यार सुनो ! जैसे हो ठीक
हो !!! - दिनेश डॉक्टर
एक
गधे और दो भाइयों की एक पुरानी कहानी है । आपने भी ज़रूर सुनी होगी । दो भाई एक गधे
पर बैठ कर गांव से शहर की तरफ चल पड़े । लोगों ने ताना दिया की देखों सालों को शर्म
नही आती । दो दो मुस्टंडे एक गरीब से गधे पर बैठे है । छोटा भाई पैदल चला तो फिर
ताना सुना कि देखो साले बड़े भाई को शर्म नही आती खुद गधे पर बैठा है और अपने छोटे
भाई को पैदल चलवा रहा है । अब बड़ा भाई पैदल चलने लगा तो फिर ताना सुना कि देखो ये
छोटा भाई कितना नालायक और खुदगर्ज़ है - साला
खुद अकड़कर गधे पर बैठा है और इसे शर्म नही आती कि अपने बड़े भाई को पैदल चलवा रहा
है । अन्ततोगत्वा लोगों के तानों से दुखी होकर सुना है कि दोनो ने गधे को ही सिर
पर उठा लिया ।
है तो ये कहानी ही पर इसके पीछे जो मेसेज है वो बड़ा क्लियर है कि
लोगों की दूसरों को खामख्वाह उंगली करने की जो आदत है - उस पर कान दोगे तो ताउम्र
परेशान ही रहोगे । अरे यार मस्त रहो । कुछ लोगों को आप से बिना वजह बड़ी परेशानियाँ
हो सकती है । जैसे आप देर तक क्यों जागते हो, सुबह जल्दी क्यों नही उठते, खाने के बीच में पानी क्यों पीते हो, बृहस्पतिवार को
दाढ़ी क्यों बनाते हो, मंगलवार को ऑमलेट क्यों खाते हो,
वेज क्यों हो, नानवेज क्यों हो, दारू क्यो पीते हो, बियर या रेड वाइन क्यों नही पीते,
शादी क्यों नही कर रहे, बच्चा पैदा करने में
देर क्यों कर रहे हो, मोदी भक्त क्यों हो, मोदी विरोधी क्यों हो , गंगा क्यों नही नहाई और भी न
जाने क्या क्या । इनका वाहिद मकसद आपकी जिंदगी में मीन मेख निकाल कर, आप में गिल्ट पैदा करके - आपको चैन से जीने नही देना है । खुद ये जो मर्जी
करें पर आपके लिए हमेशा बिन मांगी सलाहों का थैला इनके कंधे पर हमेशा मौजूद रहता
है ।
अगर आप गलती से इनसे सवाल कर लो जैसे मंगलवार को ऑमलेट क्यों नही
खाना चाहिए या फिर बृहस्पतिवार को दाढ़ी क्यों नही बनानी चाहिए तो इनके पास बड़ा
बेहूदा सा जवाब होगा । 'भाई हमने तो बड़ों से सुना है' । अब ये 'बड़े' कौन थे - इसका
इन्हें कुछ भी अता पता नही होता । इंटरनेटीय ज्ञान की एक और बला पैदा हो गयी है ।
जिसे देखो सुबह से शाम तक फ़ारवर्डेड ज्ञान बांट बांट कर दूसरों की ज़िंदगी हलकान
किये हुए हैं। ये मत करो वो मत करो । इसे ऐसे करो उसको वैसे करो ।
मेरी सुनो । जैसे हो वैसे ठीक हो । लोगों की सुनकर ज्यादा गिल्ट के
फंडे में मत पड़ो । मन करे पूजा कर लो । मन करे मत करो । हॉं ! एक बात का खयाल रखना
- जिस बात की दिल गवाही न दे वो बिल्कुल मत करना । जिस बात को करने से दूसरों को
तकलीफ हो वो भी बिल्कुल मत करना । जो नया करने से आपके अपने समाज की युगों पुरानी
मान्यताओं का अच्छे से काम कर रहा ढांचा चरमराये - उसको अच्छी तरह सोच विचार कर ही
करना ।
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