तुम जिसे ठुकरा गयी, वो अब जग को रास आ रहा है,जो सुना तुमने नहीं वो धून ज़माना गा रहा है,तुमने बोला था न बरसेगी जहाँ एक बूँद भी कल,उस जमीं के नभ पे इक्छित काला बादल छा रहा है,रात के डर से अकेला तुमने छोड़ा था जिसे कल ,उसकी खातिर आज सजकर, सूर्य का रथ आ रहा है,काँच का टुकड़ा समझकर फेंक आई तुम जिसे थी,पैसो
हमको ख्वाबों में ख्यालों में तुम बसा लेना,अपने होठो पे हमको गीतों-सा सजा लेना,हम क़यामत तलक न साथ तेरा छोड़ेंगे,हम हैं हाज़िर, हमें जब चाहे आजमा लेना,कोई महफ़िल हो या तन्हाई का आलम कोई,बड़ी मशरूफ़ रहो या रहो खोयी-खोयी ,हर घड़ी साथ निभाने का तुमसे वादा है,जी में जब आये, हमें बेझिझक बुला लेना,साथ कोई दे न दे
तेरी चाहत के तोहफे हैं,जो इन आँखों से बहते हैं,नहीं तू संग फ़क्त इनको तो मेरे पास रहने दे,महज़ आंसू बता इनको न तू अपमान कर इनका,मेरी उल्फत के मोती हैं, तू इनको ख़ास रहने दे,ज़माना, वक़्त और मजबूरियां मैं सब समझता हूँ,तू जा बेशक, तू मेरे संग तेरा एहसास रहने देन मुझसे छीन ये उम्मीद तू मेरा नहीं होगा,भले झू
जब इश्क हुआ,करुणा व क्षमा न हो,ऐसा हो नहीं सकता। ... सबसे पहले प्रेम इंसान खुद से ही करता है, खुद को ही माफ करने की जुगत में रहता है... प्रेम जब यह सिखा दे कि, मैं इतना विस्तारित है, उसका अंश सब में है, फिर, अपने ‘अंशों’ से करुणा न हो! ऐसा हो नहीं सकता...! इसलिए ही इश्क म
प्रेम अनंत है, प्रेम अपार है प्रेम ईश्वर है, प्रेम साकार हैप्रेम सत्य है, प्रेम साधना हैप्रेम ईश्वर की आराधना है प्रेम सुगंध है, प्रेम चन्दन हैप्रेम सुख का अभिनन्दन हैप्रेम हृदय है, प्रेम स्पंदन है प्रेम विरह का करुण क्रंदन हैप्रेम चन्दन है, प्रेम पानी है प्रेम जीवन
"तेरे क़दमों में चाँद-तारों को बिछाऊँ मैं, तेरी तारीफ़ में कोई नगमा गुनगुनाऊँ मैं, बिन तुझे देखे दिल को चैन अब नही मिलता, कोई तरकीब बता दूरियाँ मिटाऊँ मैं, यूँ हैं जीवन की भागदौड़ में मशरूफ़ बहुत, साथ तेरा मिले तो जिंदगी भुलाऊँ मैं, कोई महफ़िल, कोई त्यौहार या कोई रश्म-ए-वफ़ा, इक बहाना तो हो की तुझसे म
धीमे-धीमे जो उजले-काले बादलों में पड़ती हैसूरज की लालिमा वैसे धीरे-धीरे मेरे दिल मे उतरता है रंग तेरा जिसके बहुतेरे रूप हैं हर एक खास और हर एक बाकियों से जुदा और बरस पड़ते हैं उस साल की पहली बारिश की तरह फर्क बस ये है वो बारिश धरती को भिंगोती है तो दूसरी मेरे रूह को जो झर-झ
संभालना हमको आता है हम संभल भी जायेंगे यादो की फूल बनकर तेरे साखो पर मुस्कराएंगे बिछड़ जाने से मुहब्बत की दस्ता ख़तम नहीं होती हम याद थे हम याद है तुझे हम याद आएंगे सलामत रहे तू अपनी दुनिया में मसरूफ रहे किस्तों में करके हम भी तुझे अब भूल जाएंगे शायर
मेरा दिल गुलाब जैसा है, यूँ ही न इसे कुचल देना।
वो एक ऐहसास था प्रेम का जिसकी कहानी है ये ... जाने किसलम्हे शुरू हो के कहाँ तक पहुंची ... क्या साँसें बाकी हैं इस कहानी में ... हाँ ... क्या क्या कहा नहीं ... तो फिर इंतज़ार क
जब मै छोटा सा था,तो मेरी यह अभिलाषा थी,हँसता हुआ देखूँ,भारत को मन मे छोटी सी एक आशा थी।मन की पावन आँखों ने,कुछ देखे ख्वाब सुनहरे थे;उन सारे ख्वाबों की अपनीपहचानी सी भाषा थी।अपने कोमल ख्वाबों मे,मै भारत को एक
रावण का पुत्र वीर योद्धा मेघनाथ यह जान गया था की श्रीराम
चेतावनी इस कहानी के सभी पात्र काल्पनिक है इसका किसी भी जीवित से कोई सम्बन्ध नहीं मैंने सिर्फ अपने मन में इन किरदारों को गढ़ा है तो कृपया कहानी पढने के बाद मुझसे इनके बारे में मत पूछिए नमस्ते दोस्तों मेरा नामे है अमर कुमार और मैं आप सब का स्वागत करता हूँ अपने इस लेख पर.
राष्ट्र गान देशभक्ती की चेतना अवश्य जगाएगा " एक बालक को देशभक्त नागरिक बनाना आसान है बनिस्बत एक वयस्क के क्योंकि हमारे बचपन के संस्कार ही भविष्य में हमारा व्यक्तित्व बनते हैं।" सुप्रीम कोर्ट का फैसला , सिनेमा हॉल में हर शो से पहले राष्ट्र गान बजाना अनिवार्य होगा। हमार
तुमसे मिले ही कहाँ है, फिर भी लगाव रखते है। तुमने माँगा कुछ भी नहीं, फिर भी
तुम्हारी मीठी मीठी कोयल सी आवाज, कहती है तुम्हारे दिल का राज।
बहुत हुआ यह खेलम-खेलापूरी हो बिछड़न की वेला अब तो मेरी जान में करार रहने दे ; मेरे प्यार के उस रूप को साकार रहने दे || हो बहुत लिए हम दूर , अब सहा नही जाता मुझसे मुझ बिन जिन्दा नही रही वो , देखा कैसे जाता तुझसे सुन ले मेरी अर्जी एक बार रहने दे ; मेरे प्यार के उस रूप को साकार रहने दे ||गर मुस्काई ज
बिजली की लुका छुपी के खेल और ..चिलचिल गर्मी से हैरान परेशां हम ..ताकते पीले लाल गोले को और झुंझला जाते , छतरी तानते, आगे बढ़ जाते !पर सर्वव्यापी सूर्यदेव के आगे और कुछ न कर पाते ..!पर शाम आज ,सूरज के सिन्दूरी लाल गोले को देख एक दफे तो दिल 'पिघल' सा गया , सूरज दा के लिए , मन हो गया विकल रोज़ दोपहरी आग
काफीसमय बाद वह घर आया था बड़ी बहन की शादी में। घर में गहमा गहमी का माहौल था। काफीचहल पहल थी। ढेर सारे रिश्तेदार, गाना बजाना, नाचना लगा हुआ था। कहीं मेहंदी लग रही है, कहीं साड़ी में गोटा।कहीं दर्जी नाप ले रहा है, कोई हलवाई को मिठाइयों के नाम लिखवा रहा है। एक तरफ फूलमाला वाले की गुहार, एक तरफ बैंड-बाजा