यदि हम किसी से प्रेम करते हैं तो हमें न तो उससे यही अपेक्षा रखनी चाहिए कि हम उसे अपने बन्धन में बाँध सकते हैं और न ही उस पर किसी प्रकार का अधिकार जताने का प्रयास करना चाहिए – चाहे वह मनुष्य हो या अन्य कोई भी जीव या पदार्थ | प्रेम का अर्थ है बन्धनमुक्त होना | प्रेम सकारात्मक विचारों के साथ जीवन को सार्थक बनाने की प्रक्रिया है – किसी प्रकार की नकारात्मकता के लिए वहाँ कोई स्थान नहीं होता... और क्योंकि बन्धन भी एक प्रकार की नकारात्मकता ही है – इसीलिए प्रेम भावनाओं के पंख पसार उन्मुक्त गगन में ऊँचा उड़ना सिखाता है – किसी बन्धन में बंधना नहीं...