वर्ष 2023 मे पञ्चक
नमस्कार मित्रों ! वर्ष 2022 को विदा करके वर्ष 2023 आने वाला है... सर्वप्रथम सभी को वर्ष 2023 के लिये अनेकशः हार्दिक शुभकामनाएँ... हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी नूतन वर्ष के आरम्भ से पूर्व प्रस्तुत है वर्ष 2023 में आने वाले पञ्चकों की एक तालिका... किन्तु तालिका प्रस्तुत करने से पूर्व आइये जानते हैं कि पञ्चक वास्तव में होते क्या हैं |
पञ्चकों का निर्णय चन्द्रमा की स्थिति से होता है | घनिष्ठा से रेवती तक पाँच नक्षत्र पञ्चक समूह में आते हैं | अर्थात घनिष्ठा, शतभिषज, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती नक्षत्रों में जब चन्द्रमा होता है तब यह स्थिति नक्षत्र पञ्चक - पाँच विशिष्ट नक्षत्रों का समूह – कहलाती है | इनमें दो नक्षत्र - पूर्वा भाद्रपद और रेवती - सात्विक नक्षत्र हैं, तथा शेष तीन - शतभिषज धनिष्ठा और उत्तरभाद्रपद - तामसी नक्षत्र हैं | इन पाँचों नक्षत्रों में चन्द्रमा क्रमशः कुम्भ और मीन राशियों पर भ्रमण करता है | अर्थात चन्द्रमा के मेष राशि में आ जाने पर पञ्चक समाप्त हो जाते हैं | इस प्रकार वर्ष भर में कई बार पञ्चकों का समय आता है |
वास्तव में तो धनिष्ठा के तृतीय चरण से लेकर रेवती के अन्त तक का समय पञ्चक का समय माना जाता है – यानी धनिष्ठा के दो पाद, शतभिषज, दोनों भाद्रपद और रेवती के चारों पाद पञ्चक समूह में आते हैं | पञ्चकों को प्रायः किसी भी शुभ कार्य के लिए अशुभ माना गया है | इस अवधि में बच्चे का नामकरण तो नितान्त ही वर्जित है | ऐसी भी मान्यता है कि पञ्चक में यदि किसी का स्वर्गवास हो जाए तो पञ्चकों के समाप्त होने की प्रतीक्षा करनी चाहिए और उसकी समस्त क्रियाएँ पञ्चकों की समाप्ति पर कुछ शान्ति उपायों के साथ सम्पन्न करनी चाहियें | अर्थात पञ्चक काल में शव का दाह संस्कार नहीं करना चाहिए अन्यथा परिवार के लिए शुभ नहीं होता |
पञ्चकों के अलग अलग वार के अनुसार अलग अलग फल होते हैं | जैसे सोमवार को यदि पञ्चकों का आरम्भ हो तो उन्हें राज पञ्चक कहा जाता है जो शुभ माना जाता है | जैसे इस बार पञ्चकों का आरम्भ सोमवार को हुआ है | तो यदि “राज पञ्चक” की मान्यता को मानें तो इसका अर्थ यह हुआ कि इस अवधि में कोई शुभ कार्य भी किया जा सकता है |
इसके अतिरिक्त कुछ पञ्चकों को रोग पञ्चक माना जाता है तो कुछ को चोर पञ्चक और कुछ को अग्नि पञ्चक | नाम से ही स्पष्ट है कि मान्यता के अनुसार इन पञ्चकों में रोग, आग लगने अथवा चोरी आदि का भय हो सकता है | जैसे धनिष्ठा नक्षत्र में कोई कार्य आरम्भ करने से अग्नि का भय हो सकता है, शतभिषज में क्लेश का भय, पूर्वाभाद्रपद रोगकारक, उत्तर भाद्रपद में दण्ड का भय तथा रेवती नक्षत्र में कोई कार्य आरम्भ करने पर धनहानि का भय माना जाता है |
कुछ अन्य कार्यों की भी मनाही पञ्चकों के दौरान होती है – जैसे दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए | लेकिन आज के प्रतियोगिता के युग में यदि किसी व्यक्ति का नौकरी के लिए इन्टरव्यू उसी दिन हो और उसे दक्षिण दिशा की ही यात्रा करनी पड़ जाए तो वह कैसे इस नियम का पालन कर सकता है ? यदि पञ्चकों के भय से वह इन्टरव्यू देने नहीं जाएगा तो जो कार्य उसे मिलने की सम्भावना हो सकती थी वह कार्य उसके हाथ से निकल कर किसी और को मिल सकता है |
एक और मान्यता है कि पञ्चकों के एक विशेष नक्षत्र में लकड़ी इत्यादि इकट्ठा करने का या छत आदि डलवाने का कार्य नहीं करना चाहिए | लेकिन आज जिस प्रकार की व्यस्तताओं में हर व्यक्ति घिरा हुआ है उसके चलते ऐसा भी तो हो सकता है कि व्यक्ति को उसी दिन अपने ऑफिस से अवकाश मिला हो और उसी दिन उसे वह कार्य सम्पन्न
करना हो ?
ऐसी भी मान्यता है कि इस अवधि में किया कोई भी कार्य पाँचगुना फल देता है | इस स्थिति में तो इस अवधि में किये गए शुभ कार्यों का फल भी पाँच गुना प्राप्त होना चाहिए – केवल अशुभ कार्यों का ही फल पाँच गुणा क्यों हो ? सम्भवतः इसी विचार के चलते कुछ लोगों ने ऐसा विचार किया कि पञ्चक केवल अशुभ ही नहीं होते, शुभ भी हो
सकते हैं | इसीलिए पञ्चकों में सगाई, विवाह आदि शुभ कार्य करना अच्छा माना जाता है | पञ्चक के अन्तर्गत आने वाले तीन नक्षत्र – पूर्वा भाद्रपद, उत्तर भाद्रपद और रेवती – में से कोई यदि रविवार को आए तो वह बहुत शुभ योग तथा कार्य में सफलता प्रदान करने वाला माना जाता है |
इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए हमारी ऐसी मान्यता है कि ज्योतिष के प्राचीन सूत्रों को – प्राचीन मान्यताओं को – आज की परिस्थितियों के अनुकूल उन पर शोध कार्य करके यदि संशोधित नहीं किया जाएगा तो उनका वास्तविक लाभ उठाने से हम वंचित रह सकते हैं | वैसे भी ज्योतिष के आधार पर कुण्डली का फल कथन करते समय भी देश-काल-व्यक्ति का ध्यान रखना आवश्यक होता है | तो फिर विशिष्ट शुभाशुभ कालों पर भी इन सब बातों पर विचार करना चाहिए | साथ ही हर बात का उपाय होता है | किसी भी बात से भयभीत होने की अपेक्षा यदि उसके उपायों पर ध्यान दिया जाए तो उस निषिद्ध समय का भी सदुपयोग किया जा सकता है |
तो, अपने कर्तव्य कर्मों का पालन करते हुए हम सभी का जीवन मंगलमय रहे और सब सुखी रहें... इसी भावना के साथ प्रस्तुत है वर्ष 2023 में आने वाले पञ्चकों की एक तालिका…
जनवरी :
पञ्चक आरम्भ : सोमवार, 23 जनवरी 2023 अपराह्न 01:51 बजे / राज पञ्चक पञ्चक समाप्त : शुक्रवार, 27 जनवरी 2023 को सायं 06:37 बजे
फरवरी :
पञ्चक आरम्भ : रविवार 19 फरवरी 2023 अर्द्धरात्र्योत्तर (सोमवार 20 फरवरी पूर्वाह्न) 01:14 बजे / राज पञ्चक
पञ्चक समाप्त : गुरूवार 23 फरवरी 2023 अर्द्धरात्र्योत्तर (शुक्रवार 24 फरवरी पूर्वाह्न) 03:44 बजे
मार्च :
पञ्चक आरम्भ : रविवार, 19 मार्च 2023 प्रातः 11:17 बजे / रोग पञ्चक पञ्चक समाप्त : गुरुवार 23 मार्च 2023 अपराह्न 02:08 बजे
अप्रैल :
पञ्चक आरम्भ : शनिवार, 15 अप्रैल 2023, सायं 06:44 बजे / मृत्यु पञ्चक पञ्चक समाप्त : बुधवार, 19 अप्रैल 2023 प्रातः 11:53 बजे
मई :
पञ्चक आरम्भ : शुक्रवार 12 मई 2023 अर्द्ध रात्रि में (शनिवार 13 मई अर्द्धरात्र्योत्तर) 00:18 बजे / मृत्यु पञ्चक पञ्चक समाप्त : बुधवार, 17 मई 2023 प्रातः 07:39 बजे
जून :
पञ्चक आरम्भ : शुक्रवार, 09 जून 2023 प्रातः 06:02 बजे / चोर पञ्चक पञ्चक समाप्त : मंगलवार, 13 जून 2023 अपराह्न 01:32 बजे
जुलाई :
पञ्चक आरम्भ : गुरुवार, 06 जुलाई 2023 अपराह्न 01:38 बजे / प्रायः शुभ पञ्चक समाप्त : सोमवार, 10 जुलाई 2023, सायं 06:59 बजे
अगस्त :
पञ्चक आरम्भ : बुधवार, 02 अगस्त 2023 प्रातः 11:26 बजे / प्रायः शुभ पञ्चक समाप्त : रविवार 06 अगस्त 2023 अर्द्धरात्र्योत्तर (सोमवार, 07 अगस्त पूर्वाह्न) 01:43 बजे
सितम्बर :
पञ्चक आरम्भ : बुधवार, 30 अगस्त 2023 प्रातः 10:19 बजे / प्रायः शुभ पञ्चक समाप्त : रविवार, 03 सितम्बर 2023
प्रातः 10:38 बजे पञ्चक आरम्भ : मंगलवार, 26 सितम्बर 2023 अपराह्न 08:28 बजे / अग्नि पञ्चक पञ्चक समाप्त : शनिवार, 30 सितम्बर 2023 को रात्रि 09:08 बजे
अक्तूबर :
पञ्चक आरम्भ : मंगलवार, 24 अक्टूबर 2023 सूर्योदय से पूर्व 04:23 बजे / अग्नि पञ्चक पञ्चक समाप्त : शनिवार, 28 अक्टूबर 2023 प्रातः 07:31 बजे
नवम्बर :
पञ्चक आरम्भ : सोमवार, 20 नवम्बर 2023 प्रातः 10:07 बजे / राज पञ्चक पञ्चक समाप्त : शुक्रवार, 24 नवम्बर 2023 अपराह्न 04:01 बजे
दिसम्बर :
पञ्चक आरम्भ : रविवार, 17 दिसम्बर 2023 अपराह्न 03:45 बजे / रोग पञ्चक पञ्चक समाप्त : गुरुवार, 21 दिसम्बर 2023 रात्रि 10:09 बजे
अन्त में इतना ही, कि ज्योतिष के प्राचीन सूत्रों को – प्राचीन मान्यताओं को – आज की परिस्थितियों के अनुकूल उन
पर शोध कार्य करके यदि संशोधित नहीं किया जाएगा तो उनका वास्तविक लाभ उठाने से हम वंचित रह सकते हैं | वैसे भी ज्योतिष के आधार पर कुण्डली का फल कथन करते समय भी देश-काल-व्यक्ति का ध्यान रखना आवश्यक होता है | तो फिर विशिष्ट शुभाशुभ काल निर्णय के लिए भी इन सब बातों पर विचार करना चाहिए | साथ ही हर बात का उपाय होता है | अतः किसी भी प्रकार के अन्धविश्वास से भयभीत होने की अपेक्षा अपने कर्म पर बल देना चाहिये ... इसी भावना के साथ वर्ष 2023 की सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ...