लगभग दस वर्ष पूर्व मैं सर्दियों में गिरी हुई बर्फ की संध्या समय शिमला मालरोड़ से अपने निवास की ओर आ रहा था। रास्ते में सामने से दो विद्यार्थी चले आ रहे थे। सफेद बर्फ के कारण काफी रोशनी फैली हुई थी। दो विद्यार्थियों में से एक के मुख मंडल पर जैसे ही मेरी नज़र गई कि मुझे आभास हुआ यह पुनर्जन्म का केस है। आगे जाकर एक क्षण रूककर मैंने उस अज्ञात युवक से पूछा कि क्या वह शिमला का रहने वाला है। उसने हां कहा और एक शोरूम का पता बताया। इसके पश्चात वह कई बार मिला और किसी कार्य वश बंगलौर जाकर लौटा। मिलने पर मैंने पूछा कि वह बंगलौर के होटल में इस डायरेक्शन में लेटा था, वह बोला हां, किन्तु मैं यह क्यों पूछा रहा हूं। इसके पश्चात वह दिल्ली जाकर कुछ दिनों बाद लौटा तो मैंने पूछा कि वह जब दिल्ली से शिमला आ रहा थातो वहां रास्ते में एक बड़े से भवन को देखकर अमुक दिशा में खड़ा होकर वह भवन ऐसे देखने लगा कि जैसे उसका सम्बंध उस भवन से है। उसने कहा हां ऐसा ही उसके साथ घटा था। उसके परिवार वालों ने उसे बताया कि वह भवन उसके नाना का है।
इस घटना के बाद प्रायः मैं उससे कहता था कि वह स्वयं पुनर्जन्म वाला व्यक्ति है। एक दिन उसने बताया कि उसकी दादी उससे कह रही थी कि उसके एक बड़े भाई ने आत्महत्या कर ली थी। उसके बाद उसका जन्म इस युवक के रूप में उसी घर में हुआ है। सारी आदतें, सुझाव, सूरत, पहले वाले से बिल्कुल मिलती है। फिर अनेकों बातें उसने बताई अब वह 2017 में शादी शुदा भाजपा का नेता है।