हिमाचल के एक शिक्षा मंत्री तथा विधान सभा अध्यक्ष रहे श्री राधारमण शास्त्री जी के ससुर ने अपने माता - पिता की दो मूर्तियां बनवाई। मैंने पूछा कि कहां स्थापित करनी है, तो उन्होंने बताया... एक बस में वह जा रहे थे। बस का पहिया जमीन में धंस गया तो बस रूक गई। देखा तो वहां प्राचीन काल की पानी लिये पहाड़ो में बनाई जाने वाली बावड़ी थी।
उन्होंने अपनी माता की याद में मूर्ति लगवाने के लिए मुझ से संपर्क किया। वह दृश्य बता रहे थे तो मुझे वह स्थान दिखाई देने लगा और मैंने उसका ब्यौरा बताया और बताया कि यह दो मूर्तियां कहां लगेंगी। इसका दर्शकों पर क्या प्रभाव होगा। मैं बुलाये जाने पर वहां उद्घाटन पर नहीं गया (मैं मूर्तिकार भी हूं)
शिक्षा मंत्री दूसरी बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे थे। मैं अचानक एक फाॅरेस्ट आफिसर उन्हीें मंत्री के ससुर के आफिस उनका नाम लिखा देख पहुंच गया। वह बड़े प्रसन्न हो पूछने लगे कि उनके दामाद विधानसभा का चुनाव लड़ रहे है, काफी पाॅपुलर हैं। मैं बताउं कि क्या नतीजा रहेगा। मेरे मुंह से निकल गया कि वह चुनाव हार जायेंगे। वह थोड़ा निराश हो गये।
उसी दिन उनके वही दामाद मिल गये और बोले कि मैंने कैसे कह दिया कि वह चुनाव में हार जायेंगे। लगभग डेढ़ हजार कार्यकर्ता महीनों से प्रचार में जुटे कार्य कर रहे हैं, पहले मंत्री रहा हूं। नेता बोले कि मैं ही जीतूंगा। मैंने कहा यह सम्भव नहीं है।
चुनाव की रात में उलटा हो जायेगा। कुछ भी हुआ हो, वह चुनाव हार गये। इससे पूर्व सोलन से उनके चचेरे भाई मुझे अकस्मात शिमला मालरोड पर मिलने आये। मैं उनसे परिचत नहीं था। वह मुझे जानते थे बोले मेरा भाई पहला चुनाव लड़ रहा है। आप का क्या विचार है क्या जीतेगा... मैंने कहा कि वह जीत कर शिक्षा मंत्री बनेंगे। यह भविष्यवाणी सत्य निकली। वह हिमाचल के शिक्षा मंत्री बने बाद में अध्यक्ष विधानसभा भी रहे। आज भी यदा कदा वह मिल जाते है। उनका नाम श्री राधा रमण शास्त्री है।
इसे मनोविज्ञान में पूर्वाभास तथा भविष्यवाणी ही कहेंगे। ऐसी अनेकों अदभुत देश विदेश की घटनायें वर्षो से मेरे साथ घटती रहती हैं। जिसमें हर आयु वर्ग तथा स्टेटस के लोग शामिल हैं। एकान्त में निवास करने वाले मन्दिरों, गुफाओं में रहने वाले साधकों से भी मैं परा-मनोवैज्ञानिक आभास द्वारा मिल चुका हूं।