अपने लिए सुविधाजनक आसन का चयन :
टाँगों में
लचीलेपन के अभाव में सम्भव है कुछ प्रारम्भिक साधकों को सिद्धासन आरम्भ में सुविधाजनक
न लगे | आप टाँगों को आर पार मोड़कर ऐसा कोई भी आसन बना सकते हैं जिससे आपके शरीर
को इधर उधर झूले बिना, हिले डुले बिना स्थिर होकर बैठने में सहायता मिले, अथवा जैसा कि पहले बताया गया – आरम्भ में आप
मैत्री आसन में भी बैठ सकते हैं | यहाँ पुनः इस बात को दोहराना आवश्यक हो जाता है
कि जिस भी आसन में आप बैठें – सबसे पहले आपका सिर गर्दन और धड़ एक सीध में
होना चाहिए जिससे आपकी रीढ़ सीढ़ी रहे, उसके बाद ही टाँगों को
किसी विशेष प्रकार से रखिये |
कुछ
अभ्यासियों को अगले आसनों को सीखने की इतनी शीघ्रता होती है कि भली भाँति सीखे
बिना ही उन्हें लगाना आरम्भ कर देते हैं | जिसका परिणाम यह होता है कि वे उचित रूप
से नहीं बैठ पाते, क्योंकि वे कन्धों को ऊपर खींचकर कूबड़ सा बना लेते हैं जिससे
रीढ़ में बल पड़ जाता है | ऐसा करने का दुष्परिणाम यह होगा कि आपके शरीर जो बैठने
में असुविधा होगी और आपके श्वास की प्रक्रिया में बाधा पड़ेगी | साथ ही ध्यान की
प्रगाढ़ता के लिए उपयोगी ऊर्जा के भीतरी स्रोत भी इससे अवरुद्ध हो जाएँगे |
कमर की माँसपेशियों के साथ समस्याएँ :
बचपन से ही
ग़लत ढंग से चलने और बैठने के स्वभाव के कारण बहुत से लोगों का बैठने के ढंग – आसन
यानी Posture ही बिगड़ चुका होता है | और इस कारण रीढ़ को सहारा देने वाली माँसपेशियाँ
पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पातीं और आयु में वृद्धि के साथ साथ माँसपेशियों में
बल पड़ना आरम्भ हो जाता है | जिससे उनके शरीर को ही नुकसान पहुँचता है | जब आप
प्रथम बार ध्यान के लिए बैठना आरम्भ करते हैं तब सम्भव है आपको लगे कि आपकी कमर की
माँसपेशियाँ दुर्बल हैं और कुछ मिनट बैठने के बाद ही आप आगे की ओर झुक जाते हैं |
यदि आप दिन
भर बैठने, खड़े होने और
चलने के समय अपने शरीर के अंगों की स्थिति पर ध्यान देना आरम्भ कर देंगे तो बहुत
शीघ्र आप इस समस्या से मुक्ति पा सकते हैं | यदि आप अपने शरीर को ढीला ढाला या
झुका हुआ पाते हैं तो अपनी मुद्रा सुधारें | ऐसा करने से आपकी कमर की माँसपेशियाँ
भली भाँति कार्य करना आरम्भ कर देंगी | कुछ हठ योग के आसन जैसे भुजंगासन, नौकासन, धनुरासन और
बालासन भी आपकी कमर की माँसपेशियों को बल देने में सहायक होंगे, जिससे वे
माँसपेशियाँ आपकी रीढ़ के स्तम्भ को सहारा दे सकें |
कुछ
अभ्यासार्थी जिनका बैठने का ढंग सही नहीं होता वे प्रायः पूछते हैं कि ध्यान के
समय क्या दीवार का सहारा लिया जा सकता है ? आरम्भ में मुद्रा सीधी करने के लिए के
लिए आप ऐसा कर सकते हैं, लेकिन किसी बाहरी सहारे पर अधिक समय तक निर्भर रहना
उचित नहीं होगा | आरम्भ से ही पूर्ण एकाग्रता और नियमित अभ्यास के द्वारा आसन को
ठीक करने का प्रयास करें | अपने किसी मित्र से कह सकते हैं कि वह देखकर बताए कि आपका
आसन उचित है अथवा नहीं | अथवा शीशे में एक ओर से देखकर स्वयं ही अनुमान लगाने का
प्रयास कीजिए | यदि आपकी रीढ़ पूर्ण रूप से सीध में होगी तो अपनी कमर पर हाथ फिराने
पर रीढ़ की हड्डी में उभारों पर गाँठ का अनुभव नहीं होगा |
https://www.astrologerdrpurnimasharma.com/2019/11/30/meditation-and-its-practices-23/