ध्यान में बैठने के लिए आसन (Posture) :
बहुत सारे आसन
हैं जिनमें आपकी रीढ़ सीढ़ी रहती है और आप आराम से सुविधाजनक स्थिति में अपनी टाँगों
को किसी प्रकार से तोड़े मरोड़े बिना बैठे रह सकते हैं | वास्तव में ध्यान में हाथों
अथवा पैरों पर ध्यान देने की अपेक्षा इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि आपकी रीढ़ सीधी
हो | और इस आसन में बैठने के लिए सबसे सरल आसन है
मैत्री आसन :
इस आसन में
आप किसी कुर्सी अथवा बेंच पर बैठ सकते हैं | आपके पैर फर्श पर सीधे रखे हों अथवा
बेंच के ऊपर सुखासन में हों | इस आसन का प्रयोग कोई भी कर सकता है | यहाँ तक कि
जिनके शरीर में लचीलापन नहीं होता अथवा जिन्हें भूमि पर बैठने में कठिनाई होती है
वे लोग भी इस आसन में आराम से बैठ सकते हैं | इस आसन में बैठने से ध्यान के समय
आपको किसी प्रकार की असुविधा का अनुभव नहीं होगा |
सुखासन : यदि आपके शरीर में
लचीलापन है तो आप एक वैकल्पिक आसन – सुखासन – में बैठना चाहेंगे | इसमें आप दोनों
टाँगों को एक दूसरे के आर पार मोड़कर बैठते हैं | अर्थात एक पैर दूसरे पैर के घुटने
के नीचे ज़मीन पर टिका होता है और दूसरे पैर का घुटना उस पैर पर आराम से रखा होता
है | एक मोटे तह किये हुए कम्बल पर बैठिये जिससे आपके घुटनों और टखनों पर अधिक
दबाव न पड़ने पाए | आपके ध्यान का आसन अर्थात जिस आसन या स्थान पर आप बैठे हैं वह
स्थिर हो, किन्तु न तो अधिक कठोर हो और न ही हिलने डुलने वाला हो | यह आसन अधिक
ऊँचा भी नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे आपके शरीर की स्थिति में व्यवधान उत्पन्न
होगा |
यदि आपकी
टाँगों में लचीलापन नहीं है अथवा जाँघ की माँसपेशियों में तनाव है तो आप देखेंगे
कि आपके घुटने ज़मीन पर टिक नहीं पाते | इस स्थिति में कूल्हों के नीचे एक और कुशन
अथवा तह किया हुआ एक और कम्बल लगा सकते हैं जिससे आपको बैठने में सहायता मिलेगी |
आसन में बैठने से पहले यदि शरीर को खिंचाव देने वाले सरल से अभ्यास (Stretch Exercises) कर लिए जाएँ तो शरीर में लचीलापन बढाने में सहायता मिलती है जिससे आप और
अधिक सुविधापूर्वक ध्यान के लिए बैठ सकते हैं | जिस भी आसन का आप चयन करें उसका
नियमित रूप से अभ्यास कीजिए और उसे जल्दी जल्दी बदलने का प्रयास मत कीजिए | यदि आप
नियमित रूप से एक ही आसन में बैठने का अभ्यास करते हैं तो हीरे धीरे वह आसन आपके
लिए स्थिर और अधिक सुविधाजनक हो जाएगा |
https://www.astrologerdrpurnimasharma.com/2019/11/28/meditation-and-its-practices-21/