27 नक्षत्रों के वैदिक नाम
अब मुहूर्त आदि के लिए प्रमुख रूप से विचारणीय वैदिक ज्योतिष के महत्त्वपूर्ण अंग नक्षत्रों की वार्ता को आगे बढाते हुए 27 नक्षत्रों के वैदिक नामों पर प्रकाश डालते हैं | जैसे कि पहले ही बताया है कि किसी भी हिन्दी अथवा वैदिक महीने के नाम उस नक्षत्र के नाम पर होता है जो उस माह की पूर्णिमा के दिन होता है | अर्थात किसी भी माह की पूर्णिमा को जिस नक्षत्र का उदय हो रहा होगा, उस माह का नाम उसी नक्षत्र के नाम पर होगा |
उदाहरण के लिए चैत्र माह की पूर्णिमा को चित्रा नक्षत्र का उदय होता है इसलिए इस माह का नाम चैत्र रखा गया | वैशाख माह की पूर्णिमा को विशाखा नक्षत्र का उदय होता है इसलिए इस नक्षत्र का नाम वैशाख रखा गया, इत्यादि इत्यादि...
सूर्य सिद्धान्त के अनुसार आश्विन, भाद्रपद और फाल्गुन माह में तीन तीन नक्षत्र होते हैं और शेष नौ महीनों में दो दो नक्षत्र होते हैं | ये 27 नक्षत्र हैं – अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तर फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़, उत्तराषाढ़, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषज, पूर्वा भाद्रपद, उत्तर भाद्रपद और रेवती |
स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवा: स्वस्ति न: पूषा विश्ववेदा: |
स्वस्ति न तार्क्ष्योSरिष्टनेमि: स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ||
अगले अध्याय में चर्चा करेंगे इन 27 नक्षत्रों का हिन्दी महीनों में विभाजन किस प्रकार किया गया है तथा इन नक्षत्रों के आधार पर हिन्दी के बारह महीनों के वैदिक नाम क्या हैं…
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