शिमला में लगभग 25 वर्ष पूर्व सेंट एडवर्ड स्कूल का बच्चा जब मेरे घर के सामने से अपने स्कूल से लौटता हुआ गुजरता था तो मुझे सड़क के किनारे पर खड़े घर के पास देखकर मुस्कराता हुआ निकलता था। मुझे लगता कि यह शरारती मुस्कराहट है। मैं न उससे परिचित था न ही कोई संबंध था।
एक दिन मैंने उसे जाते हुये रोक कर पूछा कि तुम मुझे देखकर शरारती अंदाज में क्यों मुस्कराते हो। क्यों मेरा उपहास उड़ाते हो... वह बोला नहीं अंकल मैं ऐसे ही हंसता था।
मैंने कहा कि मुझ पर हंसने का कोई कारण भी तो होगा। नहीं अंकल, मैं आप का आदर करता हूं। आप हमसे बडे़ हैं। मैंने कहा एक बार नहीं परन्तु जब तुम मुझे देखते हो तो हंसते या मुस्कराते हो। वह बोला आप झूठ मानेंगे ऐसी एक वजह है। मैंने पूछा क्या वजह है। उसने बताया कि मुझे एक स्वप्न आता है और आपको देखकर लगता है कि पिछले जन्म में आप मेरे चाचा थे। उनकी शक्ल सूरत कद रंग, सब कुछ बिल्कुल ऐसा ही था, केवल एक छोटा सा काला दाग उनकी तरह आपके मुंह पर नहीं है।
मैंने कहा इस तरह तुम झूठ बोलकर बचना चाहते हो। तुम्हारे माता-पिता का क्या नाम है, कहां रहते हो। उसने मेरे एक परिचित व्यक्ति का नाम और पता बताकर कहा कि मैं बिल्कुल सच बोल रहा हूं।
इसके बाद कई साल तक जब मैं उसके संबंध में सोचता था तो वह वहीं मिल जाता था और जब वह मुझे याद करता तो मैं वहां उसे मिल जाता था। टेलीपेथी के समान महीनों के बाद यह घटना घटने लगी। वह थोड़ा हकलाता था कई बार मिलने पर वह धार्मिक रहस्यमयी बातें करता था। उसने मेरे साथ घटी और बितायी घटना को पुस्तक रूप में संग्रहित कर लिखने का प्रयास भी किया। किन्तु मैंने कहा कि यह कठिन कार्य है।
कुछ महीनों के पश्चात् वह नागपुर इंजीनियरिंग पढ़ने चला गया। उसका एक पत्र आया कि मेरे मिलने और कुछ कहने के पश्चात् उसका हकलाना बंद हो गया, यह आश्चर्य है।
वह जब बीच में शिमला आया तो मुझसे मिला। मैंने पूछा कि पढ़ाई कैसी चल रही है, धार्मिक चिंतन कैसा है। उसने उस पूछी बातों को टालने का प्रयास किया। तब मैंने उससे कहा कि तुम न बताओ, मैं स्वयं बता रहा हूं कि तुम एक मुस्लिम फ़कीर से मज़ार पर मिले हो। उसके ऊपर पास में एक पेड़ है और अपनी इंजीनियर की पढ़ाई छोड़ कर शिमला आ गये हो।
उसने वह सब सच मान लिया और शिमला में एक कंप्यूटर का कोचिंग संस्थान खोल लिया। इस दौरान शिमला में वह किसी परिचित को छोड़ने रेलवे स्टेशन गया था। लौटते हुये रास्ते में यहां ‘विक्ट्री टनल’ नाम की छोटी सुरंग के पास लैंड स्लाइड के कारण पत्थर गिरने से उसके कंधे व एक हाथ जख्मी हो गया। मुझे जब उस दुर्घटना का पता चला तो मैं पहली बार उसका पता पूछता हुआ उसे देखने उसके घर गया।
वह एक बिस्तर पर एक हाथ में पट्टियां बांधे लेटा हुआ था। जैसे मुझे देखा वैसे ही अपनी चोट भूल गया और मुस्कराया। जैसे मुझे देखकर बचपन से मुस्कराता था। मैंने उसी समय उससे पूछा कि क्या इसी तरह का दृश्य पूर्व जन्म में तुम्हारे पूर्व जन्म के चाचा के साथ घटा। ठीक इसी तरह वह तुम्हारे पास जैसे मैं खड़ा हूं पिछले जन्म में मेरी तरह तुम्हारे बीमार होने पर खड़े थे। उसनेकहा जी हां, पूर्व जन्म का वह सीन उसे याद आ गया।
कुछ वर्षो बाद शिमला छोड़कर सारे परिवार के साथ दिल्ली चला गया। फिर मैं उसका पता पूछा कर दिल्ली मिलने गया वह उसी तरह किसी दुर्घटना ग्रस्त होने के कारण पट्टियां बांधे लेटा था, कुछ देर बाद मैं शिमला आ गया। तब मुझे आभासित हुआ था कि वह बीमार है।
शिमला में कई वर्ष बाद उस युवक अंगोछिया के पिता जी मिले, वह मुझे खोज रहे थे। कहने लगे मैं अपनी एक समस्या के निदान के बारे में कुछ कन्फर्म करने के लिये दिल्ली से आकर आपसे मिलना चाहता हूं।
मैंने पूछा कि उनका बेटा कैसा है। वह ठीक है। वह बोले किसी ज्योतिषी पंडित ने उन्हें एक अनुष्ठान करने को कहा है। बात करते हुये उनकी आंखों को देखकर मुझे ऐसा आभास हुआ कि उनके परिवार में उनके पिता जी ने किसी सीधे साधे सर्प की हत्या की है।
पहले वह बोले नहीं, फिर याद कर बोले कि हो सकता है वह किसी ठेके के काम से कोई भवन या दीवार रूड़की उत्तर प्रदेश में बनवा रहे थे उनके आदेश पर मजदूरों ने हत्या की थी। उसके लिये उन्हें किसी ने जो बताया था वहीं मैंने बता दिया कि वह एक नाग देवता के मन्दिर में करे। वह अगोछिया लोअर कैथू शिमला में रहते थे। शिमला राजकीय सचिवालय में अनुभाग अधिकारी थे।
यह विचित्र घटना पुनर्जन्म, पूर्वाभास तथा दूरदर्शी परा-मनोवैज्ञानिक सत्य घटना है।