जैसा कि हम सभी जानते हैं कि आज समूचा देश
कोरोना के आतंक से जूझ रहा है... न जाने कितने परिवारों ने अपने प्रियजनों को खोया
है... पूरे के पूरे परिवार कोरोना से संक्रमित होते जा रहे हैं... ऊपर से ऑक्सीजन
और दवाओं की कालाबाज़ारी... जमाखोरी... साथ में तरह तरह की अफवाहें... और इस सबका
परिणाम है कि आज हर कोई डर के साए में जी रहा है... तो समस्याएँ तो हैं... लेकिन
डर किसी समस्या का समाधान नहीं... निराश और भयग्रस्त होने से तो कोई भी बीमारी
हमें संक्रमित कर सकती है... तो क्यों न आज में जियें ये सोचकर कि यदि हम सब स्वयं
को स्वस्थ रखने में समर्थ रहे तो आने वाले कल में तो बहुत सारे कार्य हमें करने
हैं... कल निश्चित रूप से नई खुशियाँ लेकर आएगा... इसी प्रकार के भाव हैं हमारी आज
की रचना में...
कल आएगा लेकर नई खुशियाँ
माना आज है घना अँधेरा
नहीं सूझता कोई मार्ग / जाएँ कहाँ
लेकिन है विश्वास / कि कल आएगा लेकर नई
खुशियाँ
अभी जो दुःख है / गुज़र जाएगा
और फिर से चहकेंगे सुख के पंछी
गाते हुए राग अनोखा
कल उगेगा सूरज आशा और विश्वास का
अभी जो छाया है निराशा का अँधेरा / छँट
जाएगा
और आशा में भरा मन झूम उठेगा
अभी जो छाया है अविश्वास का कुहासा
छँट जाएगा वह भी / जब फैलेगी रक्ताभा उषा
की
तब दोस्तों पड़ोसियों के साथ
बढ़ चलेंगे आगे / हाथ थामे विश्वास के साथ
एक दूजे का
खिल उठेंगे स्नेह के पुष्प हर दिशा में
जिन्हें देखकर झूम उठेगा प्रफुल्लित मन
पूनम की रात की खिली खिली चाँदनी में
भीग उठेगा तन और मन
पर अभी समय है धीरज धरने का
शान्ति के साथ एकान्तवास का
लगाओ मास्क, हाथों को करो सेनिटाइज
अभी समय है साधना का अकेलेपन की
बिना घबराए, बिना डरे, बिना किसी चिन्ता के
लगाने का अपने मन को अपनी ही खोज में
अभी समय है बिताने का
परिवारजनों के साथ आमोद प्रमोद में
पर भूलना मत पूछना हाल दोस्तों का
भूलना मत हाथ बढ़ाना सहायता का
क्योंकि बहुत जल्दी बीत जाएगा ये भारी समय
भी
और तब चमकेगा सूर्य
नवीन आशा, विश्वास, स्नेह, स्वास्थ्य की रश्मियों के
रथ पर होकर सवार
जिसकी सुनहरी धूप से
छँट जाएगा कुहासा सारा
दुःख का, निराशा का, अविश्वास का
सुनने के लिए कृपया वीडियो पर जाएँ...
कात्यायनी...