ध्यान और इसका अभ्यास
ध्यान के लिए उपयुक्त आसनों पर वार्ता के क्रम में हमने मैत्री आसन, सुखासन, स्वस्तिकासन, वज्रासन और सिद्धासन पर बात की
| कुछ अन्य आसन भी ध्यान में बैठने के लिए अनुकूल हो सकते हैं | जैसे:
पद्मासन : सिद्धासन की ही भाँति
पद्मासन की सलाह भी प्रायः साधारण साधकों को नहीं दी जाती | क्योंकि यदि इसे उचित
विधि से नहीं किया गया तो इसका कोई लाभ नहीं होगा | कोई भी साधारण या आरम्भिक स्तर
का साधक इस आसन में पूर्ण रूप से उचित और सुविधाजनक स्थिति में नहीं बैठ सकता –
विशेष रूप से इस आसन में बन्ध लगाना बहुत कठिन होता है |
पद्मासन योग
का एक उत्तम आसन है | किन्तु कुशल योगी और साधक भी वास्तव में सिद्धासन का प्रयोग
करते हैं | पद्मासन यौगिक प्रक्रिया का एक प्रतीक माना जा सकता है | जिसका सार यही
है कि जिस प्रकार कमल कीचड़ के अन्दर रहता है किन्तु
अपनी दिव्य सुगन्ध पानी की सतह पर निरन्तर प्रसारित करता रहता है उसी प्रकार से
संसार में निर्लिप्त भाव से रहना चाहिए |
आजकल पद्मासन
शरीर के निचले भागों को लचीला कोमल बनाने के लिए अभ्यास में लाया
जाता है न कि ध्यान के लिए | क्योंकि अधिकाँश साधकों को इस आसन में बैठकर ध्यान
करने में असुविधा का अनुभव होता है | शारीरिक असुविधाएँ और कष्ट के कारण अधिकाँश
लोगों को ध्यान की स्थिति में पहुँचने में बाधा होना स्वाभाविक है | हमारे विचार
से विद्यार्थियों को ध्यान के अभ्यास के लिए दूसरे सरल आसनों में बैठना चाहिए
जिनमें स्थिरता भी बनी रहे और जो सुविधाजनक भी हों |
संक्षेप में,
ध्यान के अधिकाँश विद्यार्थियों के लिए पहले तीन आसनों – मैत्री आसन, सुखासन और स्वस्तिकासन में से किसी एक को अपनाना चाहिए | किसी एक आसन का
विधिवत अभ्यास कीजिए और ध्यान के नियमित आसन के रूप में उसका प्रयोग कीजिए | ऐसा
करने पर आप पाएँगे कि वह विशेष आसन आपके लिए अधिक सुविधाजनक,
स्थिर और दृढ़ हो जाएगा |
https://www.astrologerdrpurnimasharma.com/2019/12/13/meditation-and-its-practices-25/
4 जुलाई 1955 को उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में जन्म | शिक्षा दीक्षा उत्तर प्रदेश के ही जिला बिजनौर के नजीबाबाद में सम्पन्न |
शिक्षा दीक्षा : संस्कृत तथा तबला में पोस्ट ग्रेजुएशन, गायन तथा कत्थक में ग्रेजुएशन, गुरु शिष्य परम्परा में गायन-तबला तथा जयपुर घराने के कत्थक की शिक्षा, भारतीय दर्शन में पी एच डी |
आकाशवाणी नजीबाबाद से उदघोषण, संगीत संयोजन, लेखन, संगीत रूपक इत्यादि विधाओं के चलते 7 वर्ष तक जुड़ाव | इस बीच लगभग पाँच वर्ष तक रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय और गढ़वाल विश्वविद्यालयों में संस्कृत अध्यापन |
1983 से विवाह के बाद से आज तक ज्योतिष और योग से सम्बन्धित अनेक पुस्तकों का हिन्दी अनुवाद, साथ ही 35 वर्षों से भी अधिक के अनुभव के साथ एक लब्ध प्रतिष्ठ ज्योतिषी |
कुछ प्रसिद्ध मीडिया कम्पनियों के लिए भी लेखन कार्य | लगभग दस वर्षों तक दूरदर्शन के प्रिव्यू पैनल पर एक्सपर्ट के रूप में कार्य |
प्रकाशित कार्य:
• बचपन से ही लेखन में गहन रूचि के कारण अनेक पत्र पत्रिकाओं में लेख लिखने का सौभाग्य |
• 2006 में अरावली प्रकाशन दिल्ली से देवदासियों के जीवन संघर्षों पर आधारित उपन्यास “नूपुरपाश” प्रकाशित |
• 2006 में ही व्यक्तिगत और सामाजिक अनुभवों पर आधारित प्रथम काव्य संग्रह “मेरी बातें” हिन्दी अकादमी दिल्ली के सौजन्य से अनमोल प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित |
• भारत के मध्यमवर्गीय परिवारों में नारियों के संघर्षमय जीवन की झलक प्रस्तुत करता उपन्यास “सौभाग्यवती भव” नाम से 2008 में भारतीय पुस्तक परिषद दिल्ली से प्रकाशित |
• बयार के समान उन्मुक्त भाव से प्रवाहित होती निरन्तर प्रगति पथ पर अग्रसर रहती महिलाओं पर ही आधारित उपन्यास “बयार” 2015 में एशिया पब्लिशर्स द्वारा प्रकाशित |
सम्प्रति:
• स्त्री-पुरुष के सम्बन्धों पर आधारित उपन्यास “विरक्त” शीघ्र ही प्रकाशित होने वाला है |
• अन्य अनेकों संस्थाओं की महासचिव रहने के बाद सम्प्रति WOW (Well-Being of Women) India नामक राष्ट्रीय स्तर की संस्था की महासचिव के रूप में क्षेत्र की एक प्रमुख समाज सेविका |
संपर्क सूत्र: 302, कानूनगो अपार्टमेंट, 71 इन्द्रप्रस्थ विस्तार, दिल्ली –92,
मोबाइल: 7042321200
वेबसाइट : https://www.astrologerdrpurnimasharma.in/
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