मौजूदा हालातों में - जहाँ हर ओर राजनीतिक अफरा तफरी का माहौल बना हुआ है, राजनीतिक पार्टियाँ आम जनता को उकसाकर दंगे भड़काने का काम
बड़े सुनियोजित ढंग से करने में लगी हुई हैं, डॉ दिनेश शर्मा
के इस लेख को पढ़कर यदि हम और आप यानी जन साधारण कुछ सकारात्मक सोच सकें तो अच्छा
हो और भविष्य में और अधिक नुकसान होने से बच जाए...
काश दिमागों की हार्ड डिस्क फॉर्मेट हो सकती - दिनेश डॉक्टर
वैसे तो
पॉलिटिक्स और पोलिटिकली सेंसिटिव मुद्दों पर मैं कुछ कहने से बचता हूँ क्योंकि
आजकल हाल ये है कि मुंह खोलते ही कोई न कोई लेबल चस्पा कर दिया जाता है । पर आज
ज़रूर कुछ कहने का मन है। मेरे एक तरफ 'ये' है और एक तरफ 'वो' । दोनों ही मेरे अपने प्रिय हैं । आप इन 'ये' और 'वो' का मतलब आसानी से निकाल सकते है क्योंकि आप भी दोनों में से एक हो सकते है
या नही भी । 'ये' और 'वो' दोनों से ही किसी न किसी रूप में मेरा नियमित
संवाद है । दोनो ही आजकल चल रहे CAB और NRC मुद्दों पर अलग अलग नैरेटिव के शिकार है । 'इनको'
भी गुस्सा और डर है और 'उनको' भी डर और गुस्सा है । 'ये' सरकार
की नीतियों को सही मानते है तो 'वो' उन्ही
नीतियों को सोचा समझा षड्यंत्र । 'ये' उन्हें
सड़कों पर बवाल करते, पत्थर बरसाते, आग
लगाते देख उबल रहें है और 'वो' इनसे
बड़ी ज़बरदस्त खुन्नस में है कि ये देश को तोड़ने वाली नीतियों का समर्थन क्यों कर
रहे है । 'ये' कह रहे हैं कि बीस साल
में वो अपनी आबादी इतनी बढ़ा लेंगे कि हमें हमारे एक मात्र बचे हिन्दू देश में ही
शरणार्थी बना देंगे- 'वो' कह रहे है कि
ये हमें आज ही हमारे पुरखों के मुल्क में दोयम दर्जे का नागरिक बनाने पर आमादा है
और हमें यहां से निकालने की साजिश कर रहे है । 'ये' कह रहे है कि 'वो लोग ज़रा ज़रा सी बात पर भड़क जाते
हैं - 'वो' कह रहे है कि हमने तीन तलाक़
और राममंदिर जैसे मुद्दों पर कौन सी भड़काने वाली बात की, धारा
370 के खिलाफ कितने मुसलमान बाकी मुल्क में सड़क पर उतरे । 'ये' कह रहे है हिन्दू और हिन्दू धर्म खतरे में है - 'वो' कह रहे है कि इस मुल्क में इस्लाम और मुसलमानों
का वज़ूद खतरे में हैं । 'ये' कह रहे है
कि इन्होंने पहले भी देश तोड़ा और आगे भी तोड़ेंगे - 'वो'
कह रहे हैं कि जिन्होंने तोड़ा वो पाकिस्तान चले गए और हमारे पुरखे
इस मुल्क की मिट्टी से मुहब्बत के चलते यहीं रहे हम इसे क्यों तोड़ेंगे ।
याद दिला दूं कि 1857 में इन्होंने भी और उन्होंने
भी मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ जिहाद छेड़ा था और साथ साथ मिलकर हर हर महादेव और या
अली के नारे बुलन्द किये थे । याद दिला दूं कि अंग्रेज इस कंबाइंड हिन्दू मुस्लिम
जिहाद से इतना घबरा गया कि उसके आला दिमागों ने लन्दन में बैठ कर दोनो के बीच दरार
पैदा करने की बड़ी ज़बरदस्त साजिश की । याद दिला दूं कि 1947 के
बंटवारे का कत्लेआम उसी साजिश का नतीजा था । याद दिला दूं ये भी और वो भी उस सब को
भूल कर काफी आगे बढ़ आये थे तभी 1986 में एक नोसिखिये प्रधान
मंत्री ने 'उनको' खुश करने के लिए
शाहबानों केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटा और 'इनको'
खुश करने के लिए बाबरी मस्जिद राम मंदिर का ताला खोल कर वहाँ पूजा
शुरू करवा दी । याद दिला दूं कि देश के नब्बे परसेंट से ज्यादा हिंदुओं को उस वक़्त
न तो राम मंदिर जन्म भूमि का पता था और न ही उससे सरोकार था और इसी तरह देश के
नब्बे परसेंट से ऊपर मुसलमानों को न तो शाहबानो के केस में दिलचस्पी थी और न उससे
कोई सरोकार ही था ।
तभी से 'ये' भी और 'वो' भी अलग अलग प्रायोजित नैरेटिव पकड़े हुए दिनों दिन
अपने दिमाग की हार्ड डिस्क को करप्ट किये जा रहे हैं । सारी सियासी पार्टियां और
उनके छोटे और ओछे दिमागों के लीडर मीडिया के ज़रिये रोज़ नए नए नैरेटिव वायरस
इन्वेंट करके 'इनकी' भी और 'उनकी' भी दिमागी हार्ड डिस्क को और भी ज्यादा करप्ट
कर रहे है ।
काश मेरे पास कोई
मास्टर सुपर कम्प्यूटर होता जिसकी रिमोट एक्सेस के ज़रिये मैं 'इनकी' भी और
'उनकी' भी दिमागी हार्ड डिस्क को सारे
घृणित और गंदे नैरेटिव वायरस क्लीन करने के लिए फार्मेट कर देता ।