हीरों के हारों सी चमकें
फुहारें, और वीणा के तारों सी झनकें फुहारें |
धवल मोतियों सी जो झरती हैं
बूँदें, तो पाँवों में पायल सी खनकें फुहारें ||
जी हाँ, जैसा कि हम सभी जानते
हैं, पूरा देश कोरोना महामारी की मार से बाहर निकला है...
हालाँकि ख़तरा अभी भी टला नहीं है... 2019 के अन्त से लेकर
अभी तक भी इससे राहत नहीं मिली है... हर कोई डरा सहमा है... लेकिन क्या डरने से
समस्या का समाधान हो जाएगा...? तो क्यों न सुरक्षा निर्देशों – जैसे मास्क, उचित दूरी, जब तक बहुत ही आवश्यक न हो तब तक घर से
न निकलें और साफ़ सफाई का ध्यान रखें – का पालन करते हुए सकारात्मक भाव बनाए
रखें...? सकारात्मकता में वृद्धि का एक उपाय रचनात्मकता भी है... अभी आषाढ़ मास
समाप्त होने को है और चौबीस जुलाई से श्रावण आरम्भ हो जाएगा... बरखा की रुत धूम
मचाती आती है इस माह में... इसी सबका विचार करके WOW India की
ओर से आज दिन में तीन बजे से डिज़िटल प्लेटफ़ॉर्म ज़ूम पर “बरखा की रुत” शीर्षक से एक
काव्य सन्ध्या का आयोजन किया गया... इस कार्यक्रम में सभा की अध्यक्ष डॉ रमा सिंह, मुख्य अतिथि डॉ मंजु गुप्ता, अति विशिष्ट अतिथि डॉ
नीलम वर्मा और विशिष्ट अतिथि कुम्मू जोशी भटनागर ने अपनी कविताओं के रस की वर्षा
से हर किसी को मन्त्र मुग्ध कर दिया... प्रस्तुत है इस काव्य सन्ध्या की वीडियो
रिकॉर्डिंग... सादर : कात्यायनी डॉ पूर्णिमा शर्मा...