सूर्य का धनु राशि में गोचर
सोमवार 16 दिसम्बर यानी पौष कृष्ण पञ्चमी को कौलव करण और
वैधृति योग में दिन में 3:28 के लगभग पर सूर्य का संक्रमण
धनु राशि में और मूल नक्षत्र पर हो जाएगा | धनु राशि में भ्रमण करते हुए भगवान
भास्कर 29 दिसम्बर को पूर्वाषाढ़ और ग्यारह जनवरी को
उत्तराषाढ़ नक्षत्र पर विचरण करते हुए अन्त में चौदह जनवरी को अर्द्धरात्र्योत्तर
दो बजकर नौ मिनट के लगभग मकर राशि में प्रस्थान कर जाएँगे | धनु राशि में भ्रमण
करते हुए सूर्यदेव को निरन्तर शनि और गुरु के साथ ही केतु का भी साथ मिलेगा,
जिनमें गुरु सूर्य का मित्र ग्रह है तो शनि और केतु शत्रु ग्रह | इस बीच 26
दिसम्बर को वलयाकार सूर्य ग्रहण भी है | सूर्य की अपनी राशि सिंह के
लिए धनु राशि पञ्चम भाव है तथा सूर्य की उच्च राशि मेष से नवम भाव है | इसी प्रकार
धनु राशि के लिए सूर्य नवमेश है | साधारण तौर पर हम कह सकते हैं कि मेष, धनु और सिंह राशि के जातकों के लिए यह गोचर अनुकूल रह सकता है | जानने का
प्रयास करते हैं सूर्य के धनु राशि में गोचर के सभी राशियों के जातकों पर सम्भावित
प्रभाव क्या हो सकते हैं...
इस बीच पन्द्रह
दिसम्बर को संकट चतुर्थी,
21 को भगवान पार्श्वनाथ जयन्ती, 22
को सफला एकादशी, 23 को
सोम प्रदोष, 6 जनवरी को पौष शुक्ल
एकादशी, 8 को प्रदोष व्रत और 10
को पौष पूर्णिमा है – सभी को इन सभी पर्वों की हार्दिक
शुभकामनाएँ...
किन्तु ध्यान रहे, ये
सभी परिणाम सामान्य हैं | साथ ही, किसी एक ही ग्रह के गोचर के आधार पर
स्पष्ट फलादेश नहीं किया जा सकता | उसके लिए योग्य Astrologer
द्वारा व्यक्ति की कुण्डली का विविध सूत्रों के आधार पर व्यापक
अध्ययन आवश्यक है |
मेष : मेष राशि सूर्य की मित्र राशि है और यहाँ आकर
सूर्य उच्च का हो जाता है | मेष राशि के लिए सूर्य पंचमेश होकर नवम भाव में राश्यधिपति
के साथ ही गोचर कर रहा है | जो न केवल अपने लिए बल्कि आपकी सन्तान और पिता के लिए
भी भाग्यवर्द्धक है | आपको किसी प्रकार के सम्मान आदि के लिए भी प्रस्तावित किया
जा सकता है अथवा आपकी पदोन्नति हो सकती है | परिवार में कोई शुभ कार्य हो सकता है
| किसी प्रकार का पूजा अनुष्ठान आदि का आयोजन किया जा सकता है | आप सपरिवार
तीर्थयात्रा पर जाने का प्लान भी बना सकते हैं | आप उच्च शिक्षा के लिए भी अग्रसर
हो सकते हैं | अविवाहित हैं तो विवाह बन्धन में बंध सकते हैं | किन्तु सम्बन्धित
व्यक्ति की भली भाँति जाँच पड़ताल अवश्य करा लें |
वृषभ
: वृषभ राशि से
धनु राशि अष्टम भाव में आ जाती है और सूर्य चतुर्थेश होकर धनु में अष्टम भाव में
गोचर कर रहा है जहाँ चतुर्थेश के साथ ही योगकारक शनि भी विद्यमान है | आपके लिए यह
गोचर अनुकूल तो प्रतीत होता है, किन्तु पारिवारिक स्तर पर अचानक ही कुछ ऐसी घटनाएँ घट सकती हैं जिनके
प्रतिकूल परिणाम हो सकते हैं | कार्य स्थल पर भी किसी प्रकार के विरोध का सामना
अचानक ही करना पड़ सकता है | अपनी जीवन शैली में सुधार करेंगे और अपने आचरण को
शुद्ध रखेंगे तो किसी भी प्रतिकूल समस्या से बच सकते हैं | ध्यान प्राणायाम आदि
में आपकी रुचि बढ़ सकती है | अपने तथा अपने माता पिता के स्वास्थ्य का भी विशेष
ध्यान रखने की आवश्यकता है | ड्राइविंग के समय सावधान रहने की आवश्यकता है |
आदित्य हृदय स्तोत्र अथवा गायत्री मन्त्र का जाप आपके लिए लाभदायक सिद्ध हो सकता
है |
मिथुन
: आपके लिए
तृतीयेश होकर सूर्य धनु राशि में सप्तम भाव में योगकारक गुरु तथा अष्टमेश और नवमेश
शनि के साथ गोचर कर रहा है | राहु-केतु के मध्य है | इस गोचर को बहुत अधिक अनुकूल
नहीं कहा जा सकता | विशेष रूप से जीवन साथी के साथ किसी प्रकार का मतभेद हो सकता
है | यदि पार्टनरशिप में कार्य कर रहे हैं तो वहाँ भी सम्बन्धों में किसी प्रकार
का वैमनस्य उत्पन्न हो सकता है | आप ज़रा सी बात पर भड़क सकते हैं, जो सम्बन्धों के लिए हानिकारक होगा | इस सबसे बचना है
तो आपको अपनी वाणी पर नियन्त्रण रखना होगा | आपके लिए भी आदित्य हृदय स्तोत्र अथवा
गायत्री मन्त्र का जाप करना उचित रहेगा |
कर्क
: कर्क राशि के
लिए सूर्य द्वितीयेश होकर धनु राशि में छठे भाव में षष्ठेश तथा सप्तमेश और अष्टमेश
के साथ गोचर कर रहा है | इस गोचर को एक बहुत शक्तिशाली गोचर के रूप में देखा जाता
है | आपके जितने भी छिपे हुए अथवा प्रत्यक्ष विरोधी अथवा शत्रु हैं उन सबके लिए
समस्या उत्पन्न हो सकती है | अपने विरोधियों पर आपको विजय प्राप्त हो सकती है |
यदि कोई कोर्ट केस चल रहा है तो उसकी भी समाप्ति होकर अनुकूल परिणाम प्राप्त हो
सकता है | आपकी वाणी ओज पूर्ण रहेगी तथा उसका प्रभाव दूसरों पर होगा | स्वास्थ्य
के लिए पित्त से सम्बन्धित किसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है इसलिए अपने खान
पान की आदत में सुधार करना आवश्यक है | साथ ही किसी को इस समय उधार न दें | किसी
document पर sign करने से पूर्व अच्छी तरह उसका अध्ययन अवश्य कर लें | ध्यान रहे, किसी भी समस्या से बचने के लिए सबसे अच्छा उपाय होता है
सोच समझकर आगे बढ़ना |
सिंह
: आपके लिए सूर्य
आपका लग्नेश होकर धनु राशि में राश्यधिपति और षष्ठेश तथा सप्तमेश के साथ पंचम भाव
में गोचर कर रहा है | यह गोचर आपके लिए आर्थिक तथा कार्य की दृष्टि से अनुकूल
प्रतीत होता है | अध्ययन के लिए, उच्च शिक्षा के लिए समय अनुकूल है | जो लोग मन्त्र आदि को सिद्ध करना
चाहते हैं अथवा ध्यान अध्यात्म आदि के मार्ग पर अग्रसर हैं उनके लिए यह गोचर
अत्यन्त अनुकूल है | किन्तु गर्भवती महिलाओं को किसी भी समस्या से बचने के लिए
निश्चित समय पर डॉक्टर से जाँच कराना और डॉक्टर के दिए निर्देशों का पूर्ण रूप से
पालन की सलाह अवश्य दी जाएगी | सन्तान के स्वास्थ्य का ध्यान रखना आवश्यक है |
वैवाहिक जीवन में सम्भव है कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ जाए | अविवाहित हैं तो
कोई प्रेम सम्बन्ध विवाह में परिणत हो सकता है | किन्तु सम्बन्धित व्यक्ति के विषय
में पूरी जानकारी हासिल करने के बाद आगे बढें | प्रातः आदित्य हृदय स्तोत्र के साथ
सूर्य देव का अभिषेक आपके लिए उत्तम रहेगा |
कन्या
: आपके लिए सूर्य
आपकी लग्न से द्वादशेश होकर धनु राशि में आपके चतुर्थ भाव में चतुर्थेश तथा पंचमेश
और षष्ठेश के साथ गोचर कर रहा है | इस प्रकार के गोचर से संकेत मिलता है कि यदि आप
कहीं यात्रा पर गए हुए हैं तो किसी पारिवारिक कार्य के लिए घर वापस लौट सकते हैं |
परिवार में किसी प्रकार के तनाव से बचने के लिए आपको अपने Temperament को नियन्त्रण में रखना होगा | आर्थिक दृष्टि
से समय अनुकूल प्रतीत होता है | प्रॉपर्टी को बेचने के लिए समय अनुकूल प्रतीत होता
है किन्तु खरीदने में अधिक धन का व्यय हो सकता है | लीवर से सम्बन्धित किसी समस्या
का सामना करना पड़ सकता है | ड्राइविंग करते समय सावधान रहने की आवश्यकता है | साथ
ही यदि माता पिता वृद्ध हैं तो उनके स्वास्थ्य के प्रति भी सावधान रहने की
आवश्यकता है | आपकी सन्तान के लिए यह गोचर अनुकूल प्रतीत होता है तथा उसके जीवन
में यदि कोई समस्या है तो उसका भी समाधान इस अवधि में सम्भव है | सन्तान के साथ
व्यर्थ की बहस से बचने की आवश्यकता है |प्रातः उठकर सूर्य को जल देना तथा योग
ध्यान आदि के अभ्यास आपके लिए अनुकूल रहेगा |
तुला
: तुला राशि
वालों के लिए सूर्य एकादशेश हो जाता है | एकादशेश होकर धनु राशि में तृतीय भाव में
गोचर कर रहा है तृतीयेश तथा योगकारक शनि के साथ | आपके भाई बहनों को आपसे अर्थ लाभ
की सम्भावना है | साथ ही मित्रों और अधिकारी वर्ग का सहयोग आपको प्राप्त होता
रहेगा | कुछ नए मित्र भी बन सकते हैं जो आपके लिए कुछ नए प्रोजेक्ट्स लेकर आएँगे
जिनके कारण आपको अर्थलाभ की भी सम्भावना है | यदि आपकी कुण्डली में अन्य
अनुकूलताएँ इस समय हो रही हैं तो आप इन नए प्रोजेक्ट्स के साथ आगे बढ़ सकते हैं |
कार्याधिक्य के कारण आपके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की सम्भावना है, अतः
बीच बीच में कार्य से अवकाश लेने की भी आवश्यकता है | साथ ही भाई बहनों के साथ
किसी प्रकार की बहस से बचें अन्यथा विवाद लम्बा खिंच सकता है |
वृश्चिक
: वृश्चिक राशि
वालों के लिए सूर्य उनके दशम भाव का स्वामी है | दशमेश सूर्य धनु राशि में द्वितीय
भाव में गोचर कर रहा है जो कार्य की दृष्टि से तथा अर्थ लाभ की दृष्टि अनुकूल है
और आपका भविष्य भी आर्थिक रूप से सुरक्षित होने का समय प्रतीत होता है |
कार्यक्षेत्र में अनुकूलता बनी रहने की सम्भावना है | किन्तु शनि और राहु-केतु की
उपस्थिति के कारण आपके मन में अपने परिवार और कार्य को लेकर कुछ द्विविधाएँ हो
सकती हैं | सूर्यदेव की उपासना तथा ध्यान और प्राणायाम का अभ्यास इन द्विविधाओं से
बचने के उपाय हैं | आपकी वाणी इस समय विशेष रूप से ओजपूर्ण रहेगी जिसका आपको लाभ तथा
यश भी प्राप्त होगा | आँखों से सम्बन्धित किसी समस्या का सामना भी करना पड़ सकता है
|
धनु : आपके लिए सूर्य आपका भाग्येश होकर लग्न में लग्नेश
और द्वितीयेश के साथ गोचर कर रहा है जो भाग्यवर्द्धक है | आवश्यकता है अपनी
योग्यताओं और सम्भावनाओं पर भली भाँति पुनर्विचार करके उनका समय पर सदुपयोग करने
की | आप कभी कभी अपनी योग्यताओं और क्षमताओं को लेकर आशंकित हो जाते हैं | अपने
विचारों और कर्म से नैराश्य का भाव त्याग कर आशावादी बनिए | समय का लाभ उठाइये
क्योंकि समय हाथ से निकल जाए तो फिर वापस नहीं आता | सरकारी स्तर पर, उच्चाधिकारियों से तथा पिता की ओर से अनुकूल सहयोग
प्राप्त हो सकता है | धन और यश में वृद्धि का समय है | विवाहित हैं तो जीवन साथी
का Temperament कुछ उग्र हो सकता है,
आवश्यकता है आप अपना Temperament शान्त रखें और शान्ति के
साथ अपनी बात जीवन साथी को समझाने का प्रयास करें | स्वास्थ्य की दृष्टि से कुछ
सावधान रहने की आवश्यकता है | मानसिक तनाव से बचने के लिए प्राणायाम और ध्यान का
अभ्यास करें |
मकर : आपके लिए सूर्य अष्टमेश होकर द्वादश भाव में
गोचर कर रहा है जहाँ द्वादशेश और लग्नेश भी विद्यमान हैं | आपका लग्नाधिपति शनि है
जो अष्टमेश सूर्य का शत्रु भी है | यह गोचर आपके लिए शुभ नहीं कहा जा सकता | आपको
विशेष रूप से अपने स्वास्थ्य के प्रति सावधान रहने की आवश्यकता है | कोई भी ऐसा
कार्य मत कीजिये जिसके कारण आपके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ने की सम्भावना हो
| साथ ही स्वास्थ्य सम्बन्धी अथवा पारिवारिक समस्याओं के कारण धन भी अधिक खर्च हो
सकता है | अपनी गतिविधियों का निरीक्षण करके स्वयं को एक बेहतर इन्सान बनाने का
प्रयास कीजिए | आपको किसी ऐसे स्थान की यात्रा करनी पड़ सकती है जहाँ जाने की आपकी
इच्छा न हो और वहाँ जाकर आपका स्वास्थ्य भी बिगड़ सकता है | गायत्री मन्त्र का जाप
आपके लिए उत्तम उपाय है |
कुम्भ
: मकर राशि की ही
भाँति कुम्भ राशि का स्वामी भी शनि है | सूर्य आपका सप्तमेश होकर आपके एकादश भाव
में गोचर कर रहा है | शनि यद्यपि सूर्य का शत्रु ग्रह है, फिर भी ऐसा प्रतीत होता है कि आपको अपने जीवन साथी के
द्वारा अथवा आपके जीवन साथी को अर्थ लाभ भी हो सकता है | आपके व्यवसाय में भी
वृद्धि हो सकती है | यदि किसी नौकरी में हैं तो आपकी पदोन्नति की भी सम्भावना है |
अपने मित्रों के साथ मधुर व्यवहार रखेंगे तथा बॉस का सम्मान करेंगे तो उनसे
व्यावसायिक तथा व्यक्तिगत स्तर पर अनुकूलता प्राप्त हो सकती है | जीवन साथी की खोज
इस अवधि में पूर्ण हो सकती है | वाणी पर नियन्त्रण रखने की आवश्यकता है |
मीन : मीन राशि वालों के लिए सूर्य षष्ठेश होकर दशम
भाव अर्थात profession के भाव में गोचर कर रहा है | बहुत अच्छी स्थिति में गोचर कर
रहा है | जितनी भी नकारात्मकता अथवा निराशा आपके विचारों अथवा कार्य के प्रति है
वह सब इस अवधि में समाप्त हो सकती है | अधिकारी वर्ग की ओर से लाभ की भी सम्भावना
है | आपकी सभी योजनाएँ पूर्ण हो सकती हैं अथवा उनमें अनुकूल दिशा में प्रगति हो
सकती है | नौकरी की तलाश में हैं अथवा कोई नया व्यवसाय आरम्भ करना चाहते हैं तो
उसमें भी सफलता प्राप्त होने की सम्भावना है | यदि कोई कोर्ट केस चल रहा है तो या
तो उससे मुक्ति प्राप्त हो सकती है अथवा उसके अनुकूल दिशा में आगे बढ़ने की
सम्भावना है | किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो उस दिशा में भी
सफलता प्राप्त करने की सम्भावना की जा सकती है |
अन्त
में, सदा की भाँति
इतना अवश्य कहेंगे कि यदि कर्म करते हुए भी सफलता नहीं प्राप्त हो रही हो तो किसी
अच्छे ज्योतिषी के पास दिशानिर्देश के लिए अवश्य जाइए, किन्तु अपने कर्म और
प्रयासों के प्रति निष्ठावान रहिये - क्योंकि ग्रहों के गोचर तो अपने नियत समय पर
होते ही रहते हैं, केवल
आपके कर्म और उचित प्रयास ही आपको जीवन में सफल बना सकते हैं...
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