खजांची और मुन्ना पीपल के पास गए। खजांची ने गंभीर होकर कहा, "जब कि हमने काम कर दिया है, एक काम हमारा तुम कर दो या रकम वापस करो। अब बात दो की नहीं रही।"
मुन्ना, "कौन-सा काम है?"
"पहले हम बता दें, तुम्हारा-हमारा फायदा कहाँ है। हमको नहीं मालूम, रुपयों कातुमने क्या किया। यह बता सकते हैं कि जिनकी वजह इतना रुपया निकाल सकती हो,उनसे सरकार बड़ी है, वहाँ से और फायदा उठा सकती हो। अगर हमारी बात पर न आईं,तो मजबूरन् यह राज सरकारी आदमी को देना होगा। नहीं तो बचत नहीं। जिसके पासरुपया है, चोर साबित होगा। सरकार आसानी से पता लगा लेगी, रुपया रानी के पास हैया नहीं। अगर न निकला तो तुम्हारा क्या हाल होगा, समझ लो। इस मामले को लेकरसरकार के पास हमारे जाने के यही माने होते हैं कि हमारा कुसूर नहीं, तालीचुरायी गई।'
"यह कौन कहता है कि नहीं चुरायी गई, कहो मैं भी कहूँ, हाँ लेकिन मैंने चुरायी,यह तुम्हें कैसे मालूम हुआ? कैसे कहोगे, फलाँ ने चुरायी? सुनो, तिजोड़ी के फिरसे खुलने का सबूत गुज़र. चुका है। इतने उड़ाके न बनो। तुम नप चुके। मेरी केमानी, रानी की पकड़ है, और तुम्हारी-बचत के लिए सरकार की। क्या रानी अपनासत्यानाश करा लेंगी? तुमसे पहले यहाँ दगेगी। यहीं रहना है। इस आग से साराखानदान जल जाएगा। फिर, माने रहने पर, वह हासिल हो सकता है। रुपए खैर मिलेंगेही। काम भी सँवार दिया जा सकता है।"
"यह सही है, पर तुम्हारी भी पैठ होगी, और ऐसी जो हमसे नहीं हो सकती। सरकार कीतरफ से उधर की बातें तुम्हीं से ली जाएँगी। तुम्हारे सीधे तअल्लुकात होंगे।सिर्फ यह कि यह काम हमसे सुनकर तुम्हें करना है, फिर हम सरकार के आदमी से
तुम्हारा हाल कहेंगे : वहाँ का कोई तुमसे पूछेगा। संबँध हो जाएगा।""इस तरह संबँध नहीं होता। वह कौन-सा काम है?" "एजाज से कुछ पूछना है।" "हाँ !"
"हमारा फायदा है। यह तुम्हारी समझ में आ जाए तो गुल खिल जाए। तुमसे तुम्हारेआदमी उठेंगे। तुम्हें यहाँ से कहाँ तक बढ़ना है। जमींदार तुम्हारे-हमारे आदमीनहीं। हम मुसलमान पहले ऐसे थे जैसे अंग्रेज। अब रैयत की रैयत हैं। माली हालत
हमारी-तुम्हारी एक है। सरकार बंगाल के दो टुकड़े कर रही है। इससे तुमको औरहमको फायदा होगा यहाँ-जमींदार की जड़ हिलेगी, यानी रैयत को फायदा होगा। इस काममें सरकार की मदद करनी है।"
मुन्ना पर असर पड़ा। जिससे जाति-भर का भला हो वह काम सरकार ही कर सकती है।जाति-प्रथा की सतायी मुन्ना का कलेजा डोला। जब्त किए खड़ी रही, चपल अपढ़ औरत।
फँसकर कहाँ तक बहती है, देखने की उमंग आई। पूछा, "एजाज से क्या पूछना है?""एजाज से आज-कल में मिलकर पूछ लो, क्या हालात हैं? लौटकर जवाब दे जाओ।"
मुन्ना सहमत हुई। खजांची मन में सोचता हुआ बढ़ा कि रुपए रानी को दिए गए यानहीं।