ध्यान में बैठने के लिए आसन (Posture) :
बहुत सारे आसन
हैं जिनमें आपकी रीढ़ सीढ़ी रहती है और आप आराम से सुविधाजनक स्थिति में अपनी टाँगों
को किसी प्रकार से तोड़े मरोड़े बिना बैठे रह सकते हैं | वास्तव में ध्यान में हाथों
अथवा पैरों पर ध्यान देने की अपेक्षा इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि आपकी रीढ़ सीधी
हो | इस क्रम में मैत्री आसन और सुखासन के विषय में कल लिखा जा चुका है | आज
स्वस्तिक और सिद्ध आसन...
स्वस्तिक आसन : जो लोग
स्वस्तिकासन में सुविधापूर्वक बैठ सकते हैं उनके लिए इस आसन के कई लाभ होते हैं |
यदि आपकी टाँगों में अपेक्षाकृत अधिक लचीलापन है तो सुखासन की अपेक्षा इस आसन में
लम्बे समय तक ध्यान के लिए आपका बैठना अधिक सुविधाजनक रहेगा | क्योंकि इसमें आपका
आधार और अधिक विस्तृत हो जाता है | ज़मीन पर आपके शरीर का भार समान रूप से होता है
और आप पहले से भी अधिक स्थिर होकर शरीर को बिना इधर उधर हिलाए डुलाए बैठे रह सकते
हैं |
इस आसन में
सुखासन की भाँति घुटने सामने वाले पैर पर टिके नहीं होते अपितु सीधे ज़मीन पर टिके
होते हैं | इस आसन का एक लाभ यह भी है कि टखनों की हड्डियों पर दबाव कम पड़ता है |
सिद्धासन : सिद्धासन के लिए अपने
ध्यान के आसन पर आराम से बैठ जाइए और बाईं टाँग को घुटने से धीरे से मोड़कर बाएँ
पैर को दाहिनी जँघा के पास लाइए | बाएँ पैर का तलवा दाहिनी जँघा के भीतर के भाग के
सामने सपाट रखा हो | अब दाहिने घुटने को मोड़िये और दाहिने पैर को बाएँ पैर की
पिंडली पर इस तरह रखिये कि दाहिने पैर का तलवा बाईं जँघा के साथ लगा हो | दाहिने
पैर के बाहरी भाग को अँगुलियों को आपस में चिपकाकर बाईं जँघा और बाएँ पैर की
पिंडली के बीच में रखिये | अब बाएँ पैर की अँगुलियों को दाहिनी जँघा और पिंडली के
बीच में रखने के लिए धीरे से उठाइये और कुछ इस तरह रखिये कि अँगूठा दिखाई पड़े | इस
तरह एक सन्तुलित और दृढ़ आसन बन जाएगा जो ध्यान में बहुत सहायक होगा | सम्भव है
सिद्धासन का यह वर्णन पढ़कर आपको लगे कि यह बहुत उलझा हुआ है, किन्तु इन
दिशा निर्देशों के अनुसार अभ्यास करेंगे तो यह आसन लगाना आपके लिए कठिन नहीं होगा
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https://www.astrologerdrpurnimasharma.com/2019/11/29/meditation-and-its-practices-22/