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शिमला के इस पार्क में कैसे लगी हिमबाला

21 मार्च 2022

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शिमला के इस पार्क में कैसे लगी हिमबाला शिमला हिमाचल प्रदेश की राजधानी में 1963 में होली वाले दिन मैं हिमाचल राजकीय कला महाविद्यालय में प्राध्यापक के इंटरव्यू के लिये आया तो एक लखनऊ कला महाविद्यालय के छात्र स्टेशन पर मिल गये। वह लखनऊ कला विद्यालय में मेरी बनी मूर्तियों की फोटो लेने की आज्ञा मांगते थे। वह चित्र कला के विद्यार्थी थे किंतु फोटो खींचने का शौक था। हम एक दूसरे को देखकर चकित थे। वह भी चित्रकला के प्राध्यापक का उसी कला महाविद्यालय के लिये इंटरव्यू देने आये थे, जिसके लिए मैं प्रत्याशी था। हम दोनों एक होटल में ठहर गये। फिर शिमला मालरोड से रिज पर आये। वहां दौलत सिंह पार्क जो आशियाना रेस्टरां के पास है, उसे देखकर मैंने कहा- यहां मेरे द्वारा बनाई एक मूर्ति आने वाले समय में स्थापित होगी। 

इंटरव्यू में हम दोनों सेलेक्ट हो गये। फिर लखनऊ वापस चले गये। नाहन कला महाविद्यालय ज्वाइन कर लिया। कुछ सालों बाद कला महाविद्यालय ही पूरा शिमला स्थानातंरित हो गया। तब तक मैंने शिमला नहीं देखा था। फिर हम दोनों रिज पर घूमने आये और मुझे याद आया 1968 का वह किस्सा कि ‘मेरे हाथ से बनी मूर्ति इस पार्क में लगेगी।‘ 

ठीक वैसा ही हुआ जैसा कि मैंने कहा था। 

मेरी कला की एक कला प्रदर्शनी शिमला में लगी। हिमाचल के तत्कालीन मुख्यमंत्री डाॅ. वाईएस परमार को मेरी कला के बारे में पता लगा और मुझे उसी पार्क में मूर्ति लगाने को कहा गया। मैंने मूर्ति बनाई जो अब पूरे भारत और विश्व के सैलानियों के लिये आकर्षण का केन्द्र है। उसे बनाते समय प्रसिद्ध श्री लाल चन्द प्रार्थी कला प्रेमी भाषा, कला व संस्कृति मंत्री कला कक्ष पर देखने आये। मानवाकार ‘हिम बाला’ मूर्ति खड़ी थी। जब उसका आवरण हटाया तो वह कला प्रेमी कुल्लू के रहने वाले मंत्री मंत्र मुग्ध हो गये। मेरे मुंह से निकल गया कि आप ही इसका उद्घाटन करेंगे। 

कला कक्षा पर 1973 में पत्रकारों, अफसरों की उस मूर्ति को देखने के लिए भीड़ लगी रहती थी। मूर्ति बनाने से पहले मैंने शर्त रखी कि इसका उद्घाटन मेरे कहने पर उस दिन ही हो अन्यथा इसका उद्घाटन रूक जाएगा। मुझसे पूछे बिना इस मूर्ति का उद्घाटन न करें। मुख्य अधिकारी श्री चतुर्वेदी ने कहा ठीक है।

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किन्तु 12 अगस्त 1973 को नगर पालिका के मुख्य अधिकारी व सम्बन्धी अधिकारी आये और मूर्ति का विलक्षण आकर्षण देखकर सहमति जताई कि जब मैं कहूंगा तब स्थापित करेंगे। 

अगले दिन उनके कारिंदे व ट्रक लेकर आये कि मूर्ति स्थापना करने को ले जानी है। मुझे आश्चर्य हुआ। लेकिन मैंने मूर्ति दे दी। किन्तु कहा कि मेरे द्वारा कहे गये शब्दों के विपरीत उल्लंघन है। इस मर्ति का उद्घाटन रूक जायेगा। 

15 अगस्त 1973 को हिमाचल के मुख्यमंत्री द्वारा उसके उद्घाटन की रूपरेखा व तैयारी आरंभ हो गई। मैंने कहा यह उद्घाटन नहीं होगा। पता चला कि प्रोग्राम रूक गया। मुख्यमंत्री ने किसी गांव में 15 अगस्त का ध्वज फहराया। मूर्ति लकड़ी के विशालकाय बाॅक्स में ढक दी गई। जितने मंत्रियों को उद्घाटन के लिये संपर्क किया, किसी न किसी कारण से कोई नहीं आया। श्री लाल चंद प्रार्थी कला प्रेमी मंत्री जो मेरे कला कक्ष पर आये थे उन्होंने भी व्यस्त होने के कारण मना कर दिया। फिर फोन द्वारा मुझसे क्षमा प्रार्थना कर उद्घाटन की तारीख पूछी। मैंने पहले तो मना कर दिया फिर काफी कहने के बाद राजी हुआ और प्रार्थी जी ने अपने सारे प्रोग्राम रद्द कर यह कहा कि वह खुश किस्मत हैं अगर मेरे द्वारा बनाई ‘हिम बाला’ नामक मूर्ति के उद्घाटन का सौभाग्य मिले। वैसा ही भारत में अभी तक ऐसे गाजे बाजे द्वारा मिठाईयों वाला उद्घाटन किसी मूर्ति का नहीं हुआ होगा। नगर निगम के अधिकारी इंजीनियर वैद्य जी ने अपने सहयोगियों के साथ मुझसे उस मूर्ति पर फिल्मी मधुबाला की मूर्ति के समान चुन्नी कपड़ा ढककर उद्घाटन की आज्ञा मुझसे मांगी, जैसा कि अनारकली फिल्म में है। इस जैसी मूर्ति को देखने और बाॅम्बे में बनवाने के लिए फिल्म अभिनेता मनोज कुमार का बेटा कई दिन शिमला में मेरी प्रतीक्षा कर बम्बई लौट गया। वह वैसी मूर्ति अपने लिए बनवाना चाहता था। मैं उस समय शिमला से बाहर उत्तर प्रदेश गया हुआ था। वह मूर्ति अनेक फिल्मों, दूरदर्शन, मीडिया और विश्व पर्यटकों के लिए आज भी आकर्षण का केंद्र है। 

एक बाल ब्रम्हचारी साधु किसी धार्मिक सम्मेलन में शिमला के प्रसिद्ध कालीबाड़ी मंदिर आये। मेरी वही ‘हिमबाला’ मूर्ति देख मेरे निवास पर आये। मैं सरदार पटेल की मूर्ति कहीं के लिये बना रहा था। जब मैं उनसे बात कर रहा था तो मैंने उनके जीवन की जटिल समस्या बताई और पूछा कि आप दिल्ली में किसी ज्योतिषी से भी मिले। कला कक्ष में रखी मूर्ति को देखकर आप इसे खरीदने की सोच रहे थे और दूसरी देखकर आप को मीरा जैसा भाव उत्तर प्रदेश में एक वकील के घर उनको उनकी छोटी बेटी को देखकर लगा। वह दंग रह गये। 

उनकी समस्या के लिए मैंने सांय 6 बजे का समय दिया और कहा कि 5 मिनट लेट हो जाने पर मैं नहीं मिलूंगा । वह पास में किसी भक्त के यहां ठहरे थे। वह अगले दिन आने में लेट हो गये। मैं अपने निवास से बाहर चला गया। रास्ते में मुझे लगा कि वही महात्मा सामने से आ रहे हैं। देखा तो वही महात्मा आ रहे थे। मैंने घड़ी दिखा दी बात नहीं की। वह कहने लगे कोई भक्त कहीं ले गया और मैं समय पर नहीं आया। अगले दिन मैं अपने विद्यालय लगभग 10 बजे प्रातः सोचते-सोचते पैदल चल रहा था। मुझे आभास हुआ कि वही महात्मा जी एक बैंच पर किसी के साथ बैठें हैं। जब पास से गुजरा तो मैंने उनसे केवल यह कहा कि काश्मीर जाने के लिये धन की व्यवस्था हो गई है। वह बात करना चाहते थे। मैंने मना कर दिया फिर कभी नहीं मिला। 

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यह पूर्वाभास, भविष्यवाणी और दूरदर्शन से सम्बन्धित हैं। इस प्रकार घटना के लिये काल पात्र के स्थान की दूरी बाधा नहीं होती। क्योंकि मेरी विदेशों की अनेकों सत्य घटनायें हैं। जहां कभी न मैं गया न सुना न ही पहले कहीं पढ़ा- अतः कहीं से कोई संकेत मिलने की गुजाइश नहीं रहती है। 

हिम बाला’ मूर्ति बनाने के बाद मैं रा़ित्र में कुछ सृजनात्मक कार्य में व्यस्त था। मुझे ऐसा आभास हुआ कि इस मूर्ति का चित्र प्रसिद्ध ‘धर्मयुग पत्रिका’ जो बम्बई से निकलती थी उसमें प्रकाशित होगा और मुझे बम्बई जाना पड़ेगा। जिसे मैंने कभी पहले ना देखा था या जानता था, केवल यह पढ़ा था कि वह फिल्मी दुनिया की माया नगरी है। 

मैंने अपनी धर्मपत्नी से कहा कि कुछ लाइने लिख दो अपनी ओर से और मूर्ति के साथ ‘धर्मयुग पत्रिका’ को भेज दो। उन्होंने ऐसा ही किया यह घटना 1976 की है। 

कुछ दिनों बाद एक बंद लिफाफे में पत्र आया... बिना मेरे नाम के.... केवल लिखा था दौलत सिंह पार्क के मूर्ति निर्माता, हिमाचल प्रदेश। यह पत्र कई दिन इधर-उधर घूमता रहा। पोस्टमैन ने सोचा कि मूर्ति बनाने वाला कोई शिमला कला महाविद्यालय में होगा। प्रधानाचार्य ने ईष्र्यावश यह कह कर कई बार लिफाफा लौटा दिया कि यहां इस तरह का कोई कलाकार नहीं है। पोस्टमैन उनके घर और कई जगह भटकता रहा। कुछ दिनों बाद समय समाप्ति के बाद वह फिर कला महाविद्यालय फागली स्थित पहुंचा। मैं धूप में बैठा विद्यार्थियों की उपस्थिति रजिस्टर पर कार्य कर रहा था। पास में एक अन्य प्रवक्ता और प्रधानाचार्य बैठे बातें कर रहे थे। वैसे ही मुझे आभासित हुआ कि उन्हें किसी महान संत की ओर से बम्बई जाने के लिये एक पत्र वाला लिफाफा आया है। मैं सोच ही रहा था कि प्रधानाचार्य ने कुछ कहते हुये वह बंद लिफाफा मेरे ऊपर उपस्थिति रजिस्टर पर पटक दिया। मैंने खोला तो बम्बई से आदरणीय श्री पंडित बाबलिया जी के जन्मोत्सव पर मुझे सपरिवार आमंत्रित किया गया था।  

हिमाचल की शिमला में स्थापित मूर्ति के समान पानी पिलाने वाली मूर्ति बनवाने के लिये बुलाया गया था। मैं कुछ दिनों पश्चात मूर्ति बनाकर बम्बई मूर्ति स्थापित करने गया। बम्बई वीटी स्टेशन के पास एक पार्क में श्री बाबलिया पंडित जी की मूर्ति लगाने को स्थल तय हुआ। जिसे उस संस्था के बड़े सेठ ने अपने अधिकार में ले लिया और मुझे कहा गया वह उद्योगपति डालमिया से बड़े है। अतः मूर्ति उस पूर्व बताये स्थल पर स्थापित नहीं होगी। पहले निर्णय वाला स्थान बदल दिया गया है। मुझे लगा उस बनाई मूर्ति की अनुमति वार्ड अधिकारी द्वारा दे दी जायेगी। अवरोध सब हट गये मैं तुरन्त उनके कार्यालय में मिला। दोबारा फिर मूर्ति के उद्घाटन पर बुलाया गया। 

भारत के सुप्रसिद्ध सेठ और बम्बई के अनेकों भक्तों में दस दिन एक घंटा रोज समय देकर उनके पूछे गये प्रश्नों का समाधान करता रहा। अंतिम दिन एक सेठ ग्वालियर से आये कुछ पूछना चाहते थे, मेरा समय समाप्त हो गया। बाहर उन सेठों के परिचित पूजा पाठ वाले पुजारी जी प्रति दिन देखकर कहते कि उसे भी मैं कुछ बताउं। उस दिन मैंने कहा बताउंगा, अभी मैं प्रत्यक्ष दिखाउंगा। देखो भीतर कमरे में बैठे एक सेठ अभी बाहर आकर कहेंगे कि वह अपना प्रश्न पूछने से रह गये। ठीक वैसे ही सेठ ग्वालियर वाले आये और विनम्र विनती की। मैंने कहा दिखने में आप लंबे चैड़े हैं किंतु डरपोक है, आप समाधान चाहते हैं । वह बोले हां। मैंने फिर कहा जब आप बम्बई के लिये ग्वालियर घर से चले थे तो आपका पैर एक कमरे में प़ड़ी चारपाई से टकराया और आपकी छोटी पांच साल की बेटी आप से कुछ फरमाइश करने लगी। यह सारा दृश्य उनके प्रश्न सहित सच निकला। मैं आज तक कभी ग्वालियर नहीं गया ना ही उन सेठ से परिचित था। वह सेठ ग्वालियर रेआन कपड़े फैक्ट्ररी के मालिक थे। 

यह पूर्वाभास भविष्वाणी तथा जो बंधन भूत, भविष्य, वर्तमान में मानसिक रूप से पहुंचने के है। सशरीर दूर दिखाई देने की कई अदभुत घटनायें भी प्रभावित रूप से मेरे साथ घटी है। 

ऋषिकेश के एक साधू नाहन हिमाचल प्रदेश में अपने गुरु भाई ठाकुर अजीब सिंह से नाहन मिलने आये। केवल तीन दिन वहां ठहरना था। किंतु ठाकुर अजीब सिंह आयु में काफी बड़े होकर भी सबको छोड़ कर मुझसे बातें किया करते थे। उन्होंने अपने गुरु भाई से मुझे मिलवाया। वह लगभग एक मास रूके। प्रतिदिन 12 बजे रात्रि तक शाम से लेकर घंटों अध्यात्मक और जीवन रहस्य की बातेेें होती थी। उनके गुरु के सम्बन्ध में हिमाचल में आने से पूर्व लखनऊ में 70 के दशक में मैंने सुना था कि वह सशरीर अपने भक्तों बिना गये ही दर्शन देते थे। मैंने ऋषिकेश की उनके गुरू संत की गुफा के साथ अन्य कई रोचक बातें बताई। वह मुझसे इस रहस्यमयी विद्या को सीखने का आग्रह करते रहे।

 

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रचनाएँ
त्रिकालदर्शी परामनोवैज्ञानिक सत्य अंतरराष्ट्रीय घटनाएं
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भारत में वैदिक चिंतन या दर्शन के अनुसार इस गहन व जटिल रहस्य को समझने के लिए परा तथा अपरा विद्या का नाम कहा गया। परा ब्रम्ह को जानने व साक्षात्कार करने की विद्या कहा गया और अपरा विद्या को जीवन के अन्य अनेक पक्षों को जीने की विद्या माना गया। भारत में आत्मा, मन, शरीर के सूक्ष्म रूपों व क्रियाकलापों पर गहन चिंतन हुआ है। यहां अध्यात्म को भौतिक ज्ञान से श्रेष्ठ माना गया क्योंकि भौतिक को नाशवान कहा गया है।
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आभार

21 मार्च 2022
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मेरे अनेक मित्रों ने मुझ से आग्रह किया कि मैं अपने परामनोवैज्ञानिक अनुभवों को एक पुस्तक के रूप में लिखूं । ऐसे अनुभव अर्थात् घटनायें साधारण व्यकितयों के साथ नहीं घटती हैं। पौराणिक कथाओं, सिद्ध साधु म

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प्रस्तावना

21 मार्च 2022
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भारत में वैदिक चिंतन या दर्शन के अनुसार इस गहन व जटिल रहस्य को समझने के लिए परा तथा अपरा विद्या का नाम कहा गया। परा ब्रम्ह को जानने व साक्षात्कार करने की विद्या कहा गया और अपरा विद्या को जीवन के अन्य

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सिटी मैजिस्ट्रेट के घर चपटी नाक वाली वो औरत आखिर कौन थी

21 मार्च 2022
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मेरे लखनऊ विश्वविद्यालय के एक चिकित्सा मनोविज्ञाान के सहपाठी श्री आर के मिश्रा मेरे घर आये। कुछ देर परा-मनोविज्ञान सम्बन्धी बातें करने के बाद मैंने उनसे कहा कि उस रात वह अमुक स्वप्न देखेंगे। मैं यह पह

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अब सच हुई 50 साल पहले की भविष्यवाणी

21 मार्च 2022
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सन् 1963 में मैं अपने पुनर जागरण के कला गुरु लखनऊ राजकीय कला महाविद्यालय के मूर्तिकार प्रो. श्रीधर महापात्र जी तथा अपने गुरु भाई मूर्तिकार प्रो. दिनेश प्रताप सिंह के साथ हिमाचल में राजकीय कला व शिल्प

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कलयुग में भी संभव है श्राप

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जब हम दो कला प्राध्यापक शिमला में किराये का घर तलाश कर रहे थे तो कई महीनों तक कहीं घर नहीं मिला। दूसरी ओर कला महाविद्यालय के छात्रावास में दो तीन कमरे की कुछ दिन के लिये अनुमति मिल गई। शिमला मालरोड़ प

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पेड़ भी संकेत देते हैं

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मैं और कई प्राध्यापक शिमला में रहने के लिये हिमाचल की राजधानी में किराये का घर ढूंढ़ने लगे। मैं और श्री जवाहर लाल शर्मा पूरा नगर ढूंढकर तंग आ गये। मैं जहां अब रहता हूं वह अंग्रेज शासनकाल का प्रसिद्ध ता

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शिमला के इस पार्क में कैसे लगी हिमबाला

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जर्मनी का गुलनाउ नाम का एक युवक अपने बचपन में देखे हुये स्वप्न कि उसके स्वर्गवासी पिता भारत में एक पशु रूप में मिलेंगे। वह भारत आना चाहता था। उसने अपनी मां से बार-बार यह स्वप्न आने पर भारत आने की तीव्

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दहीं के बहाने मैनचेस्टर दर्शन

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कई वर्ष पहले मैं एक कवि सम्मेलन में भाग लेने अपने घर से पैदल माल रोड़ शिमला की ओर कुछ सोचता हुआ चला जा रहा था कि मुझे सहसा आभासित हुआ कि मेरे पीछे एक विदेशी मैनचेस्टर का युवक पर्यटक आ रहा है जो बीमारी

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देश की सीमा लांघता सूक्ष्म मन

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ऐसी ही एक साहित्यिक गोष्ठी के लिये मैं अपने निवास से चढ़ाई पर धीरे धीरे चल रहा था। आगे एक युवा पर्यटक चितिंत सा जा रहा था। मैंने उसके समीप जाकर पूछ लिया... क्या आप ‘लार्ड ग्रे होटल’ ढूंढ़ रहे हैं। जबकि

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अमेरिका

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एक युवा लेखक के रूप में मैं उस संस्थान के लिये भारत के प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय लेखन मास कम्युनिकेशन एंड सिंपल राइटिंग के लिये अमेरीकन छात्रवृति पर कार्यरत हो गया। तब तक मैं चिकित्सा मनोविज्ञान कलाओं और

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अफगानिस्तान

22 मार्च 2022
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इसी संस्थान में बगदाद अफगानिस्तान की निर्देशक फंडामेंटल एजूकेशन तथा फिलीपाइन की महिला भी अन्य शिक्षार्थियों के साथ थी। मैं कई सहकर्मियों और अफगानिस्तान की शिक्षाविद्ध निर्देशक को वहां का हाल परा-मनोवि

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उड़ीसा की घटना

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मैं लखनऊ राजकीय कला शिल्प महाविद्यालय में मनोचिकित्सक की नौकरी लखनऊ विश्वविद्यालय से छोड़कर उन परम आदरणीय गुरु श्री श्रीधर महापात्र, उड़ीसा के सूर्य मंदिर के रचनाकार परिवार से संबधित थे, परस्पर कला सीखन

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आकाशवाणी शिमला

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मैं रेडियो शिमला के लिये ड्रामे वास्तुकला व मूर्ति शिल्प पर लिखता रहा। वहां के निदेशक श्री स्वामी ने मेरे द्वारा लिखित वार्ता परा-मनोविज्ञान पर प्रसारण के लिये पहली बार परामनोविज्ञान पर मेरी वार्ता रख

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भारत के पूर्व राष्ट्रपति वेंकटरमन से अनायास मिलन

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कई वर्ष पूर्व संभवतः 1992 में भारत के पूर्व राष्ट्रपति माननीय स्व. वेंकटरमन को मैंने दूरदर्शन पर इटली की किसी कला दीर्घा में कला कृतियों को बड़े ध्यान से देखते हुये देखा। मुझे उनके चलचित्र देखकर लगा कि

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शिमला सचिवालय के प्रांगण में मूर्ति म्यूराल का उद्घाटन

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उद्घाटन से एक दिन पूर्व शिमला सचिवालय के प्रांगण में काफी सुरक्षा थी। बिना प्रमाण पत्र के उस स्थल पर, जहां दीवार पर लगे मूर्ति म्यूराल का उद्घाटन होना था, प्रवेश वर्जित था। कुछ सरकारी वास्तुकार इंजीनि

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ईरान के फ्ररहाद की अदभुत कहानी

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ईरान का एक परिवार वहां के शासक खुमैनी के कठोर व्यवहार से तंग होकर अपना देश छोड़ किसी देश में पलायन कर जाना चाहते थे। ईरान में 18 से 20 /25 वर्ष के युवकों को सेना में भर्ती होने का आदेश दिया गया। जो आदे

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सोलन की गुफा में रहने वालेे चंबाघाट व जटोली वाले बाबा

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सोलन में चंबाघाट की गुफा में एक ऐसे सन्यासी से मेरी मिलने की तीव्र इच्छा हुई। उनसे मिलना कठिन था। वह हड्डियों वाला एक साधारण गांव वाला जैसा व्यक्ति था। हम दोनों कृतज्ञता के भाव से फिर कुछ क्षण अन्दर ध

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जहां हमें मिली धूने की अग्नि में बनी चमत्कारी चाय

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कई वर्ष पहले चम्बाघाट सोलन की गुफा में एक महान साधक महात्मा रहते थे गुफा के बारे में यह माना जाता था कि जो गुफा महाभारत काल में पांडवों के निष्कासन पर हरियाणा, पिंजौर से हिमाचल तक बनाई गई थी, वही है। 

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बनारस में संस्कृत विभागाध्यक्ष ‘कृष्णा नन्द जी‘

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लगभग तीस वर्ष पूर्व शिमला के प्रसिद्ध गेयटी थियेटर के सामने (एक ड्राई क्लिनिंग) अब कपड़ों के शोरूम में एक प्रसिद्ध वृंदावन आश्रम के महात्मा खड़े थे। मुझे मेरे मित्र श्री सोहन लाल गुप्ता जी माल रोड़ पर दू

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सिद्ध श्री देवड़ा बाबा

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परम पूज्य लगभग 400 वर्ष के देवरिया 30 प्रदेश के देवड़ा बाबा के बारे में सुना कि वह लगभग 400 वर्ष या अधिक आयु वाले मचान पर रहने वाले अल्पाहारी संत हैं । भारत के पहले राष्ट्रपति विदेशी और अनेकों भारत की

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हरिद्वार से नागा साधु और नरवदेश्वर शिवलिंग

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लगभग पांच छह वर्ष पहले एक अधेड़ आयु के एक नागा साधु मेरे द्वार पर आये। मैं उस समय अकेला टीवी पर अर्ध कुंभ हरिद्वार मेले का दृश्य देख रहा था। साधु की आवाज़ सुनकर कुछ दक्षिणा देकर लौटने लगा तो वह साधू बोल

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शिवदर्शन यतीश

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एक दिन मेरे निवास पर पड़ोस में रहने वाले शिमला के धर्म परायण प्रसिद्ध सेठ मेला राम सूद के पौत्र श्री यतीश सूद जी आये। वह बोले कि मैं एक चित्र या मूर्ति बनवाने के लिए आया हूं। आप मना मत करें क्योंकि उन्

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‘लिविंग लिजेंड आफ इंडिया‘ की तलाश

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अमेरिका के एक फिल्म निर्देशक व प्राॅडयूसर जो एशिया में विशेष व्यक्तियों धर्म तथा अन्य विषयों पर शोधकर्ता एक ऐसे व्यक्ति पर फिल्म बनाना चाहते हैं जो एक से अधिक दो विषयों में दक्ष यानि महारत रखते हैं। म

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विचित्र घटना - मंदिर स्थापना और रहस्यमयी कछुआ

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शाहजहांपूर नगर के अशोक अग्रवाल  उत्तर प्रदेश के शाहजहांपूर नगर के अशोक अग्रवाल का उनके परिवार से कोई झगड़ा एक मोटर बाईक के प्रसिद्ध शोरूम पर चल रहा था। आमने-सामने दोनों भाई पिस्टल लिये गोली चलाने के

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श्री श्याम बाबा का एक मन्दिर

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कुछ वर्षो पश्चात श्री अशोक अग्रवाल जी ने मुझे उत्तर प्रदेश में श्री श्याम बाबा का एक मन्दिर बनवाने के लिये जो स्थान नहीं मिल रहा था, उसके निर्णय के लिये बुलाया। मैं उस स्थल पर पहुंचा। उस स्थान का मालि

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शास्त्री जी आप चुनाव हार जायेंगे

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 हिमाचल के एक शिक्षा मंत्री तथा विधान सभा अध्यक्ष रहे श्री राधारमण शास्त्री जी के ससुर ने अपने माता - पिता की दो मूर्तियां बनवाई। मैंने पूछा कि कहां स्थापित करनी है, तो उन्होंने बताया... एक बस में वह

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फोटो देखकर कहा चुनाव जीत जाएंगे

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हिमाचल में शिमला के एक गांव के प्रसिद्ध ठाकुर जिन्हें ज्योतिष तथा राजनीति में काफी रूचि है। वह मुझसे परिचित होने विधानसभा चुनाव से पूर्व ग्राम पंचायत के एक राजसी परिवार के युवा प्रत्याशी ‘अनिरूद्ध सिं

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शब्द हटा दें तो ही मिलेगी मूर्ति

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कुछ वर्ष पूर्व की बात है कि एक ईसाई चित्रकार सेमुअल मसीह शिमला के चित्रकार मुझे मिले और कहा कि शिमला रिज स्थित उतरी भारत की अंग्रेजी शासन काल की बनी चर्च में पहली बार एक कला प्रदर्शनी ईसाई सोसायटी की

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टेलीपैथी से कला शिक्षा

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हिमानचल के कला, भाषा संस्कृति तथा स्वास्थ्य मंत्री रहे कुल्लू के प्रसिद्ध सर्वप्रिय शायर ‘श्री लाल चन्द प्रार्थी‘ हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री डा. वाई एस परमार की कैबिनेट में थे। मैं यहां के राजकीय महाव

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वह मुस्कराता बच्चा कौन था

24 मार्च 2022
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शिमला में लगभग 25 वर्ष पूर्व सेंट एडवर्ड स्कूल का बच्चा जब मेरे घर के सामने से अपने स्कूल से लौटता हुआ गुजरता था तो मुझे सड़क के किनारे पर खड़े घर के पास देखकर मुस्कराता हुआ निकलता था। मुझे लगता कि यह श

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शिमला में उसी घर में हुआ पुनर्जन्म

24 मार्च 2022
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लगभग दस वर्ष पूर्व मैं सर्दियों में गिरी हुई बर्फ की संध्या समय शिमला मालरोड़ से अपने निवास की ओर आ रहा था। रास्ते में सामने से दो विद्यार्थी चले आ रहे थे। सफेद बर्फ के कारण काफी रोशनी फैली हुई थी। दो

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सोचने मात्र से मिला दक्षिणावर्ती शंख

24 मार्च 2022
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लगभग चालीस वर्ष पूर्व मैं उतर प्रदेश अपने पैतृक आवास में शिमला से गया हुआ था। मेरे डाक्टर चाचा जी की पूजा की अलमारी में एक अदभुत दक्षिणावर्ती शंख रखा था। वह इतना आकर्षक था कि मैंने अपने चाचा जी से पूछ

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शिमला के एक स्टेट ऑफिसर को बताया

24 मार्च 2022
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शिमला नगर निगम से सेवानिवृत मेरे परिचित एक स्टेट ऑफिसर रेस्तरां में मेरी ओर पीठ किये कुछ दूर बैठे कई लोगों से कुछ बात कर रहे थे। मैं कुछ दूर बैठा सोच रहा था कि यह सामने बैठे लोग कुछ विशेष बात कर रहे ह

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शिमला में डयूटी विद लव मूर्ति

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सन् 1972 में इंडो-पाक समझौता शिमला में हुआ। जिसके लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और भारत की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी शिमला आई थी। उस समय मुझे हिमाचल के आईजी पुलिस ठाकुर गंगबीर सिंह के द्वारा ए

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गंगा के उपासक विचित्र स्वामी मोरगानन्द जी

24 मार्च 2022
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 एक नागा साधू ‘स्वामी मोरगानन्द जी‘, भारत भ्रमण कर जहां गंगा पूजा होती थी कुछ दिन ठहर कर गंगा की पूजा अर्चना कर गंगा किनारे ही रहते थे जहां शिव स्थान हो।  मेरी रूचि के अनुरूप जहां मैं जाता हूं ऐसे रह

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योगी मन द्वारा ही होते है त्रिकालदर्शी

24 मार्च 2022
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मैं जब लखनऊ विश्वविद्यालय में पढ़ता था तो कुछ सालों के लिये अपने एक सम्बधी के परिचित परिवार में रहा। उनके मकान मालिक के स्वर्गवास के पश्चात वह घर छोड़कर सब अन्य स्थान पर कुछ दिनों के लिये चले गये।  मैं

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नैम शरणी तीर्थ स्थल पर मिला मनचाहा फूल

24 मार्च 2022
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मैं सपरिवार धर्म कथाओं में वर्णित नैम शरणी तीर्थ स्थान पर दूसरी या तीसरी बार गया। वहां किसी ने बताया कि यहां की प्रसिद्ध श्री ब्यास गद्दी वाला मन्दिर दर्शनीय तथा अति प्राचीन है। मैं परिवार के सदस्यों

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ज्वाला जी मन्दिर

24 मार्च 2022
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हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा का माता ज्वाला जी मन्दिर भी अति प्राचीन काल से शिव शक्ति पौराणिक कथा के कारण पूरे संसार में प्रसिद्ध तथा मान्य है। वहां भी अदभुत दर्शन की घटना बताता हूं कि खचाखच लाखों की

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‘स्वामी योगा नंद जी’ का मंच पर सजा वह चित्र

24 मार्च 2022
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कुछ साल पहले देश तथा विदेश के सुप्रसिद्ध अध्यात्मवादी योगी, ‘स्वामी योगा नन्द जी’ की संस्था का शिमला के प्रसिद्ध ‘गेयटी थियेटर’ मालरोड़ पर कोई कार्यक्रम था। उनका प्रोग्राम बाहर लिखा देखकर मैं अपनी जिज्

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क्यों पाश्चात्य चित्र कला से भिन्न है भारतीय कला

24 मार्च 2022
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सन 1980 के दशक में नौ लोगों का एक खोजी समूह इंग्लैंड तथा हाॅलैंड से भारत आया। इस समूह में डाॅक्टर इंजीनियरों के साथ एक चित्रकार था। वह सारे सदस्य वापस विदेश लौट गये। किन्तु हाॅलैंड के चित्रकार को हिमा

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मदर बराॅडा के लिए स्काॅटलैंड से आ रहे हैं जूते

24 मार्च 2022
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अंग्रेज़ी शासनकाल का शिमला में उत्तरी भारत का एक प्रसिद्ध लाॅरेटो कान्वेंट ताराहाल स्कूल विशेषकर लड़कियों के लिये प्रसिद्ध है। जहां कई फिल्मी, राजनैतिक तथा शिक्षा के क्षेत्र की प्रसिद्ध छात्राएं है। यह

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बनारस की अदभुत व असंभव घटना

24 मार्च 2022
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मैं 1970 के दशक में विचित्र मन्दिरों तथा घाटों के स्वप्न देखता था। वैसे मंदिर को प्रत्यक्ष मैंने कभी नहीं देखा था। एक दिन बनारस विश्वविद्यालय के मूर्तिकला विभाग में मेरे पास टेलीग्राम आया कि मुझे बना

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जम्मू में फकीर द्वारा दिया गया हीरे के समान पत्थर का टुकड़ा

24 मार्च 2022
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शिमला के श्री सोहन लाल गुप्ता मेरे पारिवारिक मित्र अपने आॅडिट विभाग से किसी ट्रेनिंग के लिये जम्मू भेजे गये। वह अपनी धार्मिक आस्था के कारण जम्मू के प्रसिद्ध राजसी रघुनाथ मंदिर में दर्शन कर प्रसाद चढ़ान

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नौ नगों के शोरूम में वह नीलम

24 मार्च 2022
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ऐसी एक अति विचित्र असंभव परा-मनोवैज्ञानिक पूर्वाभास तथा भविष्यवाणी तथा भूत व भविष्य दर्शन को मैं यहां लिख रहा हूं। कई साल पहले सम्भतयः 1990 के समीप मैं सपरिवार आगरा ताजमहल देखने गया था। मेरे पास के कै

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समाप्त हुआ नगों का व्यापार

24 मार्च 2022
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हिमाचल में बिलासपुर और शिमला के बीच दाड़लाघाट एक स्थान है। वहां एक ज्योतिषी ब्राम्हण परिवार के स्व. पंडित चंद्रमणी जी का परिचय एक मित्र जो शिमला पंजाब बैंक के एकाउंटेट पद पर थे, उनके हाथ की उंगली में

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क्षण भर में आया फोन और बदल गई तकदीर

24 मार्च 2022
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.कुछ साल पहले अंग्रेजी स्कूल लाॅरेटो कान्वेंट तारा हाल के किसी शिक्षक के कोई सम्बधी वन अधिकारी आस्ट्रेलिया जाने के सिलसिले में मुझसे मिलने की चाह में इंग्लैंड से शिमला आए। मैंने फोन पर बात कर रिज स्थि

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आकाश बेल पुस्तक का विमोचन

24 मार्च 2022
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13 मई 2017 को अभी तक का एक बड़ा राजकीय सम्मान चित्रकला मूर्तिकला एवं साहित्यक गतिविधियों के लिये हिमाचल ललित कला, अकादमी का यहां मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह जी द्वारा प्रदान किया गया। इसके पश्चात कई

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वह नोट किसका था

24 मार्च 2022
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जब लखनऊ विश्वविद्यालय की एक चिकित्सा मनोवैज्ञानिक के रूप में नौकरी त्याग कर लखनऊ के राजकीय कला महाविद्यालय में मूर्तिकला का छात्र बना तो प्रायः अपने दो अन्य परिपक्व कलाकार मित्रों से यदा कदा वहां की

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वह बिना राशि क्या करें...

24 मार्च 2022
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मेरी जम्मू वाली घटना से संबंधित श्री सोहन लाल गुप्ता जी से वस्तुओं के मैटिरियलाइज होने अर्थात मनुष्य के समान वस्तुओं के अनायास मन की एकाग्रता द्वारा प्रकट होने की घटनाओं तथा संभावनाओं पर विचार विमर्श

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