डॉ दिनेश शर्मा के साथ थोड़ा सा घुमक्कड़ हो जाएँ...
घुमक्कड़ी का कीड़ा : दिनेश डाक्टर
घुमक्कड़ी का कीड़ा बचपन से ही मुझे ख़ासा परेशान करता रहा है | मुझे याद है कि हमारे पड़ोस में रहने वाले एक किसान का भतीजा कुछ दिन के लिए हमारे गाँव में आया था |मेरी उम्र रही होगी बामुश्किल दस ग्यारह बरस की | वो जर्मनी में कहीं सेटल था | जैसे ही मुझे पता लगा कि वो जर्मनी में रहता है , मैं घंटो उसके पास बैठा रहता और जर्मनी के बारे में अजीब अजीब से सवाल करता रहता | वो भी मेरी उत्सुकताओं को जानकर बड़े धैर्य के साथ सारे जवाब देता रहता | और सब सवाल तो मैं भूल गया पर एक सवाल जो मैंने उससे पूछा था, पाँच दशक बाद आज भी याद है |
मैंने उससे पूछा था कि जर्मनी की मिट्टी का रंग कैसा है |
आज भी पता नहीं क्यों मेरे भीतर हर नए मुल्क की मिट्टी का रंग ग़ौर से देखने की, उसे सूँघने की और महसूस करने की जिज्ञासा मौजूद है | कुछ महीनों घर में ड्राइंग रूम और बेड रूम के बीच की चहलक़दमी से घबरा कर फिर एक बार देश से निकल पड़ा | पता नहीं किस से सुना था कि क्रोएशिया बहुत ख़ूबसूरत देश है | पेरिस में कुछ दिन इधर उधर पुराने मित्रों से मिलने के बाद एक शाम दिमाग़ के परदे पर क्रोएशिया तैरने लगा और दो दिन बाद रात आठ बजे ख़ुद को क्रोएशिया के दुबरोवनिक हवाई अड्डे पर खड़ा पाया | बारिश और तूफान बहुत था | पहली बार विमान लैंड ही नही कर पाया और रन वे पर उतरते उतरते वापस उड़ गया | पन्द्रह मिनट बाद यात्रियों की बढ़ी हुई धड़कनों के बीच दूसरी कोशिश में हिलते डुलते इधर उधर हिचकोले खाते बड़ी मुश्किल से रन वे पर झटके से उतरा | सब मुसाफिरों ने तालियां बजाकर बड़े जोरों शोरों से पायलट की हौसला अफ़ज़ाई की | बाहर आकर कार रेंट करनी थी | पहली बार किसी मुल्क में रात अंधेरे पहुँच कर जब तूफान और बारिश हो, एयरपोर्ट से कार रेंट करना और तीस किलोमीटर दूर गंतव्य पर पहुंचना वाकई सही मायने में एडवेंचर है | शुक्र है गूगल गुरु अपने मैप अवतार में साथ ही थे तो खरामा खरामा पहुंच ही गया
वैसे तो क्रोएशिया तरह तरह के मीठे और स्वाद फलों का, सुनहरे शहद का, बेहद स्वादिष्ट चीज़ का, बेहतरीन बीयर, व्हाइट और रेड वाइन का, झीलों और और झरनों का और बहुत भले और ख़ूबसूरत लोगों का देश है | पर क्रोएशिया की जिस बात ने मुझे अन्दर तक छुआ वो है यहाँ की हर चीज़ में एक ख़ास रस | चाहे यहाँ की हवा पानी हो, फल सब्ज़ियाँ हों, शराब और बियर हो, लोगों की दिलकश बातें हों या कुछ और – चारों तरफ एक ख़ास रस है, सौंधी महक है जो आपको किसी और मुल्क में दिखाई नहीं पड़ती |
लंदन से फ्लाइट लेते समय जिस तरह हवाई जहाज पूरी तरह ठसाठस भरा हुआ था उससे यह अंदाजा तो हो ही गया था कि दुनिया के वो भी खास तौर पर पश्चिमी यूरोप और अमेरिका के घुमंतुओं की तवज्जो आजकल क्रोएशिया की तरफ ज्यादा बढ़ रही है पर इतनी बढ़ रही है इसका बिल्कुल भी अंदाज़ा नही था | क्रोएशिया का बंदरगाही शहर दुब्रोवनिक दस बरस पहले तक बहुत सुस्त और शांत शहर हुआ करता था और अब दिन रात सैलानियों की भीड़ हवाई जहाज़ों और पानी के जहाज़ों में लदी फंदी पता नहीं कहाँ कहाँ से घुसी चली आ रही है |
ये सब हुआ कैसे ? पहुंचने के अगली सुबह जब मैं पुराना शहर देखने के लिए निकला तो एयर बी एन्ड बी के ज़रिये बुक कराए मकान मालिक का चौबीस बरस का लंबा खूबसूरत लड़का इवान मुख्य द्वार पर ही मिल गया | लड़का वैसे तो मर्चेंट नेवी में अच्छे पद पर है पर अच्छी अंग्रेजी बोल सकने के कारण छुट्टियों में घर पर ही अपनी माँ के घर किराए पर देने के व्यवसाय में मदद कर रहा था | क्रोएशिया में ज़्यादातर तीन तीन पीढ़ियाँ एक साथ एक ही बड़े घर में इकट्ठे रहती हैं | इवान की दादी, माँ, पिता और भाई बहन इकट्ठे ही एक ही बड़े घर में साथ साथ रह रहे थे |
उसे जब पता लगा कि मैं पुराना शहर देखने जा रहा हूँ और कार ड्राइव करके जाना चाहता हूँ तो हंसने लगा | मैं थोड़ा हैरान हुआ तो उसने बताया कि पहली बात तो पार्किंग ही नही मिलेगी और मिल भी गयी तो इंडियन करंसी के हिसाब से 1500 से 2000 रुपये प्रतिघंटा देने पड़ेंगे | उसने बताया कि पांच साल से पुराने शहर में पैदल चलने के लिए भी जगह नही बची है जब से टेलीविजन पर 'गेम ऑफ थ्रोन्स' नाम की वेब सीरीज प्रसारित हुई है | तिहत्तर एपिसोड वाली इस वेब सीरीज ने जिसकी ज्यादातर शूटिंग क्रोएशिया और ख़ासतौर पर दुब्रोवनिक में हुई है, पूरे संसार में ज़बरदस्त सफलता हासिल की है |
शायद ऐसा पहले कभी नही हुआ था कि एक टेलीविजन प्रोग्राम ने एक शहर और देश के टूरिज्म को चार पांच गुना बढ़ा दिया हो | इवान की सलाह मान कर उबर टेक्सी, जो एयर बी एन्ड बी की ही तरह पूरी दुनिया में सैलानियों के लिए बड़ी सहूलियत लेकर आयी है, बुक की | आत्मविश्वास से लबालब भरी जवान टेक्सी ड्राइवर ने जब अजीब से ढंग से मुस्करा कर पूछा 'गेम ऑफ थ्रोन्स टूरिस्ट' तो मुझे उसकी मुस्कराहट का व्यंग समझ आ गया | वो मुझे भी गेम ऑफ थ्रोन्स का वेब सिरिजी टूरिस्ट समझ कर मजे ले रही थी |
पुराने शहर के मुख्य दरवाज़े पर जबरदस्त भीड़ का रेला था | लंबी डीलक्स बसों में से उतर कर टूरिस्ट ग्रुप्स के झुंड के झुंड जमा थे | मुझे दिल्ली में होने वाली राजनीतिक रैलियों की याद आ गई | मेरी हिम्मत ही नहीं पड़ी कि अन्दर घुस जाऊँ | पैदल ही वापस शहर का नया बंदरगाह देखने के इरादे से लौट गया |
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