मेरे लखनऊ विश्वविद्यालय के एक चिकित्सा मनोविज्ञाान के सहपाठी श्री आर के मिश्रा मेरे घर आये। कुछ देर परा-मनोविज्ञान सम्बन्धी बातें करने के बाद मैंने उनसे कहा कि उस रात वह अमुक स्वप्न देखेंगे। मैं यह पहले से ही बता रहा हूं। दूसरे दिन मिलने पर उन्होंने उसके सच होने की पुष्टि की। इसे शायद कुछ मनोवैज्ञानिक सांकेतिक अचेतन मन को दिये जाना वाला निर्देश कहेंगे, किंतु ऐसा नहीं था। यह मेरा पूर्वाभास था -
एक दिन सीतापूर लखनऊ के रहने वाले वही मिश्रा जी मेरे घर दुगांवा मोहल्ला आये। मुझे ज्वर था, वह बोले, सीतापूर के उनके परिचित उतर प्रदेश के मजिस्ट्रेट बहुत दिनों से मुझसे मिलना चाहते हैं, उन्हें कुछ पूछना है। मैंने असमर्थता दिखाई। मिश्रा जी बोले कि उन्हें समय दे दिया है, वह हम दोनों की प्रतीक्षा करेंगे। मैंने कहा चलो चलते हैं, मैं अस्वस्थ हूं रास्ते में हजरत गंज लखनऊ के काफी हाउस में एक काफी पीकर व दवा खाकर चल पडूंगा। किंतु ज्यादा बातें नहीं करूंगा यदि मुझे ठीक लगा तो मैं स्वयं ही बोलूंगा। मिश्रा जी बोले ठीक है, फिर कभी बात करेंगे आज केवल उनसे मिलना ही रहेगा।
थोड़ी देर में काफी के साथ दवा की गोली खाकर हम दोनों चल पड़े मैंने कहा मेरे मस्तिष्क में एक चित्र उभर रहा है। जिस कमरे या ड्रांइग रूम में उनके अलावा हम लोग बैठेंगे वहां एक चपटी नाक वाली औरत आकर जम़ीन पर बैठ जायेगी जिसे उस कमरे में कभी प्रवेश करने के लिये मनाही है। देखो यह होने वाला है। थोड़ी देर में हम दोनों उनके बंगले पर पहुंच गये।मजिस्ट्रेट ने मिश्रा जी के साथ मेरा स्वागत कर बोले आपकी काफी दिनों से प्रतीक्षा थी। आइये ड्राइंगरूम में नहीं दूसरे कमरे में बैठेंगे, यहां कोई आ गया तो बातों में बाधा पड़ेगी। ‘मिश्रा जी बोले मजिस्टेªट साहब आज सक्सेना जी; मेरीद्ध की तबीयत ठीक नहीं है सिर्फ मुलाकात ही करेंगे। वह बोले कोई बात नहीं इनके दर्शन ही काफी हैं।‘ हम तीनों ने बताये हुए कमरे में जैसे ही प्रवेश किया कि एक चपटी नाक वाली स्त्री उनकी नौकरानी आकर उस कमरे के फर्श पर बैठ गई। मिश्रा जी मुझे देख कर हंसने लगे। मजिस्टेट साहब बोले “क्याबातहै,” मुझसे कोई भूल हो गई? नहीं। ऐसा नहीं है।
मिश्रा जी बोले यह स्त्री कौन है? वह बोले यह घर की काम वाली है इस कमरे में इसका आना मना है। मिश्रा जी ने बताया कि यहां आने से कुछ देर पहले हजरत गंज काफी हाउस में सक्सेना जी काफी के साथ दवा की गोली खा रहे थे तो यहां के बारे में जो बताया वह बिल्कुल सच निकला। इसे पूर्वाभास कहते है।
कुछ देर बाद उन्होंने उस स्त्री को बाहर भेजा। तब मैंने कहा अब मैं कुछ बताने की स्थिति में हूं, पूछिये क्या पूछना चाहते मजिस्ट्रेट साहब बोले ‘उनकी जमींदारी उन्मूलन के सरकार द्वारा मिले बांड ; प्रमाण पत्र खो गये हैं।‘ सब जगह ढूढ़ंने के बाद भी नहीं मिल रहे हैं। उस समय मैंने उन्हें याद दिलाया कि वह अमुक स्थान पर छुपा कर रखे गए है। उन्हें याद आ गया और वह बड़े आश्चर्य चकित हुये। मैंने उस समय उनसे पूछा था आफिस में उनका एक पीए किस प्रकार बैठता है। उसकी शक्ल कैसी है। वह बहुत पान खाने वाला मुसलमान है। वह हंसने लगे और दोबारा मिलने की बात कर हम और मेरे मित्र मिश्रा जी वापस आ गये। इस घटना से पूर्व मैं उन से कभी नहीं मिला था ना ही जानता था....
एक दिन हजरतगंज, लखनऊ में वहां की प्रसिद्ध चैधरी शाप पर कुछ खाने बैठे। वह एक रेस्तरां की तरह मिठाई की दुकान में गए ; शायद आज भी हैद्ध। सामने एक ओर युवक भीड़ में बैठा था जिसे देख कर मेरे मन में आया कि उसकी दहेज के कारण शादी टूट गई। मैंने मित्र मिश्रा जी से कहा कि कैसे पूछा जाये..... उन्होंने पूछने को ना कर दी। मैंने किसी प्रकार उससे पूछा, वह हैरान था और बोला हां ऐसा कुछ दिन पूर्व ही हुआ है।
मुझे एक दिन लखनऊ बारहदरी कैसर बाग में रहने वाली चिकित्सा मनोविज्ञान की सहपाठी मिस मीना शर्मा तथा अर्जुन अवाॅर्ड विनर भारत की प्रथम महिला खिलाड़ी के पिताजी ने मुझे अपने निवास स्थान पर बुलाया। वह जमींदार थे। अपने गांव की किसी रहस्यमयी घटना के बारे में चितिंत थे। मैंने बताया कि कैसे वह घटी। वह बोले कि कुछ और बतायें। मैंने तब बताया था कि उनकी बेटी मिस मोनाशाह भारत की ओर से अमेरीका बैंडमिटन खेलने गई तो जिस होटल में ठहरी थी वहां से चलने पर उसका पैर बीच में रखे मेज से टकराया और मेज पर रखा गुलदस्ता गिर कर टूट गया। फिर जब बैडमिंटन खेलने कोर्ट में पहुंची, खेल शुरू हुआ और उसकी नजर सामने दर्शकों की भीड़ में एक अमेरीकन व्यक्ति पर पड़ी, वैसे ही उसका शाॅट गलत लगा और उसकी हार हो गई। उसने इसे सच माना।
मेरे एक अंथरायालोजी के विश्व विद्यालय के मित्र श्री राजी भाटिया ने हम दो मित्रों को अपनी विवाह की सगाई पर अपने घर बुलाया, उनके रिश्तेदार थे। मैंने अपने मित्र से पूछा कि बुरा न माने.... वह जिस से सगाई होने वाली है उस से अनचाहे ही सगाई कर रहा है। किंतु उसी से शादी होगी वह उन्नाव उतर प्रदेश के डीएम की बेटी थी ... और वैसा ही हुआ। वहीं प्रसिद्ध हार्ट स्पेशलिस्ट डाॅ. भाटिया का बेटा मेरा मित्र लखनऊ से दिल्ली बिना मुझे बताये चला गया। मुझे मालूम हुआ कि वह रास्ते से लौट कर मुझे किस स्थान पर मिलेगा, उसका दिल्ली जाना स्थगित हो गया। उस समय मैं तीव्रता से उससे मिलने की सोच रहा था।
उसके बड़े भाई डाॅ. भूषण भाटिया न्यू हैदराबाद लखनऊ के प्रसिद्ध डाॅक्टर थे। मेरा उनकी कोठी पर आना जाना यदा-कदा होता था। उनकी शादी तय हो रही थी किसी डाॅ. महिला से। वह मुझसे बोले कि मैं होने वाली पत्नी के बारे में कुछ जानना चाहता हूं। मैंने कहा वह बहुत दूर है, उसका फोटो है तो मुझे दिखाये। उन्होंने पासपोर्ट साइज का फोटो दिखाया तो मैंने बताया कि वह डाॅक्टर है और क्या विशेषताएं है। यह अति सफल जोड़ी रहेगी। वैसा ही हुआ आज लगभग पचास साल
पहले की भविष्यवाणी ठीक हुई। सुना है वह लखनऊ विवेकानंद अस्पताल की प्रसिद्ध डाॅ. इंचार्ज है। वह न्यू हैदराबाद गोमती नदी के पास लखनऊ में रहते थे।
मैं अपनी अनेकों मूर्तियां एक मूर्तिकार के नाते उनके यहां शिमला कला महाविद्यालय में सेवारत होने पर छोड़ आया था 1963 में, फिर कभी नहीं मिला पाया।