माघ मास के व्रतोत्सव
माघ मास – 7 जनवरी 2022 से 5 फरवरी 2023 – के व्रतोत्सव
शुक्रवार 6 जनवरी को पौष पूर्णिमा के साथ पौष मास समाप्त हो जाएगा और शनिवार 7 जनवरी से कृष्ण प्रतिपदा के साथ माघ मास आरम्भ हो जाएगा | माघ माह का वैदिक नाम है तप तथा इसमें दो नक्षत्र – आश्लेषा और मघा होते हैं | निश्चित रूप से इस माह की शुक्ल चतुर्दशी-पूर्णिमा को मघा नक्षत्र का उदय होने के कारण ही इसका हिन्दी नाम मघा हुआ | मघा का शाब्दिक अर्थ होता है समस्त प्रकार की सुख सुविधाएँ, पुरूस्कार, उपहार, समस्त प्रकार की धन सम्पदा इत्यादि | एक प्रकार की औषधीय वनस्पति तथा एक पुष्प भी मघा कहलाता है | मघा को शुक्र का जन्म नक्षत्र भी माना जाता है और शुक्र को समस्त सांसारिक सुख सुविधाओं का कारक माना गया है | इस मास में बहुत सारे धार्मिक पर्व आते हैं इसलिए इसे बहुत पवित्र मास माना जाता है | साथ ही प्रकृति भी अनुकूल होने लगती है | भगवान भास्कर उत्तरायण हो जाते हैं और अपने पुत्र शनि की मकर राशि में प्रस्थान कर जाते हैं | ठण्ड कम होने लगती है | हेमन्त का प्रस्थान और शिशिर का आगमन हो जाता है | माघ शुक्ल पञ्चमी से वसन्त का आगमन भी हो जाता है | सभी प्रकार के मांगलिक कार्य इस मास में आरम्भ हो जाते हैं | इस माह में संगम तथा अन्य पवित्र नदियों पर कल्पवास अर्थात नदियों के किनारे निवास करने की प्रथा चली आ रही है | माना जाता है कि इस मास में सभी नदियों का जल पवित्र हो जाता है और उसमें स्नान करके देवों का सान्निध्य प्राप्त होता है तथा सभी पापों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है...
माघे निमग्ना: सलिले सुशीते विमुक्तपापास्त्रिदिवं प्रयान्ति
तथा
प्रीतये वासुदेवस्य सर्वपापानुत्तये, माघ स्नानं प्रकुर्वीत स्वर्गलाभाय मानव:
इस मास में स्वस्थ रहने के लिए गर्म पानी से स्नान धीरे धीरे बन्द करके शीतल जल से स्नान करने का सुझाव दिया जाता है | साथ ही हल्का भोजन करने के लिए कहा जाता है | तिल और गुड तथा उड़द कि काली दाल का प्रयोग इस माह में अधिक किया जाता है | इसका धार्मिक कारण है कि तिल और गुड तथा उड़द कि काली दाल का सम्बन्ध शनिदेव से माना गया है और इसी कारण ऐसी मान्यता है कि इन खाद्य पदार्थों के सेवन से शनि और सूर्य दोनों की कृपा प्राप्त होती है | साथ ही, तिल और गुड़ दोनों गर्म प्रकृति के होने के कारण और उड़द की दाल पौष्टिक होने के कारण स्वास्थ्य के लिए उत्तम भी होते हैं | इसीलिए इस मास में तिल, गुड़ और उड़द की काली दाल कि खिचड़ी का दान किया जाता है तथा सेवन भी किया जाता है |
मान्यताएँ और कथाएँ अनेकों हैं जिनसे इस मास के महत्त्व का पता चलता है | इस मास में आने वाले सभी पर्वों की अग्रिम रूप से अनेकशः हार्दिक शुभकामनाओं के साथ प्रस्तुत है इस माह में आने वाले प्रमुख व्रतोत्सवों की सूची...
शनिवार 7 जनवरी – माघ कृष्ण प्रतिपदा / माघ मास का आरम्भ
मंगलवार 10 जनवरी – माघ कृष्ण तृतीया / संकष्टी चतुर्थी
रविवार 15 जनवरी – माघ कृष्ण अष्टमी / मकर संक्रान्ति / सूर्य का मकर राशि में गोचर / संक्रमण काल 14 जनवरी को रात्रि 8:46 पर / उत्तरायणी / पोंगल
बुधवार 18 जनवरी – माघ कृष्ण एकादशी / षट्तिला एकादशी
गुरूवार 19 जनवरी – माघ कृष्ण द्वादशी / प्रदोष व्रत
शनिवार 21 जनवरी – माघ अमावस्या / मौनी अमावस्या / अन्वाधान / दर्श अमावस्या
रविवार 22 जनवरी – माघ शुक्ल प्रतिपदा / माघ नवरात्र
गुरूवार 26 जनवरी – माघ शुक्ल पञ्चमी / वसन्त पञ्चमी
शनिवार 28 जनवरी – माघ शुक्ल सप्तमी / रथ सप्तमी / भीष्म अष्टमी
बुधवार 1 फरवरी – माघ शुक्ल एकादशी / जया एकादशी
गुरूवार 2 फरवरी – माघ शुक्ल द्वादशी / प्रदोष व्रत
रविवार 5 फरवरी – माघ पूर्णिमा / माघ मास समाप्त
अस्तु, उत्तरायणगामी भगवान भास्कर सभी के हृदयों से अज्ञान का अन्धकार दूर कर ज्ञान का प्रकाश प्रसारित
करें - इसी भावना के साथ सभी को माघ मास में आने वाले सभी व्रतोत्सवों कि हार्दिक शुभकामनाएँ...