हनुमान जयन्ती
आज चैत्र पूर्णिमा है... और कोविड
महामारी के बीच आज विघ्नहर्ता मंगल कर्ता हनुमान जी – जो लक्ष्मण की मूर्च्छा दूर
करने के लिए संजीवनी बूटी का पूरा पर्वत ही उठाकर ले आए थे... जिनकी महिमा का कोई
पार नहीं... की जयन्ती है… जिसे पूरा हिन्दू समाज भक्ति भाव से मनाता है... कल दिन
में बारह बजकर पैंतालीस मिनट के लगभग पूर्णिमा तिथि का आगमन हुआ था और आज प्रातः
नौ बजे तक ही पूर्णिमा तिथि थी, लेकिन उदया तिथि होने
के कारण आज हनुमान जन्म महोत्सव मनाया जा रहा है... मान्यता है कि सूर्योदय काल
में हनुमान जी का जन्म हुआ था... आज पाँच बजकर चौवालीस मिनट पर सूर्योदय हुआ है...
अस्तु, सर्वप्रथम सभी को श्री रामदूत हनुमान जी की जयन्ती की
हार्दिक शुभकामनाएँ… इस भावना के साथ कि जिस प्रकार पग पग पर भगवान श्री राम के
मार्ग की बाधाएँ उन्होंने दूर कीं... जिस प्रकार लक्ष्मण को पुनर्जीवन प्राप्त
करने में सहायक हुए... उसी प्रकार आज भी समस्त संसार को कोरोना महामारी से मुक्त
होने में सहायता करें... अपनी कृपा से जन जन का मनोबल इतना सुदृढ़ कर दें कि हर कोई
मन में बस यही संकल्प ले कि कोरोना को हराना है... क्योंकि संकल्प की ही विजय होती
है...
बुद्धिर्बलं यशो धैर्यं
निर्भयत्वमरोगता |
अजाड्यं वाक्पटुत्वं च
हनूमत्स्मरणाद्भवेत् ||
हनुमान जी का स्मरण करने से हमारी बुद्धि, बल, यश, धैर्य, निर्भयता, आरोग्य, विवेक और
वाक्पटुता में वृद्धि हो |
मनोजवं मारुततुल्यवेगम्,
जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् |
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं,
श्री रामदूतं शरणं प्रपद्ये ||
हम उन वायुपुत्र श्री हनुमान के शरणागत
हैं जिनकी गति का वेग मन तथा मरुत के समान है,
जो जितेन्द्रिय हैं, बुद्धिमानों में श्रेष्ठ हैं, वानरों की सेना के सेनापति हैं तथा भगवान् श्री राम के दूत हैं |
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं, दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् |
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं, रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ||
अत्यन्त बलशाली, स्वर्ण
पर्वत के समान शरीर से युक्त, राक्षसों के काल, ज्ञानियों में अग्रगण्य, समस्त गुणों के भण्डार, समस्त वानर कुल के स्वामी तथा रघुपति के प्रिय भक्त वायुपुत्र हनुमान को
हम नमन करते हैं |
हनुमानद्द्रजनीसूनुर्वायुपुत्रो
महाबलः, रामेष्टः फाल्गुनसखः पिङ्गाक्षोऽमितविक्रम: |
उदधिक्रमणश्चैव
सीताशोकविनाशनः, लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा ||
एवं द्वादशनामानि
कपीन्द्रस्य महात्मनः,
स्वापकाले प्रबोधे च
यात्राकाले च यः पठेत् |
तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च
विजयी भवेत् ||
हनुमान, अंजनिपुत्र, वायुपुत्र, महाबली, रामप्रिय, अर्जुन (फाल्गुन) के मित्र, पिंगाक्ष - भूरे नेत्र वाले, अमित विक्रम अर्थात महान प्रतापी, उदधिक्रमण: - समुद्र
को लाँघने वाले, सीता जी के शोक को नष्ट करने वाले, लक्ष्मण को जीवन दान देने वाले तथा रावण के घमण्ड को चूर्ण करने वाले –
ये कपीन्द्र के बारह नाम हैं | रात्रि को शयन करने से पूर्व,
प्रातः निद्रा से जागने पर तथा यात्रा आदि के समय जो व्यक्ति हनुमान जी के इन बारह
नामों का पाठ करता है उसे किसी प्रकार का भय नहीं रहता तथा विजय प्राप्त होती है |
आज की इस भयंकर आपदा के समय
में मंगल रूप हनुमान सबका मंगल करें... सभी को एक बार पुनः हनुमान जयन्ती की
हार्दिक शुभकामनाएँ...