कहाँ के समोसे और कहाँ के भटूरे - डॉ दिनेश शर्मा
दिनेश डॉक्टर
एक समय आम हिंदुस्तानी महिलाओ, खास तौर पर उत्तर भारतीय महिलाओ के गप्पबाज़ी के पसंदीदा विषय स्वेटर की
बुनाई के डिजाइन, अचार मुरब्बे चटनी और पापड़ बनाने के तरीके,
सास बहू ननद दुरानी जिठानी के अत्याचार और ताने, वगैरा वगैरा हुआ करते थे । समय के साथ उनमे बदलाव आता चला गया । एक दौर
टेलीविजन के सीरियल्स के किस्सों, पात्रों के फैशन और
स्टाइल्स वगैरा पर चर्चाओं का भी रहा । आज का दौर घर में काम करने वाली बाइयों के
तेवर, वेब सीरीज और यू ट्यूब पर देखी गयी रेसिपीज़ पर चर्चा
करने का है । क्योंकि ज्यादातर परिवार न्यूक्लियर हो गए है तो सास, ननद, दुरानी जिठानी की चुगलियों पर अब वक़्त बर्बाद
नही होता ।
अधिकांश उत्तर भारतीय पुरूष, खास तौर पर पंजाबी कल्चर से प्रभावित हर उम्र के लोग, दुनिया की बेस्ट फ़ूड इंडस्ट्री, शेफ्स और कुक्स को भोजन
के बारे में अपने तकनीकी ज्ञान से झंड कर सकते है । उन्हें पता होता है कि कहाँ का
समोसा क्यों अच्छा है, कहाँ के छोलों में किन किन मसालों की
वजह से खास उम्दा स्वाद है, कहाँ की पूरियां ज्यादा कड़क,
कहाँ के चिकन टिक्के और कबाब बेहद लज्जतदार और कहाँ के चुर चुर नान
किस इंग्रीडिएंट के कारण ज्यादा खस्ता हैं । इसी वजह से आज हिंदुस्तान के ज्यादातर
मशहूर शेफ्स और कुक्स पंजाबी बैकग्राउंड से हैं ।
एक आम बंगाली परिवार के स्त्री पुरुष पुस्तकों, संगीत या राजनीति पर चर्चा करते मिलेंगे, गुजराती
लोग धंधे पानी शेयर मार्किट और सोने के चढ़ते उतरते भाव की बातें करते दीखते है ।
पर एक बात पक्की है कि खाने तथा भोज्य पदार्थों का जितना ज्ञान उत्तर भारतीयों वो
भी खास तौर पर पंजाबियों को है, चाहे वे हिंदुस्तान के हों
या पाकिस्तान के, उतना दुनिया में किसी और जमात को नही है ।
ये जब भी किसी नए शहर में पहुंचते है तो यह नही पूछते कि यहां की कौन सी मशहूर चीज़
देखने लायक है । इनका सवाल हर नए देश, शहर, कस्बे या गांव में एक ही होता है "प्रा जी एत्थे खाण दी मशहूर चीज
केडी हैगी ते कित्थे मिलदी है ? "इनका जीवन मन्त्र है -
खाने के लिए जियो ना कि जीने के लिए खाओ । यही वजह है कि देश में जितने डॉक्टर,
दवाइयों की दुकाने और अस्पताल उत्तर भारत - वो भी खास तौर पर पंजाब
में है - उतने शेष भारत में नही ।
पिछले चालीस बरसों से लगातार सैंतालीस देशों की यात्राएं करने और
उनमे रहने के बाद मुझे एक बात समझ आयी कि खाने को लेकर जितना पैशन टर्की, ग्रीस, इटली, लेबनान, इजिप्ट, ईरान और भारत में है उतना दुनिया में कहीं
नहीं । और इनमें भी सबसे बड़ा और चमकता ताज़ हिंदुस्तानी खाऊओं और चटोरों के सिर पर
ही बंधा है और हमेशा बंधा रहेगा ।