मेरा अन्तर इतना विशाल
समुद्र से गहरा / आकाश से ऊँचा /
धरती सा विस्तृत
जितना चाहे भर लो इसको / रहता है
फिर भी रिक्त ही
अनगिन भावों का घर है ये मेरा
अन्तर
कभी बस जाती हैं इसमें आकर अनगिनती
आकाँक्षाएँ और आशाएँ
जिनसे मिलता है मुझे विश्वास और
साहस / आगे बढ़ने का
क्योंकि नहीं है कोई सीमा इस मन की...
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