पञ्चांग के पाँचों अंगों तथा राहुकाल के विषय में जानने के बाद अब यमगण्ड के विषय में चर्चा करते हैं | जैसा कि नाम से ही विदित होता है – Vedic Astrologers यमगण्ड को भी पूर्ण रूप से वर्जित काल ही मानते हैं | ऐसा माना जाता है कि इस अवधि में किसी भी कार्य का आरम्भ किया जाए तो उसके पूर्ण होने में सन्देह रहता है | सामान्यतः यमगण्ड की गणना निम्न प्रकार से होती है:
रविवार 12:00 से 13:30
सोमवार 10:30 से 12:00
मंगलवार 09:00 से 10:30
बुधवार 07:00 से 09:30
गुरूवार 06:00 से 07:30
शुक्रवार 15:00 से 16:30
शनिवार 13:30 से 15:00
किन्तु राहुकाल की ही भाँति सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय के भेद से हर स्थान का यमगण्ड का आरम्भ होने के समय बदल सकता है तथा इस काल की अवधि घट बढ़ सकती है |
अन्त में इतना अवश्य कहेंगे कि शुभ मुहूर्त का चयन अच्छी सोच है, किन्तु इस सबसे ऊपर व्यक्ति का अपना कर्म होता है | व्यक्ति में कर्म करने की सामर्थ्य और योग्यता है तो वह अशुभ मुहूर्त को भी अनुकूल बना सकता है | अतः कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए सबसे पहली और महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है व्यक्ति उचित दिशा में प्रयास करता हुआ कर्मशील रहे | कोई भी अच्छा ज्योतिषी – A Good Astrologer – अशुभ मुहूर्त का भय न दिखाकर उचित मार्गदर्शन ही करता है |
हम सभी कर्मशील रहते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त करें…