कई वर्ष पूर्व संभवतः 1992 में भारत के पूर्व राष्ट्रपति माननीय स्व. वेंकटरमन को मैंने दूरदर्शन पर इटली की किसी कला दीर्घा में कला कृतियों को बड़े ध्यान से देखते हुये देखा। मुझे उनके चलचित्र देखकर लगा कि काश ऐसे व्यक्ति से मेरी मुलाकात मेरी कला प्रदर्शनी देखते हुये हो तो सुखद होगा। एक क्षण विचार में आया और समाप्त हो गया। कुछ दिनों पश्चात वह शिमला रिट्रीट, जहां देश के राष्ट्रपति ठहरते हैं आये।
मैं साधारण दैनिक कार्यक्रम की तरह शाम को शिमला मालरोड़ पर घूमने आया। वहां एक परिचित राजकीय सचिवालय के सचिव श्री पाठक जी मिले और बोले दिल्ली से राष्ट्रपति शिमला आये हैं, मुझसे मिलना चाहते है। उनके मिलने का समय 6 बजे सायं का है।
मैंने कहा....क्यों मेरा उपहास उड़ा रहे हैं। मैं न उन्हें जानता हूं न मेरा कोई काम है।
दूसरे दिन फिर वही सचिव मिले और शिकायत के लहजे में बोले कल मेरा इन्तजार राष्ट्रपति महोद्य करते रहे और मैं वहां मिलने नहीं पहुंचा। हिमाचल, पंजाब, दिल्ली तथा अन्य राज्यों के कलाकार उन से मिलने के लिये उत्सुक हैं। किन्तु माननीय राष्ट्रपति ने किसी अन्य कलाकार से मिलने से इन्कार कर दिया।
मुझे विश्वास नहीं हुआ। इस बात पर मैंने पूछा... वह क्यों मुझसे मिलना चाहते हैं। क्या वास्तव में यह सच है। क्या मैं ही वह कलाकार हूं जिससे भारत के राष्ट्रपति मिलना चाहते है।
सचिव श्री ओ. पी. पाठक बोले... कारण तो पता नहीं... ना ही किसी को उनसे पूछने का साहस है। किन्तु प्रो. एमसी सक्सेना तो आप ही है, जिससे वह मिलना चाहते है।
मैंने कहा... मेरे पास शिमला से रिट्रीट तक जाने का कोई साधन नहीं है अतः मैं नहीं जा सकता।
वह बोले... राष्ट्रपति की ओर से गाड़ी मुझे लेने निवास पर आयेगी। ठीक 6 बजे मिलने का समय है। आप प्रतीक्षा करें।
मैं दूसरे दिन उनके द्वारा भेजी गई गाड़ी पर अपने छोटी आयु के बेटे के साथ मिलने राष्ट्रपति निवास रिट्रीट छराबड़ा शिमला के पास पहुंचा। वहां शिमला के आईजी पुलिस अपनी पत्नी के साथ राष्ट्रपति से मिलने के लिये बैठे थे। मुझे देखकर बोले प्रोफेसर साहब आप कोई जादू करने आये हैं। मैंने कहा एक कलाकार के नाते मैं कोई चित्र या कृति भी नहीं लाया, पता नहीं क्यों मुझे बुलाया गया। मैं शिष्टाचार वश आ गया। राष्ट्रपति जी ने मुझे बुलाया। मैं अपने बेटे के साथ एक बड़े हाॅल जैसे कमरे में गया राष्ट्रपति महोद्य ने खड़े होकर मेरा स्वागत किया और मुझे सामने सोफ़े पर बैठने को कहा। मैंने सादर कहा कि आप बैठिये। वह एक परिपक्व शालीन बुजुर्ग दादा जी की तरह बोले यह बच्चा फ़ोटो खींचना चाहता है। मेरे बेटे के पास एक छोटा कैमरा था। मुझे पास सोफे पर बैठाकर बड़ी प्रसन्न आत्मियता से फ़ोटो खींचवाया। मैंने पूछा कि आपने मुझे क्यों याद किया। वह बोले कि मैं उनकी व्यक्ति मूर्ति बनाउं। मैंने कहा सोचूंगा। दो बार कहने के पश्चात मैंने हां कर दी और कहा कि मूर्ति बनाने के लिये सामने बैठना पड़ता है। ‘कितनी देर, वह बोले’... मैंने कहा कुछ देर तो बैठना ही होगा। शेष मैं आप के फोटो से बना दूंगा। व्यक्ति मूर्ति के लिए कुछ Setting आवश्यक होती है।
उस हाॅल में एक मेज़ पर थोड़ी दूरी पर उनका एक फ़ोटो रखा था। वह बोले उधर जाकर देखो क्या इससे काम चल जायेगा। मैंने कहा कि मैंने यहीं से बैठे-बैठे देख लिया। मैं यह भी बता सकता हूं कि यह फ़ोटो कैसे कहां लिया गया। वह आश्चर्य चकित होकर बोले बताइये। मैंने बताया कि वह एक लाॅन में किस स्थान व दिशा में बैठे सोच रहे थे। यह बात आप के अतिरिक्त किसी को नहीं मालूम। फिर दक्षिण भारत के महान साधु संतों और श्री सत्य साईं बाबा के सामाजिक कार्य वह उनके व्यक्तिगत जीवन सम्बंधी बातें हुई।
मैंने इटली में कला कृतियों को देखते दूरदर्शन की बातें बताई। मेरी परा-मनोवैज्ञानिक कला इत्यादि बातों से वह मेरी कला कृतियां देखने को मेरे कला कक्ष पर आने के लिये उत्सुक हो गये। फिर उनके द्वारा एक विशाल कला प्रर्दशनी का आयोजन बिना किसी बैनर के मालरोड़ पर नगर पालिका के हाॅल में हुआ। मालरोड़ पर भीड़ थी।
ऐसा उद्घाटन भारत या विदेशों में आज तक किसी चित्रकार या मूर्तिकार का नहीं हुआ।
पूरे भारत के समाचार पत्रों में प्रकाशित फोटो मुझे उनके आॅफिस द्वारा भेजे गये। उन्होंने स्वयं अपने कर कमलों द्वारा अपने पैड पेपर पर दक्षिण में एक कला महाविद्यालय का नाम मेरी द्वारा बनी कला कृतियों के रिप्रोडक्शन के लिये स्वयं लिख कर दिया।
उनके साथ आये परिवार व अधिकारियों के आग्रह पर दूसरे दिन कला प्रदर्शनी लगाए रखने का पत्र आया। क्योंकि वह अपनी ड्यूटी के कारण देख नहीं पाये थे। उन्हें मेरी कला प्रदर्शनी विचित्र लगी।
इसके पश्चात राष्ट्रपति महोद्य शिमला जब भी आये मुझे आमंत्रण मिलता रहा और आज भी शिमला के राजभवन में विशेष अवसरों पर आमंत्रण पत्र आता है। उनसे जुड़ी कई अन्य परा-मनोवैज्ञानिक मन की शक्तियों के दृश्टांत उनसे तथा भारत के रहे प्रधानमन्त्री श्री मोरार जी देसाई, राष्ट्रपति संजीवा रेडी, हिमाचल के राजनेताओं, राज्यपालों से जुड़े हैं ।
कई वर्ष पूर्व मेरे द्वारा बना एक विशालकाय मूर्ति म्यूराल का उद्घाटन हिमाचल के राज्यपाल के विशेष सलाहकार श्री पी. पी. श्रीवास्तव द्वारा हिमाचल के मिनी सचिवालय शिमला में होना थ। जिसमें कई वर्ष पूर्व एक बालक को मैंने एक विशाल मूर्ति माॅडल बनने की भविष्यवाणी की थी। वह अब बम्बई में फिल्म अभिनेता है।