आ गया होली का त्यौहार l
है बसंत का मौसम आया, मादक रूप खिले हैं l
कलियों पर भौंरे मंडराये, उनके ह्रदय मिले हैं ll
रंग, अबीर, ग़ुलाल उड़ाएं, मस्ती में सब झूमें l
फगुआ गाये कोयल सुर में, मगन-मगन सब घूमें ll
पीली सरसों की नदियों को छूकर बहे बयार l
आ गया होली का त्यौहार ll
राधा बोली कान्हा से, गिरधर तुम रंग लगाओ l
कोई अंग बचे न खाली, ऐसे मुझे सजाओ ll
इतने दिन से हम बैठे थे, कब आएगी होली l
हरी चुनरिया ओढ़ी तो,ये धरती नभ से बोली ll
इंद्रधनुष के रंगों जैसा खिलता अपना प्यार l
आ गया होली का त्यौहार ll
रंग अनेकों तन पर लगते, मन फिर भी हैं काले l
रसमय रस रंगों का राजा, उसके रंग निराले ll
ज़ब-ज़ब तन पर गोली लगती, लाल रंग खिल जाता l
केसरिया से मिल कर देखो, कैसा ये मिल जाता l
श्वेत हरे में लिपटा आऊं, यही मिला उपहार l
आ गया होली का त्यौहार ll
✍️स्वरचित
अजय श्रीवास्तव 'विकल'