हीरों के हारों
सी चमकें फुहारें, और वीणा के तारों सी झनकें फुहारें |
धवल मोतियों सी जो झरती हैं बूँदें, तो पाँवों में पायल सी खनकें फुहारें ||
कोयल की पंचम में मस्ती लुटातीं, तो पपिहे की पीहू में देतीं पुकारें |
कली अनछुई को रिझाने को देखो षडज में ये
भँवरे की देतीं गुंजारें ||
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