आओ हम सब दीप जलाएं l
अंधकार को दूर भगाएं ll
कण-कण में आलोकित हो जग l
जन-जन में आभूषित हो जग ll
दीप ज्योति का पर्व मनाएं l
अंधकार को दूर भगाएं ll
भेद-भाव से दूर रहे मन l
साथ चलें मिलकर हम सब जन ll
मन में दीपक पुष्प खिलाएं l
अंधकार को दूर भगाएं ll
दूर-दूर तक पथ व्याकुल हैं l
समय और गति भी आकुल हैं ll
पथ के कांटे दूर हटाएं l
अंधकार को दूर भगाएं ll
अपने मन की सब करते हैं l
अपने घर को सब भरते हैं ll
औरों को भी राह दिखाएँ l
अंधकार को दूर भगाएं ll
✍️ स्वरचित
अजय श्रीवास्तव 'विकल'