सामाजिक सहअस्तित्व
की बात आज कितने लोग समझते हैं मालूम नहीं... जो समझते हैं बहुत अच्छी बात है, जो नहीं समझते उनके लिए डॉ दिनेश
शर्मा का एक सारगर्भित लेख...
जो तूने उखाड़ना है उखाड़ ले
जब भी हमारे किसी
विचार, कृत्य या कथन से
हमारे परिवार, मित्र समुदाय या दूसरे परिचितों को किसी भी
रूप में कष्ट होता है तो कहीं न कही हम कुछ ठीक नही कर रहे । इस स्थिति को हम यह
कह कर नही टाल सकते कि "जो किसी ने उखाड़ना है उखाड़ ले मेरी मर्जी है मैं जो
भी करूँ - इतनी बड़ी दुनिया है , इतने सारे लोग हैं -किस किस
के दुखी या परेशान होने का हिसाब रखूं ।" हो सकता है आप जो कह रहे है ,
वह आपके दृष्टिकोण से सही हो पर यदि हम सामाजिक प्राणी है और
सम्बन्धों या मित्रता द्वारा अन्य लोगों से जुड़े हुए है तो क्या सहअस्तित्व की शर्तों
को नकार देंगे । और तब आप क्या कहेंगे जब आपका कोई मित्र या परचित भी ऐसा कुछ
करेगा जिससे आपको तक़लीफ़ हो ।
अंग्रेजी का एक
एक्सप्रेशन है 'टू
स्टेप इन माय शूज' । इसका मतलब है कि जब आप मेरे जूते पहन कर
खड़े हो । यानि यदि आप मेरी स्थिति में हो तो क्या तब भी परिस्थिति के प्रति आपकी
वैसी ही प्रतिक्रिया होगी ।
इसको इस तरह
समझें । आप किसी मुहल्ले या सोसायटी में रहते है । आपके घर में किसी का जन्मदिन है
और आप ऊंची आवाज में लाउडस्पीकरों पर संगीत बजा रहे है । आपके पड़ोस में मैं भी रह
रहा हूँ । मेरे घर में मेरे परिवार का कोई सदस्य बीमार है और मैं आपसे उस संगीत को
धीमा या बन्द करने की प्रार्थना करता हूँ । लेकिन आप अपने मित्रो के साथ उस समय
इतनी मस्ती में है कि आपको मेरी बात बुरी लगती है ।
संयोग से दो
महीने बाद स्थिति पलट जाती है । आपके घर में कोई अस्वस्थ है और आपसे तीसरे घर में
किसी के यहां उत्सव है और वहाँ बड़ी जोर से शोर शराबा और संगीत बज रहा है । वहां भी
सब लोग मस्ती में हैं । अब आपका सोच क्या होगा ?
हर दूसरे तीसरे
दिन अखबारों में कालोनियों में पार्किग को लेकर लोगों के झगड़ों के समाचार छपते हैं
। कुछ लोगों की ऐसी ही हिंसा में मौत भी हुई है । मौत यानि कि एक घर उसका उजड़ा
जिसका आदमी मरा और दूसरा घर उसका खराब हुआ जिसने हिंसा की और अब जेल में रहेगा ।
सामाजिक
सहअस्तित्व के नियम को ठीक से समझे तो बहुत से मसले आराम से सुलझ जाते हैं । एक
रास्ता है परस्पर सहयोग और सद्भाव का । एक रास्ता है एक दूसरे की परेशानी के प्रति
बेपरवाही का । जो आप खुद के साथ चाहते है - वैसा ही दूसरों के साथ करें ।
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