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जम्मू में फकीर द्वारा दिया गया हीरे के समान पत्थर का टुकड़ा

24 मार्च 2022

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शिमला के श्री सोहन लाल गुप्ता मेरे पारिवारिक मित्र अपने आॅडिट विभाग से किसी ट्रेनिंग के लिये जम्मू भेजे गये। वह अपनी धार्मिक आस्था के कारण जम्मू के प्रसिद्ध राजसी रघुनाथ मंदिर में दर्शन कर प्रसाद चढ़ाने गये। उस समय उनकी कोई पारिवारिक समस्या चल रही थी। मंदिर उस समय बंद था। वह किसी दूसरे मंदिर में कोई पुल पार कर गये, वहां भी वह मंदिर बंद निकला। इस प्रकार निराश अपने निवास पर जाने लगे तो एक फ़क़ीर रास्ते में दिखाई पड़ा। उसके पास जाकर उन्होंने वह प्रसाद वाली मिठाई उस फ़क़ीर को देनी चाही तो उसने उसे लेने से मना कर दिया। 

उस समय अंधेरा हो रहा था। गुप्ता जी को लगा कि उनका प्रसाद किसी कारणवश कहीं स्वीकार नहीं हो रहा है। इस बीच वह कुर्ता पायजामा पहने मुस्लिम लगने वाला फ़क़ीर बोला कि मुझे पास की दुकान से पुरियां खिला दो। गुप्ता जी ने कहा यहां जंगल में कोई दुकान कहां है। उस फकीर ने एक ओर इशारा कर बताया और दोनों कुछ दूरी पर एक दुकान पर पूरियों के लिये पहुंचे। 

वह दुकान खाली थी केवल वह दोनों एक सादी लकड़ी की बेंच पर आमने-सामने बैठ गये और दुकानदार से पूरीयां लेकर फकीर को खिलाने के पश्चात जब चलने को उठे तो उस फकीर ने कहा कि मुझे कुछ पैसे भी दो। गुप्ता जी के पास दो पर्स थे। एक में कई सौ के बड़े नोट और दूसरी पर्स में कुछ छोटे नोट और रेजगारी यानि सिक्के थे   

गुप्ता जी ने उस फ़क़ीर से दोनों पर्स एक के ऊपर दूसरी रखते हुये कहा कि एक पर्स में ज्यादा और दूसरी में कम पैसे है। आप मेरी बंद हथेली में रखी एक पर्स खींचो जो आपके हाथ में आयेगी वह आप ले लेना। 

उस फ़क़ीर ने उनके कहने पर पर्स खींचा उसमें केवल कुछ सिक्के थे। फ़क़ीर ने सिक्के निकालकर खाली पर्स गुप्ता जी को लौटा दी और बोला- बैठो अभी मत जाना। गुप्ता जी ने सोचा यह फकीर दिखाई देने वाले अंजान व्यक्ति ने अधिक राशि वाली पर्स देख ली। जम्मू की यह सुनसान जगह है। यहां से शीघ्र चला जाये। वैसे ही वह फकीर बोला कि मैं किसी का दिया मुफ्त में नहीं खाता। बैठो मैं तुम्हें कुछ दूंगा जिसको पास रखने से तुुम्हारी समस्या दूर हो जायेगी। 

गुप्ता जी फिर उस बेंच पर उस फकीर के सामने बैठ गये। उस फ़क़ीर ने अपने लंबे कुर्ते की जेब से तीन हीरे जैसे पत्थर के टुकड़े निकाल कर गुप्ता जी को दे दिये। और फिर दोनों अपनी-अपनी दिशा की ओर चले गये। 

मैं शिमला के एक रेस्तरां से इस घटित कहानी से पूर्व निकल रहा था कि उस रेस्तरां में कुछ दूर बैठे गुप्ता जी ने मुझे देखकर बुलाया और बोले कि मैं कई महीनों से आपसे नहीं मिला किन्तु आज वह एक विशेष चमत्कारी घटना सुनाना चाहता है। मैं बैठ गया तब उन्होंने उपरोक्त जम्मू की घटित घटना सुनाई। जब वह यह फ़क़ीर वाली घटना सुना रहे थे तो मेरे मानस पटल पूरा दृश्य हूबहू अंकित होने लगा।  

मैंने उनसे कनफर्म किया कि वह फ़कीर किस सूरत का कैसे कपड़े वाला किस दिशा में बैंच पर बैठा और पूरी वाला दुकानदार किधर था इत्यादि। गुप्ता जी ने अपनी सहमति जताई, फिर मैंने पूछा कि उनकी कौन सी समस्या थी और क्या हल हो गई? तो उन्होंने बताया कि कई समस्याओ के अतिरिक्त उनकी एक बहन का विवाह नहीं हो रहा था। आयु बढ़ती जा रही थी, सारे प्रयत्न विफल हो चुके थे। उन पत्थरों को रखने के बाद तुरंत जम्मू से लौट कर जब शिमला आया तो सारी समस्याएं स्वतः ही हल हो गई। 

जब वह यह विचित्र कहानी सुनाकर उठने लगे तब मुझे बड़ी तीव्रता से पूर्वाभासित होने लगा कि मेरी भी एक समस्या है और यह दिया हुआ पत्थर मुझे मिलना चाहिये किन्तु मैं उसे गुप्ता जी से नहीं मांगूगा और लेना उचित नहीं है। किन्तु यह पत्थर मेरे पास आयेगा क्योंकि मेरे मन में तीव्र इच्छा थी। 

इस दुविधा की मानसिक स्थिति में उनके साथ मालरोड़ तक उनके साथ चला, जहां से उनका रास्ता अपने घर को जाता था। मैंने उस स्थिति को टालने के लिये उन्हें बड़ी कठिनाई से यह कहकर विदा किया कि मैं सामने वाली शाॅप से कुछ खरीदूंगा और फिर कभी मिलूंगा। वह चले गये। 

कुछ सामान खरीद कर जब मैं अपने निवास पर पहुंचा तो आश्चर्यचकित रह गया कि गुप्ता जी अपने निवास पर जाकर एक फ़क़ीर का दिया पत्थर लेकर मेरे पहुंचने से पहले ही सोफ़े पर बैठे मेरा घर पहुंचने का इंतजार कर रहे थे। 

उन्हें अपने घर बैठे देख कर मैंने कहा कि आप कैसे आ गये। अभी कुछ देर पूर्व तो हम दोनों मिले थे। वह बोले बताउंगा, बैठो तो सही। जब कुछ क्षण पश्चात मैंने फिर पूछा तो उन्होंने उत्तर देने की बजाय वह चमत्कारी हीरे के समान चमकता एक बड़ा सा टुकड़ा मुझे देते हुये कहा कि वह मुझे यह फ़क़ीर वाले पत्थर मुझे देने के लिये आये हैं। मन में चाहते हुये भी मैंने उसे लेने से मना कर दिया। किन्तु गुप्ता जी के इस आग्रह पर वह स्वयं इसे देना चाहते है, मैंने कहा यह उनके लिये विशेष है और उस फ़क़ीर ने उन्हें दिया है। तो उनका मुझे देने के लिये तर्क था कि फ़क़ीर ने कहा था कि वह एक टुकड़ा किसी और को भी दे सकते हैं। मेरी तीव्र इच्छा सोच या गुप्ता का उदार हृदय या उसी फ़कीर को वरदान कुछ भी कहा जाये वह मेेरे पास आ गया। जिसे मैं कुछ घंटे पूर्व गुप्ता जी द्वारा सुनाई घटना के समय सोच रहा था। 

मैंने यह कहते हुये वह पत्थर लिया कि गुप्ता जी को जब मैं वापिस करूं तो लेना होगा। किन्तु मेरी समस्या का समाधान के पश्चात् लौटाने के आग्रह के बाद भी उन्होंने वापस नहीं लिया। ऐसे उदार हृदय के परोपकारी व्यक्ति समाज में बिरले ही मिलते हैं। उनका पूरा परिवार इसी तरह का है। आज यह विचित्र घटना लिखते हुये मुझे दुख हो रहा है कि वह कहीं जन्म ले चुके होंगे या मोक्ष मिल गया होगा। उनको मैं नमन करता हूं। 

उनके साथ अनेकों रहस्मयी घटनाओं का मुझसे सम्बध है। 

 

 

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रचनाएँ
त्रिकालदर्शी परामनोवैज्ञानिक सत्य अंतरराष्ट्रीय घटनाएं
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भारत में वैदिक चिंतन या दर्शन के अनुसार इस गहन व जटिल रहस्य को समझने के लिए परा तथा अपरा विद्या का नाम कहा गया। परा ब्रम्ह को जानने व साक्षात्कार करने की विद्या कहा गया और अपरा विद्या को जीवन के अन्य अनेक पक्षों को जीने की विद्या माना गया। भारत में आत्मा, मन, शरीर के सूक्ष्म रूपों व क्रियाकलापों पर गहन चिंतन हुआ है। यहां अध्यात्म को भौतिक ज्ञान से श्रेष्ठ माना गया क्योंकि भौतिक को नाशवान कहा गया है।
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आभार

21 मार्च 2022
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मेरे अनेक मित्रों ने मुझ से आग्रह किया कि मैं अपने परामनोवैज्ञानिक अनुभवों को एक पुस्तक के रूप में लिखूं । ऐसे अनुभव अर्थात् घटनायें साधारण व्यकितयों के साथ नहीं घटती हैं। पौराणिक कथाओं, सिद्ध साधु म

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प्रस्तावना

21 मार्च 2022
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भारत में वैदिक चिंतन या दर्शन के अनुसार इस गहन व जटिल रहस्य को समझने के लिए परा तथा अपरा विद्या का नाम कहा गया। परा ब्रम्ह को जानने व साक्षात्कार करने की विद्या कहा गया और अपरा विद्या को जीवन के अन्य

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सिटी मैजिस्ट्रेट के घर चपटी नाक वाली वो औरत आखिर कौन थी

21 मार्च 2022
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मेरे लखनऊ विश्वविद्यालय के एक चिकित्सा मनोविज्ञाान के सहपाठी श्री आर के मिश्रा मेरे घर आये। कुछ देर परा-मनोविज्ञान सम्बन्धी बातें करने के बाद मैंने उनसे कहा कि उस रात वह अमुक स्वप्न देखेंगे। मैं यह पह

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अब सच हुई 50 साल पहले की भविष्यवाणी

21 मार्च 2022
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सन् 1963 में मैं अपने पुनर जागरण के कला गुरु लखनऊ राजकीय कला महाविद्यालय के मूर्तिकार प्रो. श्रीधर महापात्र जी तथा अपने गुरु भाई मूर्तिकार प्रो. दिनेश प्रताप सिंह के साथ हिमाचल में राजकीय कला व शिल्प

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कलयुग में भी संभव है श्राप

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जब हम दो कला प्राध्यापक शिमला में किराये का घर तलाश कर रहे थे तो कई महीनों तक कहीं घर नहीं मिला। दूसरी ओर कला महाविद्यालय के छात्रावास में दो तीन कमरे की कुछ दिन के लिये अनुमति मिल गई। शिमला मालरोड़ प

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पेड़ भी संकेत देते हैं

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मैं और कई प्राध्यापक शिमला में रहने के लिये हिमाचल की राजधानी में किराये का घर ढूंढ़ने लगे। मैं और श्री जवाहर लाल शर्मा पूरा नगर ढूंढकर तंग आ गये। मैं जहां अब रहता हूं वह अंग्रेज शासनकाल का प्रसिद्ध ता

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शिमला के इस पार्क में कैसे लगी हिमबाला

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शिमला के इस पार्क में कैसे लगी हिमबाला शिमला हिमाचल प्रदेश की राजधानी में 1963 में होली वाले दिन मैं हिमाचल राजकीय कला महाविद्यालय में प्राध्यापक के इंटरव्यू के लिये आया तो एक लखनऊ कला महाविद्यालय के

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कई वर्ष पहले मैं एक कवि सम्मेलन में भाग लेने अपने घर से पैदल माल रोड़ शिमला की ओर कुछ सोचता हुआ चला जा रहा था कि मुझे सहसा आभासित हुआ कि मेरे पीछे एक विदेशी मैनचेस्टर का युवक पर्यटक आ रहा है जो बीमारी

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देश की सीमा लांघता सूक्ष्म मन

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ऐसी ही एक साहित्यिक गोष्ठी के लिये मैं अपने निवास से चढ़ाई पर धीरे धीरे चल रहा था। आगे एक युवा पर्यटक चितिंत सा जा रहा था। मैंने उसके समीप जाकर पूछ लिया... क्या आप ‘लार्ड ग्रे होटल’ ढूंढ़ रहे हैं। जबकि

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एक युवा लेखक के रूप में मैं उस संस्थान के लिये भारत के प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय लेखन मास कम्युनिकेशन एंड सिंपल राइटिंग के लिये अमेरीकन छात्रवृति पर कार्यरत हो गया। तब तक मैं चिकित्सा मनोविज्ञान कलाओं और

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इसी संस्थान में बगदाद अफगानिस्तान की निर्देशक फंडामेंटल एजूकेशन तथा फिलीपाइन की महिला भी अन्य शिक्षार्थियों के साथ थी। मैं कई सहकर्मियों और अफगानिस्तान की शिक्षाविद्ध निर्देशक को वहां का हाल परा-मनोवि

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मैं लखनऊ राजकीय कला शिल्प महाविद्यालय में मनोचिकित्सक की नौकरी लखनऊ विश्वविद्यालय से छोड़कर उन परम आदरणीय गुरु श्री श्रीधर महापात्र, उड़ीसा के सूर्य मंदिर के रचनाकार परिवार से संबधित थे, परस्पर कला सीखन

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मैं रेडियो शिमला के लिये ड्रामे वास्तुकला व मूर्ति शिल्प पर लिखता रहा। वहां के निदेशक श्री स्वामी ने मेरे द्वारा लिखित वार्ता परा-मनोविज्ञान पर प्रसारण के लिये पहली बार परामनोविज्ञान पर मेरी वार्ता रख

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भारत के पूर्व राष्ट्रपति वेंकटरमन से अनायास मिलन

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कई वर्ष पूर्व संभवतः 1992 में भारत के पूर्व राष्ट्रपति माननीय स्व. वेंकटरमन को मैंने दूरदर्शन पर इटली की किसी कला दीर्घा में कला कृतियों को बड़े ध्यान से देखते हुये देखा। मुझे उनके चलचित्र देखकर लगा कि

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शिमला सचिवालय के प्रांगण में मूर्ति म्यूराल का उद्घाटन

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उद्घाटन से एक दिन पूर्व शिमला सचिवालय के प्रांगण में काफी सुरक्षा थी। बिना प्रमाण पत्र के उस स्थल पर, जहां दीवार पर लगे मूर्ति म्यूराल का उद्घाटन होना था, प्रवेश वर्जित था। कुछ सरकारी वास्तुकार इंजीनि

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ईरान के फ्ररहाद की अदभुत कहानी

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ईरान का एक परिवार वहां के शासक खुमैनी के कठोर व्यवहार से तंग होकर अपना देश छोड़ किसी देश में पलायन कर जाना चाहते थे। ईरान में 18 से 20 /25 वर्ष के युवकों को सेना में भर्ती होने का आदेश दिया गया। जो आदे

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सोलन की गुफा में रहने वालेे चंबाघाट व जटोली वाले बाबा

23 मार्च 2022
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सोलन में चंबाघाट की गुफा में एक ऐसे सन्यासी से मेरी मिलने की तीव्र इच्छा हुई। उनसे मिलना कठिन था। वह हड्डियों वाला एक साधारण गांव वाला जैसा व्यक्ति था। हम दोनों कृतज्ञता के भाव से फिर कुछ क्षण अन्दर ध

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जहां हमें मिली धूने की अग्नि में बनी चमत्कारी चाय

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कई वर्ष पहले चम्बाघाट सोलन की गुफा में एक महान साधक महात्मा रहते थे गुफा के बारे में यह माना जाता था कि जो गुफा महाभारत काल में पांडवों के निष्कासन पर हरियाणा, पिंजौर से हिमाचल तक बनाई गई थी, वही है। 

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बनारस में संस्कृत विभागाध्यक्ष ‘कृष्णा नन्द जी‘

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लगभग तीस वर्ष पूर्व शिमला के प्रसिद्ध गेयटी थियेटर के सामने (एक ड्राई क्लिनिंग) अब कपड़ों के शोरूम में एक प्रसिद्ध वृंदावन आश्रम के महात्मा खड़े थे। मुझे मेरे मित्र श्री सोहन लाल गुप्ता जी माल रोड़ पर दू

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सिद्ध श्री देवड़ा बाबा

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परम पूज्य लगभग 400 वर्ष के देवरिया 30 प्रदेश के देवड़ा बाबा के बारे में सुना कि वह लगभग 400 वर्ष या अधिक आयु वाले मचान पर रहने वाले अल्पाहारी संत हैं । भारत के पहले राष्ट्रपति विदेशी और अनेकों भारत की

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हरिद्वार से नागा साधु और नरवदेश्वर शिवलिंग

23 मार्च 2022
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लगभग पांच छह वर्ष पहले एक अधेड़ आयु के एक नागा साधु मेरे द्वार पर आये। मैं उस समय अकेला टीवी पर अर्ध कुंभ हरिद्वार मेले का दृश्य देख रहा था। साधु की आवाज़ सुनकर कुछ दक्षिणा देकर लौटने लगा तो वह साधू बोल

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शिवदर्शन यतीश

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एक दिन मेरे निवास पर पड़ोस में रहने वाले शिमला के धर्म परायण प्रसिद्ध सेठ मेला राम सूद के पौत्र श्री यतीश सूद जी आये। वह बोले कि मैं एक चित्र या मूर्ति बनवाने के लिए आया हूं। आप मना मत करें क्योंकि उन्

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‘लिविंग लिजेंड आफ इंडिया‘ की तलाश

23 मार्च 2022
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अमेरिका के एक फिल्म निर्देशक व प्राॅडयूसर जो एशिया में विशेष व्यक्तियों धर्म तथा अन्य विषयों पर शोधकर्ता एक ऐसे व्यक्ति पर फिल्म बनाना चाहते हैं जो एक से अधिक दो विषयों में दक्ष यानि महारत रखते हैं। म

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विचित्र घटना - मंदिर स्थापना और रहस्यमयी कछुआ

23 मार्च 2022
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शाहजहांपूर नगर के अशोक अग्रवाल  उत्तर प्रदेश के शाहजहांपूर नगर के अशोक अग्रवाल का उनके परिवार से कोई झगड़ा एक मोटर बाईक के प्रसिद्ध शोरूम पर चल रहा था। आमने-सामने दोनों भाई पिस्टल लिये गोली चलाने के

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श्री श्याम बाबा का एक मन्दिर

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कुछ वर्षो पश्चात श्री अशोक अग्रवाल जी ने मुझे उत्तर प्रदेश में श्री श्याम बाबा का एक मन्दिर बनवाने के लिये जो स्थान नहीं मिल रहा था, उसके निर्णय के लिये बुलाया। मैं उस स्थल पर पहुंचा। उस स्थान का मालि

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शास्त्री जी आप चुनाव हार जायेंगे

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 हिमाचल के एक शिक्षा मंत्री तथा विधान सभा अध्यक्ष रहे श्री राधारमण शास्त्री जी के ससुर ने अपने माता - पिता की दो मूर्तियां बनवाई। मैंने पूछा कि कहां स्थापित करनी है, तो उन्होंने बताया... एक बस में वह

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फोटो देखकर कहा चुनाव जीत जाएंगे

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हिमाचल में शिमला के एक गांव के प्रसिद्ध ठाकुर जिन्हें ज्योतिष तथा राजनीति में काफी रूचि है। वह मुझसे परिचित होने विधानसभा चुनाव से पूर्व ग्राम पंचायत के एक राजसी परिवार के युवा प्रत्याशी ‘अनिरूद्ध सिं

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शब्द हटा दें तो ही मिलेगी मूर्ति

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कुछ वर्ष पूर्व की बात है कि एक ईसाई चित्रकार सेमुअल मसीह शिमला के चित्रकार मुझे मिले और कहा कि शिमला रिज स्थित उतरी भारत की अंग्रेजी शासन काल की बनी चर्च में पहली बार एक कला प्रदर्शनी ईसाई सोसायटी की

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टेलीपैथी से कला शिक्षा

23 मार्च 2022
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हिमानचल के कला, भाषा संस्कृति तथा स्वास्थ्य मंत्री रहे कुल्लू के प्रसिद्ध सर्वप्रिय शायर ‘श्री लाल चन्द प्रार्थी‘ हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री डा. वाई एस परमार की कैबिनेट में थे। मैं यहां के राजकीय महाव

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वह मुस्कराता बच्चा कौन था

24 मार्च 2022
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शिमला में लगभग 25 वर्ष पूर्व सेंट एडवर्ड स्कूल का बच्चा जब मेरे घर के सामने से अपने स्कूल से लौटता हुआ गुजरता था तो मुझे सड़क के किनारे पर खड़े घर के पास देखकर मुस्कराता हुआ निकलता था। मुझे लगता कि यह श

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शिमला में उसी घर में हुआ पुनर्जन्म

24 मार्च 2022
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लगभग दस वर्ष पूर्व मैं सर्दियों में गिरी हुई बर्फ की संध्या समय शिमला मालरोड़ से अपने निवास की ओर आ रहा था। रास्ते में सामने से दो विद्यार्थी चले आ रहे थे। सफेद बर्फ के कारण काफी रोशनी फैली हुई थी। दो

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सोचने मात्र से मिला दक्षिणावर्ती शंख

24 मार्च 2022
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लगभग चालीस वर्ष पूर्व मैं उतर प्रदेश अपने पैतृक आवास में शिमला से गया हुआ था। मेरे डाक्टर चाचा जी की पूजा की अलमारी में एक अदभुत दक्षिणावर्ती शंख रखा था। वह इतना आकर्षक था कि मैंने अपने चाचा जी से पूछ

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शिमला के एक स्टेट ऑफिसर को बताया

24 मार्च 2022
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शिमला नगर निगम से सेवानिवृत मेरे परिचित एक स्टेट ऑफिसर रेस्तरां में मेरी ओर पीठ किये कुछ दूर बैठे कई लोगों से कुछ बात कर रहे थे। मैं कुछ दूर बैठा सोच रहा था कि यह सामने बैठे लोग कुछ विशेष बात कर रहे ह

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शिमला में डयूटी विद लव मूर्ति

24 मार्च 2022
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सन् 1972 में इंडो-पाक समझौता शिमला में हुआ। जिसके लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और भारत की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी शिमला आई थी। उस समय मुझे हिमाचल के आईजी पुलिस ठाकुर गंगबीर सिंह के द्वारा ए

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गंगा के उपासक विचित्र स्वामी मोरगानन्द जी

24 मार्च 2022
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 एक नागा साधू ‘स्वामी मोरगानन्द जी‘, भारत भ्रमण कर जहां गंगा पूजा होती थी कुछ दिन ठहर कर गंगा की पूजा अर्चना कर गंगा किनारे ही रहते थे जहां शिव स्थान हो।  मेरी रूचि के अनुरूप जहां मैं जाता हूं ऐसे रह

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योगी मन द्वारा ही होते है त्रिकालदर्शी

24 मार्च 2022
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मैं जब लखनऊ विश्वविद्यालय में पढ़ता था तो कुछ सालों के लिये अपने एक सम्बधी के परिचित परिवार में रहा। उनके मकान मालिक के स्वर्गवास के पश्चात वह घर छोड़कर सब अन्य स्थान पर कुछ दिनों के लिये चले गये।  मैं

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नैम शरणी तीर्थ स्थल पर मिला मनचाहा फूल

24 मार्च 2022
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मैं सपरिवार धर्म कथाओं में वर्णित नैम शरणी तीर्थ स्थान पर दूसरी या तीसरी बार गया। वहां किसी ने बताया कि यहां की प्रसिद्ध श्री ब्यास गद्दी वाला मन्दिर दर्शनीय तथा अति प्राचीन है। मैं परिवार के सदस्यों

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ज्वाला जी मन्दिर

24 मार्च 2022
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हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा का माता ज्वाला जी मन्दिर भी अति प्राचीन काल से शिव शक्ति पौराणिक कथा के कारण पूरे संसार में प्रसिद्ध तथा मान्य है। वहां भी अदभुत दर्शन की घटना बताता हूं कि खचाखच लाखों की

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‘स्वामी योगा नंद जी’ का मंच पर सजा वह चित्र

24 मार्च 2022
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कुछ साल पहले देश तथा विदेश के सुप्रसिद्ध अध्यात्मवादी योगी, ‘स्वामी योगा नन्द जी’ की संस्था का शिमला के प्रसिद्ध ‘गेयटी थियेटर’ मालरोड़ पर कोई कार्यक्रम था। उनका प्रोग्राम बाहर लिखा देखकर मैं अपनी जिज्

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क्यों पाश्चात्य चित्र कला से भिन्न है भारतीय कला

24 मार्च 2022
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सन 1980 के दशक में नौ लोगों का एक खोजी समूह इंग्लैंड तथा हाॅलैंड से भारत आया। इस समूह में डाॅक्टर इंजीनियरों के साथ एक चित्रकार था। वह सारे सदस्य वापस विदेश लौट गये। किन्तु हाॅलैंड के चित्रकार को हिमा

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मदर बराॅडा के लिए स्काॅटलैंड से आ रहे हैं जूते

24 मार्च 2022
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अंग्रेज़ी शासनकाल का शिमला में उत्तरी भारत का एक प्रसिद्ध लाॅरेटो कान्वेंट ताराहाल स्कूल विशेषकर लड़कियों के लिये प्रसिद्ध है। जहां कई फिल्मी, राजनैतिक तथा शिक्षा के क्षेत्र की प्रसिद्ध छात्राएं है। यह

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बनारस की अदभुत व असंभव घटना

24 मार्च 2022
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मैं 1970 के दशक में विचित्र मन्दिरों तथा घाटों के स्वप्न देखता था। वैसे मंदिर को प्रत्यक्ष मैंने कभी नहीं देखा था। एक दिन बनारस विश्वविद्यालय के मूर्तिकला विभाग में मेरे पास टेलीग्राम आया कि मुझे बना

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जम्मू में फकीर द्वारा दिया गया हीरे के समान पत्थर का टुकड़ा

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शिमला के श्री सोहन लाल गुप्ता मेरे पारिवारिक मित्र अपने आॅडिट विभाग से किसी ट्रेनिंग के लिये जम्मू भेजे गये। वह अपनी धार्मिक आस्था के कारण जम्मू के प्रसिद्ध राजसी रघुनाथ मंदिर में दर्शन कर प्रसाद चढ़ान

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नौ नगों के शोरूम में वह नीलम

24 मार्च 2022
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ऐसी एक अति विचित्र असंभव परा-मनोवैज्ञानिक पूर्वाभास तथा भविष्यवाणी तथा भूत व भविष्य दर्शन को मैं यहां लिख रहा हूं। कई साल पहले सम्भतयः 1990 के समीप मैं सपरिवार आगरा ताजमहल देखने गया था। मेरे पास के कै

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समाप्त हुआ नगों का व्यापार

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हिमाचल में बिलासपुर और शिमला के बीच दाड़लाघाट एक स्थान है। वहां एक ज्योतिषी ब्राम्हण परिवार के स्व. पंडित चंद्रमणी जी का परिचय एक मित्र जो शिमला पंजाब बैंक के एकाउंटेट पद पर थे, उनके हाथ की उंगली में

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क्षण भर में आया फोन और बदल गई तकदीर

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.कुछ साल पहले अंग्रेजी स्कूल लाॅरेटो कान्वेंट तारा हाल के किसी शिक्षक के कोई सम्बधी वन अधिकारी आस्ट्रेलिया जाने के सिलसिले में मुझसे मिलने की चाह में इंग्लैंड से शिमला आए। मैंने फोन पर बात कर रिज स्थि

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आकाश बेल पुस्तक का विमोचन

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13 मई 2017 को अभी तक का एक बड़ा राजकीय सम्मान चित्रकला मूर्तिकला एवं साहित्यक गतिविधियों के लिये हिमाचल ललित कला, अकादमी का यहां मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह जी द्वारा प्रदान किया गया। इसके पश्चात कई

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वह नोट किसका था

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जब लखनऊ विश्वविद्यालय की एक चिकित्सा मनोवैज्ञानिक के रूप में नौकरी त्याग कर लखनऊ के राजकीय कला महाविद्यालय में मूर्तिकला का छात्र बना तो प्रायः अपने दो अन्य परिपक्व कलाकार मित्रों से यदा कदा वहां की

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वह बिना राशि क्या करें...

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मेरी जम्मू वाली घटना से संबंधित श्री सोहन लाल गुप्ता जी से वस्तुओं के मैटिरियलाइज होने अर्थात मनुष्य के समान वस्तुओं के अनायास मन की एकाग्रता द्वारा प्रकट होने की घटनाओं तथा संभावनाओं पर विचार विमर्श

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