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शब्द हटा दें तो ही मिलेगी मूर्ति

23 मार्च 2022

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कुछ वर्ष पूर्व की बात है कि एक ईसाई चित्रकार सेमुअल मसीह शिमला के चित्रकार मुझे मिले और कहा कि शिमला रिज स्थित उतरी भारत की अंग्रेजी शासन काल की बनी चर्च में पहली बार एक कला प्रदर्शनी ईसाई सोसायटी की ओर से लगाई जा रही है। उस प्रर्दर्शनी में सभी चित्रकार भाग ले रहे थे, किन्तु मूर्ति नहीं है। अतः मेरे द्वारा बनी एक पुस्तक पढ़ते बालक की बहुचर्चित मूर्ति उन्हें प्रदर्शनी के लिये दूं या अपनी अन्य चित्रकला दे दें और भाग लेकर प्रदर्शनी की गरिमा बढ़ायें। 

इस प्रदर्शनी का उद्घाटन बंगलौर या यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति सुप्रसिद्ध कवि नेहरू उच्च संस्थान शिमला के निदेशक के पद पर आये है। वह ईसाई है। उन्हें कला प्रदर्शनी का उद्घाटन करना है। 

मैंने कहा कि मैं क्राईस्ट, बुद्ध, राम, कृष्ण इत्यादि की मूर्ति या चित्र बनाता हूं, पर ईसाई नहीं हूं। यदि क्रिश्चियन सोसिएशन शब्द हटा दें, तब अपनी मूर्ति या चित्र दे सकता हूं। कलाकार या कला को किसी परिधि या सीमा में बांधना मेरे विचार से ठीक नहीं है। 

चित्रकार श्री सेमुअल मसीह बोला कि वह अपने युवा पादरी से बात करेेंगे। अगले दिन उनसे बात करवाई गई। मैंने पराशक्ति, सृष्टि और मानव धर्म की बात की। मैं कला द्वारा एक कलाकार पशु, पक्षी, फल, वनस्पति, मानव, स्त्री, पुरुष, सब धर्मो और विश्वासों के देवी देवता तथा अन्य रूप गढ़ता और चित्रित करता हूं। चित्रित कलाकृकतियों द्वारा समाज या दर्शक को अपनी कला द्वारा मूल्य प्रेषित करता है। मेरे लिये केवल यह एक पदार्थ या माध्यम है। धर्म, ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, अच्छा-बुरा, जानवर, आदमी, देवता यह सब अल्प बुद्धि वाले के लिये है। क्या आपके धर्म में सर्वव्यापी प्राण शक्तियां या मन को सीमित बयां किया गया है। 

कई तर्को के पश्चात उन्होंने सारे काग़जनुमा छपे पोस्टर मंगवाये और फाड़कर फेंक दिये और मुझे उस मूर्ति व चित्रों के साथ प्रर्दशनी में भाग लेने का आग्रह किया। मैंने भाग लिया। जब डाॅ. गोकुक ने उद्घाटन किया तो उन्होंने मेरे द्वारा बनाये चित्रों और अकेली मांगी गई उस मूर्ति को देखा तो एक दर्शक की प्रतिक्रिया वाले रजिस्टर में लिखकर मेरी तुलना रूस के विश्व प्रसिद्ध लेखक Tolstoy से की। उसकी रचना वर्ड पीस तथा अन्य मानवता वादी मनुष्यों पर आधारित हैं। 

मेरेे कई विशाल चित्रपट युद्ध और शान्ति पर आधारित थे। कुछ वर्षो बाद 1973 में पहली बार विश्व प्रसिद्ध महात्मा श्री सत्यसाईं बाबा पुटापर्ती वाले शिमला आये, जहां वह ठहरे थे वहां बड़ी भीड़ थी। मैंने वहां डाॅ. गोकुल को देखा। वह नंगे पांव सेवा भाव से भक्तों को कुछ समझा रहे थे। 

मैंने उनसे मिलकर पूछा कि आप यहां कैसे। तो मालूम हुआ कि वह र्साइं साहित्य का अनुवाद सेवाभाव से अन्य भाषाओं में करते थे। मेरा विश्वास है कि मेरी कलाकृतियों ने उनके मन पर गहरा प्रभाव डाला। वह दक्षिण भारत मैसूर के थे। 

यह असाधारण घटना मात्र नहीं थी। वरन मैंने अपनी पराशक्ति तथा मन में चिन्तन द्वारा प्रदर्शनी के नियम हटाकर कृतियों द्वारा जो चाहा व संदेश दे दिया। वह पहली प्रदर्शनी अंग्रेजी शासन से लेकर आज़ादी पश्चात शिमला के ऐतिहासिक चर्च में हुई थी। 

इस प्रदर्शनी में एक 60-65 वर्ष की सभ्रान्त धनाढय नारी (दिल्ली की शिमला में लक्कड़ बाजार स्थित सिनेमाघर की बिल्डिंग में रहने वाली) दर्शक के रूप में आई। मैं प्रदर्शनियों में लगी कृतियों के पास बहुत कम ही खड़ा होता हूं। उद्घाटन की भीड़ से भी दूर रहता हूं। 

कला प्रदर्शनी के समापन वाले अन्तिम दिन मैं अपनी धर्मपत्नी साहित उसी चर्च के प्रदर्शनी हाॅल में खड़ा था। मेरी पत्नी ने बताया कि एक स़्त्री बार-बार आकर मूर्तिकार (मुझसे) मिलना चाहती है, पर न मैं वहां होता हूं न परिचित कलाकार मेरे बारे में मेरा परिचय बताते है। 

थोड़ी देर में वह जिज्ञासु स्त्री मेरे द्वारा रचित मूर्ति ‘पत्र लेखन’ (शुद्ध भारतीय परम्परागत शैली की) के पास आकर रचनाकार को पूछने लगी। मेरी पत्नी ने बताया यही वह जिज्ञासु स्त्री है। मैंने मिलकर पूछा, क्या जानना चाहती हैं, वो बोली मैं दिल्ली की रहनेवाली हूं। दूसरा घर शिमला में होने के कारण कभी-कभी यहां आती हूं। मुझे कला में रूचि है। 

मैं इस शैली की मूर्ति बनाना सीखना चाहती हूं। मैंने कहा आप दिल्ली में किसी कला विद्यालय में सीखें तो ठीक रहेगा। फिर इस उम्र में सीखना कठिन है। उसका उतर था कि विदेश, बम्बई, दिल्ली में सब जगह जाती रहती हूं। किन्तु इस शैली को कहीं नहीं सिखाया जाता। मैं मूर्ति के मूर्तिकार से मिलना चाहती हूं क्या आप उस कलाकार को जानते हैं। मैंने कहा हां... किन्तु वह बड़ी कठिनाई से समय की पाबन्दी पर ही मिल सकते हैं। वह बोली कहां है उनका कला कक्ष या निवास स्थान। 

मैंने उस जिज्ञासू स्त्री को राजकीय कला महाविद्यालय, फागली, शिमला रेलवे स्टेशन के निकट मूर्ति कला विभाग में अपना नाम बताये बिना मिलने के लिये जाने का समय बता दिया। जहां मैं सेवारत था। 

वह दूसरे दिन कई मील दूर पैदल कला महाविद्यालय में पहुंची। मैंने मिलकर कहा कि मैं बताने आ गया कि किस विभाग में वह जायें। वहां मेरे साथी एक मुसलिम मूर्तिकार थे । उनसे मिलवाकर पूरा मूर्ति कला विभाग दिखाकर पूछा कि यहां सीख सकती हैं । वह असंतुष्ट भाव से निराश होकर बोली मुझे ऐसा नहीं सीखना है। 

फिर मैंने उसे बताया यहां वह शैली नहीं सिखाई जाती है। उसके मूर्तिकार फरवुड अप्पर कैथू में प्रो. सक्सेना के नाम से रहते हैं, ठीक 6 बजे मिलेंगे। अगले दिन घनघोर वर्षा ओले पड़ रहे थे। अंधेरा छा रहा था कि ठीक 6 बजे शाम को मैं (मेरा ही पता था) उस जिज्ञासू की बाट देख रहा था। सोच रहा था कि वह कहां इस वर्षा में आयेगी और मैं इस आयु में क्या सिखाउंगा। वैसे ही दरवाजे की घंटी बजी, मैंने उसका स्वागत किया। पत्नी ने उसको चाय वगैरा पिलाई और मैंने आश्चर्यचकित होकर कहा कि आपकी लग्न व विश्वास मूर्तिकला सीखने की दृढ़ इच्छा को नमन है। मैंने कहा कि आप हर परीक्षा में सफल हो गई। मैं ही वह कलाकार हूं। जिसकी मूर्ति शैली आपको पसन्द है। मैं अवश्य आपको सिखाउंगा। वह अत्यन्त प्रसन्न तथा संतुष्ट थी, बोली आपकी फ़ीस क्या है। तथा सिखाने का समय क्या है व स्थान कहां है। मैं कहां सीखने आउं... मैंने कहा मेरी ओर से कोई फ़ीस नहीं, समय की कोई पाबंदी नहीं। मैं स्वयं जहां वह शिमला में रहती हैं आउंगा। एक दिन पूर्व फ़ोन से समय बताता रहूंगा। किन्तु जैसा मैं बताउं वैसा करने का पूरी ईमानदारी से प्रयास करना। सफलता दिलाना मेरा काम है। कोई बंदिश मैं नहीं मानूंगा, सामग्री, समय, उपकरण इत्यादि मैं सब बता दूंगा। 

मैं उसके निवास पर मूर्ति कला के मूल गहन तत्व एवं गुर बहुत ही सरल तरीके से बच्चों की इस प्रौढ़ जिज्ञासा स्त्री को सीखाने कभी नियमित रूप से नहीं गया। वह सीखने में प्रगति करने लगी। मेरा एक महान बुजुर्ग कला गुरु की तरह आदर व निष्ठा उसके मन में घर करने लगी। एक पारिवारिक सम्बंध हो गया। मैं जैसा बताता था वह वैसी ही मूर्ति बनाने लगी। कई दिनों बाद मैंने सोचा कि उस सभ्रांत पाश्चात्य, धार्मिक, समाज सेवी, शान्त, उपकारी, जिज्ञासु महिला को भारतीय शैली की मूर्ति बनाने को कहूंगा और रामायण में वर्णित ‘केवट संवाद’ के दृश्य को रामायण की पुस्तक में चित्रण के आधार पर बनवाउंगा। मैंने उसके यहां जाकर पूछा कि आज कौन सी मूर्ति बनानी है। वह बोली कि ‘केवल संवाद’ के दृश्य को मूर्ति में बनाने की सोची है। इसके लिये बोर्ड मिट्टी, पानी इत्यादि सब तैयार कर लिया है। आप कई दिनों से न आये न फोन किया। कल जब फोन द्वारा ज्ञात हुआ तो मैं प्रतीक्षा करने लगी कि कब आप आज्ञा देंगे। 

यह विषय बड़ा कठिन है। मैं पहले ही सोच रहा था कि ‘केवट संवाद‘ बनवाउंगा विषय कठिन है। इस विषय को बनाना सांचा लेना ढालना, फिनिशिंग, फिर रंग करना इत्यादि जो कला विद्यालय के विद्यार्थी वर्षो में भी नहीं कर पाते। 

कई दिनों सिखानेके लिये ना जाने पर भी मैंने परा-मनोवैज्ञानिक चिंतन द्वारा सिखाने से पूर्व एक दिन सोचा कि ‘केवल संवाद’ का दृश्य जो अति कठिन बनाना है, बनवाउंगा। Telepathy द्वारा उस विषय को बनाने की प्रेरणा उस स्त्री जिसका नाम श्रीमती सूरी था, दी। जब मूर्ति पूर्ण हो गई तो उसे श्रीमती सूरी ने एक धार्मिक आश्रम में देने की आज्ञा मुझसे मांगी और उसे शिमला के एक आश्रम को दे दिया। 

कुछ दिनों बाद आश्रम स्थानांतरित हो गया। उनके धार्मिक गुरु ने वह ‘केवल संवाद’ की मूर्ति फिर श्रीमती सूरी को लौटा दी। मैं कई महीनों से उन्हें मूर्तिकला सिखाने नहीं जा पाया। पता चला किसी फ्रेक्चर के कारण वह बीमार हो गई। एक दिन उनकी बड़ी पुत्री का फोन आया कि उनकी माता जी (श्रीमती सूरी जी) का देहान्त हो गया और उनकी पुत्रियां दिल्ली, बम्बई व विदेश में नाती दामाद इत्यादि शिमला के निवास पर उनकी आत्मा के लिये अनुष्ठान में आये हैं। 

एक कला गुरु के नाते मुझे बुलाया गया। मैंने इस बीच एक स्वप्न देखा, जिसमें श्रीमती सूरी जी का चेहरा उनके घर पर रखे टीवी के ऊपर दिखाई दिया और मुझसे कह रही हैं कि उनके पूजा घर वाले कमरे में ‘केवट संवाद’ वाली मूर्ति के पीछे कुछ मोम बत्तियां रखी हैं। उनको जला दें। 

मैं जब शिमला में रिवोली नामक निवास पर गया तो उनकी बड़ी बेटी से कहा कि मैंने एक स्वप्न देखा है। जिसमें श्रीमती सूरी अर्थात् उनकी माता जी ने उसकी आत्मा की शान्ति पूजा में मोम बत्तियां जलाने को कहा है। 

उनकी पुत्री ने बताया कि सारा घर और पूजा घर की सफाई में कहीं मोम बत्तियां नहीं मिली। मेरे कहने पर ‘केवट संवाद’ मूर्ति के पीछे स्वप्न में बताई मोम बत्तियां मिल गई, जिन्हें प्रकाशित किया गया। 

यह सत्य घटित घटना आश्चर्यजनक है। 

जहां कभी ‘केवल संवाद’ वाली मूर्ति रखी रहती थी वहां मोम बत्तियां रखी मिल गई। हम सब आश्चर्यचकित थे। आज 2017 जुलाई को लिखते हुये मन अजीब सा इस नश्वर जगत के रहस्यमयी खेलों से अशांत होने लगता है। 

ऐसे शिष्य कैसे मिलता हैं जिन्होंने मेरे पारिवारिक सुख-दुख को एक सच्चे मानव की तरह बांटा है। जिसके लिये अनेक घटनाये आज लगभग 84 वर्ष की आयु में मानस पटल पर जीवित है। 

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रचनाएँ
त्रिकालदर्शी परामनोवैज्ञानिक सत्य अंतरराष्ट्रीय घटनाएं
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भारत में वैदिक चिंतन या दर्शन के अनुसार इस गहन व जटिल रहस्य को समझने के लिए परा तथा अपरा विद्या का नाम कहा गया। परा ब्रम्ह को जानने व साक्षात्कार करने की विद्या कहा गया और अपरा विद्या को जीवन के अन्य अनेक पक्षों को जीने की विद्या माना गया। भारत में आत्मा, मन, शरीर के सूक्ष्म रूपों व क्रियाकलापों पर गहन चिंतन हुआ है। यहां अध्यात्म को भौतिक ज्ञान से श्रेष्ठ माना गया क्योंकि भौतिक को नाशवान कहा गया है।
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आभार

21 मार्च 2022
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मेरे अनेक मित्रों ने मुझ से आग्रह किया कि मैं अपने परामनोवैज्ञानिक अनुभवों को एक पुस्तक के रूप में लिखूं । ऐसे अनुभव अर्थात् घटनायें साधारण व्यकितयों के साथ नहीं घटती हैं। पौराणिक कथाओं, सिद्ध साधु म

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प्रस्तावना

21 मार्च 2022
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भारत में वैदिक चिंतन या दर्शन के अनुसार इस गहन व जटिल रहस्य को समझने के लिए परा तथा अपरा विद्या का नाम कहा गया। परा ब्रम्ह को जानने व साक्षात्कार करने की विद्या कहा गया और अपरा विद्या को जीवन के अन्य

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सिटी मैजिस्ट्रेट के घर चपटी नाक वाली वो औरत आखिर कौन थी

21 मार्च 2022
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मेरे लखनऊ विश्वविद्यालय के एक चिकित्सा मनोविज्ञाान के सहपाठी श्री आर के मिश्रा मेरे घर आये। कुछ देर परा-मनोविज्ञान सम्बन्धी बातें करने के बाद मैंने उनसे कहा कि उस रात वह अमुक स्वप्न देखेंगे। मैं यह पह

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अब सच हुई 50 साल पहले की भविष्यवाणी

21 मार्च 2022
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सन् 1963 में मैं अपने पुनर जागरण के कला गुरु लखनऊ राजकीय कला महाविद्यालय के मूर्तिकार प्रो. श्रीधर महापात्र जी तथा अपने गुरु भाई मूर्तिकार प्रो. दिनेश प्रताप सिंह के साथ हिमाचल में राजकीय कला व शिल्प

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कलयुग में भी संभव है श्राप

21 मार्च 2022
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जब हम दो कला प्राध्यापक शिमला में किराये का घर तलाश कर रहे थे तो कई महीनों तक कहीं घर नहीं मिला। दूसरी ओर कला महाविद्यालय के छात्रावास में दो तीन कमरे की कुछ दिन के लिये अनुमति मिल गई। शिमला मालरोड़ प

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पेड़ भी संकेत देते हैं

21 मार्च 2022
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मैं और कई प्राध्यापक शिमला में रहने के लिये हिमाचल की राजधानी में किराये का घर ढूंढ़ने लगे। मैं और श्री जवाहर लाल शर्मा पूरा नगर ढूंढकर तंग आ गये। मैं जहां अब रहता हूं वह अंग्रेज शासनकाल का प्रसिद्ध ता

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शिमला के इस पार्क में कैसे लगी हिमबाला

21 मार्च 2022
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शिमला के इस पार्क में कैसे लगी हिमबाला शिमला हिमाचल प्रदेश की राजधानी में 1963 में होली वाले दिन मैं हिमाचल राजकीय कला महाविद्यालय में प्राध्यापक के इंटरव्यू के लिये आया तो एक लखनऊ कला महाविद्यालय के

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जब जर्मनी के युवक का शिमला में पशु योनि में हुआ पिता से मिलन

22 मार्च 2022
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जर्मनी का गुलनाउ नाम का एक युवक अपने बचपन में देखे हुये स्वप्न कि उसके स्वर्गवासी पिता भारत में एक पशु रूप में मिलेंगे। वह भारत आना चाहता था। उसने अपनी मां से बार-बार यह स्वप्न आने पर भारत आने की तीव्

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दहीं के बहाने मैनचेस्टर दर्शन

22 मार्च 2022
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कई वर्ष पहले मैं एक कवि सम्मेलन में भाग लेने अपने घर से पैदल माल रोड़ शिमला की ओर कुछ सोचता हुआ चला जा रहा था कि मुझे सहसा आभासित हुआ कि मेरे पीछे एक विदेशी मैनचेस्टर का युवक पर्यटक आ रहा है जो बीमारी

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देश की सीमा लांघता सूक्ष्म मन

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ऐसी ही एक साहित्यिक गोष्ठी के लिये मैं अपने निवास से चढ़ाई पर धीरे धीरे चल रहा था। आगे एक युवा पर्यटक चितिंत सा जा रहा था। मैंने उसके समीप जाकर पूछ लिया... क्या आप ‘लार्ड ग्रे होटल’ ढूंढ़ रहे हैं। जबकि

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अमेरिका

22 मार्च 2022
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एक युवा लेखक के रूप में मैं उस संस्थान के लिये भारत के प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय लेखन मास कम्युनिकेशन एंड सिंपल राइटिंग के लिये अमेरीकन छात्रवृति पर कार्यरत हो गया। तब तक मैं चिकित्सा मनोविज्ञान कलाओं और

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अफगानिस्तान

22 मार्च 2022
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इसी संस्थान में बगदाद अफगानिस्तान की निर्देशक फंडामेंटल एजूकेशन तथा फिलीपाइन की महिला भी अन्य शिक्षार्थियों के साथ थी। मैं कई सहकर्मियों और अफगानिस्तान की शिक्षाविद्ध निर्देशक को वहां का हाल परा-मनोवि

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उड़ीसा की घटना

22 मार्च 2022
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मैं लखनऊ राजकीय कला शिल्प महाविद्यालय में मनोचिकित्सक की नौकरी लखनऊ विश्वविद्यालय से छोड़कर उन परम आदरणीय गुरु श्री श्रीधर महापात्र, उड़ीसा के सूर्य मंदिर के रचनाकार परिवार से संबधित थे, परस्पर कला सीखन

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आकाशवाणी शिमला

22 मार्च 2022
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मैं रेडियो शिमला के लिये ड्रामे वास्तुकला व मूर्ति शिल्प पर लिखता रहा। वहां के निदेशक श्री स्वामी ने मेरे द्वारा लिखित वार्ता परा-मनोविज्ञान पर प्रसारण के लिये पहली बार परामनोविज्ञान पर मेरी वार्ता रख

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भारत के पूर्व राष्ट्रपति वेंकटरमन से अनायास मिलन

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कई वर्ष पूर्व संभवतः 1992 में भारत के पूर्व राष्ट्रपति माननीय स्व. वेंकटरमन को मैंने दूरदर्शन पर इटली की किसी कला दीर्घा में कला कृतियों को बड़े ध्यान से देखते हुये देखा। मुझे उनके चलचित्र देखकर लगा कि

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शिमला सचिवालय के प्रांगण में मूर्ति म्यूराल का उद्घाटन

22 मार्च 2022
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उद्घाटन से एक दिन पूर्व शिमला सचिवालय के प्रांगण में काफी सुरक्षा थी। बिना प्रमाण पत्र के उस स्थल पर, जहां दीवार पर लगे मूर्ति म्यूराल का उद्घाटन होना था, प्रवेश वर्जित था। कुछ सरकारी वास्तुकार इंजीनि

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ईरान के फ्ररहाद की अदभुत कहानी

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ईरान का एक परिवार वहां के शासक खुमैनी के कठोर व्यवहार से तंग होकर अपना देश छोड़ किसी देश में पलायन कर जाना चाहते थे। ईरान में 18 से 20 /25 वर्ष के युवकों को सेना में भर्ती होने का आदेश दिया गया। जो आदे

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सोलन की गुफा में रहने वालेे चंबाघाट व जटोली वाले बाबा

23 मार्च 2022
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सोलन में चंबाघाट की गुफा में एक ऐसे सन्यासी से मेरी मिलने की तीव्र इच्छा हुई। उनसे मिलना कठिन था। वह हड्डियों वाला एक साधारण गांव वाला जैसा व्यक्ति था। हम दोनों कृतज्ञता के भाव से फिर कुछ क्षण अन्दर ध

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जहां हमें मिली धूने की अग्नि में बनी चमत्कारी चाय

23 मार्च 2022
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कई वर्ष पहले चम्बाघाट सोलन की गुफा में एक महान साधक महात्मा रहते थे गुफा के बारे में यह माना जाता था कि जो गुफा महाभारत काल में पांडवों के निष्कासन पर हरियाणा, पिंजौर से हिमाचल तक बनाई गई थी, वही है। 

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बनारस में संस्कृत विभागाध्यक्ष ‘कृष्णा नन्द जी‘

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लगभग तीस वर्ष पूर्व शिमला के प्रसिद्ध गेयटी थियेटर के सामने (एक ड्राई क्लिनिंग) अब कपड़ों के शोरूम में एक प्रसिद्ध वृंदावन आश्रम के महात्मा खड़े थे। मुझे मेरे मित्र श्री सोहन लाल गुप्ता जी माल रोड़ पर दू

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सिद्ध श्री देवड़ा बाबा

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परम पूज्य लगभग 400 वर्ष के देवरिया 30 प्रदेश के देवड़ा बाबा के बारे में सुना कि वह लगभग 400 वर्ष या अधिक आयु वाले मचान पर रहने वाले अल्पाहारी संत हैं । भारत के पहले राष्ट्रपति विदेशी और अनेकों भारत की

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हरिद्वार से नागा साधु और नरवदेश्वर शिवलिंग

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लगभग पांच छह वर्ष पहले एक अधेड़ आयु के एक नागा साधु मेरे द्वार पर आये। मैं उस समय अकेला टीवी पर अर्ध कुंभ हरिद्वार मेले का दृश्य देख रहा था। साधु की आवाज़ सुनकर कुछ दक्षिणा देकर लौटने लगा तो वह साधू बोल

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शिवदर्शन यतीश

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एक दिन मेरे निवास पर पड़ोस में रहने वाले शिमला के धर्म परायण प्रसिद्ध सेठ मेला राम सूद के पौत्र श्री यतीश सूद जी आये। वह बोले कि मैं एक चित्र या मूर्ति बनवाने के लिए आया हूं। आप मना मत करें क्योंकि उन्

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‘लिविंग लिजेंड आफ इंडिया‘ की तलाश

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अमेरिका के एक फिल्म निर्देशक व प्राॅडयूसर जो एशिया में विशेष व्यक्तियों धर्म तथा अन्य विषयों पर शोधकर्ता एक ऐसे व्यक्ति पर फिल्म बनाना चाहते हैं जो एक से अधिक दो विषयों में दक्ष यानि महारत रखते हैं। म

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विचित्र घटना - मंदिर स्थापना और रहस्यमयी कछुआ

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शाहजहांपूर नगर के अशोक अग्रवाल  उत्तर प्रदेश के शाहजहांपूर नगर के अशोक अग्रवाल का उनके परिवार से कोई झगड़ा एक मोटर बाईक के प्रसिद्ध शोरूम पर चल रहा था। आमने-सामने दोनों भाई पिस्टल लिये गोली चलाने के

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श्री श्याम बाबा का एक मन्दिर

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कुछ वर्षो पश्चात श्री अशोक अग्रवाल जी ने मुझे उत्तर प्रदेश में श्री श्याम बाबा का एक मन्दिर बनवाने के लिये जो स्थान नहीं मिल रहा था, उसके निर्णय के लिये बुलाया। मैं उस स्थल पर पहुंचा। उस स्थान का मालि

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शास्त्री जी आप चुनाव हार जायेंगे

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 हिमाचल के एक शिक्षा मंत्री तथा विधान सभा अध्यक्ष रहे श्री राधारमण शास्त्री जी के ससुर ने अपने माता - पिता की दो मूर्तियां बनवाई। मैंने पूछा कि कहां स्थापित करनी है, तो उन्होंने बताया... एक बस में वह

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फोटो देखकर कहा चुनाव जीत जाएंगे

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हिमाचल में शिमला के एक गांव के प्रसिद्ध ठाकुर जिन्हें ज्योतिष तथा राजनीति में काफी रूचि है। वह मुझसे परिचित होने विधानसभा चुनाव से पूर्व ग्राम पंचायत के एक राजसी परिवार के युवा प्रत्याशी ‘अनिरूद्ध सिं

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शब्द हटा दें तो ही मिलेगी मूर्ति

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कुछ वर्ष पूर्व की बात है कि एक ईसाई चित्रकार सेमुअल मसीह शिमला के चित्रकार मुझे मिले और कहा कि शिमला रिज स्थित उतरी भारत की अंग्रेजी शासन काल की बनी चर्च में पहली बार एक कला प्रदर्शनी ईसाई सोसायटी की

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टेलीपैथी से कला शिक्षा

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हिमानचल के कला, भाषा संस्कृति तथा स्वास्थ्य मंत्री रहे कुल्लू के प्रसिद्ध सर्वप्रिय शायर ‘श्री लाल चन्द प्रार्थी‘ हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री डा. वाई एस परमार की कैबिनेट में थे। मैं यहां के राजकीय महाव

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वह मुस्कराता बच्चा कौन था

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शिमला में लगभग 25 वर्ष पूर्व सेंट एडवर्ड स्कूल का बच्चा जब मेरे घर के सामने से अपने स्कूल से लौटता हुआ गुजरता था तो मुझे सड़क के किनारे पर खड़े घर के पास देखकर मुस्कराता हुआ निकलता था। मुझे लगता कि यह श

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शिमला में उसी घर में हुआ पुनर्जन्म

24 मार्च 2022
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लगभग दस वर्ष पूर्व मैं सर्दियों में गिरी हुई बर्फ की संध्या समय शिमला मालरोड़ से अपने निवास की ओर आ रहा था। रास्ते में सामने से दो विद्यार्थी चले आ रहे थे। सफेद बर्फ के कारण काफी रोशनी फैली हुई थी। दो

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सोचने मात्र से मिला दक्षिणावर्ती शंख

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लगभग चालीस वर्ष पूर्व मैं उतर प्रदेश अपने पैतृक आवास में शिमला से गया हुआ था। मेरे डाक्टर चाचा जी की पूजा की अलमारी में एक अदभुत दक्षिणावर्ती शंख रखा था। वह इतना आकर्षक था कि मैंने अपने चाचा जी से पूछ

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शिमला के एक स्टेट ऑफिसर को बताया

24 मार्च 2022
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शिमला नगर निगम से सेवानिवृत मेरे परिचित एक स्टेट ऑफिसर रेस्तरां में मेरी ओर पीठ किये कुछ दूर बैठे कई लोगों से कुछ बात कर रहे थे। मैं कुछ दूर बैठा सोच रहा था कि यह सामने बैठे लोग कुछ विशेष बात कर रहे ह

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शिमला में डयूटी विद लव मूर्ति

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सन् 1972 में इंडो-पाक समझौता शिमला में हुआ। जिसके लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और भारत की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी शिमला आई थी। उस समय मुझे हिमाचल के आईजी पुलिस ठाकुर गंगबीर सिंह के द्वारा ए

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गंगा के उपासक विचित्र स्वामी मोरगानन्द जी

24 मार्च 2022
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 एक नागा साधू ‘स्वामी मोरगानन्द जी‘, भारत भ्रमण कर जहां गंगा पूजा होती थी कुछ दिन ठहर कर गंगा की पूजा अर्चना कर गंगा किनारे ही रहते थे जहां शिव स्थान हो।  मेरी रूचि के अनुरूप जहां मैं जाता हूं ऐसे रह

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योगी मन द्वारा ही होते है त्रिकालदर्शी

24 मार्च 2022
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मैं जब लखनऊ विश्वविद्यालय में पढ़ता था तो कुछ सालों के लिये अपने एक सम्बधी के परिचित परिवार में रहा। उनके मकान मालिक के स्वर्गवास के पश्चात वह घर छोड़कर सब अन्य स्थान पर कुछ दिनों के लिये चले गये।  मैं

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नैम शरणी तीर्थ स्थल पर मिला मनचाहा फूल

24 मार्च 2022
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मैं सपरिवार धर्म कथाओं में वर्णित नैम शरणी तीर्थ स्थान पर दूसरी या तीसरी बार गया। वहां किसी ने बताया कि यहां की प्रसिद्ध श्री ब्यास गद्दी वाला मन्दिर दर्शनीय तथा अति प्राचीन है। मैं परिवार के सदस्यों

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ज्वाला जी मन्दिर

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हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा का माता ज्वाला जी मन्दिर भी अति प्राचीन काल से शिव शक्ति पौराणिक कथा के कारण पूरे संसार में प्रसिद्ध तथा मान्य है। वहां भी अदभुत दर्शन की घटना बताता हूं कि खचाखच लाखों की

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‘स्वामी योगा नंद जी’ का मंच पर सजा वह चित्र

24 मार्च 2022
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कुछ साल पहले देश तथा विदेश के सुप्रसिद्ध अध्यात्मवादी योगी, ‘स्वामी योगा नन्द जी’ की संस्था का शिमला के प्रसिद्ध ‘गेयटी थियेटर’ मालरोड़ पर कोई कार्यक्रम था। उनका प्रोग्राम बाहर लिखा देखकर मैं अपनी जिज्

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क्यों पाश्चात्य चित्र कला से भिन्न है भारतीय कला

24 मार्च 2022
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सन 1980 के दशक में नौ लोगों का एक खोजी समूह इंग्लैंड तथा हाॅलैंड से भारत आया। इस समूह में डाॅक्टर इंजीनियरों के साथ एक चित्रकार था। वह सारे सदस्य वापस विदेश लौट गये। किन्तु हाॅलैंड के चित्रकार को हिमा

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मदर बराॅडा के लिए स्काॅटलैंड से आ रहे हैं जूते

24 मार्च 2022
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अंग्रेज़ी शासनकाल का शिमला में उत्तरी भारत का एक प्रसिद्ध लाॅरेटो कान्वेंट ताराहाल स्कूल विशेषकर लड़कियों के लिये प्रसिद्ध है। जहां कई फिल्मी, राजनैतिक तथा शिक्षा के क्षेत्र की प्रसिद्ध छात्राएं है। यह

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बनारस की अदभुत व असंभव घटना

24 मार्च 2022
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मैं 1970 के दशक में विचित्र मन्दिरों तथा घाटों के स्वप्न देखता था। वैसे मंदिर को प्रत्यक्ष मैंने कभी नहीं देखा था। एक दिन बनारस विश्वविद्यालय के मूर्तिकला विभाग में मेरे पास टेलीग्राम आया कि मुझे बना

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जम्मू में फकीर द्वारा दिया गया हीरे के समान पत्थर का टुकड़ा

24 मार्च 2022
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शिमला के श्री सोहन लाल गुप्ता मेरे पारिवारिक मित्र अपने आॅडिट विभाग से किसी ट्रेनिंग के लिये जम्मू भेजे गये। वह अपनी धार्मिक आस्था के कारण जम्मू के प्रसिद्ध राजसी रघुनाथ मंदिर में दर्शन कर प्रसाद चढ़ान

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नौ नगों के शोरूम में वह नीलम

24 मार्च 2022
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ऐसी एक अति विचित्र असंभव परा-मनोवैज्ञानिक पूर्वाभास तथा भविष्यवाणी तथा भूत व भविष्य दर्शन को मैं यहां लिख रहा हूं। कई साल पहले सम्भतयः 1990 के समीप मैं सपरिवार आगरा ताजमहल देखने गया था। मेरे पास के कै

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समाप्त हुआ नगों का व्यापार

24 मार्च 2022
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हिमाचल में बिलासपुर और शिमला के बीच दाड़लाघाट एक स्थान है। वहां एक ज्योतिषी ब्राम्हण परिवार के स्व. पंडित चंद्रमणी जी का परिचय एक मित्र जो शिमला पंजाब बैंक के एकाउंटेट पद पर थे, उनके हाथ की उंगली में

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क्षण भर में आया फोन और बदल गई तकदीर

24 मार्च 2022
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.कुछ साल पहले अंग्रेजी स्कूल लाॅरेटो कान्वेंट तारा हाल के किसी शिक्षक के कोई सम्बधी वन अधिकारी आस्ट्रेलिया जाने के सिलसिले में मुझसे मिलने की चाह में इंग्लैंड से शिमला आए। मैंने फोन पर बात कर रिज स्थि

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आकाश बेल पुस्तक का विमोचन

24 मार्च 2022
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13 मई 2017 को अभी तक का एक बड़ा राजकीय सम्मान चित्रकला मूर्तिकला एवं साहित्यक गतिविधियों के लिये हिमाचल ललित कला, अकादमी का यहां मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह जी द्वारा प्रदान किया गया। इसके पश्चात कई

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वह नोट किसका था

24 मार्च 2022
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जब लखनऊ विश्वविद्यालय की एक चिकित्सा मनोवैज्ञानिक के रूप में नौकरी त्याग कर लखनऊ के राजकीय कला महाविद्यालय में मूर्तिकला का छात्र बना तो प्रायः अपने दो अन्य परिपक्व कलाकार मित्रों से यदा कदा वहां की

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वह बिना राशि क्या करें...

24 मार्च 2022
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मेरी जम्मू वाली घटना से संबंधित श्री सोहन लाल गुप्ता जी से वस्तुओं के मैटिरियलाइज होने अर्थात मनुष्य के समान वस्तुओं के अनायास मन की एकाग्रता द्वारा प्रकट होने की घटनाओं तथा संभावनाओं पर विचार विमर्श

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