नक्कारखाने में तूती
दिनेश डाक्टर
कुछ दिनों से कुछ मित्र धार्मिक वैमनस्य और अलगाव
बढ़ाने वाली हिन्दू मुसलमान वाली पोस्ट्स शेयर कर रहे हैं । पहले मैंने सोचा कि
उन्हें ब्लॉक कर दूं या उस प्रकार के ग्रुप्स छोड़ दूं । पर गहन विचार करने से इस निर्णय पर पहुंचा कि
यह समाधान नहीं होगा क्योंकि ये लोग बिना इस प्रकार की पोस्ट्स की तह में गए
उन्हें सिर्फ धार्मिक उन्माद की रौ में बह कर आदतन शेयर कर रहे हैं ।
मै आज उन
सब मित्रों से विनम्रता से यह प्रश्न करना
चाहता हूं कि क्या कभी उन्होंने इस पर विचार किया है कि इस प्रकार की पोस्ट्स कहां
से आ रही है और कौन लिख रहा है । एक श्रृंखला है जिसमें सब बस शेयर ही कर रहे है
बगैर यह जाने और समझे कि ऐसी पोस्ट्स कौन और किस उद्देश्य से लिख रहा है । अगर आप
समझते है कि ऐसी पोस्ट्स सिर्फ हिन्दुओं में ही शेयर की जा रही है तो गलतफहमी में
न रहें । मुसलमानों में इससे भी ज्यादा घृणा पूर्ण और डर पैदा करने वाली पोस्ट्स
दिन रात शेयर की जा रही है । और बदकिस्मती से मुसलमान भी बिना सोचे समझे ऐसे ही
शेयर कर रहे है जैसे हिन्दू । बस हिन्दू और मुसलमान एक सावधानी ज़रूर बरत रहे हैं । हिन्दू उसे मुसलमान
परिचितों से शेयर नहीं करता और मुसलमान उसे हिन्दू दोस्तों से ।
पर हम जो थोड़ा पढ़े लिखे है और खुद को समझदार
समझते है, क्या इस बात पर विचार करने के लिए वक़्त निकालेंगे कि
जो लोग इस तरह की पोस्ट्स लिख कर दोनों ही तरफ वायरल कर रहे है , उनका मकसद और मंशा क्या है ?
अगर आप विचार करेंगे तो आपको इस देश में बहुत सी
दुखद घटनाओं की पूरी कैमिस्ट्री समझ में आ जाएगी । चाहे ट्रेन के डिब्बों में आग
लगाकर लोगों को मारना हो या गुजरात के दंगे । बंबई के ब्लास्ट्स हो या भिवंडी
बाज़ार का मौत का तांडव । उन सबको और गिनाने की जरूरत नहीं क्योंकि वो सब आपकी, मेरी और सबकी याददाश्त में खौफ की तह में अच्छे से मौजूद है ।
जब तक हम सब "वे लोग" और "हम
लोग" की जहनियत से ऊपर उठ कर इस देश और इसमें बसने वाली हमारी आने वाली
पीढ़ियों की सुरक्षा और अच्छे भविष्य के लिए पॉजिटिव सोच नहीं रखेंगे तब तक इस
मुल्क पर हर जगह हिंसा का खतरा मंडराता ही रहेगा
। इस पॉजिटिव
सोच के लिए जरूरी है कि इस तरह की भड़काने वाली पोस्ट्स को शेयर करने के बजाय उससे
सवाल करें, जिसने आप से ये पोस्ट शेयर की ।
तह तक पहुंचने की कोशिश करें कि कौन लोग है और उनका क्या इरादा है जो इस तरह की
पोस्ट्स लिख कर शेयर कर रहे हैं । इस बात की परवाह न करें कि आपकी आवाज नक्कारखाने
में तूती से भी कम है और कुछ लोग आप पर धर्म या मजहब के लिए खड़े न होने की लानत
डालेंगे ।
आपको पता भी है कि दूर तक फैले अंधेरे में एक
टिमटिमाता दिया कितनों का हौसला बढ़ाता है
?
(डॉ दिनेश शर्मा)