क्या वर्षा जब जीवन पानी !
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उमड़-घुमड़ कर बादल बरसे l
खेत बाग वन उपवन सरसे ll
यह पानी विकराल हो गया l
बहता है घर बार खो गया ll
किसने कर दी यह मनमानी?
क्या वर्षा जब जीवन पानी !
जिस खटिया पर हम थे सोये l
आज वही पानी में खोये ll
कल तक जो आँगन कहलाता l
काल गाल में वही समाता ll
यह डायन है बड़ी सयानी l
क्या वर्षा जब जीवन पानी !
चारों ओर प्रलय की महिमा l
जल-प्लावन में कोई बचे ना ll
सूख गयी है काया जल में l
प्यास बुझा न पाया जल में ll
फिर दोहराई गयी कहानी l
क्या वर्षा जब जीवन पानी !
नदिया बढ़ती, बढ़ती जाती l
लील गयी अपनी सब थाती ll
आँगन खेत, नीम सब ओझल l
डूब गए अपने थे जो पल ll
छोड़ गए अपनी रजधानी l
क्या वर्षा जब जीवन पानी ll
उतराये जीवन के सपने l
मंगलकारी जो थे अपने ll
ज्ञात नहीं है कहाँ है जाना l
घर उजड़ा है कहाँ ठिकाना ll
किसने मन में क्या है ठानी?
क्या वर्षा जब जीवन पानी ll
स्वरचित
अजय श्रीवास्तव 'विकल'