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भाग 5

5 अगस्त 2022

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दूसरे दिन कुछ गुंडों की मदद ली। भले-आदमी बने रहनेवाले दो आदमी फंसे।उन्होंने रपोट लिखवाई। कुछ पढ़े-लिखे थे, पर बायाँ अँगूठा घिस कर गए थे।अँगूठे का निशान लगाया। गुंडों ने कहा, "हुजूर का काम हो गया, अब चड्ढी गठगई।" बाहर निकलकर कहा, "अब, बेटो, साल-भर इनके सिर चढ़े घूमो। फिर यही बँधे यातुम। तुम न बँधोगे। यह फँसेगा नया थानेदार। अब चलो, शराब पिला दो, और जल्द इसहल्के से कुछ कमा लो।" ग़नी ने रुस्तम से कहा, "दाम दे दे। उस्ताद खरीदलेंगे।" रुस्तम ने पाँच रुपए का नोट उस्ताद कमर को दिया।कमर को मालूम था, एजाज शरीफ़ है, शहर में उसकी इज्जत है, गाने में लासानी,उसके खाते में दर्ज है- पहला नाम, इनाम भी देती जाती है हर महीने बीस रुपए।सोचा, अच्छे-खासे रईस की हैसियत उसकी, 400) महीने का अंग्रेजी-पढ़ा सिकत्तररखे है, यह थानेदार चपेट में आएगा। मामला जैसा भी हो, मालूम हो जाएगा। सोचता,लापरवाही से साथियों के साथ बढ़ता हुआ, देशी शराब की दुकान की तरफ मुड़ा औरभीतर घुसकर दो आदमियों से दो बोतलें खरीदी, तब सस्ती थीं। वहाँ से बाजार कीतरफ चला।एजाज, देखते-देखते मशहूर हो गई। वह एक बड़े तवायफ़ की बेटी है। शिक्षा क़ायदेसे हुई है। उर्दू, बंगला और अंग्रेजी अच्छी जानती है। गाने-बजाने की भीबड़े-बड़े उस्तादों से तालीम मिली है। नए -पुराने दोनों तरह के गाने जानती है।

बेजोड़ सुंदरी। गोराई काफी निखरी हुई। उँगलियाँ, हाथ, पैर, गला, नाक, आँखें,भौंहें, सब लंबी-लंबी, जैसे चंपे की कली। पहनावा भी वैसा ही लंबा।प्रांत-प्रांत और देश-देश का पहनावा करने वाली। उम्र 30 साल की होगी। साल-भरसे राजा राजेंद्र प्रताप की नौकर है। दो हजार महीना लेती है। साथ बाहर भी जातीहै और राजधानी भी। राजधानी में उसके लिए अलग बंगला है। कुछ महीनों से राजासाहब ने दूसरी महफिल का गाना रोक दिया है। कलकत्ते में उसकी अपनी आलीशान कोठीहै। चारों ओर लान, बगीचा। फौवारे लगे हुए। गुलाब और ऋतु-पुष्पों के पेड़।पत्थर की परियों की नंगी मूर्तियाँ। गाड़ी बरामदा। नीचे और ऊपर सजी हुईबैठकें। विभिन्न प्रकार के साज। सुंदर-सुंदर तैलचित्र। फाटक पर संतरियों कापहरा। दास और दासियाँ।गाड़ी-बरामदे की ऊपरवाली छत पर फलों के टब रखे हुए हैं। मेज पर दस्तरखान बिछाहुआ है। गुलाब की सजी फूलदानी रखी हुई है। गिलास में रोजेड बर्फ-मिला रखा है।अभी लाल फेन नहीं मिटा। सूरज डूब चुका है, फिर भी उजाला है। सड़क के आदमी देखपड़ते हैं। मंद-मंद दखिनाव चल रहा है। एक-एक झोंके से कविता आकर गले लगती है।एजाज बैठी हुई गिलास के फूटते हुए फेन के बुलबुले देख रही है। रसीली आँखों से,मालूम नहीं कौन-सा विचार लगा हुआ है। एक कनीज खड़ी हुई आज्ञा की प्रतीक्षा कररही है।

इसी समय यूसुफ फाटक पर देख पड़े। एजाज ने देखा, फिर आँखें फेर लीं। यूसुफ नेएजाज को नहीं देखा। संतरी के पास कुछ सिकंड के लिए खड़े हुए। मिलना चाहते हैं,कहा। संतरी ने सिर हिलाकर भीतर जाने का इशारा किया। यूसुफ निकल गए। पोटिकों सेबरामदे पर गए। कुर्सियाँ रखी थीं। एक बेयरा खड़ा था। आदर से बैठने के लिए कहा।यूसफ बैठे। बेयरा ने कार्ड माँगा। कार्ड यूसुफ के पास नहीं था। उन्होंने कहा,सरकारी काम है।रंडी सरकारी काम में आ सकती है, कोई बड़ा काम होगा, जो मर्दों का किया हुआनहीं पूरा हुआ, सोचता हुआ वह सिकत्तर के कमरे में गया। "खबर दी, एक साहबतशरीफ़ ले आए हैं," कार्ड माँगने पर कहा, "सरकारी काम है।"सेक्रेटरी का खास वक्त यही है, शाम के चार से रात के दस तक। इसी वक्त वह आफिसकरते हैं। पत्रों के जवाब लिखते हैं, मिलने वालों से बातचीत करते हैं। अपनेकमरे से उठकर बाहर आए। यूसुफ साहब से हाथ मिलाया। पूछा, "जनाब का नाम?""हाँ, एक है, मगर इस वक्त तो यही कि हम सरकारी।"

सेक्रेटरी कुछ सिकंड देखते रहे। पूछा, "क्या हुक्म है?""हम मालिका-मकान से मिलना चाहते हैं।""उस वक्त दूसरा भी कोई होगा?" "नहीं।""यह नहीं हो सकता। आपको अपना कुछ पता देना होगा अगर आप अपना नाम नहीं बतलानाचाहते। फिर किस सरकारी काम से यहाँ आने की जहमत गवारा की, फर्माना होगा औरमुझसे। मैं उनसे अर्ज करूँगा, फिर उनका जवाब आपको सुनाऊँगा।""यह ऐसा काम नहीं।""मान लीजिए, वह नौकर हैं, खातून की हैसियत से रहने की कैद है ।

"आप पहले फर्मा चुके हैं, कोई दूसरे रहेंगे तो मैं उनसे बातचीत कर सकता हूँ।फिर कहा, मैं आपसे कुल बातें कह दूँ, आप जवाब ला देंगे अपना नाम या पता बतानेके बाद। यह शायद किसी खास दरजे की खातून के बर्ताव में आता है?"गुस्ताखी मुआफ फर्माएं। रंडी का मकान समझकर कितने ही लुच्चे आते हैं। हमेंपेशबंदी रखनी पड़ती है। सरकारी काम की पाबंदी हमें कुबूल है, लेकिन वह कैसासरकारी काम है, यह आप उन्हीं से कहेंगे, मैं उनका सेक्रेटरी हूँ, मुझसे नहीं;मेरे सामने भी आपको कहना मंजूर नहीं। ऐसी हालत में भी आपको लुच्चा न समझकरसरकारी काम से आया हुआ अफसर समझूँ। मैंने कहा, वह नौकर हैं, खातून की तरह रहतीहैं। इस पर भी आपने एक तुर्रा कस दिया। एक भले आदमी की तरह इतना मझने कीतकलीफ भी आपको गवारा नहीं हुई कि जिन्होंने मालिका-मकान को नौकर रखा है,उन्हें उनकी बेपर्दगी पसंद न होगी, दोनों में नौकरी की शर्तें होंगी।""मैं समझा। अफसर को गाली आपने दी। अफसर क्या है, यह आपको अच्छी तरह मालूम

होगा। अफसर इस तरह नहीं आता, न यों जवाब देता है। वह अपनी जगह पर बुलाएगा औरनौकरी की कुल शर्तों को तोड़कर खातून साहिबा को चलकर मिलना होगा। उस वक्त हमकुछ ऐसी तैयारी ला देंगे कि खातून साहिबा उम्र-भर याद रखेंगी। हम कोई हैं औरदर्ज होकर आए हैं। लौटकर कुछ लिखेंगे और भेजेंगे। आप सिकत्तर हैं, इसलिए मिलसकते हैं, और हम सरकारी काम से आए हैं, इसलिए नहीं मिल सकते। आपको खौफ है,जैसे हम कोई चाकू लिए हुए हैं और उनकी नाक काट लेंगे।"यूसुफ की दहाड़ से सेक्रेटरी साहब दबे। कहा, "हमें जैसी हिदायत है, हमने आपसेअर्ज कर दी।"फिर सँभलकर बोले, "अफ़सर जब बुलाएँगे, तब लिखकर बुलाएँगे या अपने नाम से आदमीभेजकर। मेरी समझ में नहीं आता, अफसर का बुलावा खुफिया तौर से कैसे होगा। फिर,जवाब मुख्तार आम से भी दिया जा सकता है या इन्हीं को हाजिरी बजानी पड़ेगी?"

"आप यह नहीं समझे कि सरकार मुख्तार आम का पेश होना मंजूर कर भी सकती है औरनहीं भी। आप जैसी बातें कर रहे हैं, इनसे उलझन बढ़ती है। नतीजा साफ है, आपकेहक में कैसा होगा। तैयार रहिए।""हम इतना जानते हैं, कई हजार रुपए हम इनकम-टैक्स देते हैं; सरकार की निगाह मेंइसकी इज्जत है। फिर आपको कुल माजरा समझा दिया गया है। एक प्रोविन्शल मेरे साथभी है। अच्छी बात, अब मैं आपसे समझूँगा। तैयार रहिए। आप अपना भेद नहीं बतानाचाहते, मैं कहता हूँ, बगैर कुछ भेद दिए आप बचकर नहीं निकल सकते।"थानेदार घबराए। फिर हिम्मत बाँधकर कहा, "हम जब यहाँ आए, समझिए, रत्ती-रत्तीहाल मालम करके। हम अंधे नहीं। सच, आपके मकान का ठाठ आपकी हैसियत बयान कर रहा

है। मगर हमारी बात मानिएगा तभी फायदा उठाइएगा, सरकार के यहाँ नेकनामी लिखीजाएगी।""जब तक हमें इसका गुमाँ भी न होगा कि आप कौन हैं, हम आपके साथ लगे-लगाएरहेंगे। उधर हमारे पैर तभी उठ सकते हैं जब हमें कुछ राज मिल जाएगा।""इस तरह से मिलने एक ही महकमे के आदमी आते हैं। नाम वह भी नहीं बताएँगे,सिर्फ काम बतला जाएँगे। कर दिया तो नेकनामी, न किया या धोखा दिया तो इसकी सज़ाहै। समझिए-हम-पुली...।" "आप जो काम बतला जाएँगे, उसका हासिल मालूम करने के लिए आप ही आएँगे या कोईदूसरे?"

"हमीं आयँगे; मुमकिन, और आदमी हमारे साथ हों। बाद को, गिरह पड़ गई तो बड़ेसाहब भी आ सकते हैं।"सेक्रेट्री उठकर अपने कमरे में गया। दिन, तारीख, मास, साल, समय और पुली के नामसे कही हुई उस आदमी की कुल बातें उसकी शक्ल के वर्णन के साथ लिख लीं। एकसिपाही को बुलाकर कहा, "तुम दो-तीन छिपे तौर से इस आदमी का हाल मालूम करो,

पूरा पता ला सके तो इनाम मिलेगा। आदमी बरामदे में बैठा है। कोई छेड़ न करना।"फिर बाईजी के पास खबर भेजी कि जरूरी काम से मिलना है। एजाज ने बुला भेजा।सिकत्तर साहब गए। उसने मेज़ की बगलवाली कुर्सी पर बैठाला। सिकत्तर बैठकर एक-एककरके कुल बातें संक्षेप में सुना गए।एजाज कुछ देर तक सोचती रही। फिर पूरे इतमीनान से कहा, "सिकत्तर साहब, एक राजऔर लीजिए। कहिए, वह बातचीत करने के लिए तैयार हैं अगर उस बातचीत में राजा साहबका नाम नहीं आया। गुलाबबाड़ी में एक मेज़ और दो कुर्सियाँ डलवा दीजिए।"नौकर से कहकर सिकत्तर यूसुफ के पास आए। कहा, "बाईजी आपसे बातचीत करेंगी, शर्तएक रहेगी, आप राजा साहब के बारे में कोई बात न उठाएँगे।""हम किसी शर्त पर बातचीत न करेंगे," यूसुफ ने पुतलियाँ पलटकर कहा।सिकत्तर फिर एजाज के पास गए। सुनकर एजाज ने कहा, "आप समझे? - उन्हीं की गरदननापी जाएगी। हमारा और इनका कहना लिख लीजिएगा। हम नीचे चलते हैं। लिखकर सभ्यता

से उन्हें भेज दीजिए; गुलशन ले आएगी। आदमियों से कह दीजिएगा, होशियारी रखें।"एजाज गुलाबबाड़ी में आकर बैठी। सिकत्तर ने लिखकर यूसुफ से आकर कहा, "सरकार कीफतह रही। गुलाबबाड़ी में हैं। तशरीफ ले चलिए।" गुलशन की तरफ हाथ उठाकर कहा,"यह ले जाएगी।"गुलशन यूसुफ को ले चली। गुलाबबाड़ी में एजाज ने नसीम को कीमती साड़ी पहनाकरबैठाला था। बगीचे की शोभा देखते हुए यूसुफ चले। अंधेरा हो आया था। कुछ दूर एकगैस की बत्ती जल रही थी।

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रचनाएँ
चोटी की पकड़
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उनकी प्रायः हर कथा कृति का परिवेश सामाजिक यथार्थ से अनुप्राणित है। यही कारण है कि उनके कतिपय ऐतिहासिक पात्रों को भी हम एक सुस्पष्ट सामाजिक भूमिका में देखते हैं। चोटी की पकड़ यद्यपि ऐतिहासिक उपन्यास है, लेकिन इतिहास के खण्डहर इसमें पूरी तरह मौजूद हैं। निराला सूर्यकांत त्रिपाठी ने निम्नलिखित में से कौन सा लिखा है? निराला की प्रमुख कृतियों में प्रभावती, छोटी की पकाड़ और निरुपमा जैसे उपन्यास शामिल हैं; उनकी लेखन शैली उनके समकालीनों से बिल्कुल अलग थी कि सूर्यकांत त्रिपाठी को 'निराला' की उपाधि मिली, जिसका हिंदी भाषा में अर्थ 'अद्वितीय' हैं।
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चोटी की पकड़ भाग 1

5 अगस्त 2022
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सत्रहवीं सदी का पुराना मकान। मकान नहीं, प्रासाद; बल्कि गढ़। दो मील घेरकर चारदीवार। बड़े-बड़े दो प्रासाद। एक पुराना, एक नया। हमारा मतलब पुराने से है। नए में जागीरदार रहते हैं। हैसियत एक अच्छे राजे की।

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भाग 2

5 अगस्त 2022
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मुन्ना के बतलाए हुए ढंग से बुआ ने एक सफेद साड़ी पहनी। विधवा के रजत वेश से पालकी पर बैठीं। वहाँ के सभी कुछ उन्हें प्रभावित कर चुके थे, पालकी एक और हुई। कहारों ने पालकी उठाई और अपनी खास बोली से कोलाहल

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भाग 3

5 अगस्त 2022
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ब्याह के बाद जागीरदार राजा राजेंद्रप्रताप कलकत्ता गए। आवश्यक काम था।जमींदारों की तरफ से गुप्त बुलावा था। सभा थी।मध्य कलकत्ता में एक आलीशान कोठी उन्होंने खरीदी थी। ऐशो-इशरत के साधन वहाँसुलभ थे, राजा-रई

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भाग 4

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राजा राजेंद्रप्रताप के कोचमैन मुसलमान हैं। तीन बग्घियाँ और आठ घोड़े कलकत्ता में हैं, कुछ अधिक राजधानी में। अली एक कोचमैन हैं। इनके पिता लखनऊ में रहते थे, पूर्वज ईरान के रहनेवाले; बाद को शाह वाजिद अली

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भाग 5

5 अगस्त 2022
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दूसरे दिन कुछ गुंडों की मदद ली। भले-आदमी बने रहनेवाले दो आदमी फंसे।उन्होंने रपोट लिखवाई। कुछ पढ़े-लिखे थे, पर बायाँ अँगूठा घिस कर गए थे।अँगूठे का निशान लगाया। गुंडों ने कहा, "हुजूर का काम हो गया, अब च

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भाग 6

5 अगस्त 2022
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यूसुफ फतहयाब थे-उनकी शर्तें कबूल कर ली गईं। गुरूर से कदम उठ रहे थे। गुलशन गुलाबबाड़ी में ले गई। नसीम की तरफ उँगली उठाकर कहा, "आप !"नसीम उठकर खड़ी हो गई। बड़ी अदा से कहा, "आदाब अर्ज।"यूसुफ बहुत खुश हुए

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भाग 7

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तीसरे दिन राजा साहब की चलने की तैयारी हुई। एजाज को भी चलना था। उससे बातचीतहो चुकी थी। उसने तैयारी कर ली। इस बार नसीम और सिकत्तर को यहीं छोड़ा। नसीमको कुल बातें लिखवा दीं। एक नकल अपने पास रखी। थोड़ा-सा

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भाग 8

5 अगस्त 2022
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पुरानी कोठी के सिपाहियों के अफसर जमादार जटाशंकर सिंहद्वार पर रहते हैं। पलटनमें हवलदार थे। ब्रह्मा की लड़ाई के समय नाम कटा लिया। जवान अच्छे तगड़े।नौकरी ढूँढ़ते-ढूँढ़ते यहाँ आए। निशाना अच्छा लगाते हैं। रा

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भाग 9

5 अगस्त 2022
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राजा राजेंद्रप्रताप राजधानी में एजाज के साथ रह रहे हैं। उसी रोज आ गए।गढ़ के बाहर एक बड़े तालाब के बीच में टापू की तरह सुंदर बँगला है। चारों तरफसे लोहे की मोटी-मोटी छड़ें गाड़कर पुल की तरह सुंदर रेलिंग

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भाग 10

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पहले दिन। मुन्ना ने सिपाही की आँख बचाकर जमादार को आने की सूचना दी और आड़में जहाँ बातचीत की थी, रास्ता छोड़कर उसी तरफ चली। जमादार ड्योढ़ी में कुर्सीपर बैठे थे। सिपाही खजाने के पास पहरे पर ख़ा था। सुबह

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भाग 11

5 अगस्त 2022
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दिलावर रामफल के पास गया। अपने जीवन से उसको बड़ी ग्लानि हुई। बचाव नहीं। नसोंसे जैसे देह, वह दुनिया के जाल से बँधा हुआ है और सिर्फ दस रुपए महीने के लिए।जान की बाजी लगाए फिर रहा है। कहीं से छुटकारा नहीं।

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भाग 12

5 अगस्त 2022
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दूसरे दिन। जमादार जटाशंकर कुर्सी पर बैठे तंबाकू मल रहे थे। रुस्तम पहराबदलने के लिए आया। जमादार को उसने देखा, पर मुँह फेरकर चल दिया, सलामी नहींदी।,जमादार ने पुकारा, "रुस्तम।"रुस्तम का कलेजा धड़का। पर ह

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भाग 13

5 अगस्त 2022
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मुन्ना ने आधे घंटे तक विश्राम किया। फिर प्रणाम लेकर बुआ को पीछे लगाकर बाग़ीचे चली। बुआ का दो ही रोज़ की कवायद में इतना बुरा हाल हुआ कि सिर पर जैसे मनों का बोझ लद गया हो; जैसे गंदे पनाले से नहलायी गई ह

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भाग 14

5 अगस्त 2022
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जमादार जटाशंकर और राजाराम जब खजाने को लौट रहे थे, तब आँगन से देखा कि फाटकखुला हुआ है और कुर्सी पर रुस्तम बैठा हुआ है। जमादार को बुरा लगा। राजाराम कीभी भवें चढ़ गईं। रुस्तम जानकारी की निगाह से देखता हु

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भाग 15

5 अगस्त 2022
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बाप से यूसुफ को एजाज का राज मिल चुका था। जब एजाज कलकत्ता रहती थी, खोदाबख्शखजानची तनख्वाह के रुपए लेकर कलकत्तेवाली कोठी में ठहरता था और वहीं सेतनख्वाह चुकाकर रसीद लेता था; एजाज को डाकखाने के जरिये रुपए

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भाग 16

5 अगस्त 2022
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कमरे में सनलाइट जल रही थी। राजा साहब अपनी बैठक में थे। मसनद लगी हुई।गाव-तकिए पड़े हुए। एक तकिए का सहारा लिए हुए प्रतीक्षा कर रहे थे कि बेयरासिपाही से खबर लेकर गया। कहा, प्रभाकर बाबू आए हुए हैं। राजा स

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भाग 17

5 अगस्त 2022
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राजा साहब ने देखा कि एजाज का मिज़ाज उखड़ा-उखड़ा है, उन्होंने साजिंदों को रुखसत कर दिया। प्रभाकर को भोजन कराना था, इसलिए बैठाले रहे। काट कुछ गहरा चल गया था; यानी एजाज को राजा साहब चाहते थे, पर दिल देकर

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भाग 18

5 अगस्त 2022
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रुस्तम बहुत खुश थे कि रानी साहिबा ने उन्हें जमादारी दी। जटाशंकर जान बचानेके लिए रुस्तम की जगह पहरा दे रहे थे। राजाराम रहस्य का भेद न पाकर खामोश होगया। दूसरे पहरेदारों ने सुना और रुस्तम के तरफदार हो गए

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भाग 19

5 अगस्त 2022
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मुन्ना खजानची खोदाबख्श के यहाँ गई। दूसरी औरत से खजानची का तअल्लुक कराकर,दूसरे मर्द से रिश्वत दिलाकर, 'एक औरत से उसका तअल्लुक हो गया है उसकी बीवी सेकहकर लड़ाकर, बिगड़ाकर, राजा साहब के नकली दस्तखत से 'इ

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भाग 20

5 अगस्त 2022
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यूसुफ के पीछे तीन आदमी लगाए गए। होटल में यूसुफ ने कलकत्ते के एक मित्र कापता लिखाया था। रात को प्रभाकर अपने मित्रों की तलाश में बाजार में गए। पालकीके अंदर बैठे रहे। पालकी के दरवाजे बंद। दिलावर ने साथिय

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भाग 21

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भाई नजीर !" यूसुफ ने पुकारा। नजीर बैठे थे। अभी ही फुर्सत मिली थी। सोच रहे थे। कहनेवाले आदमी की बात पक्कीमालूम हो रही थी। घबराए भी थे। गरीब थे। यूसुफ की दोस्ती से फायदा न हुआ था। कटने की ठान ली। आवाज

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प्रभाकर को जहाँ रखा है, उसी कोठी का पिछला हिस्सा है। दूसरी तरफ बुआ रहतीथीं। प्रभाकर के दोमंजिले की छत, दूसरे छोर तक, बरगद और पीपल की डालों से छायादार है। भीतर, कोठों में, अँधेरा। इतना प्रकाश कि काम कु

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ख़जांची खोदाबख्श, मुन्ना और जटाशंकर के पेट में पानी था। तीनों ने बचत सोची। तीनों के हाथ में पकड़ है।जटाशंकर से मिलने का वक्त आया। ख़ज़ांची कलकत्ता और राज धानी एक किए हुए हैं।दुपहर का समय। किरणों की जव

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भाग 24

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खजांची और मुन्ना पीपल के पास गए। खजांची ने गंभीर होकर कहा, "जब कि हमने काम कर दिया है, एक काम हमारा तुम कर दो या रकम वापस करो। अब बात दो की नहीं रही।" मुन्ना, "कौन-सा काम है?" "पहले हम बता दें, तुम्

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भाग 25

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डाल के सैकड़ों हाथों ने मुन्ना पर फल रखे। चली जा रही थी, पराग झरे, भौंरे गूँजे। तरह-तरह की चिड़ियों की सुरीली चहक सुन पड़ी। दुपहर के सन्नाटे के साथ मौसम की मिठास। फिर प्रभाकर याद आया। दूर से घुसते देख

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मुन्ना की निगाह नीली हो गई, चाल ढीली। चलकर महलवाले भीतरी तालाब में अच्छी तरह स्नान किया। गीली धोती से निकलकर बुआ के कमरे में गई। एक बज चुका था।  चुन्नी फर्श पर चटाई बिछाकर दुपहर की नींद ले रही थी। मु

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भाग 27

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मुन्ना बुआ के पास गई। बुलाकर बाग़ ले गई। सूरज नहीं डूबा। पेड़ों पर सुनहली किरणों का राज है। तेज हवा बह रही है। बुआ का शानदार आँचल उड़ रहा है। मुन्नासिपाही या फौजी हिंदुस्तानी औरत की तरह दोनों खूँट कमर

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भाग 28

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रात आठ का समय होगा। प्रमोदवाले कमरे में राजा साहब बैठे हैं। कुल दरवाजे और झरोखे खुले हैं बड़े-बड़े। सनलाइट का प्रकाश। तेजी से, लेकिन बड़ी सुहानी होकरहवा आती हुई। दूर तक सरोवर और आकाश दिखता हुआ। सरोवर

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भाग 29

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मुन्ना ने देखा, दस बज गए। सिपाहियों को (20-20) रुपए इनाम दिया था। बाजार से कपड़ा आ गया था। टुकड़े काटकर साफे बना लिए। रानी के अपमान का प्रभाव सब परहै। सब चाहते हैं, राजा ऐसा न करें कि उनके रहते एजाज क

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भाग 30

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रुस्तम बुआ को लेकर चला। रात के दस के बाद का समय। गढ़ सुनसान। मर्दाना बाग़  से चला। बुआ को शंका हुई। फिर मिट गई।  "देखती हो दो तलवारें हैं?" रुस्तम ने प्रेमी गले से पूछा।  "हाँ," शरमाकर बुआ ने

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रूस्तम के जैसे पर लग गए, ऐसा भगा। फैर से दिल धड़का, पैर उठते गए। खेत से भगे सिपाही की तरह सिंहद्वार में घुसा। बात रही, हथियार नहीं डाला। हाँफ रहा था।जैसे दम निकल रहा है। 3-4 सिपाही बाज़ार गए थे, बाकी

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भाग 32

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घटना क्या, अनहोनी हो गई। मुन्ना को ख़जांची का डर था। जमादार भी बचत चाहतेथे। इसी से उलझते गए। बेधड़क बढ़े। फँसे सिपाहियों ने रानी का पल्ला पकड़ा। निगाह धर्म पर थी। तिजोड़ी के गाड़े जाने पर सिपाहियों क

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भाग 33

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प्रभाकर सचेत हो गया। मौका देखकर बचा हुआ मसाला पानी में फेंक दिया और प्रकाश को दिन होने पर पास के केंद्र भेज दिया। दो आदमी और रहे और प्रभाकर। देख-रेख के लिए दिलावर और दो नौकर हैं, जिनके बाहर के मानी छत

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कहार से बातें मालूम करके, इनाम देकर, मुन्ना पिछली तरफवाले घाट पर चलकर बैठी।मन में खलबली थी। बुआ का पता नहीं चला। जल्द कोई कार्रवाई होगी, दिल कह रहा था। धड़कन त्यों-त्यों बढ़ रही थी। बचाव की सूरत नजर आ

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भाग 35

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जमादार सूख रहे थे, चोरी खुलेगी, बहाना नहीं बन रहा। घबराए जो कलंक नहीं लगा, लगेगा, जेल होगी; बाप-दादों का नाम डूबेगा। राजा गए; दूसरी आफत रहेगी।इसी समय मुन्ना मिली। जमादार ने देखा, उसमें स्फूर्ति है। उन

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भाग 36

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चार का समय, दिन का पिछला पहर। रानी साहिबा की फूलदानियों में ताजे फूल दोबारा रखे गए। हार आ गए केले के पत्ते में लपेटे हुए। बर्फ क्रीम-फल तश्तरियों में नाश्ते के लिए आ गए। दक्खिनवाले बड़े बरामदे में छप्

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भाग 37

5 अगस्त 2022
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आमों की राह से होते हुए गुलाबजामुन के बाग के भीतर से मुन्ना पालकी ले चली।  कई दफे आते-जाते थक चुकी थी। उमंग थी। एक नयी दुनिया पर पैर रखना है। लोगों को देखने और पहचानने की नयी आँख मिल रही है। खिड़की पर

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भाग 38

5 अगस्त 2022
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प्रभाकर बहुत काम न कर सके। कुछ किया और कुछ बरबाद कर दिया। भेद खुल जाने कीशंका से इसी रात रवाना हो जाने की सोची। मुन्ना को कह दिया कि अच्छा हो अगररानी साहिबा के साथ या अकेली कलकत्ते में राजा साहब की को

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भाग 39

5 अगस्त 2022
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यूसुफ छनके। पिता से कुछ हाल कहा। अली स्वदेशी के मामले से, राजों के कलकत्तेवाले कोचमैनों से मिले, उनमें किसी का लड़का थानेदार न हुआ था, अली कोइज्जत से बैठाला। सच-झूठ हाल सुनाकर आंदोलन में सरकार की मदद

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