पर्वत है चट्टान अटल उदघोष भरा हुंकार करेगा l
नव ऊर्जा संचरित शिराओं में जीवन संचार करेगा ll
नायक जन में नायक मन में नायक विश्व विधाता है l
नायक प्रण में नायक तृण में नायक सबको भाता है ll
युवा सिंह जब गरज उठे पर्वत में मार्ग बनाए l
धार समय विपरीत बहे वह, नव प्रतिमान दिखाए ll
युवा वही जो प्रलय मध्य ही सागर पार करेगा l
नव ऊर्जा संचरित शिराओं में जीवन संचार करेगा ll
निर्माणों के भाग्य विधाता तेजोमय आभा से शोभित l
माटी अपने राष्ट्र प्रेम की मस्तक पर रख लेता नित ll
चिंतन जीवन में व्यापक हो, विश्व प्रेम की गरिमा हो l
अतुलनीय हो पराक्रमी सादर सम्मानित महिमा हो ll
युवा वही जो त्याग वासना राष्ट्र प्रेम स्वीकार करेगा l
नव ऊर्जा संचरित शिराओं में जीवन संचार करेगा ll
पर्वत टूटे मार्ग विषम हों अगनित बाधा पथ में आए l
अंधकार में हाथ न सूझे संकट वारिद नभ में छाए ll
बल पौरुष से प्रबल भुजाओं में साहस का हो संचार l
अभयदान देता हो जग को, वही बनेगा जग आधार ll
युवा वही जो विषम परिस्थिति में जीवन साकार करेगा l
नव ऊर्जा संचरित शिराओं में जीवन संचार करेगा ll
✍️स्वरचित
अजय श्रीवास्तव 'विकल'