प्राण सत्य है, सत्य वचन है, सत्य मृत्यु की सच्चाई l
ईश्वर की अनुभूति सत्य है, कण-कण में है दिखलाई ll
मुख से निकले शब्द निरंतर, काल-चक्र के श्रम में हैं l
जिनको सत्य कहेंगे वे तो, दुविधाओं के भ्रम में हैं ll
गीता पर हाथों को रखकर, झूठ सत्य बन जाता है l
सत्यमेव की जयति हो रही, सत्य झूठ कहलाता है ll
आँखों पर पट्टी बंध जाए, किसकी है यह प्रभुताई?
ईश्वर की अनुभूति सत्य है, कण-कण में है दिखलाई ll
सत्य मित्र, प्रतिकार सत्य है, सत्य सत्य की महिमा है l
सत्य पृथक कर देख रहा है, सत्य,सत्य की गरिमा है ll
कहते-कहते जो मिट जाए, सत्य वचन के पालन में l
कितना गहरा सत्य छिपा है, बेबस के अनुपालन में l
अनुनय विनय करोगे किससे, किसकी होगी सुनवाई?
ईश्वर की अनुभूति सत्य है, कण-कण में है दिखलाई ll
सत्य चमकता सूर्य किरण सा, पर्वत की ऊंचाई सा l
धरती के अंतस में व्यापक, सागर की गहराई सा ll
सत्य वही जो गरज उठेगा, झूठों के सिंहासन पर l
बादल जैसा बरस पड़ेगा, सूरज के आश्वासन पर ll
क्या बेबस आँखों में होगा, सत्य एक दिन सुखदाई?
ईश्वर की अनुभूति सत्य है, कण-कण में है दिखलाई ll
✍️स्वरचित
अजय श्रीवास्तव 'विकल'