लोग अक्सर ज्योतिषियों के पास इस आशा से जाते हैं कि ये एक Vedic Astrologer है, ये कोई ऐसा उपाय – कोई ऐसी Remedy – हमें बता देंगे कि हमारे सारे कष्ट दूर हो जाएँगे | और ज्योतिष के आधार पर ज्योतिषी उन्हें कभी कुछ पूजा करने की सलाह देते हैं, कभी कोई व्रत उपवास आदि करने की सलाह देते हैं, कभी कोई पत्थर यानी Stone पहना देते हैं | व्रत, उपवास, पूजा आदि लाभप्रद होते हैं – मनुष्य के जीवन में इनके महत्त्व से इन्कार नहीं किया जा सकता | हम चाहे जिस भी धर्म का पालन करते हों, हर धर्म का मूलाधार यही है कि जिस ईश्वर ने हमें ये मनुष्य शरीर दिया है कि इसमें रहकर हम इतने सारे कर्म कर सकते हैं, जिस ईश्वर ने हमें जीवन में बहुत कुछ दिया है – उस परमेश्वर के प्रति कृतज्ञता, उसके प्रति आस्था और श्रद्धा का भाव होना आवश्यक है | लेकिन कष्टों से घबराकर हम उन्हें और अधिक आकर्षित ही करते हैं |
संसार में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जिसके जीवन में कभी कोई कष्ट न रहा हो | किसी को बीमारी का कष्ट होता है, किसी को धन के अभाव का कष्ट होता है, किसी को असफलता या मानापमान का कष्ट होता है | किसी को सन्तान से कष्ट होता है तो किसी को जीवन साथी से तो किसी को माता पिता से – शत्रु-मित्रों से कष्ट होता है | अनगिनती कष्टों से संसार भरा हुआ है | लेकिन ये कष्ट अनुभव किसे होते हैं ? हमारे स्थूल शरीर को | उस शरीर को जो द्रश्य है | सूक्ष्म शरीर को तो कुछ अनुभव होता ही नहीं |
वास्तव में हम शरीर को ही आत्मा समझने की भूल कर बैठते हैं और शरीर को होने वाले कष्टों को अपनी आत्मा को अनुभव होने वाले कष्ट मान बैठते हैं | आत्मा किसी भी प्रकार के सुख दुःख से परे है | तो यदि अपने कष्टों को शारीरिक स्तर का कष्ट समझ कर उनके प्रति उदासीनता का भाव बना लेंगे तो काफ़ी हद तक कष्टों से मुक्ति प्राप्त हो सकती है | उदासीनता का यह अर्थ कदापि नहीं है कि हम अपने कष्टों के समाधान के उपाय ही न करें | कष्टों को दूर करने के उपाय तो करने ही होंगे, लेकिन उनके कारण परेशान नहीं हो जाना चाहिए – चिन्ताग्रस्त नहीं हो जाना चाहिए |
यदि हम कष्टों से प्रभावित हुए बिना कर्मरत रहे तो कष्ट भी बहुत शीघ्र ही दूर हो जाते हैं | आवश्यकता है उस अन्तिम सत्य को पहचानने की जो हर पल हमारे शरीर के एक एक अणु में निवास करता है – उसे किसी कष्ट का अनुभव नहीं होता |
तो, कष्टों से प्रभावित हुए बिना एक दर्शक की भाँति उनका निरीक्षण करते हुए उन्हें दूर करने का उपाय कीजिए और अपनी आत्मा पर विश्वास रखिये | साथ ही एक बात और भी याद रखनी चाहिए कि कष्टों से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है और आत्मिक शक्ति का विकास होता है |
एक अन्तिम सत्य “सुख जाता है दुःख को देकर, दुःख जाता है सुख को देकर | सुख देकर जाने वाले से हारो मत, खुश रहना सीखो…” आपका दिन कष्टरहित हो…