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प्रस्तावना

21 मार्च 2022

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भारत में वैदिक चिंतन या दर्शन के अनुसार इस गहन व जटिल रहस्य को समझने के लिए परा तथा अपरा विद्या का नाम कहा गया। परा ब्रम्ह को जानने व साक्षात्कार करने की विद्या कहा गया और अपरा विद्या को जीवन के अन्य अनेक पक्षों को जीने की विद्या माना गया। 

भारत में आत्मा, मन, शरीर के सूक्ष्म रूपों व क्रियाकलापों पर गहन चिंतन हुआ है। यहां अध्यात्म को भौतिक ज्ञान से श्रेष्ठ माना गया क्योंकि भौतिक को नाशवान कहा गया है। 

पाश्चात्य देशों में भौतिक जीवन पर अपेक्षाकृत अधिक बल दिया गया है। यदि सतयुग, त्रेता, द्वापर की अपेक्षा कलयुग अर्थात आधुनिक शताब्दियों की बात करें तो सोलहवीं से अठारवीं शताब्दी में दर्शन शास्त्र से निकलकर उसकी ही एक शाखा मनोविज्ञान ने, मन के विभिन्न सूक्ष्म रूपों, क्रियाकलापों को समझने के लिए प्रयोगशालाओं में तथा स्वतंत्र रूप से प्रयोग करना आरंभ कर दिया जो एक कठिन कार्य है। मन असीमित, सूक्ष्म, अदृश्य किंतु सर्वव्यापी तथा शक्तिशाली है। यूं, दिखने में शरीर तथा भौतिक पदार्थ अधिक शक्तिवान लगते है। 

कई सदियों तक पाश्चात्य जगत में अनेकों दर्शन शास्त्रियों, चिंतकों, वैज्ञानिकों ने अपूर्व ढंग से प्रकृति तथा मानव जीवन को समझने जानने के सार्थक प्रयास किए है। आज भी विश्व के वैज्ञानिक नासा द्वारा सृष्टि के रहस्यों को जानने के लिये अंतरिक्ष में वैज्ञानिक उपकरणों से लैस आ जा रहे हैं। 

पाश्चात्य मनोवैज्ञानिकों ने जब यह पाया कि मन, मस्तिष्क व्यवहारिक जीवन का मूल कारण हैं तो वह इस पर खोज करने लगे। प्रयोगों में ऐसे असाधारण लोग भी सामने आये जिनके मन की शक्तियां सामान्य मनुष्य से परे या अतिरिक्त व अलग थी। इस प्रकार मनोविज्ञान के साथ परा मनोविज्ञान के अध्ययन का एक अनोखा विषय मानकर अध्ययन होने लगा। 

आज से लगभग 60 वर्ष पूर्व लखनऊ विश्व विद्यालय उत्तर प्रदेश में स्नातक होने के नाते मेरी रूचि मनोविज्ञान की विभिन्न शाखाओं में रही है। इससे पूर्व छोटी आयु में मुझे अनेकों परामनोवैज्ञानिक आभास होते रहते थे जिनके बारे में मुझे कोई विशेष जानकारी नहीं थी। सुनी हुई पौराणिक कथाओं तथा अलिफ़ लैला, (अरेबियन नाइट) हिंदी साहित्य तथा प्रत्यक्ष बड़ी आयु के लोगों से कहानियां, विचित्र साधु संतों की घटनायें जीवनियों का प्रभाव मन पर पड़ता रहा। मैं अंतर मुखी होने के कारण प्रायः एकांकी सोचता था कि सुनी हुई विचित्र रहस्यमयी घटनायें घटना क्या सम्भव है.....क्या साधारण मानव में आंतरिक असामान्य शक्ति होती है? मैं लगभग तब 5 वर्ष का था तो सोते हुए श्री कृष्ण सम्बन्धी उनकी जीवनी बोलता था, ऐसा परिवार के सदस्य बताते थे। 

बड़ी कक्षा में आते-आते परीक्षा में आने वाले प्रश्न क्रमबद्ध मुझे आभासित हो जाते थेए किसी व्यक्ति को देखकर उसके सम्बन्ध में अनेकों बातें मस्तिष्क में आने लगती थी। 

अभी आरंभिक शिक्षा के बाद जब मैं लखनऊ विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा अध्ययन के लिये गया, तो वहां चिकित्सा मनोविज्ञान का विषय लिया। उस समय भारत में कलकता के अतिरिक्त यह विषय किसी विश्वविद्यालय में नहीं पढ़ाया जाता था। लखनऊ विश्वविद्यालय में यह विभाग नया ही उस समय के उपकुलपति प्रो. के. प्रसाद तथा अन्य दर्शन शास्त्र के विद्वानों के प्रयास से स्थापित किया गया था। अतः कई विदेशी अमेरिकन प्रख्यात मनोवैज्ञानिक भी लेक्चर के लिये बुलाये जाते थे जैसे Gardner Murphy तथा विश्व प्रसिद्ध भारतीय मनोवैज्ञानिक डाॅ. एच. एस. अस्थाना... इत्यादि। 

जब मैंने चिकित्सा मनोविज्ञान के लिये एक प्रयोगात्मक पुस्तक ’क्राफ्ट एंड शनीला‘ की सम्मोहन का शिक्षा में प्रयोग पर पढ़ाई जाती थी, जिसमें लिखा था कि किस प्रकार विदेश में कठिन विषय जैसे गणित या कविता इत्यादि विषय सम्मोहन द्वारा बच्चों को अर्धचेतन मानसिक अवस्था में लाकर याद करवाये जाते है। चेतन अवस्था में लाने पर शिक्षक द्वारा बोले विषय बालक बड़ी सरलता से याद कर लेते है। 

इस प्रयोग को पढ़कर मुझे प्रथम बार यह आभासित हुआ कि मैं भी किसी व्यक्ति के बारे बिना पूर्व परिचय या जाने हुये उसके सम्बन्ध में बता सकता हूं। उस समय तक मैं चित्रकला में रूचि रखने वाला मनोविज्ञान का विद्यार्थी विभाग में जाना जाता था। यूं, मैं अपने छात्रावास में चिंतनशील कवितायें लिखता था और चित्र बनाता था। अंग्रेजी की कक्षा में विश्व प्रसिद्ध कवि लार्डस वायरन, कीटसए बर्डसवर्थए शैली की कविताओं को कक्षा में सुनकर उनके विचारों के विपरीत कवितायें अंग्रेजी भाषा में लिखता था। 

उसी समय मेरी रूचि परा-मनोविज्ञान में स्वतः ही प्रभावित होने लगी। मैं अपने साथी विद्यार्थियों को बिन बताये उनके मन में सोची बात या दृश्य बताने लगा। सर्व प्रथम मेरी सहपाठी भारत की प्रसिद्ध बैडमिंटन खिलाड़ी तथा प्रथम अर्जुन अवाॅर्ड पाने वाली मिस मीना शाह के पूछने पर बताया कि वह अपने मन में कोई दृश्य या घटना सोचे और मैं उसे बताने का प्रयास करूंगा और उसे बताया कि उसके एक सम्बन्धी चचेरे भाई पाकिस्तान से भारत लखनऊ अपने दांत की बीमारी के लिये कैसे व क्यों आने वाले है। 

यह पहली घटना परा-मनोवैज्ञानिक मैंने हूबहू जैसी सोची गई बता दी। उस प्रश्नकर्ता और मुझे भी इस अदभुत घटना की सच्चाई पर आश्चर्य हुआ। इसके बाद अपना मन एकाग्र करने पर मैं अनेकों देश-विदेश की सहस्त्रों घटनायें बताने लगा। 

उस समय मेरे एक प्रो. हरी शंकर अस्थाना जो मनोवैज्ञानिक परीक्षण के लिये विश्व प्रसिद्ध हुये तथा सागर विश्व विद्यालय मध्य प्रदेश के कुलपति भी रहे है, वह मुझे मनोविज्ञान के कुछ विषय पढ़ाते थे। वह एक चिंतनशील, अनुशासित अपने समय के प्रोफेसर रहे हैं। अपने शोध कार्य के लिये विदेश जा चुके थे और उस समय के अनेकों विश्व प्रसिद्ध मनोवैज्ञनिक तथा दर्शनशास्त्र के विद्वानों से मिल चुके थे। 

मैं रटने वाले विद्यार्थियों से भिन्न खामोश तबियत अंतरमुखी, सृजनात्मक सोच वाला, एकाकी ऐसा विद्यार्थी था जो प्रचलित मनोवैज्ञानिक परीक्षणों, शिक्षा पद्धति, सामाजिक, साहित्यिक, राजनैतिक और आर्थिक व्यवस्था से अधिक संतुष्ट नहीं था। आज और उस समय जो विश्व में मानव परीक्षण किये गये थे उनमें मुझे त्रुटियां दिखाई देती थी। अतः अपने विद्यार्थी जीवन में एक व्यक्ति की क्षमताओं सम्बन्धी ’थ्री डी पर्सनेलिटी टेस्ट‘ मूर्तिकला तथा मनोविज्ञान के मिश्रण से बनाया जिसकी उपयोगिता मानकों की वैलिडिटी मान्यतायें सिद्ध की तथा T.A.T. Projective Test जो विदेशी प्रचलित था और आज भी है। इसे व्यक्तित्व के बारे जानने के लिये सेना, पुलिस इत्यादि में उपयोग किया जाता हैए मैंने इसे गलत सिद्ध कर भारतीय सांस्कृतिक जनजीवन पर सार्वभौमिक सुझाव दिये। 

Dr. H.S. Asthana मेरे प्रोफेसर को मेरे सहपाठी Sh. R.K. Misra जो बाद में Dir. Mental Hygene U.S.A. में एक संस्थान में रहेए उन्हें पता चला मैं परा-मनोवैज्ञानिक घटनाओं को बिना विशेष पुस्तकीय अध्ययन के बताता हूंए जो सच होती हैं। मुझे ज्योतिषियों, योगियाें मनोवैज्ञानिकों या अन्य साधकों के समान किसी विशेष सुविधा उपकरण या परिस्थिति की आवश्यकता नहीं पड़ती। एक दिन Dr. Asthana ने मुझे अपने निवास स्थान लखनऊ पर बुलाया और बोले क्या मैं उनके मन में सोचे गये दृश्य को बिना बताये बता सकता हूं। मैंने हां कर दी और कहा कि कोशिश करूंगा। आप जो सोचे वह भारत से बाहर का हो, कुछ क्षणों बाद मैंने हू.ब.हू जब वह 1942 में अपने शोध कार्य की डिग्री के लिए अमेरीका गये थे बता दियाए तब एक लैंड लेडी के यहां ठहरे थे उस समय मैं पास में लखनऊ से दूर अपने पैतृक नगर शाहजहांपूर उतर प्रदेश में 4th Class में पढ़ रहा था... वह दृश्य या घटना थी। 

मनोवैज्ञानिक डाॅ. अस्थाना जिस घर में यूएसए में ठहरे थे, उसकी एक लड़की के साथ लड़को की ड्रेस में लाल रंग की टाई बांध बाहर बर्फ में घूमने गये। लैंड लेडी ने एक ग्लास आरेंज जूस अस्थाना को जाने से पूर्व दिया था। वह आगे बर्फ स्थल पर उसके साथ गई। लड़की को हाथ पकड़ कर उठा रहे थे, यह दृश्य उन्हीं ने अपने मन में सोचा था। मैंने जैसे कि मैं स्वयं दृश्य देख रहा था। वह आश्चर्य चकित रह गये फिर बोले कि मैं उस समय के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिकों के नाम एक काग़ज पर लिखता हूं इनके बारे में मैं लिखे नाम देखकर उनके बारे में बतायें। 

मैंने कई लिखे गये नामों को देखकर बताया था। एक मर चुके हैं दूसरे लाइनदार सूट पहने कैसे व्यक्तित्व वाले है इत्यादि। जब उन्होंने कहा बिल्कुल ठीक, तो मैं भी हैरान था किंतु मेरा विश्वास दृढ़ हो गया क्योंकि दोनों घटनायें बताना मेरा इस प्रकार एक मनोवैज्ञानिक विद्व़ान प्रोफेसर के सामने पहला अनुभव था। 

इसके पश्चात मैं अपनी शिक्षा समाप्त कर लगभग सौ किलो मीटर अपने पैतृक नगर चला गया। इस बीच एक स्वप्न में मैंने देखा उन्हीं प्रोफेसर ने मुझे किसी परीक्षा में उत्तर पुस्तिका पर सबसे अधिक नंबर दिये हैं। मैं तब सोचता था कि अब आगे क्या घटेगाए क्योंकि उस प्रकार के दृश्य से कोई मेरा सीधा संबंध नहीं था। 

वैसे ही सुबह मेरे पिता जी ने एक पोस्ट कार्ड दिया जो मनोविज्ञान विभाग लखनऊ विश्व विद्यालय से आया था। लिखा था कि मैं शीघ्र लखनऊ विश्व विद्यालय मनोविज्ञान विभाग में आ जाउं। जब वहां पहुंचा तो देखा किसी साक्षात्कार के लिए भीड़ लगी थी। मैंने भीड़ देखकर सोचा यहां साक्षात्कार में उतीर्ण होना असम्भव है। वहां कई मेरे सहपाठी भी थे। 

साक्षात्कार के अध्यक्ष के तौर पर उपकुलपति बैठे थेए जो बडे़ विद्वान दर्शनशास्त्र और सामाजिक मनोविज्ञान के प्रोफेसर थे। कई विद्वान मनोवैज्ञानिकों के बाद मुझे बुलाया गया और मेरा चयन हो गया। सबसे कठिन कार्य मुझे दिया गया और अधिक नंबर स्वप्न में देखा गया पूर्वाभास सच हो गया। 

इस बीच उतर प्रदेश के विद्वान मुख्यमंत्री डाॅ. सम्पूर्णानंद जी और तत्कालीन शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार लखनऊ में हुआ जिसमें विदेशी तथा भारत के विद्धानों, प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक, वैज्ञानिक, शरीर विज्ञान, नाड़ी विज्ञान, योगी, साधक इत्यादि के पत्र प्रकाशित हुये। जब मैंने पढ़ा तो मुझे कई क्षेत्रों का ज्ञान हुआ। मेरे अनुभवों की एक संक्षिप्त रिपोर्ट मनोविज्ञान विभाग द्वारा अमेरीका भेजी गई। तब मेरे सहपाठी तीव्र प्रतिभशाली युवा मनोचिकित्सक मुझे लखनऊ कई हस्तियों से मिलवाते थे कि उन्हें अपनी परा शक्ति द्वारा कुछ भूत, भविष्य, वर्तमान व अनसुलझी व खोजपूर्ण घटनाओं के बारे में बताउं। मेरा भी एक नया अनोखा शौक था कि अपनी साधारण परा शक्ति के परिणामों को आजमाउं कि कहां तक सच निकलते है। इसके लिये मैं एक मनोरंजन तथा अपने तरीके से अपने अध्ययन के नये प्रयोगों को करने में रूचि लेने लगा। कभी किसी प्रकार की परा-मनोविज्ञान सम्बन्धी शिक्षा व ट्रेनिंग का ज्ञान नहीं था।

केवल एक पुस्तक मनोवैज्ञानिक के प्रयोगों की पढ़ने को मिल गई थी। पश्चिमी देशों के विश्वविद्यालय व विद्यालयों में 1916 के बाद 1918 से परा मनोविज्ञान पर शोध कार्य तथा प्रयोग हो रहे थे। 

भारत में यह मनोविज्ञान की शाखा केवल योगी, संत, साधुओं, साधकों, तांत्रिकों या ज्योतिष व जादूगरों की एक विचित्र घटना के रूप में जानी जाती थी। पौराणिक कथाओं, मायावी मारीच, महाभारत के दृष्टा संजय, रामायण वेद-पुराणों के ऋषि मुनियों इत्यादि के अध्यात्मिक असीमित क्षेत्र में ही आते थे। जनजीवन में अनेकों किवदंतियां मिलती है। आयुर्वेद में पतंजलि साहित्य रचना प्रक्रिया में असाधारण घटनायें पढ़ने सुनने को मिलती है। किंतु पश्चिमी खोजों की तरह वर्तमान युग में कई संस्थान वैज्ञानिक खोज से वंचित ही है। सुना है दक्षिणी भारत और हरिद्व़ार में कोई शोध कार्य हो रहा है। 

खैर, जो भी हो मेरे साथ आज 2019 तक ऐसे राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय कई अनुभव है। जिनकी परिकल्पना कभी भी जीवन में मैंने पहले कभी नहीं की थी। कुछ अपने अनुभव मैं यहां लिख रहा हूं जिनमें...... 

 

 Telepathy दूरभाष के समान परस्पर आभासित करना 

Precognition पूर्वाभास 

Prediction भविष्यवाणी 

Psychokinesis किसी निर्जीव वस्तु में गति उत्पन्न करना 

Dreams स्वपन 

To Be Present elsewhere परकाया प्रवेश या सशरीर अन्यत्र दिखाई देना 

Rebirth पुर्नजन्म 

 आकाशवाणी 

 

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रचनाएँ
त्रिकालदर्शी परामनोवैज्ञानिक सत्य अंतरराष्ट्रीय घटनाएं
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भारत में वैदिक चिंतन या दर्शन के अनुसार इस गहन व जटिल रहस्य को समझने के लिए परा तथा अपरा विद्या का नाम कहा गया। परा ब्रम्ह को जानने व साक्षात्कार करने की विद्या कहा गया और अपरा विद्या को जीवन के अन्य अनेक पक्षों को जीने की विद्या माना गया। भारत में आत्मा, मन, शरीर के सूक्ष्म रूपों व क्रियाकलापों पर गहन चिंतन हुआ है। यहां अध्यात्म को भौतिक ज्ञान से श्रेष्ठ माना गया क्योंकि भौतिक को नाशवान कहा गया है।
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आभार

21 मार्च 2022
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मेरे अनेक मित्रों ने मुझ से आग्रह किया कि मैं अपने परामनोवैज्ञानिक अनुभवों को एक पुस्तक के रूप में लिखूं । ऐसे अनुभव अर्थात् घटनायें साधारण व्यकितयों के साथ नहीं घटती हैं। पौराणिक कथाओं, सिद्ध साधु म

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प्रस्तावना

21 मार्च 2022
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भारत में वैदिक चिंतन या दर्शन के अनुसार इस गहन व जटिल रहस्य को समझने के लिए परा तथा अपरा विद्या का नाम कहा गया। परा ब्रम्ह को जानने व साक्षात्कार करने की विद्या कहा गया और अपरा विद्या को जीवन के अन्य

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सिटी मैजिस्ट्रेट के घर चपटी नाक वाली वो औरत आखिर कौन थी

21 मार्च 2022
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मेरे लखनऊ विश्वविद्यालय के एक चिकित्सा मनोविज्ञाान के सहपाठी श्री आर के मिश्रा मेरे घर आये। कुछ देर परा-मनोविज्ञान सम्बन्धी बातें करने के बाद मैंने उनसे कहा कि उस रात वह अमुक स्वप्न देखेंगे। मैं यह पह

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अब सच हुई 50 साल पहले की भविष्यवाणी

21 मार्च 2022
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सन् 1963 में मैं अपने पुनर जागरण के कला गुरु लखनऊ राजकीय कला महाविद्यालय के मूर्तिकार प्रो. श्रीधर महापात्र जी तथा अपने गुरु भाई मूर्तिकार प्रो. दिनेश प्रताप सिंह के साथ हिमाचल में राजकीय कला व शिल्प

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कलयुग में भी संभव है श्राप

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जब हम दो कला प्राध्यापक शिमला में किराये का घर तलाश कर रहे थे तो कई महीनों तक कहीं घर नहीं मिला। दूसरी ओर कला महाविद्यालय के छात्रावास में दो तीन कमरे की कुछ दिन के लिये अनुमति मिल गई। शिमला मालरोड़ प

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पेड़ भी संकेत देते हैं

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मैं और कई प्राध्यापक शिमला में रहने के लिये हिमाचल की राजधानी में किराये का घर ढूंढ़ने लगे। मैं और श्री जवाहर लाल शर्मा पूरा नगर ढूंढकर तंग आ गये। मैं जहां अब रहता हूं वह अंग्रेज शासनकाल का प्रसिद्ध ता

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शिमला के इस पार्क में कैसे लगी हिमबाला

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शिमला के इस पार्क में कैसे लगी हिमबाला शिमला हिमाचल प्रदेश की राजधानी में 1963 में होली वाले दिन मैं हिमाचल राजकीय कला महाविद्यालय में प्राध्यापक के इंटरव्यू के लिये आया तो एक लखनऊ कला महाविद्यालय के

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जर्मनी का गुलनाउ नाम का एक युवक अपने बचपन में देखे हुये स्वप्न कि उसके स्वर्गवासी पिता भारत में एक पशु रूप में मिलेंगे। वह भारत आना चाहता था। उसने अपनी मां से बार-बार यह स्वप्न आने पर भारत आने की तीव्

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दहीं के बहाने मैनचेस्टर दर्शन

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कई वर्ष पहले मैं एक कवि सम्मेलन में भाग लेने अपने घर से पैदल माल रोड़ शिमला की ओर कुछ सोचता हुआ चला जा रहा था कि मुझे सहसा आभासित हुआ कि मेरे पीछे एक विदेशी मैनचेस्टर का युवक पर्यटक आ रहा है जो बीमारी

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देश की सीमा लांघता सूक्ष्म मन

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ऐसी ही एक साहित्यिक गोष्ठी के लिये मैं अपने निवास से चढ़ाई पर धीरे धीरे चल रहा था। आगे एक युवा पर्यटक चितिंत सा जा रहा था। मैंने उसके समीप जाकर पूछ लिया... क्या आप ‘लार्ड ग्रे होटल’ ढूंढ़ रहे हैं। जबकि

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अमेरिका

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एक युवा लेखक के रूप में मैं उस संस्थान के लिये भारत के प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय लेखन मास कम्युनिकेशन एंड सिंपल राइटिंग के लिये अमेरीकन छात्रवृति पर कार्यरत हो गया। तब तक मैं चिकित्सा मनोविज्ञान कलाओं और

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अफगानिस्तान

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इसी संस्थान में बगदाद अफगानिस्तान की निर्देशक फंडामेंटल एजूकेशन तथा फिलीपाइन की महिला भी अन्य शिक्षार्थियों के साथ थी। मैं कई सहकर्मियों और अफगानिस्तान की शिक्षाविद्ध निर्देशक को वहां का हाल परा-मनोवि

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उड़ीसा की घटना

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मैं लखनऊ राजकीय कला शिल्प महाविद्यालय में मनोचिकित्सक की नौकरी लखनऊ विश्वविद्यालय से छोड़कर उन परम आदरणीय गुरु श्री श्रीधर महापात्र, उड़ीसा के सूर्य मंदिर के रचनाकार परिवार से संबधित थे, परस्पर कला सीखन

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आकाशवाणी शिमला

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मैं रेडियो शिमला के लिये ड्रामे वास्तुकला व मूर्ति शिल्प पर लिखता रहा। वहां के निदेशक श्री स्वामी ने मेरे द्वारा लिखित वार्ता परा-मनोविज्ञान पर प्रसारण के लिये पहली बार परामनोविज्ञान पर मेरी वार्ता रख

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भारत के पूर्व राष्ट्रपति वेंकटरमन से अनायास मिलन

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कई वर्ष पूर्व संभवतः 1992 में भारत के पूर्व राष्ट्रपति माननीय स्व. वेंकटरमन को मैंने दूरदर्शन पर इटली की किसी कला दीर्घा में कला कृतियों को बड़े ध्यान से देखते हुये देखा। मुझे उनके चलचित्र देखकर लगा कि

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शिमला सचिवालय के प्रांगण में मूर्ति म्यूराल का उद्घाटन

22 मार्च 2022
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उद्घाटन से एक दिन पूर्व शिमला सचिवालय के प्रांगण में काफी सुरक्षा थी। बिना प्रमाण पत्र के उस स्थल पर, जहां दीवार पर लगे मूर्ति म्यूराल का उद्घाटन होना था, प्रवेश वर्जित था। कुछ सरकारी वास्तुकार इंजीनि

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ईरान के फ्ररहाद की अदभुत कहानी

23 मार्च 2022
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ईरान का एक परिवार वहां के शासक खुमैनी के कठोर व्यवहार से तंग होकर अपना देश छोड़ किसी देश में पलायन कर जाना चाहते थे। ईरान में 18 से 20 /25 वर्ष के युवकों को सेना में भर्ती होने का आदेश दिया गया। जो आदे

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सोलन की गुफा में रहने वालेे चंबाघाट व जटोली वाले बाबा

23 मार्च 2022
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सोलन में चंबाघाट की गुफा में एक ऐसे सन्यासी से मेरी मिलने की तीव्र इच्छा हुई। उनसे मिलना कठिन था। वह हड्डियों वाला एक साधारण गांव वाला जैसा व्यक्ति था। हम दोनों कृतज्ञता के भाव से फिर कुछ क्षण अन्दर ध

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जहां हमें मिली धूने की अग्नि में बनी चमत्कारी चाय

23 मार्च 2022
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कई वर्ष पहले चम्बाघाट सोलन की गुफा में एक महान साधक महात्मा रहते थे गुफा के बारे में यह माना जाता था कि जो गुफा महाभारत काल में पांडवों के निष्कासन पर हरियाणा, पिंजौर से हिमाचल तक बनाई गई थी, वही है। 

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बनारस में संस्कृत विभागाध्यक्ष ‘कृष्णा नन्द जी‘

23 मार्च 2022
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लगभग तीस वर्ष पूर्व शिमला के प्रसिद्ध गेयटी थियेटर के सामने (एक ड्राई क्लिनिंग) अब कपड़ों के शोरूम में एक प्रसिद्ध वृंदावन आश्रम के महात्मा खड़े थे। मुझे मेरे मित्र श्री सोहन लाल गुप्ता जी माल रोड़ पर दू

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सिद्ध श्री देवड़ा बाबा

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परम पूज्य लगभग 400 वर्ष के देवरिया 30 प्रदेश के देवड़ा बाबा के बारे में सुना कि वह लगभग 400 वर्ष या अधिक आयु वाले मचान पर रहने वाले अल्पाहारी संत हैं । भारत के पहले राष्ट्रपति विदेशी और अनेकों भारत की

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हरिद्वार से नागा साधु और नरवदेश्वर शिवलिंग

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लगभग पांच छह वर्ष पहले एक अधेड़ आयु के एक नागा साधु मेरे द्वार पर आये। मैं उस समय अकेला टीवी पर अर्ध कुंभ हरिद्वार मेले का दृश्य देख रहा था। साधु की आवाज़ सुनकर कुछ दक्षिणा देकर लौटने लगा तो वह साधू बोल

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शिवदर्शन यतीश

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एक दिन मेरे निवास पर पड़ोस में रहने वाले शिमला के धर्म परायण प्रसिद्ध सेठ मेला राम सूद के पौत्र श्री यतीश सूद जी आये। वह बोले कि मैं एक चित्र या मूर्ति बनवाने के लिए आया हूं। आप मना मत करें क्योंकि उन्

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अमेरिका के एक फिल्म निर्देशक व प्राॅडयूसर जो एशिया में विशेष व्यक्तियों धर्म तथा अन्य विषयों पर शोधकर्ता एक ऐसे व्यक्ति पर फिल्म बनाना चाहते हैं जो एक से अधिक दो विषयों में दक्ष यानि महारत रखते हैं। म

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विचित्र घटना - मंदिर स्थापना और रहस्यमयी कछुआ

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शाहजहांपूर नगर के अशोक अग्रवाल  उत्तर प्रदेश के शाहजहांपूर नगर के अशोक अग्रवाल का उनके परिवार से कोई झगड़ा एक मोटर बाईक के प्रसिद्ध शोरूम पर चल रहा था। आमने-सामने दोनों भाई पिस्टल लिये गोली चलाने के

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कुछ वर्षो पश्चात श्री अशोक अग्रवाल जी ने मुझे उत्तर प्रदेश में श्री श्याम बाबा का एक मन्दिर बनवाने के लिये जो स्थान नहीं मिल रहा था, उसके निर्णय के लिये बुलाया। मैं उस स्थल पर पहुंचा। उस स्थान का मालि

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शास्त्री जी आप चुनाव हार जायेंगे

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 हिमाचल के एक शिक्षा मंत्री तथा विधान सभा अध्यक्ष रहे श्री राधारमण शास्त्री जी के ससुर ने अपने माता - पिता की दो मूर्तियां बनवाई। मैंने पूछा कि कहां स्थापित करनी है, तो उन्होंने बताया... एक बस में वह

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फोटो देखकर कहा चुनाव जीत जाएंगे

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हिमाचल में शिमला के एक गांव के प्रसिद्ध ठाकुर जिन्हें ज्योतिष तथा राजनीति में काफी रूचि है। वह मुझसे परिचित होने विधानसभा चुनाव से पूर्व ग्राम पंचायत के एक राजसी परिवार के युवा प्रत्याशी ‘अनिरूद्ध सिं

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शब्द हटा दें तो ही मिलेगी मूर्ति

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कुछ वर्ष पूर्व की बात है कि एक ईसाई चित्रकार सेमुअल मसीह शिमला के चित्रकार मुझे मिले और कहा कि शिमला रिज स्थित उतरी भारत की अंग्रेजी शासन काल की बनी चर्च में पहली बार एक कला प्रदर्शनी ईसाई सोसायटी की

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टेलीपैथी से कला शिक्षा

23 मार्च 2022
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हिमानचल के कला, भाषा संस्कृति तथा स्वास्थ्य मंत्री रहे कुल्लू के प्रसिद्ध सर्वप्रिय शायर ‘श्री लाल चन्द प्रार्थी‘ हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री डा. वाई एस परमार की कैबिनेट में थे। मैं यहां के राजकीय महाव

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वह मुस्कराता बच्चा कौन था

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शिमला में लगभग 25 वर्ष पूर्व सेंट एडवर्ड स्कूल का बच्चा जब मेरे घर के सामने से अपने स्कूल से लौटता हुआ गुजरता था तो मुझे सड़क के किनारे पर खड़े घर के पास देखकर मुस्कराता हुआ निकलता था। मुझे लगता कि यह श

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शिमला में उसी घर में हुआ पुनर्जन्म

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लगभग दस वर्ष पूर्व मैं सर्दियों में गिरी हुई बर्फ की संध्या समय शिमला मालरोड़ से अपने निवास की ओर आ रहा था। रास्ते में सामने से दो विद्यार्थी चले आ रहे थे। सफेद बर्फ के कारण काफी रोशनी फैली हुई थी। दो

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सोचने मात्र से मिला दक्षिणावर्ती शंख

24 मार्च 2022
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लगभग चालीस वर्ष पूर्व मैं उतर प्रदेश अपने पैतृक आवास में शिमला से गया हुआ था। मेरे डाक्टर चाचा जी की पूजा की अलमारी में एक अदभुत दक्षिणावर्ती शंख रखा था। वह इतना आकर्षक था कि मैंने अपने चाचा जी से पूछ

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शिमला के एक स्टेट ऑफिसर को बताया

24 मार्च 2022
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शिमला नगर निगम से सेवानिवृत मेरे परिचित एक स्टेट ऑफिसर रेस्तरां में मेरी ओर पीठ किये कुछ दूर बैठे कई लोगों से कुछ बात कर रहे थे। मैं कुछ दूर बैठा सोच रहा था कि यह सामने बैठे लोग कुछ विशेष बात कर रहे ह

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शिमला में डयूटी विद लव मूर्ति

24 मार्च 2022
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सन् 1972 में इंडो-पाक समझौता शिमला में हुआ। जिसके लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और भारत की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी शिमला आई थी। उस समय मुझे हिमाचल के आईजी पुलिस ठाकुर गंगबीर सिंह के द्वारा ए

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गंगा के उपासक विचित्र स्वामी मोरगानन्द जी

24 मार्च 2022
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 एक नागा साधू ‘स्वामी मोरगानन्द जी‘, भारत भ्रमण कर जहां गंगा पूजा होती थी कुछ दिन ठहर कर गंगा की पूजा अर्चना कर गंगा किनारे ही रहते थे जहां शिव स्थान हो।  मेरी रूचि के अनुरूप जहां मैं जाता हूं ऐसे रह

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योगी मन द्वारा ही होते है त्रिकालदर्शी

24 मार्च 2022
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मैं जब लखनऊ विश्वविद्यालय में पढ़ता था तो कुछ सालों के लिये अपने एक सम्बधी के परिचित परिवार में रहा। उनके मकान मालिक के स्वर्गवास के पश्चात वह घर छोड़कर सब अन्य स्थान पर कुछ दिनों के लिये चले गये।  मैं

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नैम शरणी तीर्थ स्थल पर मिला मनचाहा फूल

24 मार्च 2022
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मैं सपरिवार धर्म कथाओं में वर्णित नैम शरणी तीर्थ स्थान पर दूसरी या तीसरी बार गया। वहां किसी ने बताया कि यहां की प्रसिद्ध श्री ब्यास गद्दी वाला मन्दिर दर्शनीय तथा अति प्राचीन है। मैं परिवार के सदस्यों

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ज्वाला जी मन्दिर

24 मार्च 2022
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हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा का माता ज्वाला जी मन्दिर भी अति प्राचीन काल से शिव शक्ति पौराणिक कथा के कारण पूरे संसार में प्रसिद्ध तथा मान्य है। वहां भी अदभुत दर्शन की घटना बताता हूं कि खचाखच लाखों की

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‘स्वामी योगा नंद जी’ का मंच पर सजा वह चित्र

24 मार्च 2022
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कुछ साल पहले देश तथा विदेश के सुप्रसिद्ध अध्यात्मवादी योगी, ‘स्वामी योगा नन्द जी’ की संस्था का शिमला के प्रसिद्ध ‘गेयटी थियेटर’ मालरोड़ पर कोई कार्यक्रम था। उनका प्रोग्राम बाहर लिखा देखकर मैं अपनी जिज्

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क्यों पाश्चात्य चित्र कला से भिन्न है भारतीय कला

24 मार्च 2022
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सन 1980 के दशक में नौ लोगों का एक खोजी समूह इंग्लैंड तथा हाॅलैंड से भारत आया। इस समूह में डाॅक्टर इंजीनियरों के साथ एक चित्रकार था। वह सारे सदस्य वापस विदेश लौट गये। किन्तु हाॅलैंड के चित्रकार को हिमा

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मदर बराॅडा के लिए स्काॅटलैंड से आ रहे हैं जूते

24 मार्च 2022
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अंग्रेज़ी शासनकाल का शिमला में उत्तरी भारत का एक प्रसिद्ध लाॅरेटो कान्वेंट ताराहाल स्कूल विशेषकर लड़कियों के लिये प्रसिद्ध है। जहां कई फिल्मी, राजनैतिक तथा शिक्षा के क्षेत्र की प्रसिद्ध छात्राएं है। यह

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बनारस की अदभुत व असंभव घटना

24 मार्च 2022
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मैं 1970 के दशक में विचित्र मन्दिरों तथा घाटों के स्वप्न देखता था। वैसे मंदिर को प्रत्यक्ष मैंने कभी नहीं देखा था। एक दिन बनारस विश्वविद्यालय के मूर्तिकला विभाग में मेरे पास टेलीग्राम आया कि मुझे बना

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जम्मू में फकीर द्वारा दिया गया हीरे के समान पत्थर का टुकड़ा

24 मार्च 2022
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शिमला के श्री सोहन लाल गुप्ता मेरे पारिवारिक मित्र अपने आॅडिट विभाग से किसी ट्रेनिंग के लिये जम्मू भेजे गये। वह अपनी धार्मिक आस्था के कारण जम्मू के प्रसिद्ध राजसी रघुनाथ मंदिर में दर्शन कर प्रसाद चढ़ान

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नौ नगों के शोरूम में वह नीलम

24 मार्च 2022
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ऐसी एक अति विचित्र असंभव परा-मनोवैज्ञानिक पूर्वाभास तथा भविष्यवाणी तथा भूत व भविष्य दर्शन को मैं यहां लिख रहा हूं। कई साल पहले सम्भतयः 1990 के समीप मैं सपरिवार आगरा ताजमहल देखने गया था। मेरे पास के कै

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समाप्त हुआ नगों का व्यापार

24 मार्च 2022
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हिमाचल में बिलासपुर और शिमला के बीच दाड़लाघाट एक स्थान है। वहां एक ज्योतिषी ब्राम्हण परिवार के स्व. पंडित चंद्रमणी जी का परिचय एक मित्र जो शिमला पंजाब बैंक के एकाउंटेट पद पर थे, उनके हाथ की उंगली में

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क्षण भर में आया फोन और बदल गई तकदीर

24 मार्च 2022
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.कुछ साल पहले अंग्रेजी स्कूल लाॅरेटो कान्वेंट तारा हाल के किसी शिक्षक के कोई सम्बधी वन अधिकारी आस्ट्रेलिया जाने के सिलसिले में मुझसे मिलने की चाह में इंग्लैंड से शिमला आए। मैंने फोन पर बात कर रिज स्थि

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आकाश बेल पुस्तक का विमोचन

24 मार्च 2022
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13 मई 2017 को अभी तक का एक बड़ा राजकीय सम्मान चित्रकला मूर्तिकला एवं साहित्यक गतिविधियों के लिये हिमाचल ललित कला, अकादमी का यहां मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह जी द्वारा प्रदान किया गया। इसके पश्चात कई

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वह नोट किसका था

24 मार्च 2022
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जब लखनऊ विश्वविद्यालय की एक चिकित्सा मनोवैज्ञानिक के रूप में नौकरी त्याग कर लखनऊ के राजकीय कला महाविद्यालय में मूर्तिकला का छात्र बना तो प्रायः अपने दो अन्य परिपक्व कलाकार मित्रों से यदा कदा वहां की

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वह बिना राशि क्या करें...

24 मार्च 2022
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मेरी जम्मू वाली घटना से संबंधित श्री सोहन लाल गुप्ता जी से वस्तुओं के मैटिरियलाइज होने अर्थात मनुष्य के समान वस्तुओं के अनायास मन की एकाग्रता द्वारा प्रकट होने की घटनाओं तथा संभावनाओं पर विचार विमर्श

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