भूतकाल की घटनाओं से शिक्षा लेकर अपने वर्तमान और भविष्य के विषय में विचार करना अच्छी बात है | वर्तमान में ही भविष्य की भी योजनाएँ यदि नहीं बनाएँगे तो फिर एक ऐसे चौराहे पर खड़े होंगे जहाँ कुछ समझ नहीं आएगा कि क्या करें क्या न करें | वर्तमान ऐसा होना चाहिए कि इसमें जो बीज बोया जाए वह कल वृक्ष बनकर पत्र-पुष्प-छाया प्रदान करे | इसलिए “आज” के साथ साथ “आने वाले कल” का भी सोचना अच्छा प्रयास होता है | लेकिन उस आने वाले कल की “चिन्ता” नहीं करनी चाहिए |“चिन्ता” और “सोच विचार कर योजना बनाने” में बहुत अन्तर है |
यदि हमें ऐसा लगता है कि हमारे किसी कृत्य के कारण हमें भविष्य में कोई कष्ट प्राप्त हो सकता है तो हमें उस “सम्भावित” कष्ट की “चिन्ता” छोड़कर ऐसा कार्य करना चाहिए जिसके कारण हमारा भविष्य भी सुखद हो सकता हो | उदाहरण के लिए, जीवन यापन के लिए धन आवश्यक है और धनोपार्जन के लिए प्रयास भी करना पड़ता है | उस प्रयास में सबसे पहले उसके योग्य शिक्षा ग्रहण करनी पड़ती है | उसके बाद व्यवसाय आरम्भ करके अथवा नौकरी आदि करके उसमें “ध्यान” लगाना पड़ता है | तो इस बात पर “सोच विचार” आवश्यक है कि कौन सा कार्य हमारे लिए उपयुक्त रहेगा और उसके लिए किस प्रकार की शिक्षा हमें चाहिए तथा वह कहाँ से उपलब्ध हो सकती है | लेकिन केवल “चिन्ता” करते रहने से काम नहीं चलेगा | उचित प्रयास करेंगे – कर्मरत रहेंगे – तो जीवन में नवीन दिशाएँ स्वयमेव उपस्थित होती जाएँगी |
यदि कोई कष्ट हमें प्राप्त होना ही है तो चिन्ता करने से हमारे भविष्य का कष्ट समाप्त नहीं हो जाता, बल्कि हमारे वर्तमान की सारी ऊर्जा का – सारी शक्ति का ह्रास हो जाता है | हम सोचने लगते हैं कि हमारे साथ अतीत में क्या हुआ था | फिर सोचते हैं कि कल क्या हो सकता है | और इस सबमें यह भूल जाते हैं कि आज को सुखद कैसे बनाया जाए | जीवन में सुखी रहना है तो न तो भूतकाल के गहन गर्त में छलाँग लगानी चाहिए और न ही भविष्य में क्या होगा इस बात के विषय में “चिन्ता” करनी चाहिए | अपितु, वर्तमान को पूर्ण रूप से जीने का प्रयास करना चाहिए | जिन बातों अथवा परिस्थितियों पर आपका वश नहीं उनके विषय में सोच सोच कर अपनी ऊर्जा और समय नष्ट करने से अच्छा है आज कुछ ऐसा करने का प्रयास किया जाए जिसका शुभ परिणाम न केवल वर्तमान के लिए अच्छा हो बल्कि भविष्य के लिए भी आगे बढ़ने का एक मार्ग बन जाए | व्यक्ति को इस पर विचार नहीं करना चाहिए कि हमारे साथ क्या अशुभ घट सकता है, बल्कि विचार इस पर करना चाहिए कि हमारे साथ क्या अच्छा घट सकता है | अच्छा सोचेंगे तो अच्छा ही घटेगा – क्योंकि हमारी सोच भविष्य की घटनाओं को निमन्त्रण देती है |
चिन्ता मन की शक्ति को क्षीण करके हमारी आत्मा को भी कष्ट पहुँचाती है | चिन्ता तो एक ऐसा शूल है जो पल पल भीतर ही भीतर चुभता रहता है और चैन से न बैठने देता है न सोने देता है न खाने देता है | भूख-प्यास-नींद-हँसी सब छीन लेता है | स्वयं को चिन्ता मुक्त रखना है तो हर पल कर्मरत रहना होगा | इस स्थिति में आप केवल इसी बात पर विचार करेंगे कि अपने कार्य में और अधिक कौशल्य किस प्रकार प्राप्त किया जाए या अपने कार्यक्षेत्र का विस्तार किस प्रकार किया जाए | यह भी एक प्रकार का “ध्यान” का ही अभ्यास है | इस अभ्यास को करते करते आप स्वयं के कार्यक्षेत्र में इतने कुशल हो जाएँगे और उसे इतना विस्तृत कर लेंगे कि वर्तमान के साथ साथ आपका भविष्य स्वयं ही सुखद तथा सुरक्षित हो जाएगा |
यहीं पर एक ज्योतिषी की – Astrologer की भूमिका आती है | एक ज्योतिषी आपकी कुण्डली का अध्ययन करके केवल आपके भविष्य की सम्भावित घटनाओं का फलकथन करके आपको चिन्ताग्रस्त नहीं करता, अपितु आपको उचित दिशा निर्देश देता है कि आप किस प्रकार तथा किस दिशा में प्रयास करें कि आपका वर्तमान तो सकारात्मक तथा रचनात्मक बना ही रहे, साथ ही भविष्य में भी उसका लाभ प्राप्त हो सके |
आप भविष्य की काल्पनिक चिन्ताओं में अपनी जीवनीशक्ति का ह्रास करने के बजाए उचित दिशा में प्रयासरत रहें… चिन्तामुक्त रहें… तथा आपके वर्तमान का परिणाम आपका भविष्य सुखद हो… क्योंकि सुखद वर्तमान ही सुखद भविष्य की नींव है…