दोस्त इंसान के जीवन में अलग ही रिश्ते में बंधे होते हैं जिनसे खून का रिश्ता नहीं होता लेकिन उनका साथ निभाने के लिए लोग खून के रिश्तों को भी नजरअंदाज कर जाते हैं। दोस्ती का रिश्ता दिल से बना होता है और इन्हें हम जब तक चाहें निभा सकते हैं। अगर किसी ने ये रिश्ता दिल से नहीं निभाया तो उनके जीवन में बहुत सारा बदलाव आ जाता है लेकिन दिल से की हुई दोस्ती कभी खत्म नहीं होती है। हर साल अगस्त के पहले रविवार को पूरी दुनिया Friendship Day मनाती है। इस दिन लोग अपने दोस्तो के साथ घूमते-फिरते और इस खास दिन को सेलिब्रेट करते हैं। मगर मित्रता के मायने सिर्फ अंग्रेजों द्वारा बनाए गए इस फ्रेंडशिप डे से नहीं है बल्कि कुछ और भी बातें जो हम आपको बताएंगे।
मित्रता दिवस इस वज से भी मनाया जाता है
शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य को उत्तम बनाए रखने के लिए स्वस्थ सामाजिक सम्बन्ध और घनिष्ठ मित्र अत्यन्त आवश्यक हैं। मित्रता यानी हम किसी अन्य व्यक्ति को अथवा वातावरण को अथवा किसी पशु को, पक्षी को, समूची चराचर प्रकृति को भी उतना ही महत्त्व देते हैं जितना स्वयं को देते हैं, क्योंकि समस्त चराचर जगत उसी परमात्मतत्व की ही तो सत्ता है जो हमारे भीतर विद्यमान है | मित्रता का आकाश वास्तव में बहुत व्यापक होता है... बहुत विशाल होता है... मित्रता एक ऐसी सुगन्ध है जिसे केवल अनुभव किया जा सकता है... एक ऐसा अनुभव है जिसे शब्दों में नहीं कहा जा सकता... एक ऐसी कविता – ऐसा गीत अथवा कहानी है जिसकी कोई व्याख्या नहीं की जा सकती... जिसे कोई नाम नहीं दिया जा सकता... किनारे से टकराती हुई सागर की एक ऐसी लहर है जो हमारे पग पखार कर आगे बढ़ जाती है क्योंकि उसे पकड़ा नहीं जा सकता... और जो प्रयास करेगा इसे पकड़ने का वह इसे मूलरूप में ही खो देगा...
भगवान् बुद्ध से किसी ने प्रश्न किया था कि आप तो बुद्ध हैं, आपके तो बहुत मित्र होंगे ? बुद्ध ने एक शब्द में उत्तर दिया “नहीं” | उस व्यक्ति को आश्चर्य हुआ यह सोचकर कि बुद्ध पुरुष के लिए तो सारा संसार ही मित्र होना चाहिए, फिर ये भगवान् किसलिए बोल रहे हैं कि इनका कोई मित्र नहीं है | भगवान् बुद्ध का उत्तर था “बुद्ध पुरुष का कोई मित्र नहीं होता – क्योंकि बुद्ध का कोई शत्रु नहीं होता...”
कल गूगल से ज्ञात हुआ आज मित्रता दिवस यानी Friendship Day है, और कल से ही मित्रों के Happy Friendship Day के सन्देश आने आरम्भ हो गए | कल एक कार्यक्रम में जाना हुआ तो वहाँ भी सब लोग गले मिलकर एक दूसरे से Happy Friendship Day बोलते नज़र आए | बड़ा सुखद अनुभव था उन मित्रतापूर्ण क्षणों का और उन मित्रतापूर्ण संदेशों का | लेकिन तभी देखा कुछ लोगों ने WhatsApp पर सन्देश फॉरवर्ड करने आरम्भ कर दिए कि ये Friendship Day जैसे जितने भी Days हैं ये सब आर्चीज़ जैसी गिफ्ट आईटम बेचने वाली कम्पनियों और विदेशी संस्कृति की देन हैं इसलिए हमें इस सबसे दूर रहना चाहिए | सन्देश पढ़कर वास्तव में अच्छा नहीं लगा |
चाहे आर्चीज़ की देन हो या विदेशी सभ्यता की देन हो, आजकल के व्यस्त जीवन में से यदि थोड़ा सा समय निकाल एक दिन हर कोई हर किसी के साथ अपनी मित्रता अभिव्यक्त करने के लिए नियत करता है तो इसमें बुरा क्या है ? भारतीय दर्शन की तो मान्यता ही वसुधैव कुटुम्बकम् की मान्यता है – वही जो भगवान बुद्ध ने कहा “उनका कोई मित्र नहीं है क्योंकि कोई शत्रु नहीं है” | कहने का तात्पर्य यही था बुद्ध का कि उनके लिए समस्त चराचर जगत ही उनका मित्र है |
इसलिए, हमारे सन्देश प्रेषित करने वाले मित्र यदि बोलते कि Happy Friendship Day बोलने के लिए एक दिन ही क्यों, हर दिन ऐसा क्यों नहीं बोला जा सकता ? तो इस बात को माना जा सकता है | लेकिन साथ ही यह भी देखना होगा कि यदि हर दिन मित्रों को Happy Friendship Day बोलना शुरू कर दिया तो उस छोटे से वाक्य का सारा रस ही समाप्त हो जाएगा | मित्रता का अथवा प्रेम का “प्रदर्शन” लगातार किया जाना आवश्यक नहीं है, आवश्यक है कि वह भाव सदा मन में बना रहे | और एक दिन जब इस प्रकार के मित्रतापूर्ण सन्देश प्राप्त होते हैं या हम दूसरों को ऐसे सन्देश प्रेषित करते हैं तो वास्तव में एक सुखद अनुभव होता है और बुद्ध की ही भाँति ये कहा जा सकता है कि हमारा कोई शत्रु नहीं है... साथ ही कुछ लोगों को अवसर भी मिल जाता है आपसी गिले शिकवे दूर करके यदि कोई शत्रु अथवा विरोधी भी है तो उसे अपना बनाने का।
ये है मित्रता दिवस मनाने की वजह
साल 1935 में अमेरिका से फ्रेंडशिप डे की शुरुआत की गई थी। ऐसा माना जाता है कि अगस्त के पहले रविवार को अमेरिकी सरकार ने एक व्यक्ति को मारा था और जिसकी याद में उसके एक दोस्त ने आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद सरकार ने अगस्त के पहले रविवार को फ्रेंडशिप डे घोषित कर दिया और फिर लोगों ने इसे हर सालम मनाना शुरु कर दिया। ऐसी भी खबरें उन दिनों आईं कि साल 1930 में एक व्यापारी ने इस दिन की शुरुआत की थी। जोएस हाल नाम के एक बिजनेमैन ने सभी लोगों के लिए एक दिन रखा जब वे दोस्तों के लिए निकालें और इस दिन को लोग अपने दोस्तों के साथ मनाएं। इस खास दिन को मनाने के लिे उस व्यापारी ने 2 अगस्त का दिन निर्धारित किया था और बाद में ये यूरोप-एशिया के बहुत से देशों में मनाया जाने लगा। इसके अलावा फ्रेंडशिप डे की कहानी में ये बात भी शामिल है कि 20 जुलाई, 1958 में डॉक्टर रमन आर्टिमियो ने एक डिनर पार्टी के दौरान अपने दोस्तों के साथ मित्रता दिव मनाने के बारे में सोचा था।