shabd-logo

मानव सेवा माधव सेवा

6 जनवरी 2020

5509 बार देखा गया 5509
featured image

मानव सेवा ही वास्तविक माधव सेवा

आज किन्हीं मित्र ने प्रश्न किया कि मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा क्यों की जाती है | तो सबसे पहले तो इस शब्द में ही इसका उत्तर निहित है – प्राणों की प्रतिष्ठा – प्राण फूँकना | कोई भी मूर्ति यदि किसी मन्दिर में रखी जाती है तो उस समय उसकी विधिवत पूजा की जाती है - जो प्राण प्रतिष्ठा कहलाती है | प्राण प्रतिष्ठा यानी किसी पत्थर में भी प्राण डाल देना - पत्थर की मूर्ति को भी जीवन्त बना देना ताकि वह मनुष्यों के द्वारा की गई प्रार्थनाओं को स्वीकार कर सके और उनकी सम्वेदनाओं और भावों को अनुभव कर सके | अन्यथा तो पत्थर तो पत्थर ही होता है | लेकिन मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही कुछ नियमों का भी पालन करना होता है | मन्दिर में गर्भ गृह - यानी जहाँ मूर्ति स्थापित है और उसकी प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई है - उसके ऊपर कोई भवन या कमरा आदि नहीं होना चाहिए | इसीलिए आपने देखा होगा गर्भ गृह के ऊपर गुम्बद बना होता है ताकि उस पर कोई चल न सके | क्योंकि प्राण प्रतिष्ठा के द्वारा जिन्हें स्थापित किया गया है वो हमारे लिए पूज्य हो गए और इस स्थिति में उनके सर पर तो नहीं चढ़ सकता | इसी बात को ध्यान में रखते हुए घर के मन्दिर में भी यदि प्रतिमा स्थापित की जा रही है प्राण प्रतिष्ठा के द्वारा तो उसके ऊपर भी कुछ नहीं बनाया जाना चाहिए और वह स्थान टॉयलेट वग़ैरा से दूर होना चाहिए | यों, घर में प्राण प्रतिष्ठा किये बिना मूर्ति कहीं भी रखी जा सकती है और पूजा की जा सकती है...

देखा जाए तो प्राण-प्रतिष्ठा की यह परम्परा हमारी भारतीय दर्शन की उस महान सांस्कृतिक मान्यता का अनुमोदन करती है कि पूजा मूर्ति की नहीं की जाती - दिव्य सत्ता की की जाती है – महती चेतना की की जाती है | साथ ही ये भी कि भारतीय दर्शन जड़ से जड़तर वस्तु में भी प्राण शक्ति - प्राण ऊर्जा - का अनुभव करता है | इसीलिए तो पेड़ पौधों को भी पूजा जाता है | प्राचीन काल में वृक्षारोपण करते समय और उस पर एक एक पत्ती फूल फल आते समय उसी तरह संस्कार किये जाते थे जैसे गर्भाधान से लेकर जीवन भर मनुष्यों के संस्कार किये जाते हैं | और ऐसा इसीलिए किया जाता था कि जिन वृक्षों को आरोपित करने से लेकर हर पग पर अपनी सन्तान के समान उनके साथ व्यवहार किया है उन्हें अकारण ही कोई कष्ट नहीं पहुँचाया जा सकता | यही बात मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा के सन्दर्भ में भी समझनी चाहिए | जिन प्रस्तर प्रतिमाओं को पूर्ण विधि विधान के साथ प्रतिष्ठित किया जाएगा उनके प्रति वास्तव में व्यक्ति के मन में आस्था उत्पन्न होगी, और आस्था जब विश्वास में परिणत हो जाएगी तो निश्चित रूप से व्यक्ति की संकल्प शक्ति इतनी दृढ़ होती जाएगी कि उसकी सकारात्मकता में वृद्धि के साथ ही उसके समस्त कार्य सम्पन्न होते जाएँगे |

वो कहते हैं न - मानो तो पत्थर में भी भगवान हैं... लेकिन प्रस्तर प्रतिमाओं में प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही हमें मानव सेवा को विस्मृत नहीं कर देना चाहिए... वास्तविक अर्थों में तो मानव सेवा ही सच्ची माधव सेवा और मनुष्यता का सम्मान ही वास्तविक अर्थों में ईश्वर की पूजा अर्चना है...


1

May 10, 2017 – katyayani.purnimakatyayan

10 मई 2017
0
1
2

“आज हम जो कुछ भी हैं वो हमारी आज तक की सोच का परिणाम है | इसलिए अपनी सोच ऐसी बनानी चाहिए ताकि क्रोध न आए | क्योंकि हमें अपने क्रोध के लिए दण्ड नहीं मिलता, अपितु क्रोध के कारण दण्ड मिलता है | क्योंकि क्रोध तो एक ऐसा जलता हुआ कोयला है जो दूसरों पर फेंकेंगे तो पहले हमारा हाथ

2

शुभ प्रभात – katyayani.purnimakatyayan

17 अगस्त 2017
0
2
0

सरल और सुखी जीवन के लिए आवश्यक है हम अकारण ही प्रसन्न रहना सीख जाएँ, सदा व्यस्त रहने का प्रयास करें, भयहीन रहें, स्वयं पर और स्वयं की योग्यताओं पर विश्वास रखते हुए बड़े स्वप्न देखें और अपनी कल्पनाओं को – अपने स्वप्नों को – सत्य करने के लिए प्रयासरत रहें, अपनी भावनाओं को खु

3

शुभ प्रभात – purnimakatyayan

24 दिसम्बर 2016
0
0
0

आज शनिवार है, दो दिन मस्ती भरे – छुट्टी की मस्ती – ठण्ड की मस्ती – कोहरे से आँखमिचौली करते सूरज की मस्ती – और इस सबके साथ गरम चाय की चुस्कियों संग गरमागरम पकौड़ियों की मस्ती… तो कईं न माननीय अटल बिहारी बाजपेयी जी – जिनका कल सारा देश जन्मदिन मना रहा है – की पंक्तियाँ हम भी

4

शुभ प्रभात – षष्ठं कात्यायनी – katyayani.purnimakatyayan

2 अप्रैल 2017
0
0
0

विद्यासु शास्त्रेषु विवेकदीपेषु वाद्येषु वाक्येषु च का त्वदन्या |ममत्वगर्तेSतिमहान्धकारे, विभ्रामत्येतदतीव विश्वम् ||षष्ठं कात्यायनी – देवी का छठा रूप कात्यायनी देवी का माना जाता है | इस रूप में भी इनके चार हाथ माने जाते हैं और माना जाता है कि इस रूप में भी ये शेर पर सवार

5

एक अद्भुत अनुभूति – शून्य – purnimakatyayan

30 जनवरी 2017
0
1
0

शून्य क्या है / एक अद्भुत अनुभूतिमुक्ति पानी है आवेगों से अपनेतो शून्य करना होगा सभी आवेगों कोपान करना है यदि अमृत कातो शून्य करना होगा कषाय जल से पूर्ण अपने हृदय रूपी घट कोपाना है प्रकाश / तो शून्य करना होगा अन्धकार कोबढ़ना है आगे / तो निरन्तर रहना होगा गतिमानऔर शून्य करन

6

शुभ प्रभात

23 नवम्बर 2016
0
2
0

आज का दिन मंगलमय हो

7

बहारें – katyayani.purnimakatyayan

28 जून 2017
0
2
1

दो तीन दिनों से भारी उमस और बीच बीच में घिर आई घटाओं को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे तेज़ बारिश होगी | पर लगान वाला क़िस्सा हो रहा था… मेघराज झलक दिखलाकर अपनी प्यारी सखी मस्त हवा के पंखों पर सवार हो न जाने कहाँ उड़ जाते थे… पर आख़िरकार आज सुबह कुछ अमृत की बूँदें अपने अमृतघट से छल

8

बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ

13 अगस्त 2016
0
1
0

आने वाली 16 अगस्त को हमारी संस्था WOW India और दिल्ली गायनाकोलोजिस्ट फोरम स्वतन्त्रता दिवस के उपलक्ष्य में कुछ कार्यक्रमों का आयोजन करने जा रही हैं | महिलाओं में रक्ताल्पता की जाँच कराके उसके निवारण का उपाय करना, सर्विकल केंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाना, महिलाएँ अपना वार्षिक चेकअप कराएँ इस विषय में उन्

9

ॐ भूर्भुवः स्वः…मकर संक्रान्ति के प्रकाश पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ… – purnimakatyayan

14 जनवरी 2017
0
1
0

आज मकर संक्रान्ति का पावन पर्व है | मकर संक्रान्ति – जिसे “उत्तरायणी” भी कहा जाता है | इसका कारण है कि वर्ष को दो भागों में बाँटा गया है | प्रथम भाग “उत्तरायण” कहलाता है और द्वितीय भाग “दक्षिणायन” | पौष मास में मकर संक्रान्ति के दिन से सूर्य की उत्तरायण गति प्रारम्भ हो जा

10

August 31, 2016 – purnimakatyayan

31 अगस्त 2016
0
0
0

आज सुबह से अच्छी खासी बारिश हो रही है – मुरझाई प्रकृति में मानों नए प्राण मिल गए हों – बादलों का गम्भीर गर्जन मानों मृदंग की थाप… कोयल की पंचम के संग सुर मिलाते पपीहे की पियू पियू… पवन देव से मिल कर मतवाली हो चुकी बूँदों का मधुरिम गान… और इस सबको देख कर मस्त हुई दामिनी का

11

शुभ प्रभात

23 मार्च 2017
0
0
0

आपका दिन मंगलमय हो...

12

न जाने क्यों – purnimakatyayan

17 फरवरी 2017
0
0
0

न जाने क्यों / आज फिर से तुम्हारी याद ने किया बेचैन मुझेचाहती हूँ कुछ सुनना / कुछ सुनानापर कैसे / प्रश्न है यही सबसे कठिनक्योंकि जा बैठी हो तुम दूर कहीं / बहुत दूरहालाँकि जानती हूँ मैं, नहीं हो दूर तुम मुझसेमैं जहाँ भी रहूँ / जैसे भी रहूँतुम जहाँ भी हो / जिस हाल में भी हो

13

ज़रा सोचिये… – purnimakatyayan

1 नवम्बर 2016
0
0
0

पहले बेटी की शादी, फिर उसकी पहली करवाचौथ और उसके बाद पहली दिवाली – सबसे फ्री होते होते आज भाई दूज का दिन आ गया | सभी “बहनों-भाइयों” को भाई दूज की हार्दिक शुभकामनाएँ |इस दीपावली पर हम कसौली चले गए थे | वैसे हर दीपावली से दो दिन पहले दिल्ली से बाहर जाना ही अच्छा समझते हैं |

14

April 24, 2017 – katyayani.purnimakatyayan

24 अप्रैल 2017
0
0
0

ढूँढती फिरी / कहीं तो दीख पड़े एक किरण प्रकाश कीनहीं दिखाई दी कहीं भी / तो कहा किसी ने / बाहर नहीं है कुछ भीक्य प्राप्त करोगी बाहर की रिक्तता से ?सब कुछ तो है तुम्हारे भीतर / एक अलग संसार |मैंने बन्द किये अपने नेत्र, झाँकने को अपने भीतरवहाँ था केवल अन्धकार, भय, चिन्ता |तब

15

नन्ही सी चिड़िया - गोरैया

6 अगस्त 2016
0
2
0

<!--[if gte mso 9]><xml> <o:OfficeDocumentSettings> <o:RelyOnVML/> <o:AllowPNG/> </o:OfficeDocumentSettings></xml><![endif]--><!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves/> <w:TrackFormatting/> <w:PunctuationKerning/> <w:ValidateAgainstSc

16

वैद्य को ही मूर्ख मान लेने वाले व्यक्ति इलाज़ सम्भव नहीं – katyayani.purnimakatyayan

6 जून 2017
0
3
2

ज्ञान सत्वगुण सम्पन्न पुरुष को ही हो सकता है | शेष दो पुरुष साधारण श्रेणी में आते हैं | तामसी गुणों की वृद्धि होने पर पतन निश्चित है, किन्तु राजसी गुणों की वृद्धि होने पर कर्मफल की प्राप्ति मनुष्य का लक्ष्य होता है | किन्तु इस स्थिति में मूढ़ता नहीं आती, हाँ कभी विक्षिप्त

17

शुभ प्रभात

7 दिसम्बर 2016
0
2
1

सभी का आज का दिन रिश्तों की मिठास लिए हो...

18

शुभ प्रभात - शुभ मैत्री दिवस

6 अगस्त 2017
0
1
0

"फ्रेण्डशिप"डे की हार्दिक शुभकामनाएँ...

19

शुभ प्रभात

15 जुलाई 2016
0
0
0

सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

20

शुभ प्रभात – शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ – katyayani.purnimakatyayan

5 सितम्बर 2017
0
1
0

भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉ राधाकृष्णन के जन्म दिवस “शिक्षक दिवस”की सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ |हम कोई भी कार्य करते हैं तो हमसे यही कहा जाता है कि परिश्रम करोगे तो फल अच्छा मिलेगा और कार्य में सफलता भी प्राप्त होगी | सही बात है | बिना परिश्रम के कुछ भी प्राप्

21

रक्षा बन्धन की हार्दिक शुभकामनाएँ

18 अगस्त 2016
0
0
0

22

शुभ प्रभात

25 जनवरी 2017
0
2
1

कल गणतन्त्र दिवस की प्रेममयी हार्दिक शुभकामनाओं के साथ सभी को आज का शुभ प्रभात

23

शुभ प्रभात

22 जुलाई 2016
0
1
0

सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

24

जीवन – एक चक्र – purnimakatyayan

6 फरवरी 2017
0
0
0

शून्य का एक बड़ा सा घेरा है ये जीवन / एक चक्रजो घूमता रहता है निरन्तर / अथकऔर उस चक्र को भी चारों ओर से घेरे रहती हैंनित नवीन घटनाएँ / पल पल घटतीकभी इसके पंखों को मिल जाता है इतना बलकि माप आते हैं आकाश की भी ऊंचाइयाँतो कभी लौट आना होता है वापस इसी धरा परकिसी इस या उस कारण

25

श्रद्धापूर्वक नवरात्र – purnimakatyayan

1 अक्टूबर 2016
0
1
0

मित्रों कल अमावस्या थी – पितृविसर्जनी अमावस्या – समस्त हिन्दू धर्मावलम्बियों ने पितृपक्ष का समापन किया और आज यानी अश्विन शुक्ल प्रतिपदा को घटस्थापना के साथ नवरात्रों का आरम्भ हो गया है | कैसा सुखद संयोग है कि पितृपक्ष के समापन के साथ ही आरम्भ हो जाती है नवरात्रों की चहल प

26

सबही को एकरंग करो तो – purnimakatyayan

12 मार्च 2017
0
1
0

जिससे यह तन मन रंग जाए ऐसा कोई रंग भरो तो |प्रेमगीत की पिचकारी से सबही को एकरंग करो तो ||यह दीवार घृणा की ऊँची आसमान तक खड़ी हुई हैभू पर ही जन जन में भू नभ जैसी दूरी पड़ी हुई है |आँगन समतल करो, ढहाने का इसके कुछ ढंग करो तोप्रेमगीत की पिचकारी से सबही को एकरंग करो तो ||दुर्भा

27

February 23, 2017 – purnimakatyayan

23 फरवरी 2017
0
1
0

ना हमारे बीच है कोई ऐसा खेलजिसमें हो हार या जीतफिर क्यों रूठी रहती है प्रीतआओ मिलकर इसे मनाएँ / ताकि बच जाए टूटने से / प्रेम के मधु का प्याला ।ना मुझमें है कोई खोट / ना ही हूँ मैं खान समस्त गुणों कीना तुममें है कोई खोट / ना तुम ही हो खान समस्त गुणों कीहम दोनों ही हैं एक

28

नवमं सिद्धिदात्री – purnimakatyayan

10 अक्टूबर 2016
0
1
0

या श्रीः स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मीः पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धिः ।श्रद्धा सतां कुलजन प्रभवस्य लज्जा तां त्वां नताः स्म परिपालय देवि विश्वम् ।।देवी का अन्तिम और नवं रूप है सिद्धिदात्री का | जैसा कि नाम से ही ध्वनित होता है – सिद्धि अर्थात् मोक्षप्रदायिनी देवी –

29

शुभ प्रभात – katyayani.purnimakatyayan

28 मार्च 2017
0
1
0

प्रथमं शैलपुत्रीति द्वितीयं ब्रह्मचारिणी, तृतीयं चन्द्रघंटेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् |पञ्चमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनी तथा सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ||नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिता:, उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ||आज चैत्र शुक्ल प्रतिप

30

शुभ प्रभात

3 अगस्त 2016
0
0
0

सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

31

शुभ प्रभात

12 अप्रैल 2017
0
1
0

32

शुभ प्रभात

10 नवम्बर 2016
0
1
0

आपका आज का दिन मंगलमय हो

33

जीवन की धुरी – katyayani.purnimakatyayan

2 मई 2017
0
4
2

भान है मुझे / मैं ही हूँ जीवन की धुरीमेरे चलने से ही तो भरती है / जीवन में लय और गति |रुक जाऊँ तनिक थककर / ठिठक जाऊँतो रुक जाती हैं गतिविधियाँ जीवन की सारी |भान है मुझे अपनी शक्ति का / मैं हूँ हिमगिरि की भांति दृढ़बड़े से बड़े तूफानों में भी खड़ी रहती हूँ अविचल |रहती हूँ सावध

34

शुभ प्रभात

28 जून 2016
0
1
0

सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

35

हृदय पटल पर नाम तुम्हारा – katyayani.purnimakatyayan

16 मई 2017
0
1
2

(एक रचना “चेहरों की क़िताब” के स्मृति पटल से)(A poem from the memory of fecebook)श्वास श्वास में गीत तुम्हारा, हर धड़कन में नाम तुम्हारामलय पवन की हरेक छुअन में मिलता है स्पर्श तुम्हारा ||तुमसे ही जीवन में गति है, मन में तुमसे ही लय भरतीभावों के ज्योतित दीपक में एक भरा बस न

36

शुभ प्रभात

30 नवम्बर 2016
0
0
0

आज का दिन मंगलमय हो

37

मैं औरत ही रहना चाहूँ – katyayani.purnimakatyayan

19 जून 2017
0
3
1

स्मृतियों के झरोखे से… २६ फरवरी २०१४ को ब्लॉग पर प्रकाशित मेरी एक रचना…मैं नहीं कोई प्रस्तर प्रतिमा, देवी सम जो पूजी जाऊँ |मैं जीव शक्ति से पूर्ण सदा एक औरत ही रहना चाहूँ ||है नहीं कामना स्वर्गलोक की, भू पर ही है घर मेरा |मुझको न बनाओ परलौकिक, है इसी लोक आँगन मेरा ||हों प

38

Aaj rang hai - YouTube

11 अगस्त 2016
0
1
2

Aaj rang hai - YouTubePublished on Aug 10, 2016Swasti Shree Sharma - (Live Performance) - Sufiyaana Qalaam Aaj rang hai - YouTube

39

July 25, 2017 – katyayani.purnimakatyayan

25 जुलाई 2017
0
2
1

ये बरखा का मौसम सजीला रसीला, घटाओं में मस्ती हवाओं में थिरकन |वो बलखाती बूँदों का फूलों से मिलना, वो शाख़ों का लहराके हर पल मचलना ||नशे में है डूबी, क़दम लड़खड़ाती, वो मेघों की टोली चली आ रही है |कि बिजली के हाथों से ताधिन ताधिन्ता, वो मादल बजाती बढ़ी आ रही है ||पपीहा सदा ही प

40

शुभ प्रभात

17 दिसम्बर 2016
0
1
0

सभी का आज का दिन मंगलमय हो

41

शुभ प्रभात – katyayani.purnimakatyayan

10 अगस्त 2017
0
0
1

जीवन है तो समस्याएँ भी होंगी | ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जिसे कभी न कभी किसी न किसी समस्या का सामना न करना पडा हो | अब हमारे पास दो ही रास्ते होते हैं – या तो उन समस्याओं से हार मानकर शान्त होकर बैठ रहें और जो होता है हो जाने दें | या फिर साहस और बुद्धि के साथ उन समस्याओं का स

42

स्वस्ति श्री शर्मा का "अन्दाज़-ए-बयाँ"

18 जून 2016
0
1
0

<!--[if gte mso 9]><xml> <o:OfficeDocumentSettings> <o:RelyOnVML></o:RelyOnVML> <o:AllowPNG></o:AllowPNG> </o:OfficeDocumentSettings></xml><![endif]--><!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:Track

43

शुभ प्रभात – katyayani.purnimakatyayan

23 अगस्त 2017
0
1
1

मनुष्य के विचार, भावनाएँ और सम्वेदनाएँ परस्पर एक दूसरे से जुड़े हुए हैं | मनुष्य जैसा सोचता है, किसी व्यक्ति अथवा वस्तु अथवा किसी भी विषय में या स्वयं अपने ही विषय में जैसा विचार रखता है, वैसी ही उसकी सोच – उसकी कल्पना – बन जाती है, और उसी कल्पना के अनुरूप उसकी भावनाएँ बन

44

शुभ प्रभात – purnimakatyayan

4 जनवरी 2017
0
2
1

मंज़िल का भान हो न हो / पथ का भी ज्ञान हो न होआत्मा – हमारी अपनी चेतना / नित नवीन पंख लगाएसदा उड़ती ही जाती है / सतत / निरन्तर / अविरत…क्योंकि मैं “वही” हूँ / मेरे अतिरिक्त और कुछ भी नहीं“अहम् ब्रह्मास्मि” या कह लीजिये “सोSहमस्मि”तभी तो, कभी इस तन, कभी उस तनकभी तेरे तन तो क

45

सहचर – purnimakatyayan

10 जनवरी 2017
0
2
1

प्रेम – जो नहीं विकसित होगा अनायास ही |रोपित करना होगा बीज परस्पर विश्वास कादेनी होगी खाद निस्वार्थ स्नेह कीसींचना होगा उसे समर्पण के जल से |हो सकता है भाग्य साथ दे न देहो सकता है समय अनुकूल हो न होहो सकता है झकझोर दें इस पौधे कोअनिश्चितता और दुर्भावनाओं के भीषण झँझावातहृ

46

शुभ प्रभात

18 जुलाई 2016
0
0
0

सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

47

शुभ प्रभात

18 जनवरी 2017
0
3
0

सभी का आज का दिन शान्तिपूर्ण व्यतीत हो

48

ईश्वर

24 अगस्त 2016
0
0
1

सुना था मैंने, ईश्वर है हर जगह |सोचा मैंने “क्यों नहीं सुन पाती उसका मधुर गान ?”उत्तर मिला अपने भीतर से ही“क्योंकि हमेशा करती हूँ प्रयाससुनने का उस मधुर गान को |”और प्रयास ले जाते हैं दूर लक्ष्य से |अपने इस प्रयास मेंसुनती हूँ मैं ध्वनियाँध्वनियाँ, परिचित और अपरिचितध्वनिय

49

अनन्त की यात्रा – purnimakatyayan

26 जनवरी 2017
0
0
0

प्रकृति बदलती है नित नवीन रूप / नित नवीन परिधानगर्मी, बरखा, सर्दी, पतझड़, मनभावन वसन्तमौसमों की – ऋतुओं की सन्धियाँचक्र की भाँति घूमते मौसम, वर्ष, युग, कालजिन्हें देख हो जाती हूँ मन्त्रमुग्धऔर देती हूँ धन्यवाद उस महाशक्ति कोजो न जाने कहाँ बैठी नचाती रहती समस्त जड़ चेतन कोऔर

50

शुभ प्रभात

21 जून 2016
1
0
0

सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

51

शुभ प्रभात

1 फरवरी 2017
0
2
0

वसन्त पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ

52

September 10, 2016 – purnimakatyayan

10 सितम्बर 2016
0
2
0

प्रिय मित्रों, ६ सितम्बर से दिगम्बर जैन मतावलम्बियों के साम्वत्सरिक पर्व अर्थात पर्यूषण पर्व का आरम्भ हो चुका है जो दस दिनों तक चलेगा | इससे पूर्व २९ अगस्त से ५ सितम्बर तक आठ दिनों तक श्वेताम्बर मतावलम्बियों का पर्यूषण चल रहा था | मैं स्वयं पिछले दिनों कुछ पारिवारिक मंगल

53

मैं ही हूँ वह – purnimakatyayan

11 फरवरी 2017
0
2
1

ना मोक्ष की है चाह मुझे / ना आत्ममिलन की आस मुझेमोक्ष किससे ? अपने जीवन से ? जग की चिन्ताओं से ?क्या खोजना होगा मोक्ष को बाहर कहीं ?भटकना होगा कभी इस तीर्थ तो कभी उस तीर्थ ?गुज़रना होगा अनेक प्रकार की रीतियों से / ढकोसलों से ?क्या है ये आत्ममिलन / जब मैं ही हूँ वह / मुझमें

54

शुभ प्रभात

25 जुलाई 2016
0
1
0

सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

55

बिना रुके / बिना थके – purnimakatyayan

21 फरवरी 2017
0
0
0

जीवन क्या है ? एक ऐसी पगडण्डीपग पग पर जहाँ हैं तीखे और तेज़ मोड़जहाँ घटानी पड़ती है गति बार बारआगे क्या होगा / इसका कुछ भान नहींसामने से क्या आएगा / इसका भी कोई ज्ञान नहींबस चलते जाना है / बिना रुके / बिना थके |हर पल चुनौतियाँ / नवीन / कठिनऊँचे नीचे पथरीले उलझन भरे मार्गकहीं

56

तृतीयं चन्द्रघन्टा – purnimakatyayan

4 अक्टूबर 2016
0
1
0

तृतीयं चन्द्रघन्टा – आज तृतीया तिथि है – तीसरा नवरात्र | इस दिन चन्द्रघन्टा देवी की अर्चना की जाती है | चन्द्रः घंटायां यस्याः सा चन्द्रघन्टा – आल्हादकारी चन्द्रमा जिनकी घन्टा में स्थित हो वह देवी चन्द्रघन्टा के नाम से जानी जाती है | इस रूप में देवी के दस हाथ दिखाए गए हैं

57

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ – purnimakatyayan

8 मार्च 2017
0
1
1

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँसारी की सारी प्रकृति ही नारीरूपा है – अपने भीतर अनेकों रहस्य समेटे – शक्ति के अनेकों स्रोत समेटे – जिनसे मानवमात्र प्रेरणा प्राप्त करता है… और जब सारी प्रकृति ही शक्तिरूपा है तो भला नारी किस प्रकार दुर्बल या अ

58

ॐ नमः शिवाय

24 फरवरी 2017
0
1
0

भगवान शिव सभी की मनोकामनाएँ पूर्ण करें... महाशिवरात्रि की सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ...

59

सप्तमं कालरात्रीति – purnimakatyayan

8 अक्टूबर 2016
0
0
2

त्रैलोक्यमेतदखिलं रिपुनाशनेन त्रातं समरमूर्धनि तेSपि हत्वा ।नीता दिवं रिपुगणा भयमप्यपास्तमस्माकमुन्मदसुरारि भवन्न्मस्ते ।।देवी का सातवाँ रूप कालरात्रि का रूप माना जाता है | सबका अन्त करने वाले काल की भी रात्रि अर्थात् विनाशिका होने के कारण इनका नाम कालरात्रि है | इस रूप म

60

रंग बिरंगी होली है

13 मार्च 2017
0
2
0

सभी मित्रों को होली की रंग भरी - अनुराग भरी - मस्ती भरी हार्दिक शुभकामनाएँ

61

शुभ प्रभात

1 अगस्त 2016
0
2
0

आप सभी का आज का दिन मंगलमय हो

62

चिकित्सा का अधिकारी विक्षिप्त है मूढ़ नहींमैं महिलाओं की एक संस्था से महासचि...

25 मार्च 2017
0
0
0

चिकित्सा का अधिकारी विक्षिप्त है मूढ़ नहींमैं महिलाओं की एक संस्था से महासचिव के रूप में जुड़ी हुई हूँ काफ़ी समय से, जो महिलाओं को उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने का प्रयास कर रही है | इसके लिये हम जगह जगह हैल्थ चैकअप कैम्प्स लगाते हैं | मैं देखती हूँ कि कई महिलाओं को जब

63

आँख का तारा – purnimakatyayan

20 अक्टूबर 2016
0
1
1

बिटिया के विवाह के लिए सभी मित्रों ने शुभकामनाएँ प्रेषित कीं, सभी की ह्रदय से आभारी हूँ | बेटियाँ जितना सुख, जितना स्नेह, जितना सम्मान माता पिता को देती हैं उसके सामने संसार की सारी खुशियाँ, सारे सम्मान वास्तव में फीके पड़ जाते हैं | वही लाडली जब अपने मनमीत से मिलती है तो

64

शुभ प्रभात – कूष्मांडेति चतुर्थकम् – katyayani.purnimakatyayan

31 मार्च 2017
0
1
0

या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः |कूष्माण्डेति चतुर्थकम् – नवरात्रों के चतुर्थ दिन अर्थात चतुर्थी तिथि को कूष्मांडा देवी की पूजा अर्चना की जाती है | यह सृष्टि की आदिस्वरूपा आदिशक्ति है | इसका निवास सूर्यमंडल के भीतरी भाग में

65

शुभ प्रभात

25 जून 2016
0
0
0

सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

66

शुभ प्रभात – महागौरीति चाष्टमम् – katyayani.purnimakatyayan

4 अप्रैल 2017
0
0
0

या श्री: स्वयं सुकृतीनाम् भवनेषु अलक्ष्मी:, पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धि: |श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य लज्जा, तां त्वां नताः स्म परिपालय देवि विश्वम् ||महागौरीति चाष्टमम् – देवी का आठवाँ रूप है महागौरी का | माना जाता है कि महान तपस्या करके इन्होने अत्यन्त गौरवर्ण प्र

67

शुभ प्रभात

8 नवम्बर 2016
0
0
0

सभी का आज का दिन मंगलमय हो

68

शुभ प्रभात

18 अप्रैल 2017
0
2
0

आज का दिन प्रेममय व्यतीत हो

69

आओ मिलकर झूला झूलें

5 अगस्त 2016
0
0
0

<!--[if gte mso 9]><xml> <o:OfficeDocumentSettings> <o:RelyOnVML/> <o:AllowPNG/> </o:OfficeDocumentSettings></xml><![endif]--><!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves/> <w:TrackFormatting/> <w:PunctuationKerning/> <w:ValidateAgainstSc

70

शुभ प्रभात

30 अप्रैल 2017
0
1
0

सभी का आज का दिन प्रेमपूर्ण व्यतीत हो

71

शुभ प्रभात

11 नवम्बर 2016
0
1
0

आपका आज का दिन मंगलमय हो

72

शुभ प्रभात

5 मई 2017
0
1
1

आपका आज का दिन मंगलमय हो

73

शुभ प्रभात

17 जून 2016
0
1
0

<!--[if gte mso 9]><xml> <o:OfficeDocumentSettings> <o:RelyOnVML></o:RelyOnVML> <o:AllowPNG></o:AllowPNG> </o:OfficeDocumentSettings></xml><![endif]--><!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:Track

74

कहाँ भला ये क्षमता मुझमें – katyayani.purnimakatyayan

14 मई 2017
0
0
1

माँ में चन्दा की शीतलता, तो सूरज का तेज भी उसमें ।हिमगिरि जैसी ऊँची है, तो सागर की गहराई उसमें ।।शक्ति का भण्डार भरा है, वत्सलता की कोमलता भी ।भला बुरा सब गर्भ समाती, भेद भाव का बोध न उसमें ।।बरखा की रिमझिम रिमझिम बून्दों का है वह गान सुनाती ।नेह अमित है सदा लुटाती, मोती

75

शुभ प्रभात – purnimakatyayan

25 नवम्बर 2016
0
0
0

हम सभी आजकल नोट बन्दी पर चल रही पॉलिटिक्स में वैचारिक स्तर पर इतना उलझे हुए हैं कि दोस्तों को सुबह की राम-राम कहना भी भूल जाते हैं । मैं खुद भी इस बीमारी से अछूती नहीं हूँ और जाने अनजाने इसी जाल में फँसी हुई हूँ । सुबह जब मोबाइल चैक करते हैं तो व्हाट्सअप पर सिर्फ़ और सिर्फ़

76

शुभ प्रभात

1 जून 2017
0
2
0

आज का दिन मंगलमय हो

77

शुभ प्रभात

8 अगस्त 2016
0
1
0

आपका आज का दिन मंगलमय हो

78

अध्यात्म गुरु और मनोचिकित्सक – katyayani.purnimakatyayan

15 जून 2017
0
1
0

अक्सर लोग ध्यान और वैराग्य के अभ्यास द्वारा मन का निग्रह करके ईश्वर प्राप्ति की बात करते हैं | यह प्रक्रिया अध्यात्म की प्रक्रिया है | इस प्रक्रिया के लिए गुरु के बताए मार्ग का अनुसरण करना होता है | मन को ध्यानावस्थित करना वास्तव में एक कठिन प्रक्रिया है – क्योंकि मन गतिम

79

शुभ प्रभात

3 दिसम्बर 2016
0
2
1

आज का दिन खुशियों से भरा हो

80

रात भर छाए रहे हैं – katyayani.purnimakatyayan

20 जून 2017
0
4
7

रात भर छाए रहे हैं, मेघ बौराए रहे हैंदेख बिजली का तड़पना, मेघ इतराए रहे हैं |बाँध कर बूँदों की पायल, है धरा भी तो मचलतीरस कलश को कर समर्पित, माघ हर्षाए रहे हैं ||पहन कर परिधान सतरंगी, धरा भी है ठुमकतीरास धरती का निरख कर, माघ ललचाए रहे हैं |तन मुदित, हर मन मुदित, और मस्त सा

81

शुभ प्रभात

12 जुलाई 2016
0
0
0

सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

82

बेहद याद आते हो तुम – katyayani.purnimakatyayan

4 जुलाई 2017
0
2
2

बेहद याद आते हो तुमजब बरसती हैं सुख की रसभीनी बून्दें / मानस पर मेरेजब होती है कोई उपलब्धि मुझे / या मेरे अपनों कोसोचती हूँ, काश तुम होते पास मेरे / सुनाती ख़ुशी से उछल कर तुम्हेंगिनाती अपनी सबकी उपलब्धियाँऔर तब तुम भी झूमते मेरे साथ ख़ुशी में / लगा लेते मुझे अपने गलेउत्साह

83

शुभ प्रभात

15 दिसम्बर 2016
0
1
0

सभी को अपना लक्ष्य प्राप्त हो... सभी का आज का दिन मंगलमय हो...

84

August 12, 2016 – katyayani.purnimakatyayan

29 जुलाई 2017
0
2
0

शब्दों का अस्तित्व यही, पल भर में व्यर्थ वो हो जाते हैंकिन्तु मौन की भाषा को सब युगों युगों तक दोहराते हैं |पल भर को एक कथा सुनाकर शब्द राह अपनी चल देतेकिन्तु मौन में जड़े शब्द निज छाप अमिट पड़वा जाते हैं ||शब्दों से कोलाहल बढ़ता, नित नवीन कोई घटना घटतीऔर विचित्र कोई अर्थ बत

85

शब्दों का अस्तित्व

12 अगस्त 2016
0
0
0

शब्दों का अस्तित्व यही, पल भर में व्यर्थ वो हो जाते हैं | किन्तु मौन की भाषा को सब युगों युगों तक दोहराते हैं.........<!--[if gte mso 9]><xml> <o:OfficeDocumentSettings> <o:AllowPNG/> </o:OfficeDocumentSettings></xml><![endif]--><!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w

86

शुभ प्रभात

7 अगस्त 2017
0
2
1

रक्षाबन्धन की हार्दिक शुभकामनाएँ

87

भाव बन जाए अभाव – purnimakatyayan

22 दिसम्बर 2016
0
1
0

कोई ध्वनि न हो हवा में, यदि वहाँ न हो कोई वृक्ष |कोई अर्थ न हो मौन का, यदि वहाँ न हो कोई लक्ष्य |मौन उत्पन्न होता है प्रेम में, मौन उत्पन्न होता है दया मेंमौन उत्पन्न होता है आनंद में, और मौन उत्पन्न होता है संगीत में |मौन, ऐसा गीत जो कभी गाया नहीं गया,फिर भी मुखरित हो गय

88

जयहिन्द… वन्देमातरम्… – katyayani.purnimakatyayan

15 अगस्त 2017
0
2
1

समानी व आकृति: समाना हृदयानि व:, समानमस्तु वो मनो यथा व: सुसहासति – ऋग्वेदहम सबके सामान आदर्श हों, हम सबके ह्रदय एक जैसे हों, हम सबके मनों में एक जैसे कल्याणकारी विचार उत्पन्न हों, ताकि सामाजिक समन्वय तथा समरसता बनी रहे |समानो मन्त्र: समिति: समानी, समानं मन: सहचित्तमेषाम्

89

शुभ प्रभात

12 जून 2016
0
2
0

<!--[if gte mso 9]><xml> <o:OfficeDocumentSettings> <o:RelyOnVML></o:RelyOnVML> <o:AllowPNG></o:AllowPNG> </o:OfficeDocumentSettings></xml><![endif]--><!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:Track

90

दशलाक्षण पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ – katyayani.purnimakatyayan

19 अगस्त 2017
0
2
0

मित्रों, आज १९ अगस्त से २६ अगस्त तक श्वेताम्बर जैन मतावलम्बियों का पर्यूषण पर्व आरम्भ हो चुका है | पर्यूषण के अन्तिम दिन यानी २६ अगस्त से दिगम्बरों के पर्यूषण पर्व अर्थात क्षमावाणी पर्व और दशलाक्षण पर्व का आरम्भ हो जाएगा जो ५ सितम्बर को सम्पन्न होगा | यों तो साल में तीन ब

91

शुभ प्रभात – purnimakatyayan

31 दिसम्बर 2016
0
0
0

मोती जैसी ओस की बूँदों में भीगी सर्दियों की सुबहकुछ ऐसी लगती मानों भोर की बयार गुनगुनाती हुईकोहरे की चादर समेटने का प्रयास करतीआई हो गर्म पानी से नहा करकोहरे में लिपटी धूप काकुछ श्वेत कुछ धूमिल सा परिधान लपेटे |पंछियों की चहचहाट के साथ गाती गुनगुनातीदूर कहीं झनझनाते किरणो

92

शुभ प्रभात

29 अगस्त 2017
0
0
0

कर्म तो हर व्यक्ति करता है, लेकिन बुद्धिमान व्यक्ति वही होता है जो दृढ़ संकल्प ले साथ कार्य का आरम्भ करता है | क्योंकि संकल्प दृढ़ होगा तभी लक्ष्य पर दृष्टि टिकी रहेगी और लक्ष्य के प्रति एकाग्रता आएगी तो निश्चित रूप से कार्य में सफलता प्राप्त होगी | अन्यथा एकाग्रता के अभाव में कार्य बीच में ही छूट सकत

93

स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ

15 अगस्त 2016
0
2
1

जयहिन्द... वन्देमातरम्...

94

पण्डित यज्ञदत्त जी – katyayani.purnimakatyayan

6 सितम्बर 2017
0
2
0

कल सारा दिन टी वी पर शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में कार्यक्रमों के प्रसारण होते रहे और “प्रथम शिक्षक” विषय पर कुछ चैनल्स पर चर्चाएँ भी होती रहीं | उसी सबको देखकर आज स्मरण हो आया उस व्यक्तित्व का जो माँ और पिताजी के बाद हमारे प्रथम शिक्षक बने | हमारी शिक्षा हिन्दी माध्यम के व

95

श्रावणी

17 अगस्त 2016
0
2
0

आप सभी रक्षा बन्धन के पर्व की बड़ी उत्सुकता से प्रतीक्षा में होंगे | कल रक्षा बन्धन का त्यौहार है | सभी को बहुत बहुत बधाई | जैसा कि हम सब ही जानते हैं कि भारत में पर्व-त्यौहारों का विशेष महत्व है । कोई न कोई त्यौहार साल भर लगा ही रहता है | किन्तु श्रावण मास की पूर्णिमा के

96

लोहड़ी और मकर संक्रान्ति पर्व की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ आज का शुभ प्रभात – purnimakatyayan

13 जनवरी 2017
0
3
1

अरुण भोर सूरज की मनुहार सी करतीकाँपती धूप को आगे करतीधुँध से छिपती छिपाती प्रकट होती |मनों में नई उमंगें लिए नन्हे शिशु समान पंछीमीठी चहचहाट के तार झनकारतेशरद धूप के साथ उतर आते अँगना में |अरुण भोर की मनुहार से चमकता मुखमण्डल लिएशीत प्रियतमा के साथ अठखेलियाँ करतेमाघ के को

97

शुभ प्रभात

20 जून 2016
0
0
0

<!--[if gte mso 9]><xml> <o:OfficeDocumentSettings> <o:RelyOnVML></o:RelyOnVML> <o:AllowPNG></o:AllowPNG> </o:OfficeDocumentSettings></xml><![endif]--><!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:Track

98

बन जाऊँ शाश्वत सदा के लिए – purnimakatyayan

17 जनवरी 2017
0
2
0

मन मेरा बना हुआ है घुमक्कड़क्योंकि चाहता है अनुभव करना उन ऊंचाइयों काजहाँ पुष्पों के पराग से सुगन्धित समीरसहला रहा हो मेरी नासिका के अग्रभाग कोकिसी वन वृक्ष की लताएँसुलझा रही हों मेरे उलझे हुए केशगुनगुनी धूप की गर्माहट से युक्त धीमी पवन का स्पर्शकिसी मुलायम शाल की तरह पहुँ

99

शुभ प्रभात

24 अगस्त 2016
0
0
0

100

अमर उजाला में १८ जनवरी २०१३ को प्रकाशित लेख………… – purnimakatyayan

23 जनवरी 2017
0
2
0

प्रयाग में त्रिवेणी संगम पर गंगा और यमुना का मिलन तो दीखता है लेकिन सरस्वती अदृश्य है | कुम्भ पर्व के अवसर पर वैदिक काल से आराध्य इस नदी के लुप्त होने और बने रहने का मर्म…अंतस में बहती हुई नदीकुम्भ पर्व हिन्दू धर्मं का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो इस वर्ष १४ जनवरी से आरम्भ ह

101

अज्ञान्तिमिरान्धस्य ज्ञानांजनशलाकया चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः

19 जुलाई 2016
0
1
0

 https://purnimakatyayan.wordpress.com/2016/07/19/

102

गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ

25 जनवरी 2017
0
0
0

महिला सशक्तिकरण

103

आखिर श्री कृष्ण ही क्यों हैं अलौकिक चरित्र के महामानव ?

25 अगस्त 2016
0
8
3

मित्रों, आज हम सब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म महोत्सव मना रहे हैं | तो सबसे पहले तो सभी को इस महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ | आज कहीं लोग व्रत उपवास

104

सत्य-शाश्वत-चिरन्तन – purnimakatyayan

28 जनवरी 2017
0
1
0

जन्म और मरण / कोई अन्तर नहीं दोनों मेंछोड़कर एक ही भेद कोमृत्यु है जीवन की परिणति / फल जीवन का |जीवन के मार्ग पर चलते हुए पहुँचते हैं जहाँवह लक्ष्य समापन ही तो है हमारे अध्यवसाय काजहाँ प्राप्त करते हैं समस्त प्रयास अपनी पूर्णता कोहो जाती है मुक्ति समस्त कर्मों सेऔर इसीलिए

105

पर फिर भी हो मुग्धमना मैं करती गुँजन

12 जून 2016
0
1
0

<!--[if gte mso 9]><xml> <o:OfficeDocumentSettings> <o:RelyOnVML></o:RelyOnVML> <o:AllowPNG></o:AllowPNG> </o:OfficeDocumentSettings></xml><![endif]--><!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:Track

106

मोक्ष – अनावृत मुक्त आत्मा – purnimakatyayan

31 जनवरी 2017
0
0
0

मोक्ष, अहं का नाश |अहं क्या है ?मनुष्य के सुखी होने की अनुभूति ?या फिर दर्द का अहसास ?किसी का अपना होने की राहत ?या फिर पराया होने का दर्द ?लेकिन दुःख में भी तो है कष्ट का आनन्द |अपनेपन से ही उपजता है परायापन |एक ही भाव के दो अनुभाव हैं दोनों |उसी तरह जैसे समुद्र में जल ए

107

शुभ प्रभात

2 सितम्बर 2016
0
0
0

आपका आज का दिन मंगलमय हो

108

शुभ प्रभात

5 फरवरी 2017
0
1
0

आज का दिन मंगलमय हो

109

शुभ प्रभात

23 जुलाई 2016
0
1
0

सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

110

छिप ना जाना – purnimakatyayan

10 फरवरी 2017
0
0
0

जग को देनी है शीतलता, रे चन्दा तू छिप ना जाना |गल जाएगा तन भी तेरा, पर फिर भी तू किरण लुटाना ||मुझे पता है दिन में सूरज की ज्वाला में तू तपता हैऔर रात में ओस की ठण्डी बूँदों में भीगा करता है |पर इसकी चिंता मत करना, और रात भर बढ़ते जाना ||रात रात भर शुभ्र ज्योत्स्ना तुझे जग

111

विवाह – मनुष्य जीवन का एक अभिन्न अंग – purnimakatyayan

26 सितम्बर 2016
0
1
1

अपनी बिटिया के विवाह की तैयारियों में आजकल व्यस्त हूँ, और जैसा कि हर परिवार में हर ब्याह शादी में होता है – समस्त व्यवस्थाएँ उचित रूप से हो जाएँ इसके लिए मित्रों – परिचितों तथा परिवारीजनों से सलाह भी लगभग हर बात में लेनी आवश्यक हो जाती है, क्योंकि विवाह कोई छोटा सा आयोजन

112

ढाई अक्षर का शब्द – purnimakatyayan

13 फरवरी 2017
0
3
1

कल वेलेंटाईन डे है, उत्साह है समस्त युवा वर्ग में… अभी एक फरवरी को पर्व था वसन्त पंचमी का – जिसे भारतीय वेलेंटाईन डे भी कहा जाता है… जिस दिन ज्ञान विज्ञान की दात्री माँ वाणी की पूजा अर्चना करने के साथ ही सब प्रेम के रंग में रंग जाते हैं, और केवल मानवमात्र ही नहीं, सारी प्

113

शुभ प्रभात

22 जून 2016
0
2
0

सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

114

ईश्वर – purnimakatyayan

18 फरवरी 2017
0
1
0

• कवियित्री, लेखिका, ज्योतिषी | ज्योतिष और योग से सम्बन्धित अनेक पुस्तकों का अंग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद | कुछ प्रसिद्ध मीडिया कम्पनीज़ के लिये भी लेखन | प्रकाशित उपन्यासों में अरावली प्रकाशन दिल्ली से देवदासियों के जीवन संघर्षों पर आधारित उपन्यास “नूपरपाश”, भारत के म

115

गीता और दुर्गा सप्तशती – purnimakatyayan

2 अक्टूबर 2016
0
1
0

दुर्गा सप्तशती या श्रीमद्भगवद्गीता का जब भी अध्ययन करने बैठती हूँ तो बहुत से कथनों को पढ़कर कहीं न कहीं दोनों में दृष्टि का और कथनों का साम्य अनुभव होता है | यही कारण है कि कुछ वर्ष पूर्व लिखे इस लेख को पुनः पढने बैठ गई और अब एक बार फिर सुधी पाठकों के अवलोकनार्थ पोस्ट कर

116

प्रेम के मधु घट का प्याला – purnimakatyayan

23 फरवरी 2017
0
1
0

ना हमारे बीच है कोई ऐसा खेलजिसमें हो हार या जीतफिर क्यों रूठी रहती है प्रीतआओ मिलकर इसे मनाएँ / ताकि बच जाए टूटने से / प्रेम के मधु घट का प्याला ।ना मुझमें है कोई खोट / ना ही हूँ मैं खान समस्त गुणों कीना तुममें है कोई खोट / ना तुम ही हो खान समस्त गुणों कीहम दोनों ही हैं

117

ऐसी आई बरखा रानी

26 जुलाई 2016
0
3
0

<!--[if gte mso 9]><xml> <o:OfficeDocumentSettings> <o:RelyOnVML/> <o:AllowPNG/> </o:OfficeDocumentSettings></xml><![endif]--><!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves/> <w:TrackFormatting/> <w:PunctuationKerning/> <w:ValidateAgainstSc

118

शुभ प्रभात

24 फरवरी 2017
0
1
0

आनंद, अपरिचित किन्तु परिचित बनी ऊर्जा

119

कूष्माण्डेति चतुर्थकम् – purnimakatyayan

5 अक्टूबर 2016
0
2
1

नवरात्रों के चतुर्थ दिन अर्थात चतुर्थी तिथि को कूष्मांडा देवी की पूजा अर्चना की जाती है | यह सृष्टि की आदिस्वरूपा आदिशक्ति है | इसका निवास सूर्यमंडल के भीतरी भाग में माना जाता है | अतः इनके शरीर की कान्ति भी सूर्य के ही सामान दैदीप्यमान और भास्वर है | देवी का चतुर्थ रूप क

120

मिलकर मनाएँ महिला दिवस…. – purnimakatyayan

7 मार्च 2017
0
1
0

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस को समर्पित रहा ये सप्ताह, जिसका कल यानी आठ मार्च को समापन है अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में… सप्ताह भर विश्व भर में अनेक प्रकार के कार्यक्रमों का, गोष्ठियों का, रैलियों का, कार्यशालाओं आदि का आयोजन होता रहा… तो इसी महिला दिवस के उपलक्ष्य

121

शुभ प्रभात

5 मार्च 2017
0
0
0

सन्मार्ग पर चलते हुए हम सभी का आज का दिन मंगलमय हो

122

षष्ठं कात्यायनी – purnimakatyayan

7 अक्टूबर 2016
0
1
0

एतत्ते वदनं सौम्यम् लोचनत्रय भूषितम् ।पातु नः सर्वभीतिभ्यः कात्यायिनी नमोsस्तुते ।।देवी का छठा रूप कात्यायनी देवी का माना जाता है | इस रूप में भी इनके चार हाथ माने जाते हैं और माना जाता है कि इस रूप में भी ये शेर पर सवार हैं | इनके तीन हाथों में तलवार, ढाल और कमलपुष्प हैं

123

शुभ प्रभात

10 मार्च 2017
0
1
1

आज का दिन मंगलमय हो

124

शुभ प्रभात

30 जुलाई 2016
0
0
0

सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

125

Swasti Shree - YouTube

12 मार्च 2017
0
1
0

Published on Feb 28, 2015Annual Function 2012 by Delhi Gynaecologist Forum / WOW India Swasti Shree - YouTube

126

महागौरीति चाष्टमम् – purnimakatyayan

9 अक्टूबर 2016
0
3
0

सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोsस्तुते ।।आज अष्टमी तिथि है, आठवाँ नवरात्र | आज महागौरी की पूजा अर्चना सबने की है | देवी का आठवाँ रूप है महागौरी का | माना जाता है कि महान तपस्या करके इन्होने अत्यन्त गौरवर्ण प्राप्त किया था | इस रू

127

शुभ प्रभात

14 मार्च 2017
0
0
0

आपका आज का दिन मंगलमय हो

128

स्वस्ति श्री शर्मा का अन्दाज़-ए-बयाँ

22 जून 2016
0
0
0

<!--[if gte mso 9]><xml> <o:OfficeDocumentSettings> <o:RelyOnVML/> <o:AllowPNG/> </o:OfficeDocumentSettings></xml><![endif]--><!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves/> <w:TrackFormatting/> <w:PunctuationKerning/> <w:ValidateAgainstSc

129

शहीद दिवस

23 मार्च 2017
0
2
2

अमर शहीदों को शत शत नमन...

130

अपराजिता देवी और विजयादशमी – purnimakatyayan

10 अक्टूबर 2016
0
0
0

चितिरूपेण या कृत्स्नमेतद्व्याप्य स्थिता जगत् ।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥कल विजयादशमी का पर्व मनाया जाएगा | कल सभी के लिए बहुत व्यस्तताओं भरा दिन होगा – किसी के घर अपराजिता देवी की पूजा अर्चना की जाएगी, तो किसी के घर भाइयों के कानों में नौरते रखकर उनके सफल और

131

देवी प्रपन्नार्ति हरे प्रसीद – katyayani.purnimakatyayan

27 मार्च 2017
0
0
0

प्रणतानां प्रसीद त्वं देवि विश्वार्तिहारिणी, त्रैलोक्यवासिनामीड्ये लोकानां वरदा भव ||माँ भगवती की इसी प्रार्थना के साथ सर्वप्रथम तो सभी को कल से आरम्भ हो रहे नव सम्वत्सर की हार्दिक शुभकामनाएँ…आंध्रप्रदेश में युगादि अथवा उगडि तिथि कहकर इस सत्य की उद्घोषणा की जाती है कि भार

132

शुभ प्रभात

2 अगस्त 2016
0
1
0

आप सभी का आज का दिन मंगलमय हो

133

शुभ प्रभात – द्वितीयं ब्रह्मचारिणी – katyayani.purnimakatyayan

29 मार्च 2017
0
0
0

या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमःआज द्वितीया तिथि है – दूसरा नवरात्र – माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना का दिन | देवी का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी का है – ब्रह्म चारयितुं शीलं यस्याः सा ब्रह्मचारिणी – अर्थात् ब्रह्मस्वरूप की प्राप्

134

दीपावली और पर्यावरण – purnimakatyayan

26 अक्टूबर 2016
0
1
0

प्रिय मित्रों, आगामी 30 तारीख़ को प्रकाश का पर्व है, तो सर्व प्रथम तो सभी मित्रों को पाँच दिन पहले से ही प्रकाश पर्व दीपावली के मंगलमय त्यौहार पर हार्दिक बधाई और ढेरों शुभकामनाएँ | दीपमालिका में प्रज्वलित प्रत्येक दीप की प्रत्येक किरण आपके जीवन में सुख, समृद्धि, स्नेह और स

135

शुभ प्रभात – पञ्चमं स्कन्दमातेति – katyayani.purnimakatyayan

1 अप्रैल 2017
0
0
0

सौम्या सौम्यतराशेष सौम्येभ्यस्त्वति सुन्दरी, परापराणां परमा त्वमेव परमेश्वरी ।पंचमं स्कन्दमातेति – देवी का पंचम स्वरूप स्कन्दमाता के रूप में जाना जाता है और नवरात्र के पांचवे दिन माँ दुर्गा के इसी स्वरूप की उपासना की जाती है। कुमार कार्तिकेय को ही “भगवान स्कन्द” के नाम से

136

शुभ प्रभात

16 जून 2016
0
5
0

<!--[if gte mso 9]><xml> <o:OfficeDocumentSettings> <o:RelyOnVML></o:RelyOnVML> <o:AllowPNG></o:AllowPNG> </o:OfficeDocumentSettings></xml><![endif]--><!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:Track

137

शुभ प्रभात – सप्तमं कालरात्रि – katyayani.purnimakatyayan

3 अप्रैल 2017
0
0
0

त्रैलोक्यमेतदखिलं रिपुनाशनेन त्रातं समरमूर्धनि तेSपि हत्वा ।नीता दिवं रिपुगणा भयमप्यपास्तमस्माकमुन्मदसुरारि भवन्न्मस्ते ।।सप्तमं कालरात्रीति– देवी का सातवाँ रूप कालरात्रि का रूप माना जाता है | सबका अन्त करने वाले काल की भी रात्रि अर्थात् विनाशिका होने के कारण इनका नाम काल

138

प्रेम बन जाएगा ध्यान – purnimakatyayan

4 नवम्बर 2016
0
1
1

मैंने देखा, और मैं देखती रहीमैंने सुना, और मैं सुनती रहीमैंने सोचा, और मैं सोचती रहीद्वार खोलूँ या ना खोलूँ |प्रेम खटखटाता रहा मेरा द्वारऔर भ्रमित मैं बनी रही जड़खोई रही अपने ऊहापोह में |तभी कहा किसी ने, सम्भवतः मेरी अन्तरात्मा नेतुम द्वार खोलो या ना खोलोद्वार टूटेगा, और

139

शुभ प्रभात

8 अप्रैल 2017
0
1
0

आज का दिन शुभ हो

140

शुभ प्रभात

5 अगस्त 2016
0
1
0

आपका आज का दिन मंगलमय हो

141

शुभ प्रभात

13 अप्रैल 2017
0
0
0

142

शुभ प्रभात

9 नवम्बर 2016
0
2
1

आज का दिन मंगलमय हो

143

शुभ प्रभात

20 अप्रैल 2017
0
0
1

वर्तमान ही सत्य है, उसी को सँवारने का प्रयास करें...

144

शुभ प्रभात

27 जून 2016
0
1
1

सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

145

शुभ प्रभात – अक्षय तृतीया की हार्दिक शुभकामनाएँ – katyayani.purnimakatyayan

28 अप्रैल 2017
0
2
1

अक्षय तृतीया – ॐ जमदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो परशुराम: प्रचोदयात ।भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम जी की जयन्तीअक्षय तृतीया – जिस दिन जैनियों के आदि तीर्थंकर ऋषभदेव ने अपने एक वर्ष के उपवास का पारायण किया था और जिसके उपलक्ष्य में आज भी भगवान ऋषभदेव की प्

146

ऐसा क्यों…? – purnimakatyayan

10 नवम्बर 2016
0
1
0

नौ नवम्बर की शाम कुछ आवश्यक लिखना था इस कारण टी वी ऑन ही नहीं कर पाई थी और मोदी जी का देश के नाम वो ऐतिहासिक सम्बोधन भी नहीं देख पाई थी | अचानक व्हाट्सअप पर धड़ाधड़ मैसेज आने शुरू हो गए | “इतने सारे मैसेजेज़, पल भर को भी नहीं रुक रहे, आज किस पर्व की बधाईयाँ लोग दे रहे हैं…”

147

शुभ प्रभात

1 मई 2017
0
1
0

हमारे मन हमारे कार्यों को साधने में सहायक हो... इसी कामना के साथ सभी को आज का शुभ प्रभात...

148

शुभ प्रभात

6 अगस्त 2016
1
0
0

आपका आज का दिन मंगलमय हो

149

शुभ प्रभात

4 मई 2017
0
0
0

जीवन एक बार ही प्राप्त होता है - जो व्यर्थ गँवाने के लिए नहीं होता... सभी का आज का दिन मंगलमय हो...

150

शुभ प्रभात

18 नवम्बर 2016
0
1
0

आप सभी का आज का दिन मंगलमय हो

151

शुभ प्रभात

7 मई 2017
0
2
1

सभी का आज का दिन मंगलमय हो

152

शुभ प्रभात

11 जून 2016
0
2
0

<!--[if gte mso 9]><xml> <o:OfficeDocumentSettings> <o:RelyOnVML></o:RelyOnVML> <o:AllowPNG></o:AllowPNG> </o:OfficeDocumentSettings></xml><![endif]--><!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:Track

153

मातृ दिवस – मदर्स डे – katyayani.purnimakatyayan

13 मई 2017
0
1
1

कल “मदर्स डे” है – यानी कि “मात्तृ दिवस” – हर माँ को सम्मान और आदर देने के लिये हर वर्ष एक वार्षिक कार्यक्रम के रुप में मातृदिवस को मनाया जाता है । यों भारत में तो मातृ शक्ति के सम्मान की महान परम्परा आरम्भ से ही रही है | उत्तरी अमेरिका में माताओं को सम्मान देने के लिये अ

154

शुभ प्रभात

24 नवम्बर 2016
0
1
0

आज का दिन मंगलमय हो

155

यही है एकमात्र सत्य – katyayani.purnimakatyayan

15 मई 2017
0
0
1

मन में अन्तर्विरोध / मन में लाचारीमन में हैरानी / परेशानी / क्यों है ये सब ?कैसे हैं ये नियम / सिद्धान्त / क्यों हैं ये इतने जटिल ?घूम रहा है हर कोई / लगाए हुए एक मुखौटा |क्या है कोई परिभाषा तथाकथित मित्र की ?क्या है कोई परिभाषा तथाकथित शत्रु की ?तथाकथित ??? हाँ तथाकथितक्

156

शुभ प्रभात

7 अगस्त 2016
0
0
0

आपका आज का दिन मंगलमय हो

157

शुभ प्रभात

30 मई 2017
0
0
0

सभी को आज का शुभ प्रभात

158

शुभ प्रभात

26 नवम्बर 2016
0
2
0

आज का खुशियों भरा शुभ प्रभात

159

अर्जुन विक्षिप्त थे – मूढ़ नहीं

2 जून 2017
0
2
3

इतने विशाल संसार में हर पल कहीं न कहीं आँधी, तूफ़ान, बाढ़, भूकम्प, हिमस्खलन, अग्निकाण्ड आदि न जाने कितने प्रकार के विध्वंस होते रहते हैं | हर पल अनुभव होते रहने वाले उत्पत्ति-व

160

शुभ प्रभात

7 जुलाई 2016
0
2
1

सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

161

शुभ प्रभात

7 जून 2017
0
2
1

सभी का आज का दिन मंगलमय हो...

162

शुभ प्रभात

1 दिसम्बर 2016
0
3
1

सभी का आज का दिन मंगलमय हो

163

अध्यात्मयुत सूक्ष्म मनोविज्ञान – katyayani.purnimakatyayan

19 जून 2017
0
1
0

कर्ममार्ग पर अग्रसर होने में ऐसा अनेक बार हो सकता है कि व्यक्ति कर्तव्य और अकर्तव्य का भेद बुला बैठे और संशयग्रस्त हो जाए | जब जब भी इस प्रकार के संशय की स्थिति आती है कि व्यक्ति को कर्म अकर्म का कोई ज्ञान नहीं रहता तब तब श्रीकृष्ण जैसे किसी मनश्चिकित्सक की आवश्यकता होती

164

शुभ प्रभात

10 अगस्त 2016
0
1
0

आपका आज का दिन मंगलमय हो

165

जीवन एक विश्रामगृह - YouTube

20 जून 2017
1
1
0

Unsubscribe from DrPurnima Sharma? SubscribeSubscribedUnsubscribe2828Add toWant to watch this again later? Sign in to add this video to a playlist. Sign inShare0Like this video? Sign in to make your opinion count. Sign in10Don't like this vide

166

शुभ प्रभात

5 दिसम्बर 2016
0
2
0

सभी का आज का दिन मंगलमय हो

167

कालिदास – वर्तमान परिप्रेक्ष्य में – katyayani.purnimakatyayan

20 जून 2017
0
2
0

कालिदास – वर्तमान परिप्रेक्ष्य मेंकल कविता वाचक्नवी का एक बड़ा सारगर्भित लेख पढ़ने को मिला, जिसका शीर्षक था “संस्कृत : छन्दविज्ञान, सैद्धान्तिकी और कबीर” | भाषा और व्याकरण से सम्बद्ध यह लेख वास्तव में सराहनीय है | मैं सहमत हूँ इस लेख से | कविता जी ने बड़ी सरल शैली में भाष

168

"अन्दाज़-ए-बयाँ"

17 जून 2016
0
1
0

<!--[if gte mso 9]><xml> <o:OfficeDocumentSettings> <o:RelyOnVML></o:RelyOnVML> <o:AllowPNG></o:AllowPNG> </o:OfficeDocumentSettings></xml><![endif]--><!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:Track

169

मेघों ने बाँसुरी बजाई – katyayani.purnimakatyayan

30 जून 2017
0
3
3

मौसम ने अपनी ही एक पुरानी रचना याद दिला दी:-मेघों ने बाँसुरी बजाई, झूम उठी पुरवाई रे |बरखा जब गा उठी, प्रकृति भी दुलहिन बन शरमाई रे ||उमड़ा स्नेह गगन के मन में, बादल बन कर बरस गयाप्रेमाकुल धरती ने नदियों की बाँहों से परस दिया |लहरों ने एकतारा छेड़ा, कोयलिया इतराई रेबरखा जब

170

शुभ प्रभात

14 दिसम्बर 2016
0
1
0

सभी का आज का दिन मंगलमय हो

171

नमोऽस्तु गुरुसत्तायै, श्रद्धाप्रज्ञायुता च या – katyayani.purnimakatyayan

9 जुलाई 2017
0
1
0

मातृवत् लालयित्री च, पितृवत् मार्गदर्शिका, नमोऽस्तु गुरुसत्तायै, श्रद्धाप्रज्ञायुता च या ||वास्तव में ऐसी श्रद्धा और प्रज्ञा से युत होती है गुरु की सत्ता – गुरु की प्रकृति – जो माता के सामान ममत्व का भाव रखती है तो पिता के सामान उचित मार्गदर्शन भी करती है | आज गुरु पूर्ण

172

ये भेजा किसने प्रेम संदेसा

11 अगस्त 2016
0
2
1

 इन्द्रधनुष के रंगों में ये भेजा किसने प्रेम संदेसा |सावन में जैसे पेड़ों की डाली पर हो धूप बसेरा || धरा पहनती मुतियन माला, पीली साड़ी अंग लिपटती |पंछी गाते गान अनोखा, मीठी सी एक तान उभरती ||दूर गगन के ओर छोर तक पंछी देखो उड़ते जाते |और ओस से द्रवित निशा में राग भैरवी गाते जाते ||राग भरा अनुराग भरा है

173

हरियाली तीज – katyayani.purnimakatyayan

26 जुलाई 2017
0
2
0

सावन का महीना आते ही अपने पुराने दिनों की याद ताज़ा हो आती है | कई रोज़ पहले से पिताजी उत्साह में भर घर सर पर उठा लिया करते थे “अरे भई मास्टरनी जी (हमारी माँ को पिताजी मास्टरनी जी बुलाते थे) पूनम की चाचियों के चूड़ियों के नाप तो लाकर दो | और हाँ वो लाली और सरसुती की चूड़ियों

174

शुभ प्रभात

16 दिसम्बर 2016
0
1
0

आज का दिन मंगलमय हो

175

चित्रों की अदला बदली – katyayani.purnimakatyayan

5 अगस्त 2017
0
0
0

जीवन क्या हैमात्र चित्रों की एक अदला बदली…किसी अनदेखे चित्रकार द्वारा बनाया गया एक अद्भुत चित्र…जिसे देकर एक रूप / उकेर दी हैं हाव भाव और मुद्राएँऔर भर दिए हैं विविध रंग / उमंगों और उत्साहों केसुखों और दुखों के / रागों और विरागों केकर्तव्य और अकर्तव्य के / प्रेम और घृणा क

176

शुभ प्रभात

13 जुलाई 2016
0
2
0

सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

177

फ्रेण्डशिप डे – katyayani.purnimakatyayan

6 अगस्त 2017
0
0
0

आज “फ्रेण्डशिप डे” है… यानी “मैत्री दिवस”… सभी मित्रों को हार्दिक बधाई भी और धन्यवाद भी साथ जुड़े रहने के लिए…यों तो आज इस सोशल मीडिया की मेहरबानी से हर दिन ही “मैत्री दिवस” होता है – क्योंकि हर दिन मित्रों से वार्तालाप यानी “चैटिंग” होती रहती है… पर एक विशेष दिन को मित्रो

178

परछाईं ही रहना चाहूँ मैं – purnimakatyayan

18 दिसम्बर 2016
0
2
0

मेरा जीवन कितना ऊँचा कितना लम्बा, कितनी दूर तलक है इसका ताना बानाकिन्तु कहीं कुछ और, कहीं कुछ और बनी मैं, कहीं बनी परछाईं. कहीं आकार बनी मैं ||इसमें कितने ही हैं मैंने रूप समेटे, कितने ही छाया चित्रों के व्यूह समेटे |इसमें जुड़कर कितनों को है अर्थ मिल गया, निज सार्थकता से

179

क्या अजीब सी चीज़ है ये ज़िन्दगी – katyayani.purnimakatyayan

8 अगस्त 2017
0
0
0

क्या अजीब सी चीज़ है ये ज़िन्दगी |कभी कशमकश सी / नहीं है जिसका समाधान कहीं भीकितने ज्ञानी ध्यानी हार गए खोज खोज करपर नहीं पा सके एक निश्चित उत्तर |कभी आधे देखे स्वप्न सीज़रा सी आहट से ही टूट कर बिखर जाता है जो पल भर में ही |कभी भूल भुलैया सी / नहीं मिलती राह कभी भी जहाँचलते

180

शुभ प्रभात

13 अगस्त 2016
0
0
0

आपका दिन मंगलमय हो

181

श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ – katyayani.purnimakatyayan

14 अगस्त 2017
0
1
3

आज और कल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पावन और उल्लासपूर्ण पर्व देश भर में बड़ी धूम धाम से मनाया जाएगा | सभी को श्री कृष्ण के जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ |वास्तव में श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व इतना भव्य है कि न केवल भारतीय इतिहास के लिये, वरन विश्व के इतिहास के लिये भी अलौकिक एव

182

शुभ प्रभात

23 दिसम्बर 2016
0
2
0

सभी का आज का दिन मंगलमय हो

183

शुभ प्रभात

16 अगस्त 2017
0
1
0

सभी का आज का दिन मंगलमय हो

184

है तभी तो फूल जग सर चढ़ रहा

4 जून 2016
2
3
1

<!--[if gte mso 9]><xml> <o:OfficeDocumentSettings> <o:RelyOnVML></o:RelyOnVML> <o:AllowPNG></o:AllowPNG> </o:OfficeDocumentSettings></xml><![endif]--><!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:Track

185

ढेर सारा प्यार बिटिया… – katyayani.purnimakatyayan

17 अगस्त 2017
2
1
0

तू मेरे साँसों की सरगम, मन वीणा की तू ही रागिनी |तुझसे ही जीवन में खुशियों की बजती है मधुर रागिनी ||तुझको पाकर धन्य हुई मैं, पूर्ण हुई और तृप्त हुई मैं |तुझमें अपना रूप देखकर सदा ख़ुशी से मस्त हुई मैं ||तेरी मुस्कानों से ही तो जीवन उजियाला है मेरा |और तेरी साँसों से हर पल

186

मन में ऐसा भाव जगा है – purnimakatyayan

26 दिसम्बर 2016
0
1
0

पूज्य पिताश्री पं. यमुना प्रसाद कात्यायन (स्वर्गीय नहीं, क्योंकि वे सदा मेरे साथ हैं – पूर्ववत अपने नेहाशीषों की वर्षा करते), मेरे गुरु-सखा-भाई एकमात्र मेरे पिताजी… आज ही के दिन अपनी मीठी बातों से सबका मन बहलाते बहलाते रात्रि को परमतत्व में विलीन हुए थे…मेरे जनक तुम्हारे

187

सत्ता जो हो जाती है असत्य – katyayani.purnimakatyayan

22 अगस्त 2017
0
1
0

नृत्य क्या है / जीवन जीने की एक कलाइसीलिए तो समूचा जीवन ही है एक नृत्यमस्ती में भर / भूलकर सारा विषाद / मिलकर एक दूसरे के साथवैसे ही जैसे / किया नृत्य नटवर नागर नेतो हुआ पूर्ण वो नृत्य / राधा के महारास के साथनटराज ने मचाया ताण्डवतो शान्त किया हिमसुता ने / रचकर मधुर लास्यर

188

स्वतन्त्रता दिवस की बधाई - जयहिन्द

14 अगस्त 2016
0
1
0

कल स्वतन्त्रता दिवस है, सभी को हार्दिक बधाई - वंदेमातरम्....

189

शुभ प्रभात – katyayani.purnimakatyayan

24 अगस्त 2017
0
1
0

हम प्रायः अकेलेपन और एकान्त को समझने में भूल कर बैठते हैं और सोचने लगते हैं कि जो व्यक्ति अकेला रहता है वही वास्तव में एकान्तवासी होता है और वही एकाग्रचित्त होकर अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करके लक्ष्यप्राप्त कर सकता है | अथवा एकान्त मैं बैठकर साधना करके मोक्ष को प्राप

190

आओ छेड़ें मधुर रागिनी, बीते कल को करें विदा अब – purnimakatyayan

31 दिसम्बर 2016
0
2
0

कुछ है रीता, कुछ है बीता, कुछ है खोया, कुछ है पाया |बीते कल में जाने हमने क्या कुछ खोया क्या कुछ पाया ||क्या खोया ये ग़म ही क्यों हो, क्या पाया ये भ्रम ही क्यों हो |खोना पाना रीत जगत की, इसका भला वहम ही क्यों हो ||आशाओं से भरी सुबह का करना है अब स्वागत दिल से |इसीलिये मस्त

191

शुभ प्रभात – katyayani.purnimakatyayan

4 सितम्बर 2017
0
0
0

प्रायः लोगों को ऐसा कहते सुना होगा कि कुछ लोगों का जन्म केवल अपने स्वार्थों की सिद्धि के लिए ही होता है | स्वार्थों की सिद्धि अच्छी बात है – यदि उस स्वार्थ में किसी अन्य की भलाई निहित हो या आत्मोन्नति के मार्ग में सहायक हो | संसार में कोई सम्बन्ध ऐसा नहीं जिसमें स्वार्थ न

192

शुभ प्रभात

16 जुलाई 2016
0
0
0

सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

193

मूर्त – purnimakatyayan

5 जनवरी 2017
0
1
0

इस विशाल ब्रह्माण्ड में मैं क्या हूँ / शायद कुछ भी नहीं |शायद कहीं होगा कोई एक छोटा सा शून्यऔर उस छोटे से शून्य के मध्यमैं – एक छोटा सा बिन्दुशायद एक अत्यन्त सूक्ष्मातिसूक्ष्म अणुजिसे ढूँढ़ पाना भी मुश्किल |लेकिन फिर भी मैं हीन नहीं हूँलेकिन फिर भी मैं क्षीण नहीं हूँक्योंक

194

कल्पनाओं का पंछी

3 जून 2016
4
6
3

<!--[if gte mso 9]><xml> <o:OfficeDocumentSettings> <o:RelyOnVML></o:RelyOnVML> <o:AllowPNG></o:AllowPNG> </o:OfficeDocumentSettings></xml><![endif]--><!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:Track

195

नहीं तनिक है भान मुझे

7 जून 2016
3
4
0

<!--[if gte mso 9]><xml> <o:OfficeDocumentSettings> <o:RelyOnVML></o:RelyOnVML> <o:AllowPNG></o:AllowPNG> </o:OfficeDocumentSettings></xml><![endif]--><!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:Track

196

"अन्दाज़-ए-बयाँ"

13 जून 2016
1
1
0

<!--[if gte mso 9]><xml> <o:OfficeDocumentSettings> <o:RelyOnVML></o:RelyOnVML> <o:AllowPNG></o:AllowPNG> </o:OfficeDocumentSettings></xml><![endif]--><!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:Track

197

स्वस्ति श्री शर्मा का "अन्दाज़-ए-बयाँ"

22 जून 2016
0
1
0

<!--[if gte mso 9]><xml> <o:OfficeDocumentSettings> <o:RelyOnVML/> <o:AllowPNG/> </o:OfficeDocumentSettings></xml><![endif]--><!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves/> <w:TrackFormatting/> <w:PunctuationKerning/> <w:ValidateAgainstSc

198

शुभ प्रभात

27 जुलाई 2016
0
1
1

सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

199

पंचमं स्कन्दमातेति – purnimakatyayan

6 अक्टूबर 2016
0
2
0

सौम्या सौम्यतराशेष सौम्येभ्यस्त्वति सुन्दरी ।परापराणां परमा त्वमेव परमेश्वरी ।।देवी का पंचम स्वरूप स्कन्दमाता के रूप में जाना जाता है और नवरात्र के पांचवे दिन माँ दुर्गा के इसी स्वरूप की उपासना की जाती है। कुमार कार्तिकेय को ही “भगवान स्कन्द” के नाम से जाना जाता है । स्कन

200

शुभ प्रभात

7 मार्च 2017
0
1
1

सभी का आज का दिन आनन्द और प्रेमपूर्ण व्यतीत हो

Loading ...