आज समूचा देश “हिन्दी दिवस” मना रहा है... भोर से ही Whatsapp पर हिन्दी दिवस की शुभकामनाएँ और हिन्दी की सम्मान में कविताएँ प्राप्त होने की जैसे होड़ मची हुई है... साथ ही न जाने कितने निमन्त्रण प्राप्त हो चुके हैं आज की स्थान स्थान पर आयोजित हो रही गोष्ठियों में उपस्थित होने के लिए... तो सर्वप्रथम सभी को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ...
हममें से अधिकाँश लोगों को सम्भवतः ज्ञात होगा कि 1918 में इंदौर में आयोजित हिन्दी साहित्य सम्मलेन में महात्मा गाँधी ने हिन्दी को आम जनमानस की भाषा बताते हुए इसे राष्ट्रभाषा घोषित किये जाने की बात कही थी | उस समय के प्रसिद्ध गाँधीवादी विचारधारा के पत्रकार और लेखक काका केलकर और मैथिलीशरण गुप्त जैसे अनेकों दिग्गज भी इसी पक्ष में थे | ऐसे ही महानुभावों के प्रयासों के फलस्वरूप देश आज़ाद होने के बाद चौदह सितम्बर सन 1949 में भारत की संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी हुई हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा घोषित किया और उसके बाद हर क्षेत्र में हिन्दी के प्रचार प्रसार के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर 1953 से सारे देश में चौदह सितम्बर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा |
हममें से बहुत से लोग यह भी जानते होंगे कि चीन की मंदारिन भाषा, स्पैनिश और अंग्रेजी के बाद हिन्दी ही ऐसी भाषा है
जो सबसे अधिक प्रयोग में आती है | विश्व के तीस से अधिक देशों में हिन्दी पढ़ाई लिखाई जाती है और लगभग सौ विश्वविद्यालयों में हिन्दी के अध्यापन की व्यवस्था है | अमेरिका में बहुत से शैक्षणिक संस्थानों में हिन्दी का पठन पाठन होता है | यहाँ तक कि फ़िजी में हिन्दी को आधिकारिक भाषा का दर्ज़ा दिया गया है | इनके अतिरिक्त मॉरीशस, फिलीपींस, नेपाल, गुयाना, सुरिनाम, त्रिनिदाद और तिब्बत में हिन्दी बोली और समझी जाती है |
ये सब लिखने का विशेष अभिप्राय है | कुछ समय पूर्व हमें महिलाओं के एक कार्यक्रम में आमन्त्रित किया गया था |
कार्यक्रम के बाद जलपान के समय महिलाएँ आपस में बात करने लगीं | कुछ महिलाओं की समस्या थी कि उनके बच्चे जिन विद्यालयों में पढने जाते हैं वहाँ विद्यालय परिसर में बच्चे केवल अंग्रेज़ी में ही बात कर सकते हैं | यदि किसी बच्चे को हिन्दी में
वार्तालाप करते हुए पकड़ लिया तो उसे सज़ा देने के साथ ही उसके माता पिता को भी बुलाकर इस बात की शिकायत की जाती है | दिल्ली एन सी आर में ही बहुत से ऐसे विद्यालय हैं जो स्वयं को “अमेरिकी” शिक्षा पद्धति के आधार पर चलने वाला बताते हैं – सम्भवतः विदेशों के ही विद्यालयों की शाखाएँ हैं और इसीलिए “इंटरनेशनल” लिखते हैं | बहुत धनाढ्य वर्ग के बच्चे ही वहाँ जाकर पढ़ाई कर सकते हैं | उन विद्यालयों में हर विषय सिखाया पढ़ाया जाता है | वास्तव में ये विद्यालय टैलेंट को आधार मानकर चलते हैं – जो एक प्रकार से देखा जाए तो बहुत अच्छा प्रयास है | स्कूली शिक्षा लेने के बाद बच्चे का जिस दिशा में कैरियर बनाने का मन होगा उस दिशा में उसे भेजा जा सकता है | किन्तु एक बात से मन बहुत आहत हुआ – ऐसे ही एक विद्यालय में पढ़ रहे कुछ बच्चों की माताओं और दादी नानी ने बड़े गर्व से हमें बताया कि “पता है इस स्कूल में हिन्दी बिल्कुल नहीं पढ़ाई जाती...” हमने उन महिलाओं से पूछा कि आपके घर के बुज़ुर्ग किस भाषा में बात करते हैं ? उनका उत्तर था “हिन्दुस्तानी” में | तब हमने उनसे आगे पूछा “आप स्वयं किस भाषा में सोचती हैं ?” पहले तो वे मेरा प्रश्न ही नहीं समझ पाईं कि सोचने की भी क्या कोई भाषा हो सकती है ? फिर जब उन्हें समझाया कि वे जिस भाषा में सोचेंगी उसी में यदि संवाद भी करेंगी तभी उनके संवाद में प्रभावात्मकता उत्पन्न हो सकेगी, अन्यथा तो उनकी कही बात केवल “किताबी” बनकर रह जाएगी | बंगाली बंगला में सोच सकते हैं, दक्षिण भारतीय अपनी बोलियों में सोच सकते हैं, एक अँग्रेज़ अंग्रेजी में सोच सकता है, चीन के निवासी – जर्मनी के निवासी – रूस के निवासी – यानी हर देश के निवासी – हर भाषा भाषी – अपनी ही भाषा में सोच सकते हैं और उसी भाषा में विचारों का सम्प्रेषण भी पूर्ण प्रभावात्मकता के साथ कर सकते हैं | इसलिए क्यों नहीं अपने बच्चों को उन विद्यालयों में अध्ययन के लिए भेजती हैं जहाँ उनकी अपनी भाषा में सोचने और बोलने की आज़ादी उन्हें प्राप्त हो सके |
अपनी सोसायटी में ही देखते हैं कि माताएँ प्ले स्कूल्स से जब अपने बच्चों को घर वापस लेकर आती हैं तो उन दुधमुहों से “इंग्लिश” में गिटर पिटर करती चलती हैं | “बेटा, डोंट डू दिस... दादी गुस्सा करेंगी...” या “डोंट ड्रिंक ठण्डा पानी, सारी रात कफिंग करोगे...” या “ओ माई सन... भूख लगी है... मम्मा विल गिव यू कुछ इंटरेस्टिंग सा...” वगैरा... वगैरा... उस समय मन होता है कि उनसे पूछें कि उनका दिमाग किस “बोली” में सोच रहा है और क्या वे उसी “भाषा” में बात कर रही हैं...? और
उनके ऐसा करने के पीछे एक विशेष कारण जो हमें समझ में आया वो ये कि हम लोग भले ही आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, लेकिन अभी भी भी हमें अपने आपको “हिन्दीभाषी” बताने में शर्म आती है | लोग क्या कहेंगे | असल में हम सबकी सोच ऐसी बन चुकी है कि यदि अंग्रेजी में बात नहीं करेंगे तो गँवार समझे जाएँगे |
अंग्रेज़ी या अन्य भाषाओं से किसी को परहेज़ नहीं है | बल्कि वास्तविकता तो यह है कि अनेक देशों के साथ संवाद के लिए और विज्ञान तथा तकनीकी आदि विषयों के अध्ययन के लिए अँग्रेज़ी अन्तर्राष्ट्रीय विचार विनिमय की भाषा है | किन्तु साथ ही सच्चाई यह भी है कि भारत जैसे विशाल, विविधता पूर्ण और उदात्त विचारधारा वाले देश में – जहाँ अनेकों धर्मों और सम्प्रदायों की मान्यताएँ, अनेकों प्रान्तों और अंचलों के रीति रिवाज़ और पर्व त्यौहार परस्पर इस तरह घुले मिले हैं कि उनकी विविधता तो परिलक्षित होती है लेकिन कहीं विरोध नहीं प्रतीत होता – वहाँ हिन्दी भाषा भी इतनी उदात्त है कि न जाने कितनी भाषाएँ इसमें अब तक समाकर इसे अपनी पहचान बना चुकी हैं और कि अपनी इन भगिनियों-दुहिताओं का साथ पाकर और इन्हें स्वयं में समाकर हिन्दी भी समृद्ध हुई है – यही कारण है की जन साधारण के लिए यह समृद्ध और महान भाषा “हिन्दुस्तानी” है | जिस तरह इस देश में सबको अंगीकार करने की भावना है उसी प्रकार हिन्दी भाषा में समस्त भाषाओं को अपने में आत्मसात करके अपना गौरव और अधिक बढ़ाने की सामर्थ्य है | इसलिए हमें तो अपने “हिन्दीभाषी” होने पर गर्व का अनुभव होना चाहिए | साथ ही एक बात और है कि मात्र एक ही दिन हिन्दी भाषा के सम्मान में गोष्ठियों का आयोजन करने से अथवा कविताएँ पोस्ट करने से कोई लाभ नहीं होगा... अपितु हमें अपनी मातृभाषा “हिन्दुस्तानी” को अपने दिन प्रतिदिन के व्यवहार की भाषा बनानी होगी... “हिन्दुस्तानी” इसलिए क्योंकि “संस्कृतनिष्ठ हिन्दी” की यदि बात करें तो वह एक वर्ग विशेष तक ही पहुँच
पाएगी, जबकि “हिन्दुस्तानी” जन जन की भाषा है...
अस्तु,
“विविध धर्म बहु भाषाओं का देश हमारा,
मिलकर चलता साथ साथ ये देश हमारा |
हम सब इसके गुलशन की खिलती फुलवारी,
रंग बिरंगे पुष्पों से सजती है क्यारी ||
नृत्य गान के अनगिन सुर तालों का मिश्रण
इसकी चेतनता में भरता है उछाह जो |
अनगिनती भाषाओं से युत हिन्दी ऐसी
अजब अनोखे बच्चे ज्यों हों माँ की गोदी ||”
ऐसे अजब अनोखी बोली रूपी
बच्चों से गौरवान्वित अपनी मातृभाषा हिन्दी के वार्षिक दिवस की सभी को हार्दिक
शुभकामनाएँ...
----------कात्यायनी-----------