलने के लिए प्रयास आरम्भ कर दें, और यदि पता चल जाए कि समय
उतना अनुकूल नहीं है – तो निराश होने की अपेक्षा अपने कर्म में मन लगाएँ और पूर्ण
निष्ठा तथा कर्तव्यपरायणता के साथ कर्म में प्रवृत्त हों – अनुकूल दिशा में कठोर
श्रम करें – ऐसा करके आप प्रतिकूल समय को भी अनुकूल बना पाने में समर्थ हो सकेंगे
| आपके सामने भोजन का थाल भरा हुआ रखा हो तब भी भोजन अपने आप आपके मुँह में नहीं
जाएगा, आपको उसे ग्रहण करने के लिए प्रयास तो करना ही पड़ेगा |
विश्वास कीजिए, कर्म के समक्ष समस्त ग्रह नक्षत्र नतमस्तक हो
जाते हैं |
कार्य में सफलता के लिए सबसे प्रमुख आवश्यकता है कि कार्य समय पर पूर्ण
किया जाए | यदि कार्य समय पर पूर्ण नहीं होगा तो धीरे धीरे कार्य का एक पहाड़ सा
खड़ा हो जाएगा जो निश्चित रूप से मानसिक तनाव का कारण बनेगा, खीझ होगी, कार्य में मन नहीं लगेगा और असफलता का कारण बनेगा | इसलिए व्यवस्थित तथा
अनुशासित होने की आवश्यकता है | एक सीधी सादी सरल सी दिनचर्या का पालन करें – एक
ऐसी दिनचर्या जो जीवन के प्रत्येक पक्ष में सहायक हो |
ऐसा सोचना कि अभी तो समय है इस कार्य को करने में – कुछ समय बाद भी करेंगे
तो समय पर पूर्ण हो जाएगा – उचित नहीं होता | ऐसा करके हम अपने लक्ष्य की प्राप्ति
के मार्ग में बाधा ही उत्पन्न करते हैं | इस स्वभाव को यानी Last minute rush के स्वभाव को बदलने की आवश्यकता है | इसको ऐसे समझें कि कहीं यदि सुबह दस
बजे पहुँचना है तो प्रयास करें कि साढ़े नौ पर ही पहुँचा जाए | ऐसा करके आप मार्ग
में अचानक व्यवधान के कारण उत्पन्न देरी से बच जाएँगे | भली भाँति योजनाबद्ध रीति
से कार्य करेंगे तो इस Last minute rush से बच सकेंगे |
एक बार में एक ही कार्य पर ध्यान दें | अनेक कार्यों को एक साथ करने के
प्रयास में – जिसे Multitasking कहा जाता है – आपको आरम्भ में तो
प्रशंसा प्राप्त हो सकती है, लेकिन कोई भी कार्य समय पर
पूर्ण न हो सकने के कारण बाद में पछताना भी पड़ सकता है | आज के कड़ी प्रतियोगिता के युग में Multitasking होने में कोई समस्या नहीं है, बल्कि ऐसा करके आप
प्रतियोगिताओं में आगे बढ़ सकते हैं, लेकिन ऐसा करने से पूर्व
अपनी कुशलताओं और क्षमताओं का आकलन अवश्य कर लीजिये |
दूसरों की चिन्ता करना छोड़ दें | जितना सम्भव हो दूसरों की सहायता करें –
लेकिन अपने कार्य की क़ीमत पर नहीं | यदि आपको लगता है दूसरों की सहायता करने के
प्रयास में आपका कार्य पीछे छूट रहा है तो आप पहले अपना कार्य पूर्ण करने का
प्रयास करें | और ऐसा करना इस बात का प्रतीक नहीं बन जाता कि आप स्वार्थी हैं –
इसलिए दूसरे क्या सोचेंगे इस बात की चिन्ता मत कीजिए और अपने काम पर ध्यान दीजिये
| ध्यान रहे, हर किसी में अपने कार्य को पूर्ण करने की – अपने लक्ष्य को
प्राप्त करने की सामर्थ्य होती है – केवल उस सामर्थ्य को समझकर उसका उपयोग करना
आना चाहिए |
कार्य से अवकाश निकाल कर या ख़ाली समय में अपने व्यक्तिगत सम्बन्धों को
प्रगाढ़ करने पर ध्यान दीजिये | क्योंकि आपके वे व्यक्तिगत सम्बन्ध आपकी हर
परिस्थिति को समझते हैं और उनके कारण न केवल आप अकेलेपन की ऊब का शिकार होने से
बचे रह सकते हैं, बल्कि ये सम्बन्ध आपको आपकी परिस्थितियों के
अनुसार दिशा निर्देश दे सकते हैं | साथ ही खाली समय में अपनी रूचि के कार्य कीजिए –
जैसे संगीत सुनना, कुछ पढ़ना या लिखना,
ड्राइंग पेंटिंग में रूचि है या किसी स्पोर्ट में रूचि है तो उधर ध्यान देना
इत्यादि इत्यादि... ताकि आप स्वयं को मानसिक और शारीरिक स्तर पर तारो ताज़ा अनुभव
करते रहें... किसी प्रकार की भागमभाग से बचने का प्रयास कीजिए और जो आप हैं – जैसे
आप हैं – उसके लिए ईश्वर को धन्यवाद दीजिये... क्योंकि आप “आप” ही हो सकते हैं, आपको किसी “अन्य” के जैसा बनने की आवश्यकता नहीं है...
उन लोगों को पहचान कर उनसे दूरी बनाने की आवश्यकता है जो आपकी परिस्थिति को
समझे बिना आपको परामर्श देते हैं, या इसलिए परामर्श देते हैं कि उन्हें ऐसा करना
अच्छा लगता है | ऐसे लोगों से बात करके आपके आत्मविश्वास में कमी आ सकती है और
आपकी ऐसी मनःस्थिति आपकी सफलता के मार्ग में बाधा उत्पन्न कर सकती है |
साथ ही, प्रातःकाल या जब भी समय मिले – थोड़ा सा योगाभ्यास तथा ध्यान
और प्राणायाम का अभ्यास अवश्य करें मन की शान्ति के लिए | शान्तचित्त होकर कर्म
में प्रवृत्त होंगे तो सफलता अवश्य प्राप्त होगी |
अन्त में, हम सभी किसी भी अन्धविश्वास में फँसे बिना अपने समस्त प्रयासों में सफल होते रहें यही कामना है...