आंसू मन के मीत हमारे, आंसू मन की परिभाषा l
आंसू दुःख के गीत हमारे, आंसू मन की है भाषा ll
आंसू मस्तक की स्मृतियां, आंसू दृग के पास रहें l
विकल वेदना सहते-सहते, आंसू बहते और बहेें ll
आँखों को प्यारे हैं आंसू, आँखों में छिप जाते आंसू l
होंठों से कुछ कह न सकें तो गालों पर आते आंसू ll
आसमान में बादल बनकर, आवारा से फिरते हैं,
तड़प उठे जो चपला घन में धरती गगन मिलाते आंसू ll
पानी में पानी के जैसे रंग कई दिखलाते आंसू l
भावों की बहती नदिया में, कश्ती भी लाते आंसू ll
भरे समंदर में कितनी ही लहरें उठती गिरती हैं,
तोड़ किनारों को बह करके जाने क्या पाते आंसू?
दुनिया मुख मोड़े जो हमसे, जाने क्या समझाते आंसू?
पल में बहकर सागर बनते, हमको बहुत रुलाते आंसू ll
अपने हमसे बिछड़ जाएं तो कैसे वो मिल पाएंगे,
सागर में नदियों के जैसे हमको वही मिलाते आंसू ll
पीड़ा में पीड़ा की ध्वनि है, पीड़ा रस बरसाते आंसू l
हँस-कणिकाओं में मिश्रित हो, दर्द कई दिखलाते आंसू ll
हँसने को कहती है दुनिया, हँसते-हँसते जीना है,
ऊपर से सब सुख दिखता है, अंदर बहुत छिपाते आंसू ll
✍️स्वरचित
अजय श्रीवास्तव 'विकल'