डॉ दिनेश शर्मा का एक और नया लेख... पढ़कर समझने का प्रयास अवश्य कीजिए...
दरअसल जो सुख हमें किसी वस्तु के द्वारा मिलता है वो असल में
सुख नही सुविधा है । असली सुख या आनंद दरअसल वो है जो हमें अपने खुद के किये हुए
काम से मिलता है - चाहे वो कुछ अच्छा लिखना हो, या पेंटिंग बनाना , या
नृत्य संगीत के द्वारा अपनी रचनाधर्मिता को बाहर लाना, या
अच्छा खाना पकाना, या बागबानी करना । किसी ने हमारी महंगी
गाड़ी, बड़े घर या महंगे जेवर कपड़ों की या और किसी बात की
तारीफ कर दी - तो यह खुशी स्थायी नही होगा । थोड़ी देर रहेगी और मिट जाएगी। इसलिए
सच्चा आनंद वही है जो अंदर से पैदा होता है किसी बाहरी वस्तु या व्यक्ति पर निर्भर
नही होता ।
इसको थोड़ा सरलता से समझाता हूँ । खुद एक पाव जलेबी खाने से
जिव्हा के जरिये स्वाद का सुख थोड़ी ही देर में समाप्त हो जाएगा पर यही पाव भर
जलेबी अगर आप किसी गरीब और भूखे आदमी को खिला दें तो उसके चेहरे पर जो भाव उभरेंगे
उनकी स्मृति आपको बरसों तक आनंद देती रहगी।
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