शिक्षक दिवस
आज Teachers Day यानी शिक्षक दिवस है – सर्वपल्ली डॉ राधाकृष्णन – जो कि राष्ट्रपति बनने से पूर्व स्वयं एक शिक्षक रह चुके थे – का जन्मदिवस... सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ कि हम सदा अपने गुरुजनों का सम्मान करते रहें...
शिक्षक – जो हमारा लक्ष्य निश्चित करने में न केवल हमारी सहायता करता है बल्कि उस तक पहुँचने के लिए हमारा मार्ग भी प्रशस्त करता है | फिर चाहे वह माता पिता के रूप में हो, बड़े भाई बहनों के रूप में हो या फिर गुरु के रूप में हो | जब कभी भी हम स्वयं को हारा हुआ या निराश अनुभव करते हैं हमारे गुरुजन हमें भावनात्मक सहारा देकर आगे बढ़ने में हमारी सहायता करते हैं | वास्तव में गुरु एक ऐसा दीपक है जो स्वयं जलकर अपने शिष्यों का मार्ग प्रशस्त करता है |
सबसे प्रथम गुरु माँ – हम जब माँ के गर्भ में होते हैं उसी समय से वह हमें शिक्षित और संस्कारित करना आरम्भ कर देती है | गर्भ से बाहर आने पर भी सबसे पहले माँ ही हमें बोलना चलना फिरना सिखाती है और गर्भ में जो संस्कार तथा ज्ञान हमें दिया था उसे और आगे बढाने का कार्य करती है | साथ ही गलती करने पर मीठी झिड़की भी देती है और उदास हो जाने पर अपने स्नेहयुक्त आँचल में भी छिपा लेती है |
उसके बाद पिता – जो समाज से हमारा परिचय कराके हमें सामाजिक और व्यावहारिक बनाने में माँ का साथ देते हैं | पिता – जो हमारे थक जाने पर हमें अपने कंधे पर बिठा आगे बढ़ जाते हैं – तो कभी हमारा साहस बढाते हैं ताकि हम थक कर कहीं राह में रुक न जाएँ | मार्ग में यदि कहीं ठहर गए तो समय रहते अपना लक्ष्य कैसे प्राप्त कर पाएँगे | दोनों मिलकर हमें अपने कर्तव्यों का पूर्ण निष्ठा के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करना सिखाते हैं | प्रेरणा के प्रथम स्रोत भी माता पिता ही होते हैं | पग पग पर हमारा साथ निभाते हैं – बिना किसी अपेक्षा के | उसके बाद बड़े भाई बहन – जिनके साथ खेल खेल में ही बच्चा बहुत कुछ सीख जाता है | इतना ही नहीं, जब हमारे बच्चे बड़े हो जाते हैं तो वे भी हमारे गुरु बन जाते हैं... उनसे भी कुछ न कुछ नया सीखने को हमें प्राप्त होता रहता है... क्योंकि उनका ज्ञान “आधुनिकता” पर आधारित होता है...
और फिर हमें विधिवत शिक्षा प्रदान करने वाले हमारे शिक्षक – जो सांसारिक और आध्यात्मिक दोनों स्तरों पर हमारा ज्ञानवर्धन करके हमें एक उत्तम मनुष्य बनाने का प्रयास करते हैं | हमारे माता पिता द्वारा आरम्भ किये कार्य को आगे बढाते हैं | हमें जीवन का वास्तविक उद्घोष समझाते हैं | हमें इस योग्य बनाते हैं कि बड़े से बड़े तूफ़ान को भी हराकर हम निरन्तर प्रगति के पथ पर अग्रसर रहें...
वास्तव में देखा जाए तो योग्य शिष्य बनना सबसे अधिक कठिन कार्य है | क्योंकि अज्ञानी शिष्य का स्वभाव होता है कुतर्क करना | और गुरु की महानता देखिये – शिष्य के कुतर्कों को बड़े धैर्य और ध्यान के साथ सुनकर अन्त में अत्यन्त सहजता से मुस्कुराते हुए उसके कुतर्कों का उत्तर देकर उसके ज्ञान में वृद्धि का प्रयास करते हैं | सच में, किसी गुरु दक्षिणा के द्वारा हम अपने गुरुओं का ऋण नहीं चुका सकते | केवल अपने मनों में अपने गुरुजनों के श्रद्धा और सम्मान का भाव रखें और उनके समक्ष विनत भाव से रहें – यही उनके लिए सबसे बड़ी गुरु दक्षिणा होगी... और यही शिक्षक दिवस यानी Teachers Day का उपहार भी होगा... और तभी हम योग्य शिष्य भी कहलाने के अधिकारी होंगे...
एक बार पुनः शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ... इस आशय के साथ कि हम अपने गुरुओं के योग्य शिष्य बनकर दिखाएँ...
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