कुछ देर से ही सही, आषाढ़ की बारिश आरम्भ तो हो
गई है – आषाढ़ – जो अभी और दस बारह दिनों में समाप्त हो जाएगा और श्रावण माह का
आरम्भ हो जाएगा झमाझम बारिश के साथ... पेड़ पौधों से झरती बरखा की बूँदें सुरीला
राग छेड़ती तन मन को गुदगुदाने लगेंगी... अभी तक तो जब चिलचिलाती धूप ने सबको बेहाल
किया हुआ था तब हर कोई आषाढ़ की एक बूँद की प्रतीक्षा कर रहा था... कितने मजेदार
बात है न कि जब गर्मी पड़ती है तो बारिश की बाट जोहते हैं,
बारिश कई दिनों तक हो जाए तो उसे भी परेशान हो जाते हैं और सर्दी की राह देखने
लगते हैं... कहने का मतलब ये कि किसी एक मौसम से मन सन्तुष्ट नहीं होता... लेकिन
जो व्यक्ति हर मौसम का आनन्द उठाना जानता है उसके लिए सारे मौसम एक सामान
आनन्ददायक होते हैं... यही स्थिति जीवन की भी है... जीवन में भी सुख दुःख धूप छाँव
की तरह साथ साथ चलते रहते हैं... जो व्यक्ति इस सबमें समभाव रहता हुआ जीवन व्यतीत
करता है वास्तव में उसका जीवन ही जीवन है... कुछ ऐसा ही इन रचनाओं में कहने का
प्रयास किया है... प्रस्तुत है हमारी पिछले बरस रची गई रचना – जेठ की चिलचिलाती
धूप... कात्यायनी...