प्रदोष
व्रत 2020
कर्पूगौरं करुणावतारं संसारसारं
भुजगेन्द्रहारम् |
सदा वसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानी सहितन्नमामि ||
कल हमने
वर्ष 2020 में आने वाली एकादशी की लिस्ट पोस्ट की थी | एकादशी के बाद आता है प्रदोष
का व्रत | इस वर्ष सबसे पहला प्रदोष व्रत पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को
बुधवार यानी आठ जनवरी को होगा |
प्रत्येक माह के शुक्ल और कृष्ण
दोनों पक्षों की त्रयोदशी को प्रदोष के व्रत का पालन किया जाता है | अर्थात हर
हिन्दू माह में दो प्रदोष पड़ते हैं | इस व्रत के दौरान सारा दिन निर्जल व्रत रखकर
सन्ध्या समय शिव-पार्वती की पूजा अर्चना करके व्रत का पारायण किया जाता है | कार्य
में सफलता के लिए, मनोकामना सिद्धि के लिए, परिवार की सुख समृद्धि के लिए तथा इन
सबसे भी बढ़कर सन्तान के सुख की कामना से इस व्रत का पालन किया जाता है | जिन लोगों
की सन्तान को किसी प्रकार कोई कष्ट होता है अथवा सन्तान के कार्य में कोई विघ्न आ
रहा होता है उन लोगों को प्रदोष के व्रत की सलाह दी जाती है | इसके अतिरिक्त बिना
किसी समस्या के भी प्रदोष का व्रत रखा जा सकता है – इस कामना के साथ कि हमारी
सन्तान सुखी रहे तथा परिवार में सुख समृद्धि बनी रहे | प्रायः उन महिलाओं को भी
प्रदोष के व्रत की सलाह दी जाती है जिनके कोई सन्तान नहीं हो रही है अथवा सन्तान
पैदा होने में या गर्भ धारण करने में कोई समस्या आ रही है |
यों
प्रदोष किसी भी तिथि में हो सकता है क्योंकि किसी भी तिथि में सायंकाल के समय
दूसरी तिथि का समावेश हो सकता है | किन्तु मान्यता है कि विशेष रूप से त्रयोदशी युक्त प्रदोषकाल भगवान शिव और पार्वती को बहुत
प्रिय है और इस अवधि में वे इतने अधिक प्रसन्नचित्त होते हैं कि केवल एक दीप जलाकर
प्रार्थना की जाए तब भी वे प्रसन्न हो जाते हैं और इसीलिए भक्तों की सारी
मनोकामनाएँ पूर्ण कर देते हैं | साथ ही ऐसा भी माना जाता है कि समुद्र मन्थन
के दौरान जो हलाहल समुद्र में से निकला था भगवान शंकर ने इसी प्रदोषकाल में उसका पान किया था |
सोमवार, मंगलवार अथवा शनिवार को
आने वाले प्रदोष अत्यधिक शुभ माने जाते हैं और उन्हें क्रमशः सोम प्रदोष, भौम
प्रदोष तथा शनि प्रदोष के नाम से जाना जाता है |
प्रदोष
व्रत के विधानादि विषय पहले भी हम लिख चुके हैं | हम ईश्वर के प्रति – अपनी आत्मा के प्रति - पूर्ण हृदय से आस्थावान रहते
हुए पूर्ण निष्ठा के साथ अपने कर्तव्य कर्म करते रहें तो सुख सौभाग्य
स्वयमेव निकट बने रहेंगे... इसी भावना तथा वर्ष 2020 की अग्रिम शुभकामनाओं के साथ आज प्रस्तुत हैं वर्ष 2020 में आने वाले प्रदोष व्रत की तारीखों की एक तालिका…
बुधवार, 08 जनवरी प्रदोष व्रत पौष शुक्ल त्रयोदशी
बुधवार, 22 जनवरी प्रदोष व्रत माघ कृष्ण त्रयोदशी
गुरुवार, 06 फरवरी शनि प्रदोष व्रत माघ शुक्ल द्वादशी
गुरुवार, 20 फरवरी प्रदोष व्रत फाल्गुन कृष्ण द्वादशी
शुक्रवार, 21 फरवरी महाशिवरात्रि फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी आरम्भ 20 फरवरी को
सायं चार बजे से, त्रयोदशी में रात्रि में चार अभिषेक के लिए
मुहूर्त - रात्रि प्रथम प्रहर पूजा का समय 21 को सायं 6:15
से रात्रि 9:24 तक,
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा का समय 9:24 से अर्द्धरात्रि 12:34
तक, तृतीय प्रहर पूजा का समय अर्द्धरात्रि 12:34
से प्रातः सूर्योदय से पूर्व 3:44 तक, रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा का समय 22 को सूर्योदय से
पूर्व 3:44 से प्रातः 6:53 तक |
शनिवार, 07 मार्च शनि प्रदोष व्रत फाल्गुन शुक्ल द्वादशी / त्रयोदशी
शनिवार, 21 मार्च शनि प्रदोष व्रत चैत्र कृष्ण द्वादशी
रविवार, 05 अप्रैल प्रदोष व्रत चैत्र शुक्ल द्वादशी
सोमवार, 20 अप्रैल सोम प्रदोष व्रत वैशाख कृष्ण त्रयोदशी
मंगलवार, 05 मई भौम प्रदोष व्रत वैशाख शुक्ल त्रयोदशी
बुधवार, 20 मई प्रदोष व्रत ज्येष्ठ कृष्ण
त्रयोदशी
बुधवार, 03 जून प्रदोष व्रत ज्येष्ठ शुक्ल द्वादशी
गुरुवार, 18 जून प्रदोष व्रत आषाढ़ कृष्ण द्वादशी
गुरुवार, 02 जुलाई प्रदोष व्रत आषाढ़ शुक्ल द्वादशी
शनिवार, 18 जुलाई शनि प्रदोष व्रत श्रावण कृष्ण त्रयोदशी
शनिवार, 01 अगस्त शनि प्रदोष व्रत श्रावण शुक्ल
त्रयोदशी
रविवार, 16 अगस्त प्रदोष व्रत भाद्रपद कृष्ण द्वादशी
रविवार, 30 अगस्त प्रदोष व्रत भाद्रपद शुक्ल
द्वादशी
मंगलवार, 15 सितंबर भौम प्रदोष व्रत आश्विन (शुद्ध) कृष्ण त्रयोदशी
मंगलवार, 29 सितंबर भौम प्रदोष व्रत आश्विन (अधिक) शुक्ल त्रयोदशी
बुधवार, 14 अक्टूबर प्रदोष व्रत आश्विन (अधिक)
कृष्ण द्वादशी
बुधवार, 28 अक्टूबर प्रदोष व्रत आश्विन (शुद्ध)
शुक्ल द्वादशी
शुक्रवार, 13 नवंबर शनि
प्रदोष व्रत कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी
शुक्रवार, 27 नवंबर प्रदोष
व्रत कार्तिक शुक्ल द्वादशी
शनिवार, 12 दिसंबर शनि प्रदोष व्रत मार्गशीर्ष कृष्ण त्रयोदशी
रविवार, 27 दिसंबर प्रदोष व्रत मार्गशीर्ष
शुक्ल त्रयोदशी
अन्त में एक बार पुनः वर्ष 2020 के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ, इस आशा और विश्वास के साथ हम सभी स्वस्थ और सुखी रहते हुए अपने अपने लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में अग्रसर रहे…