हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा का माता ज्वाला जी मन्दिर भी अति प्राचीन काल से शिव शक्ति पौराणिक कथा के कारण पूरे संसार में प्रसिद्ध तथा मान्य है। वहां भी अदभुत दर्शन की घटना बताता हूं कि खचाखच लाखों की भीड़ और लम्बी कतारों में प्रतीक्षा के पश्चात भी दर्शन होना बड़े सौभाग्य की बात मानी जाती है। अनेकों चमत्कारी कथायें उस देवी मन्दिर से जुड़ी है। वहां हजारों सालों से मंन्दिर में ऊपर व नीचे के पानी के कुंड में निरन्तर बिना विराम, रात दिन ज्योति जलती हुई निकलती रहती है। जो कभी ना कम होती है ना ही बुझती है। यह विश्व का अनोखा चमत्कार है।
कई वैज्ञानिकों ने खोजने का निष्फल प्रयास किया। ‘सम्राट अकबर’ ने भी आज़माने पर इसे सत्य पाया। यह विश्व का अकेला ऐसा मन्दिर है जहां माना जाता है कि पौराणिक कथा के अनुसार देवी पार्वती की जिव्हा सती होने के बाद शिव द्वारा शरीर लेकर इस स्थल पर आने के पश्चात गिरी थी। जो ज्वाला जी के रूप में प्रकट हुई। इस पौराणिक कथा को तथा देवी सती को आज कलयुग में कई युगों के पश्चात भी कोई ज्वाला की लौ के रूप में देख सकता है। इस सुप्रसिद्ध मन्दिर में सदा इतनी भक्तों की भीड़ होती है कि एक पल भी रूकना असम्भ्व होता है। भीड़ क़तारों से चलती रहती है।
मैं दर्शन कर भीड़ में बढ़ रहा था तो जहां ज्वाला जी की ज्योति लौ के रूप में निकल रही थी। वहां बिछे असंख्य पड़े फूलों में से एक फूल आशीर्वाद के रूप में मन से सोचकर मांगा। जिन अनगिनत फूलों को देखकर मेरे मन में विचार आया कि फूलों के ढेर में से अमुक पुष्प मुझे मिल जाये। भावना के पश्चात रेंगती धक्के लगती भीड़ में वही पुष्प पुजारी ने भीड़ में उठाकर मुझे दे दिया, जिसे मैं शुभ मानता हूं। ऐसा कई बार पूज्य पवित्र मन्दिरों में हो चुका है। यह घटना मुझे साधारण नहीं लगती है।